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शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

सहायता


   किसी के प्रति दया दिखाने और उसकी सहायता करने के मार्ग में एक बड़ा रोड़ा होता है हमारा आंकलन करने लग जाना कि कौन इस दया और सहायता के योग्य है। प्रभु यीशु से एक व्यक्ति ने, अपने आप को धर्मी जताने के लिए प्रश्न किया "मेरा पड़ौसी कौन है?" (लूका १०:२९); अर्थात एक पड़ौसी के समान मेरी दया और सहायता पाने के योग्य कौन है? उत्तर में प्रभु यीशु ने उसे एक नीतिकथा सुनाई। 

   प्रभु यीशु ने कहा: "एक व्यक्ति यरुशलेम से यरीहो के दुर्गम मार्ग पर जा रहा था; उसे डाकुओं ने घेर कर मारा-पीटा और लूट कर मरने के लिए छोड़ दिया। कुछ समय बाद एक पुरोहित और फिर मन्दिर का एक सेवक वहां से निकले किंतु उस घायल व्यक्ति से मूँह मोड़कर चले गए। और कुछ समय के बाद एक सामरी व्यक्ति वहां से निकला, उसने उस घायल व्यक्ति पर तरस खाया, उसके घावों की मरहम्म-पट्टी करी और उसे अपनी सवारी पर बैठा कर एक सराय़ में ले गया जहां उसकी देखभाल हो सकती थी और सराय वाले को देखभाल के लिए पैसे भी दिए तथा लौटते में अन्य खर्चे को पूरा करने का आश्वासन भी।"

   प्रभु यीशु की बात सुनने वाले यह सुनकर चकित हुए होंगे क्योंकि यहूदी लोग सामरी लोगों को तुच्छ जान्ते थे और उनसे कोई व्यवहार नहीं रखते थे। वह सामरी व्यक्ति इस दया और सहायता करने के अवसर का उपयोग करने या ना करने का आंकलन कर सकता था क्योंकि घायल व्यक्ति एक यहूदी था, और सामरीयों को तुच्छ जानने तथा उन्हें अलग रखने की प्रथा यहूदीयों ने ही आरंभ करी थी। लेकिन उस सामरी व्यक्ति ने अपने फर्ज़ को इन छोटी बातों में पड़कर व्यर्थ नहीं किया; उसने केवल यह देखा कि जो घायल पड़ा है वह भी एक मनुष्य ही है और उसे सहायता की आवश्यकता है, और उसने ऐसा ही किया।

   क्या आज मैं और आप दया और सहायता यह जांचकर करते हैं कि दया और सहायता का पात्र इसके योग्य है कि नहीं? हम मसीही विश्वासियों को विशेषकर इस बात का ध्यान रखना है कि हम दया और सहायता करने में अपने प्रभु और उद्धारकर्ता के समान हों; और जिन्हें संसार तुच्छ और व्यर्थ जानता है उनके प्रति तो विशेषकर दया और सहायता के अवसर ढूँढते रहें। - मार्विन विलियम्स


प्रभु यीशु के प्रति हमारा प्रेम उतना ही वास्तविक है जितना कि हमारे पड़ौसी के प्रति।

परन्‍तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। - लूका १०:३३

बाइबल पाठ: लूका १०:२५-३७
Luk 10:25  और देखो, एक व्यवस्थापक उठा, और यह कहकर, उस की परीक्षा करने लगा कि हे गुरू, अनन्‍त जीवन का वारिस होने के लिये मैं क्‍या करूं? 
Luk 10:26  उस ने उस से कहा, कि व्यवस्था में क्‍या लिखा है? तू कैसे पढ़ता है? 
Luk 10:27  उस ने उत्तर दिया, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख; और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। 
Luk 10:28  उस ने उस से कहा, तू ने ठीक उत्तर दिया है, यही कर: तो तू जीवित रहेगा। 
Luk 10:29 परन्‍तु उस ने अपनी तईं धर्मी ठहराने की इच्‍छा से यीशु से पूछा, तो मेरा पड़ोसी कौन है? 
Luk 10:30  यीशु ने उत्तर दिया, कि एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिए, और मार-पीट कर उसे अधमूआ छोड़ कर चले गए। 
Luk 10:31 और ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था: परन्‍तु उसे देख के कतराकर चला गया। 
Luk 10:32  इसी रीति से एक लेवी उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतराकर चला गया। 
Luk 10:33 परन्‍तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। 
Luk 10:34 और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बान्‍धी, और अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया, और उस की सेवा टहल की। 
Luk 10:35  दूसरे दिन उस ने दो दिनार निकाल कर भटियारे को दिए, और कहा इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा। 
Luk 10:36  अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा? 
Luk 10:37  उस ने कहा, वही जिस ने उस पर तरस खाया: यीशु ने उस से कहा, जा, तू भी ऐसा ही कर।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह २७-२९ 
  • तीतुस ३