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रविवार, 3 मार्च 2013

प्रवेश की कुंजी


   जब भी मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में से सुसमाचारों को पढ़ता हूँ तो प्रभु यीशु के चेलों के स्वभाव में अपने आप को देखता हूँ। मेरे ही समान वे भी प्रभु की बात समझने में मन्दबुद्धि थे। इसी कारण कितनी ही बार प्रभु को उन्हें कहना पड़ा, क्या तुम भी ऐसे ना समझ हो? क्या तुम नहीं समझते? (मरकुस ७:१८)। अन्ततः एक चेले, पतरस, को कुछ हद तक बात समझ आ गई और जब प्रभु यीशु ने पूछा, "परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?" (मत्ती १६:१५) तो पतरस ने उत्तर दिया "तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है" (मत्ती १६:१६)।

   पतरस यह तो समझ गया था कि प्रभु यीशु कौन है, किंतु प्रभु यीशु के उद्देश्य के बारे में वह अभी भी नासमझ था। जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों से अपने मारे जाने की बात कही तो पतरस उसे इस बात के लिए डाँटने लगा, लेकिन प्रभु यीशु ने पलटकर उसे ही डाँटा: "परन्तु उसने फिरकर, और अपने चेलों की ओर देखकर पतरस को झिड़क कर कहा; कि हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो; क्योंकि तू परमेश्वर की बातों पर नहीं, परन्तु मनुष्य की बातों पर मन लगाता है" (मरकुस ८:३३)।

   पतरस अभी भी सांसारिक तरीकों से प्रभु का राज्य स्थापित होने के बारे में सोच रहा था, जहाँ एक शासक दूसरे को पराजित करके अपना शासन स्थापित करता था। वह सोचता था कि प्रभु यीशु भी ऐसा ही करेगा। लेकिन प्रभु यीशु का राज्य ना तो इस पृथ्वी का है, और ना ही इस पृथ्वी के तौर-तरीकों से स्थापित होता है "यीशु ने उत्तर दिया, कि मेरा राज्य इस जगत का नहीं, यदि मेरा राज्य इस जगत का होता, तो मेरे सेवक लड़ते, कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्तु अब मेरा राज्य यहां का नहीं" (यूहन्ना १८:३६)। प्रभु यीशु का राज्य ना तो किसी भू-भाग पर है और ना वह हिंसा से स्थापित होता है; प्रभु यीशु तो लोगों के मनों में राज्य करता है और उसने अपनी लोक-सेवा तथा संसार के सभी लोगों के पापों के लिये अपना जीवन बलिदान करने के द्वारा यह शासन-अधिकार पाया है।

   आज भी उसके अनुयायी प्रभु यीशु में विश्वास तथा समर्पण द्वारा मनुष्यों के हृदयों से पाप के स्थान पर परमेश्वर की पवित्रता और परमेश्वर के जीवन को स्थापित करने का सुसमाचार देते हैं। परमेश्वर के इस राज्य की स्थापना के लिए परमेश्वर की विधि भी नहीं बदली है। जब कि शैतान हमें सांसारिक शक्ति और अधिकार अर्जित करने को उकसाता है, प्रभु यीशु हमें बताता है कि "धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे" (मत्ती ५:५)।

   यदि परमेश्वर के राज्य में लोगों को लाना है तो यह परमेश्वर की विधि और प्रभु यीशु के उदाहरण के अनुसरण के द्वारा ही संभव है, जिसने स्वार्थी अभिलाषाओं, सांसारिक उपलब्धियों और पृथ्वी पर की समृद्धि तथा धन-दौलत पाने का नहीं वरन संसार के हर मनुष्य के प्रति प्रेम, करुणा, आदर, सेवा और सहायता का जीवन जीकर दिखाया और उनके पापों के बदले अपने प्राण बलिदान किये जिससे कि वे पापों की क्षमा और उद्धार पाएं। मसीही जीवन का उदाहरण तथा प्रभु यीशु में पश्चाताप के साथ पापों की क्षमा ही परमेश्वर के राज्य में प्रवेश की कुंजी है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


प्रत्येक मसीही विश्वासी एक राजदूत है जो राजाओं के राजा के लिए बोलता है।

शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है। - मत्ती १६:१६

बाइबल पाठ: मरकुस ८:२७-३३
Mark 8:27 यीशु और उसके चेले कैसरिया फिलिप्पी के गावों में चले गए: और मार्ग में उसने अपने चेलों से पूछा कि लोग मुझे क्या कहते हैं?
Mark 8:28 उन्होंने उत्तर दिया, कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला; पर कोई कोई एलिय्याह; और कोई कोई भविष्यद्वक्ताओं में से एक भी कहते हैं।
Mark 8:29 उसने उन से पूछा; परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो पतरस ने उसको उत्तर दिया; तू मसीह है।
Mark 8:30 तब उसने उन्हें चिताकर कहा, कि मेरे विषय में यह किसी से न कहना।
Mark 8:31 और वह उन्हें सिखाने लगा, कि मनुष्य के पुत्र के लिये अवश्य है, कि वह बहुत दुख उठाए, और पुरिनए और महायाजक और शास्त्री उसे तुच्‍छ समझकर मार डालें और वह तीन दिन के बाद जी उठे।
Mark 8:32 उसने यह बात उन से साफ साफ कह दी: इस पर पतरस उसे अलग ले जा कर झिड़कने लगा।
Mark 8:33 परन्तु उसने फिरकर, और अपने चेलों की ओर देखकर पतरस को झिड़क कर कहा; कि हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो; क्योंकि तू परमेश्वर की बातों पर नहीं, परन्तु मनुष्य की बातों पर मन लगाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती २८-३० 
  • मरकुस ८:२२-३८