ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

आग


   प्राचीन काल में यूनानी साम्राज्य के समय, युद्ध में दुशमनों के नाश के लिए एक विशेष रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से उनपर आग बरसायी जाती; इस आग को "यूनानी आग" कहा जाता था, और इसका विकास 672 ईसवीं में हुआ था। यह बहुत विनाशक हुआ करती थी क्योंकि यह पानी पर भी जलती रहती थी इसलिए समुद्री युद्ध में बड़ी सफलता से प्रयोग करी जाती थी। इसका रासायनिक सूत्र बहुत गुप्त रखा गया था, और अन्ततः कहीं इतिहास के पन्नों में दबकर ही रह गया। आज भी शोधकर्ता उसे बनाने की विधि को खोजने के प्रयास तो कर रहे हैं, परन्तु अभी तक असफल नहीं रहे हैं।

   संसार को आज चाहे "यूनानी आग" के बारे में पता ना हो लेकिन अनेक अन्य प्रकार की आग हैं जिनका प्रभाव कुछ कम विनाशकारी नहीं है। ऐसी ही एक विनाशकारी, आग जो ना तो रहस्यमय है और ना ही अनजानी है, तथा दुर्भाग्यवश मसीही विश्वासियों में पाई भी जाती है शब्दों या वचनों की आग। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने इस आग के विषय में लिखा: "जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है" (याकूब 3:6)। ये कठोर शब्द हमें ध्यान करवाते हैं कि बिना विचारे कहे गए शब्द कितने नाशकारी हो सकते हैं।

   ऐसी "आग" को, जो रिश्तों को जला सकती है, परिवारों को तोड़ सकती है, मण्डलियों में फूट डाल सकती है, अपने मूँह से निकलने देने की बजाए भला होगा कि आप अपनी जीभ को परमेश्वर की आत्मा की आधीनता में कर दें, और ऐसे शब्द ही मूँह से निकालें जो परमेश्वर को महिमा देने वाले हों। - बिल क्राऊडर


अपनी ज़ुबान पर लगाम रखने के लिए अपने हृदय की लगाम परमेश्वर के हाथों में रखें।

मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलुस्सियों 3:16

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। 
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। 
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं। 
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 8-10
  • मत्ती 25:31-46