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शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

पूरक


   क्रिस्टी ने अपने जन्मदिन के उत्सव के दिन आए हुए सब मेहमानों को अपनी ओर से भेंट देकर चकित कर दिया। क्रिस्टी ने हम सब को एक एक व्यक्तिगत चिठ्ठी दी जिसमें उसने प्रत्येक के लिए व्यक्तिगत रिति से लिखा था कि उसके जीवन में हम क्या स्थान रखते हैं, और साथ ही परमेश्वर ने हमें जैसा बनाया और जो जो कार्य सौंपा है उसके विषय में हमें प्रोत्साहित करने के लिए भी कुछ शब्द लिखे थे; प्रत्येक व्यक्ति को लिखी चिठ्ठी के साथ क्रिस्टी ने एक और चीज़ रखी थी - जिग्सौ पहेली के अंश, हमें यह स्मरण दिलाने के लिए हम अपने आप में अद्वितीय तो हैं, किसी के भी बिलकुल जैसा और कोई अन्य नहीं है, लेकिन साथ ही हम एक दूसरे के पूरक भी हैं, जिग्सौ पहेली के समान हम एक साथ मिलकर ही परमेश्वर की योजना का पूरा चित्र बना सकते हैं।

   इस अनुभव ने मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए 1 कुरिन्थियों 12 के विविरण को नए दृष्टिकोण से पढ़ने-समझने में सहायता करी। इस अध्याय में प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर के विश्वासियों की मण्डली अर्थात चर्च की तुलना मानव शरीर से करी है, यह समझाने के लिए जैसे शरीर अनेक अंगों जैसे हाथ, पैर, आँख, कान इत्यादि से मिलकर बना है और प्रत्येक अंग का अपना उपयोग, अपनी भूमिका, अपनी आवश्यकता है, वैसे ही मसीही मण्डली या चर्च भी मसीह यीशु के सभी विश्वासियों से मिलकर बनी है और सबकी अपनी उपयोगिता, भूमिका और आवश्यकता है, जिसके बिना मण्डली या चर्च अपूर्ण है।

   बहुत सरल होता है किसी दूसरे की सेवकाई और वरदानों को देखकर अपने आप को गौण और महत्वहीन समझ लेना, विशेषकर तब जब वह दूसरा किसी प्रमुख या प्रगट कार्य में लगा हो। लेकिन प्रभु चाहता है कि हम अपने आप को उस नज़रिए से देखें जिससे प्रभु हमें देखता है - उसके द्वारा सृजन में अद्वितीय और भूमिका तथा उपयोगिता में बहुमूल्य तथा अति महत्वपूर्ण। इस सृष्टि और परमेश्वर की योजना रूपी जिग्सौ पहेली में आप एक महत्वपूर्ण भाग हैं, आपके बिना उसका चित्र पूरा नहीं हो सकता। इस चित्र में अपने स्थान को भरने के लिए परमेश्वर ने आपको एक स्वरूप और कुछ गुण दिए हैं, और आप उन ही संसाधनों के द्वारा परमेश्वर के लिए कार्यकारी, उपयोगी और उसे महिमा देने वाले बन सकते हैं।

   अन्य लोगों से अपनी तुलना करने के स्थान पर अपने आप को परमेश्वर की मण्डली में अन्य लोगों के साथ पूरक बनाईए और उसके द्वारा दिए गए संसाधनों का सदुपयोग कीजिए। - डेविड मैक्कैअसलैंड


आपका जीवन परमेश्वर की ओर से आपको दिया गया उपहार है; इस जीवन को परमेश्वर को भेंट करके उसकी महिमा के लिए कार्य करें।

इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। - रोमियों 12:1

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 12:12-27
1 Corinthians 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। 
1 Corinthians 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्‍वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया। 
1 Corinthians 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। 
1 Corinthians 12:15 यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:16 और यदि कान कहे; कि मैं आंख नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:17 यदि सारी देह आंख ही होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता? 
1 Corinthians 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है। 
1 Corinthians 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? 
1 Corinthians 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। 
1 Corinthians 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1 Corinthians 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1 Corinthians 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1 Corinthians 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1 Corinthians 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1 Corinthians 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं। 
1 Corinthians 12:27 इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

एक साल में बाइबल: 
  • विलापगीत 1-2
  • इब्रानियों 10:1-18