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रविवार, 30 जुलाई 2017

सामर्थ्य


   हॉलेंड की कलाकार योनी लेफेवरे ने एक योजना बनाई; वह निदरलैंड्स में वृद्धावस्था में चल रहे लोगों के जीवनों की सामर्थ्य को दिखाना चहाती थी। उसने बच्चों से कहा कि वे अपने दादा-दादी, नाना-नानी के रेखा-चित्र बनाएं जिनमें वह दिखाया गया हो जो कुछ वे लोग वृद्धावस्था में करते हैं। क्योंकि लेफेवरे उन वृद्धों को एक वास्तविक और शुद्ध दृष्टिकोण से देखना और प्रस्तुत करना चाहती थी, इसलिए उसने बच्चों को यह करने के लिए चुना। उन बच्चों द्वारा बनाए गए रेखा-चित्रों ने वृद्धों के जीवन-सामर्थ्य का एक नया और सक्रीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन चित्रों में वे वृद्ध टैनिस खेलते, बाग़बानी करते, चित्रकारी करते, और ऐसे ही अनेकों कार्य करते दिखाए गए हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्राचीन इस्त्राएल के एक पात्र कालेब के विषय आया है कि अपनी वृद्धावस्था में भी वह सक्रीय और सामर्थी था। अपनी जवानी में वह इस्त्राएल के अन्य लोगों के साथ, परमेश्वर द्वारा इस्त्राएलियों को वाचा में दिए गए देश कनान की जानकारी लेने के लिए गया था जिससे इस्त्राएलियों को उस देश के विषय में आश्वस्त कर सके। कनान देश की टोह लेकर वापस आने पर कालेब और यहोशू का मानना था कि परमेश्वर की सहायता से वे कनान देश को जीत लेंगे, परन्तु उनके साथ गए अन्य भेदियों ने इस्त्राएलियों को डरा दिया (यहोशू 14:8)। यहोशू और कालेब के परमेश्वर में विश्वास के कारण परमेश्वर ने उन दोनों को और 45 वर्ष तक जीवित बनाए रखा, जब तक इस्त्राएलई कनान देश में नहीं पहुँच कर वहाँ अच्छे से बस नहीं गए; परन्तु उनके साथ गए अन्य लोग तथा परमेश्वर पर अविश्वास करने वाली पीढ़ी, बिना कनान देश तक पहुँचे, चालीस वर्ष की जंगल की यात्रा में ही ढेर हो गई। जब कनान देश में प्रवेश करने और अपनी भूमि को कनानियों से जीत लेने का समय आया, तब 85 वर्षीय कालेब ने कहा, "जितना बल मूसा के भेजने के दिन मुझ में था उतना बल अभी तक मुझ में है; युद्ध करने, वा भीतर बाहर आने जाने के लिये जितनी उस समय मुझ मे सामर्थ्य थी उतनी ही अब भी मुझ में सामर्थ्य है" (यहोशू 14:11)। परमेश्वर की सहायता से उसने अपनी वृद्धावस्था में भी अपने हिस्से की भूमि पर सफलतापूर्वक कबज़ा कर लिया (गिनती 14:24)।

   हमारे आयु में बढ़ने पर परमेश्वर हमें भुला नहीं देता है। चाहे हमारे शरीर वृद्ध हो जाएं और हमारा स्वास्थ्य हमारा साथ न दे, परन्तु परमेश्वर का पवित्र-आत्मा हमें प्रतिदिन नया सामर्थ्य देता रहता है (2 कुरिन्थियों 4:16)। परमेश्वर हमारे लिए संभव करता है कि अपने जीवन के प्रत्येक पड़ाव में, अपनी प्रत्येक आयु में उसपर विश्वास करने और उसे समर्पित रहने वाले हम मसीही विश्वासी परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी बने रहें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


यदि परमेश्वर की सामर्थ्य का पीछे से सहारा है, 
और उसके हाथ नीचे से आपको थामे हुए हैं, 
तो आगे जो कुछ भी हो, आप निःसंकोच उसका सामना कर सकते हैं।

इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है। - 2 कुरिन्थियों 4:16

बाइबल पाठ: यहोशू 14:6-12
Joshua 14:6 तब यहूदी यहोशू के पास गिलगाल में आए; और कनजी यपुन्ने के पुत्र कालेब ने उस से कहा, तू जानता होगा कि यहोवा ने कादेशबर्ने में परमेश्वर के जन मूसा से मेरे और तेरे विषय में क्या कहा था। 
Joshua 14:7 जब यहोवा के दास मूसा ने मुझे इस देश का भेद लेने के लिये कादेशबर्ने से भेजा था तब मैं चालीस वर्ष का था; और मैं सच्चे मन से उसके पास सन्देश ले आया। 
Joshua 14:8 और मेरे साथी जो मेरे संग गए थे उन्होंने तो प्रजा के लोगों को निराश कर दिया, परन्तु मैं ने अपने परमेश्वर यहोवा की पूरी रीति से बात मानी। 
Joshua 14:9 तब उस दिन मूसा ने शपथ खाकर मुझ से कहा, तू ने पूरी रीति से मेरे परमेश्वर यहोवा की बातों का अनुकरण किया है, इस कारण नि:सन्देह जिस भूमि पर तू अपने पांव धर आया है वह सदा के लिये तेरा और तेरे वंश का भाग होगी। 
Joshua 14:10 और अब देख, जब से यहोवा ने मूसा से यह वचन कहा था तब से पैंतालीस वर्ष हो चुके हैं, जिन में इस्राएली जंगल में घूमते फिरते रहे; उन में यहोवा ने अपने कहने के अनुसार मुझे जीवित रखा है; और अब मैं पचासी वर्ष का हूं। 
Joshua 14:11 जितना बल मूसा के भेजने के दिन मुझ में था उतना बल अभी तक मुझ में है; युद्ध करने, वा भीतर बाहर आने जाने के लिये जितनी उस समय मुझ मे सामर्थ्य थी उतनी ही अब भी मुझ में सामर्थ्य है। 
Joshua 14:12 इसलिये अब वह पहाड़ी मुझे दे जिसकी चर्चा यहोवा ने उस दिन की थी; तू ने तो उस दिन सुना होगा कि उस में अनाकवंशी रहते हैं, और बड़े बड़े गढ़ वाले नगर भी हैं; परन्तु क्या जाने संभव है कि यहोवा मेरे संग रहे, और उसके कहने के अनुसार मैं उन्हें उनके देश से निकाल दूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 51-53
  • रोमियों 2