ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

भरोसा



      मेरी एक सहेली को हाल ही में अपने वर्तमान स्थान से लगभग 1000 मील दूर स्थान पर स्थानांतरित होना पड़ा। क्योंकि समय कम था इसलिए उसने और उसके पति ने सम्बंधित कार्यों को आपस में बाँट लिया, और वे दोनों अपने-अपने कार्य करने लगे। मेरी सहेली सामान को बाँधने और पैक करने में लग गई, और उसका पति रहने के लिए अच्छा स्थान ढूँढने और निश्चित करने में लग गया। मैं चकित थी कि कैसे रहने के नए स्थान को बिना देखे और उसके बारे में स्वयं जाने बिना, तथा नए घर को देखे बिना वह वहाँ जाने के लिए तैयार थी। मैंने उससे इसके बारे में जब पूछा तो उसने उत्तर दिया की यह चुनौतीपूर्ण तो है, परन्तु उसे पता है कि इतने वर्षों से साथ रहने के कारण उसके पति को उसकी पसंद और नापसंद का ज्ञान है, तथा मेरी सहेली को अपने पति पर भरोसा था की वे स्थान और घर का चुनाव उसकी पसंद को ध्यान में रखते हुए ही करेंगे।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से शीघ्र ही उनके पकड़वाए जाने और मारे जाने के बारे में बताया। प्रभु यीशु के पृथ्वी जीवन का, तथा शिष्यों के जीवन का भी सबसे अंधकारपूर्ण समय निकट था। ऐसे में प्रभु ने शिष्यों को आश्वस्त किया कि वह उनके लिए स्वर्ग में एक नया घर बनाएगा, जैसे की मेरी सहेली के पति ने उनके रहने के लिए नए स्थान पर घर तैयार किया। जब शिष्यों ने प्रभु यीशु से प्रश्न किए तो प्रभु ने उन्हें  स्मरण दिलाया की कैसे उन्होंने साथ समय बिताया था, कार्य किए थे, और उन्होंने प्रभु को आश्चर्यकर्म करते देखा था। प्रभु ने उन्हें आश्वस्त किया कि चाहे प्रभु के चले जाने से उन्हें दुःख होगा, किन्तु फिर भी वे प्रभु पर भरोसा बनाए रख सकते हैं कि जो वह कहता है वह उसे करता भी है।

      आज हम मसीही विश्वासी भी अपने जीवन की कठिन और विपरीत परिस्थितियों में प्रभु के प्रति आश्वस्त रह सकते हैं कि वह हर बात में होकर हमें भलाई ही की ओर लेकर जाएगा। जब हम उसके साथ चलते रहते हैं तो हम उसकी विश्वासयोग्यता पर भरोसा बनाए रखना भी सीखते रहते हैं। - कर्स्टन होल्म्बर्ग

कठिन और विपरीत परिस्थितियों में से भी हमें 
पार लगाने के लिए हम परमेश्वर पर भरोसा बनाए रख सकते हैं।

और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। - रोमियों 12:2

बाइबल पाठ: यूहन्ना 14:1-14
John 14:1 तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।
John 14:2 मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं।
John 14:3 और यदि मैं जा कर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।
John 14:4 और जहां मैं जाता हूं तुम वहां का मार्ग जानते हो।
John 14:5 थोमा ने उस से कहा, हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहां जाता है तो मार्ग कैसे जानें?
John 14:6 यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।
John 14:7 यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते, और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।
John 14:8 फिलेप्पुस ने उस से कहा, हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे: यही हमारे लिये बहुत है।
John 14:9 यीशु ने उस से कहा; हे फिलेप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूं, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है: तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा।
John 14:10 क्या तू प्रतीति नहीं करता, कि मैं पिता में हूं, और पिता मुझ में हैं? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूं, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है।
John 14:11 मेरी ही प्रतीति करो, कि मैं पिता में हूं; और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरी प्रतीति करो।
John 14:12 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूं।
John 14:13 और जो कुछ तुम मेरे नाम से मांगोगे, वही मैं करूंगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।
John 14:14 यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 15-16
  • मत्ती 27:1-26