ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

यह कौन है?



      मैं जब विद्यार्थी था, तो जब भी कक्षा में आकर अध्यापक ये भयभीत करने वाले शब्द कहते कि, “अपने डेस्क पर से सब कुछ हटा लो, और एक कोरा कागज़ तथा पेन्सिल निकाल कर रख लो” तो हम समझ जाते थे कि परिक्षा देने का समय आ गया था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 4 अध्याय में हम पढ़ते हैं कि प्रभु यीशु के दिन का आरंभ झील के किनारे प्रचार करने से हुआ था (पद 1), और उस दिन का अन्त झील में परिक्षा के साथ हुआ ( 35)। जिस नाव पर चढ़कर प्रभु ने भीड़ को प्रचार किया था, अब उसी नाव में प्रभु यीशु और उनके चेले झील के पार जा रहे थे। उस यात्रा के दौरान (जब प्रभु थक कर नाव कि पिछले भाग में सो रहे थे), उन लोगों को एक भयानक तूफ़ान का सामना करना पड़ा (पद 37)। तूफ़ान की तीव्रता से घबरा कर चेलों ने प्रभु यीशु को यह कहकर जगाया, “...हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?” (पद 38)। फिर कुछ अप्रत्याशित और अविश्वसनीय हुआ; जिस प्रभु ने भीड़ को संबोधित करते हुए उनसे उसकी सुनने के लिए कहा था (पद 3), उसी ने प्रकृति के इस प्रबल स्वरूप को एक सहज और बलवंत आज्ञा दी – “शान्त रह, और थम जा!” (पद 39)।

      तूफ़ान ने प्रभु की आज्ञा का पालन किया, और विस्मित तथा भयभीत चेले पूछने लगे “यह कौन है?” ( 41) प्रश्न तो अच्छा था, परन्तु इसके उत्तर को वास्तव में समझने और उसके महत्व को पहचानने में, कि प्रभु यीशु परमेश्वर का पुत्र है, उन्हें कुछ समय लगा। निष्ठापूर्ण, सच्चे, खुले-दिल से किए गए प्रश्न और अनुभव आज भी लोगों को उसी निष्कर्ष पर लेकर आते हैं जिस पर तब वे अचम्भित चेले आए थे – यीशु ही प्रभु है।

      प्रभु यीशु सुनने भर के लिए एक अच्छा शिक्षक मात्र नहीं है; वह आराध्य प्रभु परमेश्वर है! – आर्थर जैक्सन

“...हे गुरू, जहां कहीं तू जाएगा, मैं तेरे पीछे पीछे हो लूंगा।” – मत्ती 8:19

रूत बोली, तू मुझ से यह बिनती न कर, कि मुझे त्याग वा छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी; जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा - रूत 1:16

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं।
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी।
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया।
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 24-26
  • तीतुस 2



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें