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रविवार, 25 दिसंबर 2011

इम्मैनुएल

   लगभग २००० वर्ष पूर्व के उस प्रथम क्रिसमस दिन के साथ, परमेश्वर का अपने लोगों के साथ होने के आशवासन का एक नया अर्थ हो गया है। प्रभु यीशु के जन्म से पहले, इस्त्राएलियों को यह विश्वास था कि अन्तिम न्याय के समय उन्हें उम्मीद रहेगी क्योंकि परमेश्वर उनके साथ होगा (यशायाह ८:८, १०)। परन्तु फिर भी वे परमेश्वर को उस परिपूर्णता में नहीं जानते थे, जैसे आज हम जान सकते हैं। पुराने नियम के समय के संतों की अपेक्षा आज हमें बेहतर अवस्था में हैं क्योंकि हम नए नियम के अध्ययन के द्वारा प्रभु यीशु में परमेश्वर की महिमा को देख सकते हैं (२ कुरिन्थियों ४:६)। हम परमेश्वर को जीवन के प्रत्येक परिस्थिति में अनुभव भी कर सकते हैं क्योंकि उसका पवित्र आत्मा आज हमारे साथ सदा विद्यमान रहता है।

   जब भी मुझे इस आशवासन की पुनःआवश्यक्ता होती है कि परमेश्वर मेरे साथ है, मैं प्रभु यीशु को अपने विचारों में ले आता हूँ, कि कैसे उसने छोटे बालकों को अपनी गोद में लेकर उन्हें आशीष दी (मत्ती १९:१३-१५)। फिर मैं उसके लहूलुहान चेहरे, मारी और कूटी गई देह और उसके क्रूस पर चढ़ाए जाने की ओर ध्यान करता हूँ; यह मुझे स्मरण दिलाता है कि मेरे पापों से क्षमा और उद्धार के लिए उसने क्या कुछ सह लिया। फिर अन्ततः मैं मनन करता हूँ उसके वायदे पर, "और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं" (मत्ती २८:२०); और इन सब को स्मरण कर के मैं आत्मिक रीति से ताज़गी पाता हूँ।

   प्रभु यीशु के बैतलहम में जन्म के द्वारा परमेश्वर मानव रूप में संसार में आए। जो भी प्रभु यीशु पर विश्वास करता है वह अपनी प्रत्येक आवश्यक्ता के लिए नई सामर्थ पा सकता है; ऐसा क्यों? क्योंकि प्रभु यीशु के जन्म ने इम्मैनुएल शब्द अर्थात परमेश्वर हमारे साथ को नया और सार्थक बना दिया। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

मसीह का जन्म परमेश्वर को मनुष्यों तक ले आया; लेकिन मनुष्यों का परमेश्वर तक पहुँचना मसीह के क्रूस पर जाने के द्वारा ही संभव हो पाया।

देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है: परमेश्वर हमारे साथ। - मत्ती १:२३

बाइबल पाठ: मत्ती १:१८-२५
Mat 1:18  अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई।
Mat 1:19  सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की।
Mat 1:20  जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्‍वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई दे कर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्‍तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर, क्‍योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है।
Mat 1:21  वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्‍योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा।
Mat 1:22  यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था वह पूरा हो।
Mat 1:23  कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है: परमेश्वर हमारे साथ।
Mat 1:24  सो यूसुफ नींद से जाग कर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया।
Mat 1:25  और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उस ने उसका नाम यीशु रखा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • सपन्याह 
  • प्रकाशितवाक्य १६