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रविवार, 27 दिसंबर 2015

चुनौति


   केन डील ने 86 वर्ष की आयु में 3 दशकों से भी अधिक की कारागारों में स्वयंसेवी सेवकाई का अन्त इतवार के चर्च सन्देश के साथ किया। अपने उस अन्तिम सन्देश में भी उन्होंने कारावास में पड़े उन लोगों को परमेश्वर के लिए कार्य करने को प्रोत्साहित किया। उस सन्देश में दिए गए उदाहरणों में से अनेक उदाहरण कैदियों के जीवनों से ही थे, कुछ ऐसे कैदियों के भी थे जो उम्र-कैद काट रहे थे। एक ऐसे स्थान पर जिस से सब बाहर निकलना चाहते हैं, केन ने सुनने वालों को प्रोत्साहित किया कि वे मसीह यीशु पर विश्वास लाएं, उसमें बढ़ें और अन्य लोगों के साथ मसीह यीशु के सुसमाचार को बाँटें।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम इस्त्राएल के इतिहास से कुछ शिक्षा पाते हैं। परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता के कारण नबूकदनेस्सर राजा के द्वारा यहूदा के लोगों को बन्दी बनाकर बाबुल ले जाया गया। उस बन्धुआई में यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा परमेश्वर ने उन इस्त्राएलियों को सन्देश भेजा: "घर बना कर उन में बस जाओ; बारियां लगा कर उनके फल खाओ। ब्याह कर के बेटे-बेटियां जन्माओ; और अपने बेटों के लिये स्त्रियां ब्याह लो और अपनी बेटियां पुरुषों को ब्याह दो, कि वे भी बेटे-बेटियां जन्माएं; और वहां घटो नहीं वरन बढ़ते जाओ" (यिर्मयाह 29:5-6)।

   संभव है कि आज हम कुछ ऐसी परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं जिनके कारण हम आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं, सीमित तथा संकुचित अनुभव कर रहे हैं। हमारे ये बन्धन चाहे हमारे अपने किसी किए के कारण हों या उनके लिए हमारा अपना कोई दोष ना भी हो, लेकिन उन्हें लेकर हमारे पास दो विकल्प हैं - हम उनमें से होकर बस निकल सकते हैं अन्यथा उनमें होते हुए भी हम बढ़ सकते हैं। हमें सीमित करने और बांधे रखने वाली हर बात से हमारे लिए चुनौति होती है कि हम उसके बावजूद बढें ना कि घटें, उन्नति करें ना कि अवनति में गिरें।

   हमारी हर परिस्थिति में परमेश्वर हमें कुशलता और आशा ही देना चाहता है (यिर्मयाह 29:11)। - डेविड मैक्कैसलैंड


एक सीमित परिस्थिति भी आत्मा को उन्नति का अवसर प्रदान कर सकती है।

पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन। - 2 पतरस 3:18

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 29:4-14
Jeremiah 29:4 उस में लिखा था कि जितने लोगों को मैं ने यरूशलेम से बंधुआ कर के बाबुल में पहुंचवा दिया है, उन सभों से इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता हे: 
Jeremiah 29:5 घर बना कर उन में बस जाओ; बारियां लगा कर उनके फल खाओ। 
Jeremiah 29:6 ब्याह कर के बेटे-बेटियां जन्माओ; और अपने बेटों के लिये स्त्रियां ब्याह लो और अपनी बेटियां पुरुषों को ब्याह दो, कि वे भी बेटे-बेटियां जन्माएं; और वहां घटो नहीं वरन बढ़ते जाओ। 
Jeremiah 29:7 परन्तु जिस नगर में मैं ने तुम को बंधुआ करा के भेज दिया है, उसके कुशल का यत्न किया करो, और उसके हित के लिये यहोवा से प्रार्थना किया करो। क्योंकि उसके कुशल से तुम भी कुशल के साथ रहोगे। 
Jeremiah 29:8 क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा तुम से यों कहता है कि तुम्हारे जो भविष्यद्वक्ता और भावी कहने वाले तुम्हारे बीच में हैं, वे तुम को बहकाने न पाएं, और जो स्वप्न वे तुम्हारे निमित्त देखते हैं उनकी ओर कान मत धरो, 
Jeremiah 29:9 क्योंकि वे मेरे नाम से तुम को झूठी भविष्यद्वाणी सुनाते हैं; मैं ने उन्हें नहीं भेजा, मुझ यहोवा की यह वाणी है। 
Jeremiah 29:10 यहोवा यों कहता है कि बाबुल के सत्तर वर्ष पूरे होने पर मैं तुम्हारी सुधि लूंगा, और अपना यह मनभवना वचन कि मैं तुम्हें इस स्थान में लौटा ले आऊंगा, पूरा करूंगा। 
Jeremiah 29:11 क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा। 
Jeremiah 29:12 तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझ से प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूंगा।
Jeremiah 29:13 तुम मुझे ढूंढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे। 
Jeremiah 29:14 मैं तुम्हें मिलूंगा, यहोवा की यह वाणी है, और बंधुआई से लौटा ले आऊंगा; और तुम को उन सब जातियों और स्थानों में से जिन में मैं ने तुम को बरबस निकाल दिया है, और तुम्हें इकट्ठा कर के इस स्थान में लौटा ले आऊंगा जहां से मैं ने तुम्हें बंधुआ करवा के निकाल दिया था, यहोवा की यही वाणी है।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह 1-4
  • प्रकाशितवाक्य 18