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सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

फलवन्त


      मेरे पिता ने मुझे खुरपी देते हुए कहा, “जहाँ उसे नहीं होना चाहिए, वहां पर उगने वाला हर पौधा ‘जंगली’ होता है” और मटर की क्यारी में अपने आप से उग रहे उस अकेले मक्की के पौधे को उखाड़ने के लिए कहा। मैं तो उस मक्की के पौधे को छोड़ना चाहता था, किन्तु मेरे पिता, जिनकी परवरिश किसानी करने वाले परिवार में हुई थी, ने कहा की उसे उखाड़ दूँ, क्योंकि वह अकेला पौधा कुछ लाभ नहीं देगा, वरन मटर के पौधों को दबाएगा और उनके पोषक तत्वों को व्यर्थ करेगा।

      मनुष्य पौधे नहीं होते हैं – हमारे पास अपने मन और भावनाएं होती हैं और परमेश्वर ने हमें स्वेच्छा भी दी है। परन्तु कभी-कभी हम परमेश्वर द्वारा दी गई इन बातों के अंतर्गत उस स्थान पर फलवन्त होने का प्रयास करते हैं, जहां परमेश्वर नहीं चाहता है कि हम हों।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में, हम इस्राएल के प्रथम राजा, राजा शाऊल, के योद्धा-राजकुमार योनातान के लिए देखते हैं कि वह भी वहाँ रहने का प्रयास कर सकता था जहाँ परमेश्वर किसी और को रखना चाहता था। योनातान के पास भावी राजा होने की आशा रखने के लिए सब कुछ था। परन्तु योनातान ने दाऊद पर परमेश्वर की आशीष को देखा, और उसने अपने पिता के घमंड और ईर्ष्या को भी पहचाना (1 शमुएल 18:12-15)। इसलिए, बजाए इसके कि उस गद्दी को थामे रखने के प्रयास करे जो कभी उसकी नहीं होती, योनातन दाऊद का परम मित्र बन गया, और उसके प्राणों की भी रक्षा की (19:1-6; 20:1-4)।

      कुछ लोग कहेंगे कि योनातन ने आवश्यकता से अधिक ही छोड़ दिया; परन्तु हम क्या चाहेंगे कि हमें कैसे स्मरण किए जाए? महत्वाकांक्षी शाऊल के समान जो अपने राज्य से चिपका रहा, किन्तु उसे बचा नहीं सका; या योनातन के समान, जिसने उस व्यक्ति का साथ दिया और उसके प्राणों की रक्षा की जो संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह का सम्मानित पूर्वज हुआ?

      परमेश्वर की योजनाएं सदा ही हमारी अपने योजनाओं से बेहतर होती हैं। हम उसकी योजनाओं का प्रतिरोध करके अनुपयुक्त स्थान पर उगने वाला ‘जंगली पौधा’ हो सकते हैं, जो अन्ततः उखाड़ कर फेंका ही जाएगा। या हम उसके दिशा निर्देशों का पालन करते हुए, उसकी इच्छा के अनुसार उसके बगीचे के फलवन्त पौधे बन सकते हैं। वह यह निर्णय हम पर छोड़ देता है। - टिम गुस्ताफ्सन

परमेश्वर हमें निमंत्रण देता है कि उसके साथ मिलकर 
सुसमाचार को संसार के सभी स्थानों में पहुंचाएं।

मैं [प्रभु यीशु] दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। - यूहन्ना 15:5

बाइबल पाठ: 1 शमुएल 20:30-34
1 Samuel 20:30 तब शाऊल का कोप योनातन पर भड़क उठा, और उसने उस से कहा, हे कुटिला राजद्रोही के पुत्र, क्या मैं नहीं जानता कि तेरा मन तो यिशै के पुत्र पर लगा है? इसी से तेरी आशा का टूटना और तेरी माता का अनादर ही होगा।
1 Samuel 20:31 क्योंकि जब तक यिशै का पुत्र भूमि पर जीवित रहेगा, तब तक न तो तू और न तेरा राज्य स्थिर रहेगा। इसलिये अभी भेज कर उसे मेरे पास ला, क्योंकि निश्चय वह मार डाला जाएगा।
1 Samuel 20:32 योनातन ने अपने पिता शाऊल को उत्तर देकर उस से कहा, वह क्यों मारा जाए? उसने क्या किया है?
1 Samuel 20:33 तब शाऊल ने उसको मारने के लिये उस पर भाला चलाया; इससे योनातन ने जान लिया, कि मेरे पिता ने दाऊद को मार डालना ठान लिया है।
1 Samuel 20:34 तब योनातन क्रोध से जलता हुआ मेज पर से उठ गया, और महीने के दूसरे दिन को भोजन न किया, क्योंकि वह बहुत खेदित था, इसलिये कि उसके पिता ने दाऊद का अनादर किया था।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 9-11
  • मरकुस 5:1-20