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सोमवार, 23 मार्च 2020

दोहरा आश्वासन



      कई वर्ष पहले पता चले कैंसर का सामना करते-करते, और अनेकों ऑपरेशनों तथा उपचारों को लेने के कारण, रूथ अब पहले के समान नहीं रह गई है, वह अपने पहले स्वरूप की परछाईं मात्र रह गयी है। वह ठीक से खा, पी, या निगल नहीं सकती है। उसका शारीरक बल क्षीण हो गया है। किन्तु रूथ अभी भी परमेश्वर की स्तुति और आराधना कर सकती है; उसका विश्वास दृढ़ है, और उसमें जो आनन्द है वह औरों को भी प्रभावित करता है। वह प्रति दिन परमेश्वर पर निर्भर रहती है, और इस आशा को थामे रहती है कि एक दिन वह पूर्णतः चंगी हो जाएगी। वह अपने चंगे होने की प्रार्थना करते है और वह पूर्णतः आश्वस्त है कि परमेश्वर कभी-न-कभी उसकी प्रार्थना का उत्तर अवश्य ही देगा।  कैसा अद्भुत विश्वास!

      रूथ ने बताया कि वह क्या है जो उसके विश्वास को दृढ़ बनाए रखता है – उसका आश्वस्त होना कि परमेश्वर अपने समय में अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करेगा, और ऐसा होने तक उसे संभाले भी रहेगा। यह वही आशा है जो परमेश्वर के वचन बाइबल में हम परमेश्वर के लोगों में देखते हैं, जब वे लोग परमेश्वर द्वारा उसकी योजनाओं के पूरा किए जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे (यशायाह 25:1), कि वह उन्हें उनके शत्रुओं से छुड़ाएगा (पद 2), उनके आँसू पोंछ देगा, उनकी नामधराई को दूर करेगा, और मृत्यु का सदा के लिए नाश करेगा (पद 8)।

      ऐसा होने तक, परमेश्वर ने अपने लोगों को, उनकी प्रतीक्षा के समय में, शरण और आश्रय प्रदान किया (पद 4)। उनकी कठिनाईयों में उन्हें दिलासा दी, और उन्हें आश्वासन दिया की वह उनके साथ बना हुआ है। यही वह दोहरा आश्वासन है जो हम मसीही विश्वासियों के पास है – एक दिन हम छुड़ाए जाएंगे, और तब तक हमें परमेश्वर की शान्ति, सामर्थ्य, और आश्रय निरंतर मिलता रहेगा। - लेस्ली कोह

परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा रखने से हमारे भय दूर हो जाते हैं।

हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं कि खोल कर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती। - भजन 40:5

बाइबल पाठ: यशायाह 25:1-9
यशायाह 25:1 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा; क्योंकि तू ने आश्चर्यकर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्तियां की हैं।
यशायाह 25:2 तू ने नगर को ढेर बना डाला, और उस गढ़ वाले नगर को खण्डहर कर डाला है; तू ने परदेशियों की राजपुरी को ऐसा उजाड़ा कि वह नगर नहीं रहा; वह फिर कभी बसाया न जाएगा।
यशायाह 25:3 इस कारण बलवन्त राज्य के लोग तेरी महिमा करेंगे; भयंकर अन्यजातियों के नगरों में तेरा भय माना जाएगा।
यशायाह 25:4 क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।
यशायाह 25:5 जैसे निर्जल देश में बादल की छाया से तपन ठण्डी होती है वैसे ही तू परदेशियों का कोलाहल और क्रूर लोगों को जयजयकार बन्द करता है।
यशायाह 25:6 सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये ऐसी जेवनार करेगा जिस में भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा।
यशायाह 25:7 और जो पर्दा सब देशों के लोगों पर पड़ा है, जो घूंघट सब अन्यजातियों पर लटका हुआ है, उसे वह इसी पर्वत पर नाश करेगा।
यशायाह 25:8 वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहोवा ने ऐसा कहा है।
यशायाह 25:9 और उस समय यह कहा जाएगा, देखो, हमारा परमेश्वर यही है; हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उस से उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 13-15
  • लूका 1:57-80