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रविवार, 18 जनवरी 2015

आवश्यक


   एक कहानी है: संगीत सभा के लिए वाद्य-वृंद का अभ्यास चल रहा था, संचालक सभी वाद्य-वादकों को निर्देश देते हुए उन्हें संचालित कर रहा था, ऑरगन से मधुर धुन आ रही थी, ड्रम्स बज रहे थे, तुरही अपना स्वर दे रही थी तथा वायलिनों से मधुर संगीत-ध्वनि आ रही थी; लेकिन संचालक को कुछ कमी का आभास हुआ, और उसने अभ्यास रोक दिया - बाँसुरी का स्वर उसे सुनाई नहीं दे रहा था! बाँसुरी वादक का ध्यान भटक गया था और वह अपनी लय खो बैठा था, यह सोचकर कि इतने सारे अन्य बड़े-बड़े वाद्यों के स्वर में उस छोटी सी अकेली बाँसुरी के स्वर की कमी किसी को पता नहीं चलेगी, वह शाँत हो गया था। लेकिन संचालक को तुरंत ही उसकी कमी का आभास हो गया, और उसने बाँसुरी वादक से कहा, "यहाँ सभी आवश्यक हैं।"

   प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मसीही विश्वासियों की मण्डली को लिखी अपनी पहली पत्री में उन्हें भी यही बात समझाने का प्रयास किया - मण्डली में प्रत्येक की आवश्यकता है, मण्डली में प्रत्येक का उद्देश्य है (1 कुरिन्थियों 12:4-7)। मसीही विश्वासी मण्डली, जिसे प्रभु यीशु की देह भी कहा गया है, के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए प्रत्येक सदस्य की अपनी भूमिका है, आवश्यकता है। पौलुस ने इस बात को समझाने के लिए मसीही विश्वासियों को परमेश्वर से मिलने वाले आत्मा के वरदानों की सूची दी और उनके उपयोग की तुलना मानव देह के विभिन्न अंगों के कार्यों से करी। पौलुस, पवित्र आत्मा की अगुवाई में होकर कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को समझा रहा था कि चाहे उनकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, उनके वरदान, उनके व्यक्तित्व अलग-अलग हों लेकिन वे परमेश्वर के उस एक ही आत्मा से परिपूर्ण हैं और मसीह यीशु की उसी एक देह के अंग हैं। पौलुस ने विशेष रीति से समझाया कि शरीर के दुर्बल और शोभाहीन अंगों का भी महत्व है। वह सिखा रहा था कि मसीही विश्वासियों की मण्डलियों में प्रत्येक सदस्य आवश्यक है, उसकी अपनी भूमिका है, और कोई ऐसा नहीं है जो किसी अन्य से अधिक या कम आवश्यक हो; देह सभी के एक साथ होने और मिलजुलकर, एक दूसरे का पूरक होकर कार्य करने से ही सुचारू रीति से कार्य कर सकती है।

   सदा स्मरण रखें, प्रभु यीशु के दृष्टि में कोई भी छोटा, तुच्छ या अनावश्यक नहीं है। उसने सभी के उद्धार के लिए अपने प्राण बलिदान किए, सभी ने उस पर लाए विश्वास और पापों की क्षमा द्वारा ही उद्धार और उसकी देह का अंग होने के आदर को पाया है, और वह प्रत्येक को अपनी देह के अन्य सदस्यों को बनाने बढ़ाने के लिए प्रयोग करता है। - मार्विन विलियम्स


प्रभु यीशु की देह का अंग होने के कारण आप संपूर्ण का एक अनिवार्य भाग हैं।

हे भाइयो, मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है उसके नाम के द्वारा बिनती करता हूं, कि तुम सब एक ही बात कहो; और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत हो कर मिले रहो। - 1 कुरिन्थियों 1:10

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 12:12-27
1 Corinthians 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। 
1 Corinthians 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्‍वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया। 
1 Corinthians 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। 
1 Corinthians 12:15 यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:16 और यदि कान कहे; कि मैं आंख नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:17 यदि सारी देह आंख ही होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता? 
1 Corinthians 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है। 
1 Corinthians 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? 
1 Corinthians 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। 
1 Corinthians 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1 Corinthians 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1 Corinthians 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1 Corinthians 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1 Corinthians 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1 Corinthians 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं। 
1 Corinthians 12:27 इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति 43-45
  • मत्ती 12:24-50