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शनिवार, 28 जुलाई 2018

मित्र



      बुद्धिमता की एक अति-सराहनीय बात, जो मेरे पिता मुझसे बारंबार कहते रहे हैं, है – “अच्छे मित्र जीवन के सबसे मूल्यवान खजानों में से एक हैं।” कितना सत्य है उनका यह कहना; अच्छे मित्रों के साथ हम कभी अकेले नहीं होते हैं। वे हमारी आवश्यकताओं के प्रति सचेत रहते हैं और जीवन के आनन्द तथा बोझ, दोनों को बाँट लेते हैं।

      प्रभु यीशु मसीह के सँसार में आने से पहले, परमेश्वर के वचन बाइबल में केवल दो ही व्यक्तियों को परमेश्वर का मित्र कहा गया था: “और यहोवा मूसा से इस प्रकार आम्हने-साम्हने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से बातें करे...” (निर्गमन 33:11), और अब्राहम “...वह परमेश्वर का मित्र कहलाया” (याकूब 2:23; 2 इतिहास 20:7; यशायाह 41:8)।

      मैं चकित हूँ कि आज प्रभु यीशु हम मसीही विश्वासिय्हों को, अपने लोगों को, अपना मित्र कहता है (यूहन्ना 15:15), और उसकी यह मित्रता इतनी गहरी है कि उसने अपने कहे, “इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे” (यूहन्ना 15:13) के अनुसार अपने मित्रों, हमारे, लिए अपने प्राण दे दिए।

      हम मसीही विश्वासियों के लिए यह कैसा सौभाग्य और आशीष है कि मसीह यीशु हमारा मित्र है। वह ऐसा मित्र है जो हमें कभी नहीं छोड़ता है, कभी नहीं त्यागता है। वह परमेश्वर पिता के सामने हमारे लिए विनती, निवेदन करता है; हमारी आवश्यकताओं के लिए प्रावधान करता है। वह हमारे दुःखों को समझता है, और परेशानी के समयों में आवश्यक अनुग्रह प्रदान करता है।

      निःसंदेह, प्रभु यीशु हमारा सबसे अच्छा मित्र है। - जो स्टोवैल


यीशु कैसा मित्र है प्यारा!

और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया। - याकूब 2:23

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:8-17
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48
  • प्रेरितों 28