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बुधवार, 12 सितंबर 2018

तैयार



      मेरी आठ वर्षीय पुत्री ने कहा, “मुझे भूख लगी है।” मैंने उत्तर दिया, “मुझे क्षमा करो, मेरे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। आओ हम एक खेल खेलते हैं।” हम दोपहर के समय होने के लिए निर्धारित विवाह में दुलहन के आगमन की एक घंटे से भी अधिक से प्रतीक्षा कर रहे थे। यह विचार करते हुए कि न जाने और कितनी देर लगेगी, मैं सोचने लगी कि क्या मैं अपनी बेटी को विवाह के आरंभ होने तक व्यस्त रखने पाऊँगी?

      प्रतीक्षा करते हुए, मुझे लगा कि मानो हम प्रभु यीशु द्वारा परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए एक दृष्टांत का साक्षात अभिनय कर रहे हैं। यद्यपि हमारे रहने का स्थान, चर्च के पास ही था, मुझे लग रहा था कि घर से खाने के लिए कुछ बिस्किट लेने मैं जैसे ही जाऊँगी, दुल्हन आ जाएगी, और मैं उसके आगमन तथा स्वागत को देखने से रह जाऊँगी। इसलिए मैं अपने भूखी बेटी के ध्यान को बंटाने के अपने तरीके आज़माती रही, और प्रभु यीशु द्वारा दिए गए दस कुँवारियों के दृष्टांत (मत्ती 25:1-13) के बारे में विचार करती रही।

      उस दृष्टांत में प्रभु ने बताया था कि कैसे पाँच कुंवारियां अपने दीपकों के लिए पर्याप्त अतिरिक्त तेल लेकर आईं थी, जिससे दूल्हे के आने तक उनके दीपक जलते रहें, परन्तु शेष पाँच तेल लेकर नहीं आईं थीं। और जब वे अपने दीपकों के लिए और तेल मोल लेने के लिए गईं, दूल्हा आ गया और वे उसके साथ विवाह के समारोह में नहीं जा सकीं। जैसे मेरे लिए बिस्किट लेने जाने का अब समय नहीं बचा था, उन पाँच कुँवारियों के लिए भी तेल मोल लेकर आने का समय बीत चुका था।

      प्रभु यीशु ने इस दृष्टांत को हमें यह सिखाने के लिए बताया कि हमें उसके पुनःआगमन के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। क्योंकि जब वह आएगा तो हमें उसे अपने जीवनों का हिसाब देना होगा। क्या हम यह हिसाब देने को तैयार हैं? – एमी बाउचर पाई


प्रभु यीशु के पुनःआगमन के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।

क्योंकि तुम आप ठीक जानते हो कि जैसा रात को चोर आता है, वैसा ही प्रभु का दिन आने वाला है। जब लोग कहते होंगे, कि कुशल है, और कुछ भय नहीं, तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा, जिस प्रकार गर्भवती पर पीड़ा; और वे किसी रीति से न बचेंगे। - 1 थिस्सलुनीकियों 5:2

बाइबल पाठ: मत्ती 25:1-13
Matthew 25:1 तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुंवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें ले कर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं।
Matthew 25:2 उन में पांच मूर्ख और पांच समझदार थीं।
Matthew 25:3 मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया।
Matthew 25:4 परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्‍पियों में तेल भी भर लिया।
Matthew 25:5 जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गई।
Matthew 25:6 आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उस से भेंट करने के लिये चलो।
Matthew 25:7 तब वे सब कुंवारियां उठ कर अपनी मशालें ठीक करने लगीं।
Matthew 25:8 और मूर्खों ने समझदारों से कहा, अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जाती हैं।
Matthew 25:9 परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया कि कदाचित हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है, कि तुम बेचने वालों के पास जा कर अपने लिये मोल ले लो।
Matthew 25:10 जब वे मोल लेने को जा रही थीं, तो दूल्हा आ पहुंचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ ब्याह के घर में चलीं गई और द्वार बन्‍द किया गया।
Matthew 25:11 इसके बाद वे दूसरी कुंवारियां भी आकर कहने लगीं, हे स्‍वामी, हे स्‍वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे।
Matthew 25:12 उसने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें नहीं जानता।
Matthew 25:13 इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को।


एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन 13-15
  • 2 कुरिन्थियों 5