ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

प्रभाव

   माना जाता है कि विलियम एडम्स (१५६४-१६२०) जापान पहुंचने वाले प्रथम ब्रिटिश नागरिक थे। उनके व्यवहार से प्रसन्न होकर जापान के तत्कालीन शासक ने उन्हें अपना निज दुभाषिया और पश्चिमी ताकतों के प्रति निर्णयों के लिए अपना सलाहकार बना लिया। आगे चलकर उनकी सेवा के लिए शासक ने उन्हें दो तलवारें भेंट करीं और ’समुराई’ का दर्जा दिया, जो जापान के शासकों के अति विशिष्ट योद्धा और विश्वासपात्र होते थे। क्योंकि एडम्स ने अपने विदेशी राजा की सेवा वफादारी और भली-भांति करी, इसलिए उन्हें और अधिक प्रभावी और आदर्णीय होने के अवसर मिले।

   इससे भी सदियों पहले, एक अन्य व्यक्ति, नहेम्याह ने भी, अपने विदेशी राजा पर बहुत प्रभाव डाला था। नहेम्याह एक यहूदी था जो दास बनाकर लाए गए इस्त्राएलीयों में से था; वह फारसी राजा अर्तक्षत्र को प्याला देनेहारा नियुक्त किया गया था (नहेम्याह १:११)। राजा के दरबार में, राजा को दाखरस देने से पहले उसे पीकर जाँचना और फिर राजा को देना उसका काम था। यह जोखिम भरा भी था, क्योंकि दाखरस में कोई ज़हर भी मिला सकता था, किंतु यह राजा के विश्वासपात्र होने और उसपर प्रभाव डाल पाने की स्थिति में होने का भी प्रमाण था। नहेम्याह की ईमानदारी, प्रशासनीय कार्यकुशलता और बुद्धिमानी ने उसे राजा का विश्वासपात्र और प्रीय बना दिया था। अपने इन ही गुणों के कारण वह राजा से यरुशलेम की टूटी हुई दीवारों के पुनःर्निर्माण के लिए अनुमति और संसाधन उपलब्ध करवा सका।

   नहेम्याह ही के समान हम में से प्रत्येक को कुछ गुण और प्रभाव का क्षेत्र दिया गया है। यह बच्चों का पालन-पोषण, हमारी नौकरी की ज़िम्मेदारियां, चर्च तथा सेवकाई के कार्य आदि कुछ भी ऐसा हो सकता है जिसके द्वारा हम दूसरों पर प्रभाव डालने वाले होते हैं। यह प्रभाव भला भी हो सकता है और बुरा भी; अन्ततः परिणाम ही उस प्रभाव की व्याख्या करते हैं।

   अपने आस-पास देखिए, परमेश्वर ने आप के जीवन में किसे दिया है जिसपर आप का प्रभाव पड़ रहा है - सुनिश्चित कीजिए कि यह प्रभाव भला ही हो। - डेनिस फिशर


एक छोटा उदाहरण भी मसीह के लिए बड़ा प्रभावी हो सकता है।

राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? - नहेम्याह २:४

बाइबल पाठ: नहेम्याह २:१-९
Neh 2:1  अर्तक्षत्र राजा के बीसवें वर्ष के नीसान नाम महीने में, जब उसके साम्हने दाखमधु था, तब मैं ने दाखमधु उठाकर राजा को दिया। इस से पहिले मैं उसके साम्हने कभी उदास न हुआ था।
Neh 2:2  तब राजा ने मुझ से पूछा, तू तो रोगी नहीं है, फिर तेरा मुंह क्यों उतरा है? यह तो मन ही की उदासी होगी।
Neh 2:3  तब मैं अत्यन्त डर गया। और राजा से कहा, राजा सदा जीवित रहे ! जब वह नगर जिस में मेरे पुरखाओं की कबरें हैं, उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं, तो मेरा मुंह क्यों न उतरे?
Neh 2:4  राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? तब मैं ने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करके, राजा से कहा;
Neh 2:5  यदि राजा को भाए, और तू अपने दास से प्रसन्न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं की कबरों के नगर को भेज, ताकि मैं उसे बनाऊं।
Neh 2:6  तब राजा ने जिसके पास रानी भी बैठी थी, मुझ से पूछा, तू कितने दिन तक यात्रा में रहेगा? और कब लैटेगा? सो राजा मुझे भेजने को प्रसन्न हुआ; और मैं ने उसके लिये एक समय नियुक्त किया।
Neh 2:7  फिर मैं ने राजा से कहा, यदि राजा को भाए, तो महानद के पार के अधिपतियों के लिये इस आशय की चिट्ठियां मुझे दी जाएं कि जब तक मैं यहूदा को न पहुंचूं, तब तक वे मुझे अपने अपने देश में से होकर जाने दें।
Neh 2:8  और सरकारी जंगल के रखवाले आसाप के लिये भी इस आशय की चिट्ठी मुझे दी जाए ताकि वह मुझे भवन से लगे हुए राजगढ़ की कडिय़ों के लिये, और शहरपनाह के, और उस घर के लिये, जिस में मैं जाकर रहूंगा, लकड़ी दे। मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर थी, इसलिये राजा ने यह बिनती ग्रहण किया।
Neh 2:9  तब मैं ने महानद के पार के अधिपतियों के पास जाकर उन्हें राजा की चिट्ठियां दीं। राजा ने मेरे संग सेनापति और सवार भी भेजे थे। 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १६-१८ 
  • मत्ती १८:१-२०