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रविवार, 20 मई 2012

उपयुक्त भेंट

   मुझे जान कर बहुत प्रसन्नता हुई कि मेरे एक मित्र ने मेरे पड़ौसी को, जो उसका भी मित्र था, परमेश्वर के वचन बाइबल की एक प्रति भेंट करी। किंतु कुछ समय बाद मैंने जाना कि उस पड़ौसी ने बाइबल पढ़ना बन्द कर दिया क्योंकि वह समझ नहीं पाई कि परमेश्वर कैन द्वारा लाई गई भेंट अस्वीकार करने का अन्याय कैसे कर सकता है? उनका तर्क था कि कैन तो किसान था, इसलिए स्वाभाविक है कि जो उसकी उपज थी, वह उसी को परमेश्वर के पास लेकर आएगा। फिर क्यों परमेश्वर को कैन की भेंट स्वीकार नहीं हुई; क्या इसलिए कि वह जीव-जन्तु नहीं वरन खेती की उपज थी?

   बहुत से अन्य लोगों के समान, मेरे उस पड़ौसी ने भी वास्तविकता को समझे बिना ही एक गलत धारणा बना ली और उस के आधार पर निर्णय ले लिया। ऐसा नहीं है कि परमेश्वर को साग-पात पसन्द नहीं, वरन बात यह थी कि कैन अपनी भेंट के पीछे अपनी गलत प्रवृति और मनसाएं छिपाने का प्रयास कर रहा था। भेंट अस्वीकार करने से जब कैन क्रोधित हुआ तब परमेश्वर ने कैन से कहा, "यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा" (उत्पत्ति ४:७)। कैन अपने अन्दर से परमेश्वर के प्रति पूर्णतः समर्पित हुए बिना ही बाहरी क्रियाओं और विधि-विधानों के आडम्बर द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करना चाह रहा था, जिसे परमेश्वर जानता था और जो परमेश्वर को स्वीकार नहीं था।

   यही गलती आज भी बहुत से लोग परमेश्वर के साथ अपने संबंध के विषय में करते हैं। उनके मन ना तो परमेश्वर को समर्पित होते हैं और ना ही वे सच्चे मन से परमेश्वर की उपासना करते हैं; वे केवल रीति-रिवाज़ों के पालन और विधि-विधानों की पूर्ति के द्वारा परमेश्वर को बाध्य करना चाहते हैं कि वह उनसे प्रसन्न हो और उन्हें आशीष दे। वे बाहर से धर्मी दिखते हैं परन्तु उनके मन परमेश्वर से दूर और अपनी ही लालसाओं को समर्पित रहते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में यहूदा ने अपनी पत्री में ऐसे लोगों के विषय में कैन के उदाहरण के साठ लिखा: "उन पर हाय! कि वे कैन की सी चाल चले, और मजदूरी के लिए बिलाम की नाईं भ्रष्‍ट हो गए हैं: और कोरह की नाईं विरोध करके नाश हुए हैं" (यहूदा १:११)। हम चाहे जितने जोश के साथ परमेश्वर के नाम में भले कार्य करें, उसका स्तुतिगान करें, उसके नाम में दान-पुण्य इत्यादि करें, किंतु यदि हमारा मन परमेश्वर में नहीं है तो सब व्यर्थ है, कुछ भी परमेश्वर को स्वीकारीय नहीं है।

   विचार कीजिए, क्या वास्तव में परमेश्वर आपकी प्राथमिकता है? क्या वह आप के लिए आपकी योजनाओं और लालसाओं से अधिक महत्वपूर्ण है? क्या वह उस बात से, उस पाप से अधिक रोचक तथा वांछनीय है जो आप को भरमा कर उससे दूर ले जाता है?

   जब आपकी भेंट सच्चे और समर्पित मन के साथ परमेश्वर के सम्मुख प्रस्तुत की जाएगी तब ही वह ऐसी उपयुक्त भेंट होगी जिसे परमेश्वर कभी अस्वीकार नहीं करेगा। उस सर्वोच्च और सर्वोत्तम को आपकी संपत्ति की नहीं आपके मन कि लालसा है; एक टूटा और पिसा हुआ मन ही परमेश्वर के लिए उपयुक्त भेंट है; "क्योकि तू मेलबलि में प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता। टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता" (भजन ५१:१६-१७)। - जो स्टोवैल


अपने प्रति समर्पित हृदय की भेंट को परमेश्वर कभी अस्वीकार नहीं करता।

यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा। - उत्पत्ति ४:७

बाइबल पाठ: उत्पत्ति ४:१-७
Gen 4:1  जब आदम अपनी पत्नी हव्वा के पास गया तब उस ने गर्भवती होकर कैन को जन्म दिया और कहा, मैं ने यहोवा की सहायता से एक पुरूष पाया है।
Gen 4:2  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, और हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करने वाला किसान बना।
Gen 4:3 कुछ दिनों के पश्चात्‌ कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया।
Gen 4:4  और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई; तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया,
Gen 4:5  परन्तु कैन और उसकी भेंट को उस ने ग्रहण न किया। तब कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुंह पर उदासी छा गई।
Gen 4:6  तब यहोवा ने कैन से कहा, तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है?
Gen 4:7  यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १०-१२ 
  • यूहन्ना ६:४५-७१