ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 14 दिसंबर 2013

परमेश्वर का महान कार्य


   जब मैं 5 वर्ष का हुआ तो मेरे पिता ने मेरे लिए एक बूढ़ी लाल घोड़ी खरीद कर दी, जिसकी देखभाल करना मेरी ज़िम्मेदारी हो गई। मैंने उसका नाम डिक्सी रख दिया। मेरे छोटे कद और छोटी उम्र के कारण डिक्सी मेरे लिए एक बड़ी समस्या थी। डिक्सी मोटी थी और मैं छोटा। कोई काठी या रकाब या जीन ऐसी नहीं थी जिसे डिक्सी पर लगाने के बाद मैं उस पर आराम से बैठ सकूँ क्योंकि मेरे पाँव उन तक पहुँचते ही नहीं थे, वरन डिक्सी के मोटापे के कारण मेरे पाँव बाहर की ओर निकले रहते थे। इस कारण मुझे डिक्सी की सवारी बिना जीन-काठी बांधे ही करनी पड़ती थी, जिससे मैं अकसर फिसल कर गिर जाता था। लेकिन डिक्सी में एक बहुत अच्छा गुण था, जब भी मैं गिर जाता डिक्सी वहीं ठहर जाती और मुझे देखने लगती और बड़े धीरज के साथ प्रतीक्षा करती रहती जब तक कि मैं किसी प्रकार वापस उस की पीठ पर चढ़कर बैठ नहीं जाता।

   लेकिन मैं डिक्सी के प्रति वैसा ही धीरजवन्त नहीं रह पाता था, लेकिन फिर भी वो मेरी बचकाना हरकतों को बड़े धीरज से सहती रहती और कभी पलट कर मुझे परेशान नहीं करती थी। मैं सोचता हूँ, क्या ही अच्छा होता यदि मैं डिक्सी के समान धीरजवन्त हो कर अनेक प्रकार के प्रतिकूल व्यवहार को शान्ति से झेलने वाली बन सकता। डिक्सी का व्यवहार मुझे अपने आप से पूछने पर मजबूर करता है कि जब लोग मुझे क्रोधित करते हैं तो मैं उनके प्रति कैसी प्रतिक्रिया देता हूँ? क्या मेरी प्रतिक्रिया परमेश्वर के वचन बाइबल की शिक्षानुसार दीनता, नम्रता और धीरज के साथ (कुलुस्सियों 3:12) या फिर असहिशुणता तथा क्रोध के साथ होती है?

   प्रभु यीशु से मिली पापों की क्षमा और उद्धार के द्वारा ही मुझे परमेश्वर से सामर्थ मिली है कि मैं प्रभु यीशु की शिक्षानुसार मेरे प्रति किए गए अपराधों के लिए सहिशुण और उन अपराध करने वालों को 7 के 70 गुणा बार क्षमा कर सकूँ; मानवीय कमज़ोरियाँ एवं असफलताओं को बर्दाशत कर सकूँ; मुझे भड़काने तथा क्रोधित करने वालों के प्रति दया और करुणा दिखा सकूँ। यह सब कर सकने की सामर्थ मेरी अपनी कभी नहीं थी और ना हो सकती थी; यह सारी सामर्थ तो मुझे प्रभु यीशु में हो कर परमेश्वर से मिली है; यह मेरे जीवन हुआ परमेश्वर ही का महान कार्य है।

   क्या आप ने अपने जीवन में परमेश्वर के इस महान कार्य को हो लेने दिया है? - डेविड रोपर


जो प्रेम कलवरी के क्रूस से निकलता है वह सब सहन करता है, सब क्षमा करता है।

और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्‍त होते जाओ, यहां तक कि आनन्द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको। - कुलुस्सियों 1:11

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:12-17
Colossians 3:12 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। 
Colossians 3:13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। 
Colossians 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो। 
Colossians 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो। 
Colossians 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। 
Colossians 3:17 और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।

एक साल में बाइबल: 
  • योएल 1-3 
  • प्रकाशितवाक्य 5