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शुक्रवार, 31 मार्च 2017

नेतृत्व


   दक्षिणी अफ्रीका के तट के निकट, 4 अगस्त 1991 को, एक भीष्ण समुद्री तूफान के कारण एम. टी. एस. ओशनोस नामक यात्री समुद्री जहाज़ डूबने लगा। जहाज़ को डूबता देख उसके कप्तान ने जहाज़ से भाग जाने का निर्णय लिया और, किसी को कुछ बताए बिना अपने साथी अफसरों के साथ जहाज़ को छोड़कर चला गया। जहाज़ के यात्रियों में से मौस हिल्स नामक एक ब्रिटिश संगीतज्ञ को आभास हुआ कि कुछ गड़बड़ है और उसने दक्षिणी अफ्रीका के कोस्ट गार्ड को बचाने आने के लिए खतरे का संकेत भेजा। फिर परिस्थिति को अपने हाथों में लेते हुए, मौस और उसकी पत्नि ट्रेसी तथा उनके साथी संगीतज्ञों ने सारे यात्रियों को बचाए जाने में सहायता की, उन्हें बचाव के लिए आए हेलिकॉप्टरों में चढ़ाया।

   कभी कभी हम जिनकी ओर नेतृत्व के लिए देखते हैं, वे ही हमारा साथ छोड़ देते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में जब राजा शाऊल और उसके साथी सैनिक अधिकारियों को भीमकाय फिलिस्ती योद्धा गोलियत के अपमान भरी चुनौती का सामना करना पड़ा, तो उनका प्रत्युत्तर भय और भीरुता था (1 शमूएल 17:11)। परन्तु एक युवा चरवाहे और संगीतज्ञ, दाऊद, ने परमेश्वर पर भरोसा रखा, जिससे इस धमकी के प्रति उसका दृष्टिकोण बदल गया और उसने गोलियत से कहा, "...तू तो तलवार और भाला और सांग लिये हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है" (1 शमूएल 17:45)। अपने भरोसे और परमेश्वर की सामर्थ द्वारा दाऊद ने गोलियत को मार डाला, शत्रु फिलिस्तियों को हरा दिया और उस युद्ध का रुख बदल दिया। यह सब इसलिए क्योंकि दाऊद ने साँसारिक नेतृत्व की ओर नहीं वरन एकमात्र जीवते परमेश्वर को अपनी सामर्थ का आधार बनाया।

   जब अन्य साथ छोड़ दें और हम असहाय अनुभव करें, तो संभव है कि परमेश्वर अपनी सामर्थ और प्रतिष्ठा सबके सामने प्रगट करने के लिए, हमें उसके लोगों का नेतृत्व करने के लिए बुला रहा हो। - डेनिस फिशर


प्रभु यीशु मसीह का अनुसरण करने के द्वारा ही 
हम औरों को सही मार्गदर्शन कर सकते हैं।

हम यहोवा का आसरा देखते आए हैं; वह हमारा सहायक और हमारी ढाल ठहरा है। हमारा हृदय उसके कारण आनन्दित होगा, क्योंकि हम ने उसके पवित्र नाम का भरोसा रखा है। - भजन 33:20-21

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 17:31-54
1 Samuel 17:31 जब दाऊद की बातों की चर्चा हुई, तब शाऊल को भी सुनाईं गई; और उसने उसे बुलवा भेजा।
1 Samuel 17:32 तब दाऊद ने शाऊल से कहा, किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जा कर उस पलिश्ती से लड़ेगा। 
1 Samuel 17:33 शाऊल ने दाऊद से कहा, तू जा कर उस पलिश्ती के विरुद्ध नहीं युद्ध कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है। 
1 Samuel 17:34 दाऊद ने शाऊल से कहा, तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियां चराता था; और जब कोई सिंह वा भालू झुंड में से मेम्ना उठा ले गया, 
1 Samuel 17:35 तब मैं ने उसका पीछा कर के उसे मारा, और मेम्ने को उसके मुंह से छुड़ाया; और जब उसने मुझ पर चढ़ाई की, तब मैं ने उसके केश को पकड़कर उसे मार डाला। 
1 Samuel 17:36 तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मार डाला; और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उसने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है। 
1 Samuel 17:37 फिर दाऊद ने कहा, यहोवा जिसने मुझ सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साथ रहे। 
1 Samuel 17:38 तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहिनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहिनाया। 
1 Samuel 17:39 और दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया; उसने तो उन को न परखा था। इसलिये दाऊद ने शाऊल से कहा, इन्हें पहिने हुए मुझ से चला नहीं जाता, क्योंकि मैं ने नहीं परखा। और दाऊद ने उन्हें उतार दिया। 
1 Samuel 17:40 तब उसने अपनी लाठी हाथ में ले नाले में से पांच चिकने पत्थर छांटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात अपने झोले में रखे; और अपना गोफन हाथ में ले कर पलिश्ती के निकट चला। 
1 Samuel 17:41 और पलिश्ती चलते चलते दाऊद के निकट पहुंचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिये था वह उसके आगे आगे चला। 
1 Samuel 17:42 जब पलिश्ती ने दृष्टि कर के दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना; क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था। 
1 Samuel 17:43 तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, क्या मैं कुत्ता हूं, कि तू लाठी ले कर मेरे पास आता है? तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम ले कर दाऊद को कोसने लगा। 
1 Samuel 17:44 फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और वनपशुओं को दे दूंगा। 
1 Samuel 17:45 दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिये हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। 
1 Samuel 17:46 आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है। 
1 Samuel 17:47 और यह समस्त मण्डली जान लेगी की यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा। 
1 Samuel 17:48 जब पलिश्ती उठ कर दाऊद का साम्हना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का साम्हना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा। 
1 Samuel 17:49 फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उस में से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा। 
1 Samuel 17:50 यों दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल हो कर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी। 
1 Samuel 17:51 तब दाऊद दौड़कर पलिश्ती के ऊपर खड़ा हुआ, और उसकी तलवार पकड़कर मियान से खींची, और उसको घात किया, और उसका सिर उसी तलवार से काट डाला। यह देखकर कि हमारा वीर मर गया पलिश्ती भाग गए। 
1 Samuel 17:52 इस पर इस्राएली और यहूद पुरूष ललकार उठे, और गत और एक्रोन से फाटकों तक पलिश्तियों का पीछा करते गए, और घायल पलिश्ती शारैम के मार्ग में और गत और एक्रोन तक गिरते गए। 
1 Samuel 17:53 तब इस्राएली पलिश्तियों का पीछा छोड़कर लौट आए, और उनके डेरों को लूट लिया। 
1 Samuel 17:54 और दाऊद पलिश्ती का सिर यरूशलेम में ले गया; और उसके हथियार अपने डेरे में धर लिए। 
एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 11-12
  • लूका 6:1-26


रविवार, 12 मार्च 2017

आकाशमण्डल


   अपने प्राथमिक विद्यालय के छात्र होने के दिनों में, मैं और मेरा मित्र केन्ट अकसर रात्रि के आकाशमण्डल को दूरबीन द्वारा देखने में बिताते थे। हम सितारों को, चन्द्रमा के पहाड़ों को, देखकर चकित होते। सारी शाम हम बारी बारी आकाशमण्डल को निहारने के लिए एक दुसरे से कहते रहते थे, "ज़रा दूरबीन मुझे देना!"

   हम से कई सदियाँ पहले एक अन्य यहूदी चरवाहा युवक भी रात्रि के आकाशमण्डल को देख कर विस्मित होता था। उसके पास आकाशमण्डल की भव्यता को देखने और निहारने के लिए दूरबीन नहीं थी। परन्तु उसके पास कुछ और था, जो दूरबीन से भी अधिक महत्वपूर्ण था - जीवते परमेश्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध। मैं कल्पना कर सकता हूँ कि दाऊद मैदान में बैठा आकाशमण्डल को निहार रहा है, परमेश्वर के बारे में मनन कर रहा है, और उसकी भेड़ें आस-पास हैं, मिमिया रही हैं। बाद में दाऊद ने परमेश्वर की प्रेरणा द्वारा अपने एक भजन में लिखा, "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है" (भजन 19:1-2)।

   अपनी व्यस्त दिनचर्या में हमारे आनन्द तथा उसकी सामर्थ एवं महिमा प्रकट करने के लिए हमारे परमेश्वर पिता द्वारा आकाशमण्डल में रचि गई आश्चर्यचकित कर देने वाली उसकी अद्भुत कारीगरी एवं सुन्दरता को हम निहारना भूल जाते हैं। जब भी हम समय निकाल कर रात्रि के आकाशमण्डल को देखते हैं, परमेश्वर की सृष्टि पर मनन करते हैं तो अपने स्वर्गीय प्रेमी पिता की हस्ती, असीम सामर्थ एवं महिमा की गहरी समझ प्राप्त करते हैं, उसकी निकटता में बढ़ते हैं। - डेनिस फिशर


परमेश्वर की सृष्टि के अजूबों से हम उसकी महिमा, गौरव और चरित्र का दर्शन पाते हैं।

इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। - रोमियों 1:19-20

बाइबल पाठ: भजन 19
Psalms 19:1 आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। 
Psalms 19:2 दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। 
Psalms 19:3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। 
Psalms 19:4 उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, 
Psalms 19:5 जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाईं अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है। 
Psalms 19:6 वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; 
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; 
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। 
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। 
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। 
Psalms 19:12 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 
Psalms 19:13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।
Psalms 19:14 मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 17-19
  • मरकुस 13:1-20


बुधवार, 8 मार्च 2017

पवित्रता


   हम बहुधा ऐसे सर्वेक्षण देखते हैं जिनमें लोगों से पूछा जाता है कि क्या वे प्रसन्न हैं, या अपने काम से संतुष्ट हैं, या क्या जीवन का आनन्द ले रहे हैं, इत्यादि। परन्तु मैंने आज तक कभी कोई ऐसा सर्वेक्षण नहीं देखा है जिसमें पूछा गया हो "क्या आप पवित्रता का जीवन व्यतीत कर रहे हैं?" यदि आप से यह प्रश्न किया जाए तो अपने विषय में आप इस प्रश्न का क्या उत्तर देंगे?

   परमेश्वर के वचन बाइबल के शब्दों के एक शब्दकोष के अनुसार पवित्रता की परिभाषा है, "परमेश्वर के लिए पृथक होना और इस पृथक होने के अनुसार जीवन व्यतीत करना।" लेखक फ्रेड्रिक ब्युकनर ने कहा कि किसी व्यक्ति के चरित्र के बारे में लिखते समय, "उसमें पवित्रता को सजीव बनाने से कठिन और कुछ भी नहीं है।" उन्होंने आगे लिखा, "भलाई के सदगुण के समान, पवित्रता मनुष्यों का गुण है ही नहीं। पवित्रता ऐसा कुछ भी नहीं है जो मनुष्य कर सकें, वरन वह है जो परमेश्वर उनके अन्दर करता है।"

   बाइबल में रोमियों 6 में उस अद्भुत उपहार -’नए जीवन’ का चित्रण है जो परमेश्वर हमें मसीह यीशु में विश्वास लाने के द्वारा प्रदान करता है: "सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें" (रोमियों 6:4)। पवित्रता के अनुसरण का प्रयास प्रतिदिन तब ही होता है जब हम अपने पुराने चरित्र के अनुसार अपनी स्वार्थ-सिद्धी तथा आत्म-संतुष्टि के स्थान पर अपने आप को परमेश्वर का आज्ञाकारी बनाते हैं: "...परन्तु अब पाप से स्वतंत्र हो कर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है" (रोमियों 6:22)।

   क्या आप प्रतिदिन पवित्रता में बढ़ते जा रहे हैं? यदि आपने प्रभु यीशु में विश्वास से परमेश्वर के अनुग्रह और सामर्थ को अपना लिया है तो उसके द्वारा आपका भी गुंजायामान उत्तर हो सकता है, "हाँ! प्रतिदिन और अधिक।" - डेविड मैक्कैसलैण्ड


पवित्रता के खोजी होकर उसका अनुसरण करना जीवन अथवा मृत्यु का मामला है।

सब से मेल मिलाप रखने, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा। - इब्रानियों 12:14

बाइबल पाठ: रोमियों 6:12-23
Romans 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो। 
Romans 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो। 
Romans 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो। 
Romans 6:15 तो क्या हुआ क्या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं? कदापि नहीं। 
Romans 6:16 क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है।
Romans 6:17 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे। 
Romans 6:18 और पाप से छुड़ाए जा कर धर्म के दास हो गए। 
Romans 6:19 मैं तुम्हारी शारीरिक दुर्बलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास कर के सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास कर के सौंप दो। 
Romans 6:20 जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे। 
Romans 6:21 सो जिन बातों से अब तुम लज्ज़ित होते हो, उन से उस समय तुम क्या फल पाते थे? 
Romans 6:22 क्योंकि उन का अन्त तो मृत्यु है परन्तु अब पाप से स्वतंत्र हो कर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है। 
Romans 6:23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 5-7
  • मरकुस 11:1-18


मंगलवार, 7 मार्च 2017

स्थिरता


   बचपन में मेरे पास मुस्कुराते हुए चेहरे और गोलाकार पेंदे वाला प्लास्टिक से बना एक गुड्डा था जिसमें हवा भरकर उसे खड़ा किया जाता था। फुला कर खड़ा करने के बाद उसकी ऊँचाई मेरे बराबर हो जाती थी। मेरे लिए चुनौती थी कि उसे मुक्कों से मारकर नीचे धरती पर लेटा दूँ। परन्तु मैं चाहे जितनी भी ज़ोर से उसे क्यों ना मारूँ, वह तुरंत उठकर खड़ा हो जाता था। इसका रहस्य? उसके गोलाकार पेंदे में लगाया गया सीसे का एक वज़नी टुकड़ा, जो उसे सदा ही खड़ा रखता था।

   पाल नौकाएं भी इसी सिद्धांत द्वारा काम करती हैं - उनके पेंदों में पानी में नीचे की ओर ’कील’ नामक वज़न लगा होता है जिससे उनका पेंदा सदा पानी में नीचे की ओर स्थिर रहता है। पाल पर लगने वाली तेज़ हवाएं यदि पाल नौका को ऊपर से इधर-उधर टेढ़ा भी करें, तो भी उनकी कील का वह वज़न उन्हें वापस सीधा कर देता है, और नौका तेज़ हवाओं में भी स्थिर बनी रहती है।

   मसीही विश्वासी के जीवन में भी ऐसा ही होता है। चुनौतियों का सामना करने की हमारी सामर्थ हमारी अपनी नहीं है, वरन हम में बसने वाले परमेश्वर से है। हम जीवन के थपेड़ों और तूफानों से अछूते तो नहीं हैं, परन्तु सुरक्षित किए गए हैं, क्योंकि हमें स्थिर करने वाला हमारा परमेश्वर हम में रहता है। इसीलिए प्रेरित पौलुस ने लिखा, "हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते" (2 कुरिन्थियों 4:8-9)।

   जीवन मार्ग के उन अनेकों यात्रियों के साथ हो कर चलिए जिन्होंने दुःख और क्लेश के गहरे जल में भी इस तथ्य को थामे रखा कि उन्हें स्थिर रखने वाले परमेश्वर का अनुग्रह हर परिस्थिति में उनके लिए पर्याप्त है; और पौलुस के समान इस विश्वास में बने रहे कि जब हम अपने आप में दुर्बल होते हैं, तब ही परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा बलवान होते हैं: "और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे" (2 कुरिन्थियों 12:9)। इस विचार को थामे रखना, इसमें दृढ़ रहना हमारे जीवनों को हर परिस्थिति में स्थिरता देगा। - जो स्टोवैल


आपके अन्दर विद्यमान परमेश्वर की सामर्थ, 
आपके चारों ओर की समस्याओं के तनाव और दबाव से कहीं अधिक बढ़कर है।

हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है। - 1 यूहन्ना 4:4

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 4:7-14
2 Corinthians 4:7 परन्तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे। 
2 Corinthians 4:8 हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। 
2 Corinthians 4:9 सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते। 
2 Corinthians 4:10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं; कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो। 
2 Corinthians 4:11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरनहार शरीर में प्रगट हो। 
2 Corinthians 4:12 सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर। 
2 Corinthians 4:13 और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं। 
2 Corinthians 4:14 क्योंकि हम जानते हैं, जिसने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जानकर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने साम्हने उपस्थित करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 3-4
  • मरकुस 10:32-52


शनिवार, 21 जनवरी 2017

निर्भर


   अफ्रीका के एक देश घाना के राष्ट्रगीत की प्रथम पंक्ति है, "परमेश्वर हमारे देश घाना को आशीष दे।" अफ्रीका के कुछ अन्य देशों के राष्ट्रगानों में भी कुछ ऐसी ही बात पाई जाती है: "हे यूगाण्डा, परमेश्वर तुझे संभाले रहे", "परमेश्वर हमारे देश को आशीष दे" (दक्षिणी अफ्रीका), "हे सृष्टि के महान परमेश्वर, हमारे महान उद्देश्य को दिशा दे" (नाईजीरिया)। देश के राष्ट्रगानों को प्रार्थना के रूप में प्रयोग करके, उनके संस्थापक पिताओं ने परमेश्वर से देश और वहाँ के लोगों के लिए आशीष चाही। ना केवल अफ्रीका में वरन संसार भर के अनेकों अन्य देशों के राष्ट्रगानों में परमेश्वर को सृष्टिकर्ता और पालनहार माना गया है। राष्ट्रगानों की अन्य पंक्तियों में भी, जातिवाद, राजनैतिक विचार-धारा और सामाजिक असमानताओं द्वारा विभाजित समाज के लिए परमेश्वर से परस्पर मेल-मिलाप, परिवर्तन और आशा की प्रार्थनाएं हैं।

   लेकिन फिर भी आज अनेकों राष्ट्रीय अगुए और नागरिक परमेश्वर को भुला कर, इन पंक्तियों के अनुसार नहीं वरन अपनी ही इच्छा के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं, विशेषकर तब जब सब कुछ अच्छा चल रहा हो। परन्तु परमेश्वर को स्मरण करने के लिए युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, आतंकियों के हमलों, बीमारियों, राजनैतिक चुनावों की हिंसा आदि की प्रतीक्षा क्यों की जाए? परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि परमेश्वर ने अपने लोगों, इस्त्राएलियों को मूसा के द्वारा चिताया कि वे परमेश्वर को भुला ना दें और उसके मार्गों पर चलना ना छोड़ें, विशेषकर तब जब जीवन अच्छे से चल रहा हो (व्यवस्थाविवरण 8:11)। बाइबल में एक अन्य स्थान पर परमेश्वर हमें सचेत करता है कि: "अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख, इस से पहिले कि विपत्ति के दिन और वे वर्ष आएं, जिन में तू कहे कि मेरा मन इन में नहीं लगाता" (सभोपदेशक 12:1)।

   ऐसे समयों में, जब हम स्वस्थ और सबल होते हैं, परमेश्वर के निकट आना और बने रहना हमें उन समयों के लिए तैयार करता है जब हम कठिन परिस्थितियों में आएं; और तब ऐसे में हम निःसंकोच अपने सहारे और आशा के लिए उस पर निर्भर हो सकते हैं। - लॉरेंस दरमानी


अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर पिता को स्मरण रखने को अपना व्यक्तिगत गान बना लें।

मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा। मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा। हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है? अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।  - भजन 77:11-14

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 8:11-18
Deuteronomy 8:11 इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे; 
Deuteronomy 8:12 ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे अच्छे घर बनाकर उन में रहने लगे, 
Deuteronomy 8:13 और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए, 
Deuteronomy 8:14 तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है, 
Deuteronomy 8:15 और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहां तेज विष वाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्ठान से जल निकाला, 
Deuteronomy 8:16 और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिये कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा कर के अन्त में तेरा भला ही करे। 
Deuteronomy 8:17 और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई। 
Deuteronomy 8:18 परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 1-3
  • मत्ती 14:1-21


शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

उपस्थिति


   मुझे मिशिगन झील पर सूर्यास्त की तसवीरें लेना पसन्द है। उन तसवीरों में से कुछ में तो एक समान हल्के रंग दिखाई देते हैं, तो कुछ में कई चटकीले और चमकदार रंग होते हैं। कभी सूर्य धीमे से झील के पीछे ओझल हो जाता है, तो कभी अन्य समय पर उसका ढलना एक अग्निमय विस्फोट के समान होता है। चाहे तसवीरों में हो या प्रत्यक्ष मुझे वह नाटकीय अधिक पसन्द है।

   संसार में परमेश्वर के कार्य के संबंध में भी मेरी पसन्द ऐसी ही है। मुझे अपनी प्रार्थनाओं के नाटकीय उत्तर मिलना अधिक पसन्द है बजाए इसके कि दैनिक आवश्यकताओं के सामान्य तथा शान्त प्रबंध होते रहें। परन्तु मैं यह जानती हूँ कि दोनों ही परमेश्वर की ओर से होते हैं।

   परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता एलिय्याह की पसन्द भी संभवतः ऐसी ही रही होगी। परमेश्वर द्वारा अपनी उपस्थिति दर्शाने के लिए उसकी सामर्थ्य के महान प्रदर्शनों का वह आदि हो गया था। जब एलिय्याह ने प्रार्थना की तो परमेश्वर ने उत्तर में नाटकीय रीति से अपनी उपस्थिति को दिखाया - पहले बाल के पुजारियों की पराजय में और फिर एक लंबे और विनाशकारी अकाल के अन्त द्वारा (1 राजा 18)। लेकिन फिर एलिय्याह भयभीत होकर अपने प्राण बचाने के लिए भागने लगा। परमेश्वर ने अपना दूत भेजकर उसे भोजन करवाया और सामर्थ दी कि वह अपनी यात्रा पूरी कर सके। चालीस दिन की यात्रा के पश्चात वह होरेब पहुँचा। वहाँ परमेश्वर ने उसे दिखाया कि अब परमेश्वर उसके साथ नाटकीय आश्चर्यकर्मों द्वारा नहीं वरन धीमी शान्त आवाज़ में बातें कर रहा है (19:11-12)।

   यदि आज आप इसलिए निराश हैं क्योंकि परमेश्वर अपनी उपस्थिति अपनी महिमा के तेजोमय प्रदर्शन द्वार नहीं दर्शा रहा है, तो ध्यान कीजिए कि शान्त परिस्थितियों, आपकी देख-भाल, आपकी सुरक्षा और आवश्यकताओं की पूर्ति के द्वारा वह आपके साथ अपनी उपस्थिति दर्शा रहा है; दोनों ही आपके साथ उसकी उपस्थिति के सूचक हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर महान कार्यों में भी है और छोटे कार्यों में भी।

चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन 46:10

बाइबल पाठ: 1 राजा 19:1-16
1 Kings 19:1 तब अहाब ने ईज़ेबेल को एलिय्याह के सब काम विस्तार से बताए कि उसने सब नबियों को तलवार से किस प्रकार मार डाला। 
1 Kings 19:2 तब ईज़ेबेल ने एलिय्याह के पास एक दूत के द्वारा कहला भेजा, कि यदि मैं कल इसी समय तक तेरा प्राण उनका सा न कर डालूं तो देवता मेरे साथ वैसा ही वरन उस से भी अधिक करें। 
1 Kings 19:3 यह देख एलिय्याह अपना प्राण ले कर भागा, और यहूदा के बेर्शेबा को पहुंच कर अपने सेवक को वहीं छोड़ दिया। 
1 Kings 19:4 और आप जंगल में एक दिन के मार्ग पर जा कर एक झाऊ के पेड़ के तले बैठ गया, वहां उसने यह कह कर अपनी मृत्यु मांगी कि हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ। 
1 Kings 19:5 वह झाऊ के पेड़ तले लेटकर सो गया और देखो एक दूत ने उसे छूकर कहा, उठ कर खा। 
1 Kings 19:6 उसने दृष्टि कर के क्या देखा कि मेरे सिरहाने पत्थरों पर पकी हुई एक रोटी, और एक सुराही पानी धरा है; तब उसने खाया और पिया और फिर लेट गया। 
1 Kings 19:7 दूसरी बार यहोवा का दूत आया और उसे छूकर कहा, उठ कर खा, क्योंकि तुझे बहुत भारी यात्रा करनी है। 
1 Kings 19:8 तब उसने उठ कर खाया पिया; और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा। 
1 Kings 19:9 वहां वह एक गुफा में जा कर टिका और यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा, कि हे एलिय्याह तेरा यहां क्या काम? 
1 Kings 19:10 उन ने उत्तर दिया सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के निमित्त मुझे बड़ी जलन हुई है, क्योकि इस्राएलियों ने तेरी वाचा टाल दी, तेरी वेदियों को गिरा दिया, और तेरे नबियों को तलवार से घात किया है, और मैं ही अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं। 
1 Kings 19:11 उसने कहा, निकलकर यहोवा के सम्मुख पर्वत पर खड़ा हो। और यहोवा पास से हो कर चला, और यहोवा के साम्हने एक बड़ी प्रचण्ड आन्धी से पहाड़ फटने और चट्टानें टूटने लगीं, तौभी यहोवा उस आन्धी में न था; फिर आन्धी के बाद भूंईडोल हूआ, तौभी यहोवा उस भूंईडोल में न था। 
1 Kings 19:12 फिर भूंईडोल के बाद आग दिखाई दी, तौभी यहोवा उस आग में न था; फिर आग के बाद एक दबा हुआ धीमा शब्द सुनाईं दिया। 
1 Kings 19:13 यह सुनते ही एलिय्याह ने अपना मुंह चद्दर से ढांपा, और बाहर जा कर गुफा के द्वार पर खड़ा हुआ। फिर एक शब्द उसे सुनाईं दिया, कि हे एलिय्याह तेरा यहां क्या काम? 
1 Kings 19:14 उसने कहा, मुझे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के निमित्त बड़ी जलन हुई, क्योंकि इस्राएलियों ने तेरी वाचा टाल दी, और तेरी वेदियों को गिरा दिया है और तेरे नबियों को तलवार से घात किया है; और मैं ही अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं। 
1 Kings 19:15 यहोवा ने उस से कहा, लौटकर दमिश्क के जंगल को जा, और वहां पहुंचकर अराम का राजा होने के लिये हजाएल का, 
1 Kings 19:16 और इस्राएल का राजा होने को निमशी के पोते येहू का, और अपने स्थान पर नबी होने के लिये आबेलमहोला के शापात के पुत्र एलीशा का अभिषेक करना।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 49-50
  • मत्ती 13:31-58


शनिवार, 10 दिसंबर 2016

शिक्षक


   सारे शरीर की प्रत्येक कोशिका तक रक्त और पोशाण पहुँचाने के लिए हमारा हृदय प्रतिदिन लगभग 100,000 बार धड़कता है। यदि इसका योग लगाया जाए तो यह एक वर्ष में लगभग 3 करोड़ 50 लाख बार और एक सामान्य जीवनकाल में लगभग 2.5 अरब बार धडकना होता है। चिकित्सा विज्ञान हमें बताता है कि हृदय की प्रत्येक धड़कन लगभग उतना ही बल होता है जितना बल एक टेनिस की गेंद को मुट्ठी में पकड़ कर ज़ोर से दबाने में लगता है। हमारा हृदय और उसका कार्य कितना भी आश्चर्यजनक क्यों ना हो, यह प्राकृतिक संसार की विलक्षण बातों का केवल एक नमूना ही है जो हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने रचा और अपने बारे में हमें समझाने के लिए रखा है। परमेश्वर के वचन बाइबल में अय्युब के जीवन की कहानी का, हमें यही सिखाना उद्देश्य है।

   अय्युब परमेश्वर का भय मानने वाला और उसकी आराधना में लगे रहने वाला ऐसा व्यक्ति था जिसकी धार्मिकता की गवाही स्वयं परमेश्वर ने दी। लेकिन उस पर और उसके परिवार पर शैतान के हमलों से विपत्तियों के पहाड़ टूट पड़े, उसका सब कुछ जाता रहा, उसके बेटे-बहुएं मर गए, संपत्ति लुट गई और शरीर घावों से भर गया। लेकिन इतना सब होने पर भी अय्युब परमेश्वर के विरुद्ध नहीं बोला; वह खिन्न अवश्य हुआ, उसने अपना विसमय और इन विपरीत परिस्थितियों के आने  के कारण को समझ ना पाने की बात अवश्य की, परन्तु परमेश्वर की निन्दा या बुराई कदापि नहीं की। अपनी इन घोर मुसीबतों और दुःखों के कारण को जानने के लिए उसने परमेश्वर से प्रश्न भी किया, लेकिन परमेश्वर ने उसे इस बात का कोई उत्तर नहीं दिया; और ना ही सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने उसे यह बताया कि भविष्य में वह यीशु के रूप में समस्त मानव जाति के पापों से बचने का मार्ग बनाने के लिए कैसी-कैसी पीड़ाओं को सहेगा, अपना प्राण भी बलिदान कर देगा। अन्ततः जब परमेश्वर ने अय्युब से बोलना आरंभ किया, तो उसने अय्युब को उसकी पीड़ाओं के लिए कोई स्पष्टिकरण नहीं दिया, वरन अय्युब का ध्यान प्रकृति में विद्यमान उसकी आश्चर्यजनक रचनाओं की ओर खींचा, जो सदा ही मनुष्य के बयान और समझ से बाहर परमेश्वर की बुद्धिमता और सामर्थ की गवाही देती रहती हैं (अय्युब 38:1-11)।

   तो आज हमारे लिए हमारे हृदय की क्या शिक्षा है? हमारा हृदय हमारे लिए वैसा ही शिक्षक है जैसा तट पर आने वाली लहरें, रात में चमकने वाले सितारे हैं। हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर की सामर्थ और बुद्धिमता हमें वाजिब कारण प्रदान करती हैं कि हम उसमें विश्वास करें, उसकी आज्ञाकारिता में बने रहें और चलें, और संसार के सामने उसके इन विलक्षण गुणों के गवाह बनें। - मार्ट डीहॉन


जब हम सृष्टि में विदित परमेश्वर की बुद्धिमता पर मनन करते हैं, 
तो हमारे प्रति उसकी चिंता और देखभाल की सामर्थ को समझने पाते हैं।

इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। - रोमियों 1:19-20

बाइबल पाठ: अय्युब 38:1-11
Job 38:1 तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यूं उत्तर दिया, 
Job 38:2 यह कौन है जो अज्ञानता की बातें कहकर युक्ति को बिगाड़ना चाहता है? 
Job 38:3 पुरुष की नाईं अपनी कमर बान्ध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे। 
Job 38:4 जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे। 
Job 38:5 उसकी नाप किस ने ठहराई, क्या तू जानता है उस पर किस ने सूत खींचा? 
Job 38:6 उसकी नेव कौन सी वस्तु पर रखी गई, वा किस ने उसके कोने का पत्थर बिठाया, 
Job 38:7 जब कि भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे? 
Job 38:8 फिर जब समुद्र ऐसा फूट निकला मानो वह गर्भ से फूट निकला, तब किस ने द्वार मूंदकर उसको रोक दिया; 
Job 38:9 जब कि मैं ने उसको बादल पहिनाया और घोर अन्धकार में लपेट दिया, 
Job 38:10 और उसके लिये सिवाना बान्धा और यह कहकर बेंड़े और किवाड़े लगा दिए, कि 
Job 38:11 यहीं तक आ, और आगे न बढ़, और तेरी उमंडने वाली लहरें यहीं थम जाएं?

एक साल में बाइबल: 
  • होशे 1-4
  • प्रकाशितवाक्य 1


शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

सामर्थ


   परमेश्वर की महान सृष्टि की अद्भुत बातों पर जब मैं विचार करता हूँ, तो मैं विशाल सिकोइया वृक्ष को लेकर आश्चर्यचकित होता हूँ। जंगल के ये विशालकाय वृक्ष 300 फीट तक ऊँचे हो जाते हैं और इनके तनों की मोटाई का व्यास 20 फीट तक हो जाता है। ये 3000 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं और आग लगने से जलते नहीं; वरन जंगल की आग की गरमी से इन वृक्षों के फल फट जाते हैं और बीज नीचे राख द्वारा उपजाऊ बन गई धरती पर गिरकर उगने पाते हैं। संभवतः सबसे अधिक आश्चर्यचकित कर देने वाला तथ्य है कि ये केवल तीन फीट गहरी मिट्टी में भी उग सकते हैं और तेज़ तूफानों के झकझोरों को सहन कर सकते हैं। उनकी इस सामर्थ का राज़ है उनकी जड़ों का आपस में एक दूसरे के साथ घुलमिलकर फंसा हुआ होना, जो उन्हें साथ-साथ खड़े रहने और एक दूसरे के साथ अपनी सामर्थ के स्त्रोत बाँटने देता है।

   हमारे लिए भी परमेश्वर की ऐसी ही योजना है। जीवन के थपेड़ों में हमारा स्थिर खड़े रहना निर्भर करता है उस प्रेम और सहारे पर जो हमें परमेश्वर से तथा एक दूसरे से मिलता है; इसीलिए इब्रानियों का लेखक कहता है कि हम भलाई करना और उदारता दिखाना ना भूलें (इब्रानियों 13:16)। थोड़ा विचार कीजिए कि यदि लोग हमारे साथ अपनी सामर्थ और सहारे की जड़ें बाँट ना रहे होते तो हमारे लिए परेशानियों में स्थिर खड़ा रहना कितना कठिन हो जाता।

   प्रोत्साहन के शब्दों, दूसरों के लिए प्रार्थना, एक -दूसरे के दुःख बाँटना, एक दूसरे को थामे रहना, और कभी-कभी बस एक दूसरे के साथ बैठ कर अपनी प्रेम भरी उपस्थिति उपलब्ध कराने में कितनी सामर्थ है; इसलिए हमें एक साथ इकट्ठा होना नहीं छोड़ना चाहिए। - जो स्टोवैल


आपके जीवन में परमेश्वर के प्रेम की जड़ों को दूसरों के साथ भी, 
जिन्हें आपके सहारे की आवश्यकता है, घुलमिल जाने दें।

और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो। - इब्रानियों 10:25

बाइबल पाठ: इब्रानियों 13:15-25
Hebrews 13:15 इसलिये हम उसके द्वारा स्‍तुति रूपी बलिदान, अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें। 
Hebrews 13:16 पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है। 
Hebrews 13:17 अपने अगुवों की मानो; और उनके आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले ले कर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं। 
Hebrews 13:18 हमारे लिये प्रार्थना करते रहो, क्योंकि हमें भरोसा है, कि हमारा विवेक शुद्ध है; और हम सब बातों में अच्छी चाल चलना चाहते हैं। 
Hebrews 13:19 और इस के करने के लिये मैं तुम्हें और भी समझाता हूं, कि मैं शीघ्र तुम्हारे पास फिर आ सकूं।
Hebrews 13:20 अब शान्‍तिदाता परमेश्वर जो हमारे प्रभु यीशु को जो भेड़ों का महान रखवाला है सनातन वाचा के लोहू के गुण से मरे हुओं में से जिला कर ले आया। 
Hebrews 13:21 तुम्हें हर एक भली बात में सिद्ध करे, जिस से तुम उस की इच्छा पूरी करो, और जो कुछ उसको भाता है, उसे यीशु मसीह के द्वारा हम में उत्पन्न करे, जिस की बड़ाई युगानुयुग होती रहे। आमीन।
Hebrews 13:22 हे भाइयों मैं तुम से बिनती करता हूं, कि इन उपदेश की बातों को सह लो; क्योंकि मैं ने तुम्हें बहुत संक्षेप में लिखा है। 
Hebrews 13:23 तुम यह जान लो कि तीमुथियुस हमारा भाई छूट गया है और यदि वह शीघ्र आ गया, तो मैं उसके साथ तुम से भेंट करूंगा। 
Hebrews 13:24 अपने सब अगुवों और सब पवित्र लोगों को नमस्‍कार कहो। इतालिया वाले तुम्हें नमस्‍कार कहते हैं।
Hebrews 13:25 तुम सब पर अनुग्रह होता रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजेकल 8-10
  • इब्रानियों 13


गुरुवार, 3 नवंबर 2016

निकट


   मिनी और जॉर्ज लेसी के सामने कुछ प्रश्न थे: "क्या यीशु मसीह काफी है? क्या उसके साथ हमारा संबंध हमें संभालने के लिए काफी है? क्या वह हमें जीने की इच्छा और कारण देने के लिए काफी है? क्या उसे हमारी कोई चिंता है?"

   अपनी मिशनरी सेवकाई के दौरान, 1904 में, लेसी दंपत्ति की सबसे छोटी बेटी बीमार पड़ी; और फिर एक के बाद एक, उनके पाँचों बच्चे बीमार होकर मर गए, उनमें से एक भी नए वर्ष को नहीं देखने पाया। अपनी मिशनरी संस्था को लिखे गए पत्रों में जॉर्ज लेसी ने अपने गहरे दुःख तथा अकेलेपन के संबंध में लिखा: "कभी कभी यह हमारे सहने के बाहर लगता है।" लेकिन साथ ही उसने यह भी लिखा, "हमारा प्रभु हमारे साथ है और अद्भुत रीति से हमारी सहायता भी कर रहा है।" अपने इस कठिन और सबसे अन्धकारपूर्ण समय में, उन्होंने पाया कि प्रभु यीशु उनके साथ, उनके निकट है और उनके साथ उसकी यह उपस्थिति उनके लिए काफी है।

   हम में से अनेकों ऐसे पलों का सामना करेंगे, जब हमारे मनों में प्रश्न उठेंगे कि क्या अब और आगे बढ़ पाना हमारे लिए संभव है। यदि हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाए, हमारी नौकरी जाती रहे, हमारे निकट संबंधी जाते रहें इत्यादि, तो क्या प्रभु परमेश्वर के साथ हमारा संबंध फिर भी हमें आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करने के लिए काफी है?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने हमें परमेश्वर की उपस्थिति और विश्वासयोग्यता के बारे में स्मरण करवाया है (भजन 30)। जब भजनकार अत्याधिक निराशा में था, क्योंकि उसका अनुभव था कि परमेश्वर उसे सांत्वना और शांति देता है (पद 2-3) तो उसने पुकारा, "हे यहोवा, सुन, मुझ पर अनुग्रह कर; हे यहोवा, तू मेरा सहायक हो" (पद 10), और परमेश्वर ने उसकी सहायता करी (पद 11)। प्रभु यीशु मसीह के विश्वासियों को दृढ़ होकर डटे रहने के लिए आवश्यक सामर्थ की कभी घटी नहीं होगी; प्रभु परमेश्वर सदा हमारे निकट और साथ रहेगा। - रैंडी किलगोर


सर्वसामर्थी प्रभु प्रभु यीशु में विश्वास हमें हर परिस्थिति में 
दृढ़ होकर डटे रहने के लिए आवश्यक सामर्थ प्रदान करता है।

यहोवा मेरा बल और मेरी ढ़ाल है; उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहायता मिली है; इसलिये मेरा हृदय प्रफुल्लित है; और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूंगा। - भजन 28:7

बाइबल पाठ: भजन 30
Psalms 30:1 हे यहोवा मैं तुझे सराहूंगा, क्योंकि तू ने मुझे खींचकर निकाला है, और मेरे शत्रुओं को मुझ पर आनन्द करने नहीं दिया। 
Psalms 30:2 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी और तू ने मुझे चंगा किया है। 
Psalms 30:3 हे यहोवा, तू ने मेरा प्राण अधोलोक में से निकाला है, तू ने मुझ को जीवित रखा और कब्र में पड़ने से बचाया है।
Psalms 30:4 हे यहोवा के भक्तों, उसका भजन गाओ, और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो। 
Psalms 30:5 क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है, परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है। कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सवेरे आनन्द पहुंचेगा।
Psalms 30:6 मैं ने तो अपने चैन के समय कहा था, कि मैं कभी नहीं टलने का। 
Psalms 30:7 हे यहोवा अपनी प्रसन्नता से तू ने मेरे पहाड़ को दृढ़ और स्थिर किया था; जब तू ने अपना मुख फेर लिया तब मैं घबरा गया।
Psalms 30:8 हे यहोवा मैं ने तुझी को पुकारा; और यहोवा से गिड़गिड़ाकर यह बिनती की, कि 
Psalms 30:9 जब मैं कब्र में चला जाऊंगा तब मेरे लोहू से क्या लाभ होगा? क्या मिट्टी तेरा धन्यवाद कर सकती है? क्या वह तेरी सच्चाई का प्रचार कर सकती है? 
Psalms 30:10 हे यहोवा, सुन, मुझ पर अनुग्रह कर; हे यहोवा, तू मेरा सहायक हो।
Psalms 30:11 तू ने मेरे लिये विलाप को नृत्य में बदल डाला, तू ने मेरा टाट उतरवाकर मेरी कमर में आनन्द का पटुका बान्धा है; 
Psalms 30:12 ताकि मेरी आत्मा तेरा भजन गाती रहे और कभी चुप न हो। हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं सर्वदा तेरा धन्यवाद करता रहूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 30-31
  • फिलेमोन


रविवार, 2 अक्टूबर 2016

तूफान


   एक भयानक तूफान के आने के लक्षण साफ दिख रहे थे - केवल क्षितिज़ पर ही नहीं, वरन मेरे एक मित्र के घर में भी। उस मित्र ने बताया कि जब वह हाँग-काँग में थी तो स्थानीय मौसम विभाग ने चेतावनी ज़ारी करी कि एक तीव्र तूफान आने को है। लेकिन घर की खिड़की के बाहर दस्तक दे रहे उस तूफान से भी बड़ा तूफान घर के अन्दर आने की तैयारियाँ कर रहा था। उस मित्र के पिता बीमार थे, अस्पताल में भरती थे, और उनकी देखभाल में लगे परिवार के लोग अपनी पारिवारिक तथा कार्य संबंधी ज़िम्मेदारियों को निभाने और उन ज़िम्मेदारियों में परस्पर संतुलन बनाए रखने तथा घर एवं अस्पताल के बीच आने-जाने की कशमकश में लगे हुए थे। सब थक रहे थे, सबका धैर्य कमज़ोर पड़ रहा था और घर के अन्दर की परिस्थिति तनावपूर्ण होती जा रही थी।

   जब बदकिस्मती, दुःख और तनाव के थपेड़े हमें इधर से उधर पटकते हैं, तब जीवन एक तूफान के समान प्रतीत हो सकता है। ऐसे में हम किस ओर मुड़ें? परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि जब प्रभु यीशु के चेले नाव द्वारा झील पार करते समय एक तूफान में फंस गए, और नाव भयानक रीति से हिचकोले लेने लगी, और उन्हें लगा कि वे अब डूबने पर हैं, तब उनके मन में उनके साथ यात्रा कर रहे प्रभु यीशु को लेकर विचार आया कि क्या प्रभु को उनकी कोई चिन्ता नहीं है? अर्थात, उस विकट परिस्थिति में भी चेले जानते थे कि उन्हें किसकी ओर मुड़ना है; उनकी सहायता कौन कर सकता है। और प्रभु यीशु ने उस तूफान को शांत करके अपनी सामर्थ उन पर प्रकट करी (मरकुस 4:38-39)।

   लेकिन कई बार प्रभु तुरंत ही तूफान को शांत नहीं करता है, जिससे उस समय उन चेलों के समान, आज हम भी यही सोचने लगते हैं कि क्या प्रभु को हमारी चिंता है भी? अपने भय को शांत करने के लिए हमें अपने उस विश्वास को थामे रहना है कि परमेश्वर कौन है और क्या कुछ कर सकता है। हम उसमें शरण ले सकते हैं: "जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा" (भजन 91:1)। हम उसकी सहायता से, उसके अनुग्रह के द्वारा दूसरों को सांत्वना और शांति दे सकते हैं। हम सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञानी, प्रेम करने वाले सबसे बुद्धिमान पिता परमेश्वर की शरण में आकर शांत होकर बैठ सकते हैं; क्योंकि वह जीवन के हर तूफान में हमारे साथ बना रहता है, और उस तूफान में से हमें सुरक्षित निकाल भी लाता है। - पोह फैंग चिया


किसी को ज़ोर से चिल्लाकर उसे पुकारने की आवश्यकता नहीं है; 
प्रभु हमारे सोचने से भी अधिक निकट है। - भाई लॉरेंस

चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन 46:10

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 14-16
  • इफिसियों 5:1-16


शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

सच्ची निष्ठा


   हवाई यात्रा करवाने वाली कंपनियों ने 1980 दशक के आरंभिक वर्षों में एक योजना प्रारंभ करी; जो यात्री बारंबार उसी कंपनी के साथ यात्रा करते, यात्रा की दूरी के अनुपात में उनके नाम पर कुछ आर्थिक लाभ जमा हो जाते। जितना अधिक यात्री एक ही कंपनी से निष्ठा निभाते, उसी के साथ यात्रा करते, उतना ही अधिक उन्हें उनकी निष्ठा का प्रतिफल भी मिलता, जिसे फिर वे अपनी अगली यात्रा के लिए, कुछ सामान खरीदने के लिए या किसी सेवा को प्राप्त करने के लिए प्रयोग कर सकते थे। ऐसा होने के साथ अनेक लोग अपनी यात्रा की योजना ना केवल यात्रा के भाड़े के अनुसार वरन यात्रा से अर्जित हो सकने वाले उस लाभ के अनुसार भी करने लग गए। एक अनुमान के अनुसार, संसार भर में इस योजना के अन्तर्गत तब से लेकर अब तक 14 खरब से भी अधिक यात्रा-मील और उसके अनुपात में लाभ अर्जित तथा इस्तेमाल किए जा चुके हैं।

   प्रथम ईसवीं में प्रेरित पौलुस ने अपनी मसीही सेवकाई में बरंबार और अनेक स्थानों पर जल और थल से होकर यात्राएं करीं, लेकिन उसकी यात्रा का उद्देश्य अपने लिए लाभ अर्जित करना नहीं था; वरन उसका उद्देश्य था कि अधिक से अधिक लोगों तक प्रभु यीशु मसीह में संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा, उद्धार और अनन्त जीवन के सुसमाचार को पहुँचाए। जब कुरिन्थुस के कुछ मसीही विश्वासियों ने मसीही मंडली में उसके अधिकार पर प्रश्न उठाए तो पौलुस ने उत्तर में उन्हें समझाने के लिए पत्र लिखे और अपने दुसरे पत्र में वह इस बात का भी उल्लेख करता है कि मसीह यीशु के सुसमाचार की सेवकाई पूरी करने के लिए उसने कितनी बड़ी कीमत चुकाई है, उसने अपनी यात्राओं में कितने दुःख उठाए हैं: "तीन बार मैं ने बेंतें खाई; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा" (2 कुरिन्थियों 11:25)। परमेश्वर ने पौलुस को यह अनुग्रह और सामर्थ दी कि वह बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की इच्छा रखे सतत परिश्रम के साथ लोगों को प्रभु यीशु के बारे में बताता रहे।

   आज मसीह यीशु की सेवकाई के लिए हमें चाहे प्रशंसा मिले या सताव, पौलुस के समान हमारा ध्येय भी प्रभु यीशु के प्रेम और बलिदान के प्रति कृतज्ञ रहकर, सच्ची निष्ठा के साथ अपनी सेवकाई को पूरा करते रहना होना चाहिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु के प्रति हमारी निष्ठा का आधार हमारे प्रति उसका प्रेम है।

यहोवा यों कहता है, बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे; परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता हे, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ। - यिर्मयाह 9:23-24

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 11:22-31
2 Corinthians 11:22 क्या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही इस्त्राएली हैं? मैं भी हूँ: क्या वे ही इब्राहीम के वंश के हैं ?मैं भी हूं: क्या वे ही मसीह के सेवक हैं? 
2 Corinthians 11:23 (मैं पागल की नाईं कहता हूं) मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में। 
2 Corinthians 11:24 पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्‍तालीस उन्‍तालीस कोड़े खाए। 
2 Corinthians 11:25 तीन बार मैं ने बेंतें खाई; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा। 
2 Corinthians 11:26 मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जाति वालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जाखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जाखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में; 
2 Corinthians 11:27 परिश्रम और कष्‍ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-पियास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में। 
2 Corinthians 11:28 और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रति दिन मुझे दबाती है। 
2 Corinthians 11:29 किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता? 
2 Corinthians 11:30 यदि घमण्ड करना अवश्य है, तो मैं अपनी निर्बलता की बातों पर करूंगा। 
2 Corinthians 11:31 प्रभु यीशु का परमेश्वर और पिता जो सदा धन्य है, जानता है, कि मैं झूठ नहीं बोलता।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 13-15
  • प्रेरितों 19:21-41


गुरुवार, 14 जुलाई 2016

सामर्थी


   अपने समय में मैं अमेरिका के अनेकों पर्वत पर चढ़ चुका हूँ, और मेरा विश्वास कीजिए, पर्वत-शिखरों पर कुछ नहीं उगता। वे शिखर केवल चट्टान ही होते हैं जिनपर या तो बर्फ या काई आदि होते हैं; अन्न तो वहाँ होता ही नहीं है, इसलिए अन्न की बहुतायत का तो प्रश्न ही नहीं उठता।

   लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 72 के लेखक दाऊद ने अपने पुत्र सुलेमान के राज्य में परमेश्वर की सामर्थ के बारे में कहा,  "देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्न होगा..." (भजन 72:16)। जबकि पर्वत-शिखर पर अन्न होना इतना अन्होना है, तो फिर दाऊद परमेश्वर की सामर्थ से संबंधित क्या कह रहा था? सुलेमान का तात्पर्य था कि परमेश्वर की सामर्थ अति निराशाजनक परिस्थिति में भी अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न कर सकती है।

   संभव है कि आप आज अपने आप को बहुत गौण समझते हों, परमेश्वर के राज्य के लिए कुछ भी फल ला पाने के लिए अयोग्य समझते हों; हिम्मत रखिए, परमेश्वर आप में होकर भी अपने राज्य के लिए भरपूरी की फसल उत्पन्न कर सकता है - यदि आप उसे ऐसा करने दें तो। मसीही विश्वास का यह एक बड़ा विरोधाभास है - परमेश्वर तुच्छ और अयोग्य समझे जाने वाले लोगों के माध्यम से ही अति महान कार्य करता है; उसके राज्य में उपयोगी तथा कारगर होने के लिए वे ही सबसे उपयुक्त और सबसे योग्य हैं जो सांसारिक परिभाषा से तुच्छ और अयोग्य हैं (1 कुरिन्थियों 1:27-29)।

    हम अपनी नज़रों में बहुत बड़े या अभिमानी होने के कारण परमेश्वर के लिए अनुपयोगी तो हो सकते हैं, किंतु बहुत छोटे होने के कारण परमेश्वर के लिए कभी अनुपयोगी नहीं हो सकते। जैसा प्रेरित पौलुस ने अपने अनुभव में होकर लिखा है, हम निर्बलता में ही बलवंत होते हैं: "इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं" (2 कुरिन्थियों 12:10); और परमेश्वर के द्वारा हमें उपलब्ध करवाई गई सामर्थ से हम वह सब कुछ कर सकते जिसके लिए उसने हमें बुलाया और ठहराया है "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों 4:13)। - डेविड रोपर


परमेश्वर की सामर्थ अनुभव करने के लिए हमें अपनी सभी योग्यता तथा सामर्थ से खाली होना पड़ेगा।

परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्‍ड न करने पाए। - 1 कुरिन्थियों 1:27-29

बाइबल पाठ: भजन 72:12-20
Psalms 72:12 क्योंकि वह दोहाई देने वाले दरिद्र को, और दु:खी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा। 
Psalms 72:13 वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा। 
Psalms 72:14 वह उनके प्राणों को अन्धेर और उपद्रव से छुड़ा लेगा; और उनका लोहू उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा।
Psalms 72:15 वह तो जीवित रहेगा और शेबा के सोने में से उसको दिया जाएगा। लोग उसके लिये नित्य प्रार्थना करेंगे; और दिन भर उसको धन्य कहते रहेंगे। 
Psalms 72:16 देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्न होगा; जिसकी बालें लबानोन के देवदारों की नाईं झूमेंगी; और नगर के लोग घास की नाईं लहलहाएंगे। 
Psalms 72:17 उसका नाम सदा सर्वदा बना रहेगा; जब तक सूर्य बना रहेगा, तब तक उसका नाम नित्य नया होता रहेगा, और लोग अपने को उसके कारण धन्य गिनेंगे, सारी जातियां उसको भाग्यवान कहेंगी।
Psalms 72:18 धन्य है, यहोवा परमेश्वर जो इस्राएल का परमेश्वर है; आश्चर्य कर्म केवल वही करता है। 
Psalms 72:19 उसका महिमायुक्त नाम सर्वदा धन्य रहेगा; और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण होगी। आमीन फिर आमीन।
Psalms 72:20 यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थना समाप्त हुई।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 10-12;
  • प्रेरितों 19:1-20



शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

उद्धारकर्ता


   कैली स्टीन्हॉस ने हार्वर्ड स्क्वैयर जाकर छात्रों से जानना चाहा कि वे प्रभु यीशु मसीह के बारे में क्या सोचते हैं; और जो उत्तर उसे मिले वे प्रभु के प्रति आदरणीय तो थे परन्तु बहुत ही कम लोगों ने उसके जगत का उद्धारकर्ता होने को स्वीकार किया। एक ने उत्तर दिया कि प्रभु लोगों की देखभाल करने वाला व्यक्ति था, तो एक अन्य ने कहा वह एक अच्छा व्यक्ति था। कुछ ने उसके उद्धारकर्ता होने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि वह बस एक मनुष्य था, कोई उद्धारकर्ता नहीं तो एक अन्य ने कहा कि वह ऐसे किसी विश्वास को नहीं मान सकता जो परमेश्वर तक पहुँचने के एकमात्र मार्ग का दावा करता है। कुछ लोग ध्यानपूर्वक प्रभु यीशु पर विचार करना चाहते हैं तो कुछ उसको पूर्णतया अस्वीकार करते हैं।

   लगभग 2000 वर्ष पूर्व जब प्रभु यीशु मौत का सामना कर रहे थे, तो बहुत से लोग उसका उपहास कर रहे थे और इस दावे का तिरिस्कार कर रहे थे कि प्रभु यीशु कोई विशेष व्यक्ति है। मृत्यु में भी उसके उपहास के लिए उसके क्रूस के ऊपर एक तखती पर लिख कर लगा दिया गया: "उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि ’यह यहूदियों का राजा यीशु है’" (मत्ती 27:37)। जो उसकी सामर्थ पर विश्वास नहीं करते थे उन्होंने उसका मज़ाक उड़ाते हुए उससे कहा "...हे मन्दिर के ढाने वाले और तीन दिन में बनाने वाले, अपने आप को तो बचा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ" (मत्ती 27:40)। धर्म के अगुवों ने तो ठट्ठे में यहाँ तक कह दिया: "यह तो “इस्राएल का राजा है”। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें" (मत्ती 27:42)।

   क्रूस पर अपने बलिदान के समय में प्रभु यीशु लोगों को निर्बल और असहाय लग रहे थे, किंतु जब हम उनकी संपूर्ण गाथा को पढ़ते हैं तो हम पाते हैं कि उन्हें ज़बर्दस्ती क्रूस पर नहीं चढ़ाया गया था वरन उन्होंने अपने स्वेच्छा से क्रूश पर चढ़ना स्वीकार किया और अपने प्राण बलिदान किए थे। अपने पुनरुत्थान और कब्र में से बाहर आ जाने के द्वारा उन्होंने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र और असीम सामर्थी प्रमाणित कर दिया। प्रभु यीशु का मृतकों में से पुनरुत्थान एक ऐसा ऐतिहासिक सत्य है जो आज तक झुठलाया नहीं जा सका है, और जो मसीही विश्वास की अडिग, अटल, सदा स्थिर नींव है।

   प्रभु यीशु के जीवन, शिक्षाओं, कार्यों, आश्चर्यकर्मों, मृत्यु और पुनरुत्थान पर गंभीरता से विचार तथा विशलेषण कीजिए। उस सामर्थ पर ध्यान कीजिए जिसके द्वारा प्रभु पुनः जीवित होकर कब्र से बाहर निकल आए और अनेक अकाट्य प्रमाणों द्वारा अपने पुनरुत्थान को संसार के सामने प्रत्यक्ष दिखाया। प्रभु यीशु का बलिदान और पुनरुत्थान इस बात का प्रमाण है कि वही जगत के एकमात्र उद्धारकर्ता हैं। - डेव ब्रैनन


प्रभु यीशु का पुनरुत्थान मृत्यु का अन्त है।

इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है। - प्रेरितों 17:30-31

बाइबल पाठ: मत्ती 27:26-44
Matthew 27:26 इस पर उसने बरअब्‍बा को उन के लिये छोड़ दिया, और यीशु को कोड़े लगवाकर सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए।
Matthew 27:27 तब हाकिम के सिपाहियों ने यीशु को किले में ले जा कर सारी पलटन उसके चहुं ओर इकट्ठी की। 
Matthew 27:28 और उसके कपड़े उतारकर उसे किरिमजी बागा पहिनाया। 
Matthew 27:29 और काटों को मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा; और उसके दाहिने हाथ में सरकण्‍डा दिया और उसके आगे घुटने टेककर उसे ठट्ठे में उड़ाने लगे, कि हे यहूदियों के राजा नमस्‍कार। 
Matthew 27:30 और उस पर थूका; और वही सरकण्‍डा ले कर उसके सिर पर मारने लगे। 
Matthew 27:31 जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो वह बागा उस पर से उतारकर फिर उसी के कपड़े उसे पहिनाए, और क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले।
Matthew 27:32 बाहर जाते हुए उन्हें शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य मिला, उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा कि उसका क्रूस उठा ले चले। 
Matthew 27:33 और उस स्थान पर जो गुलगुता नाम की जगह अर्थात खोपड़ी का स्थान कहलाता है पहुंचकर। 
Matthew 27:34 उन्होंने पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया, परन्तु उसने चखकर पीना न चाहा। 
Matthew 27:35 तब उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया; और चिट्ठियां डालकर उसके कपड़े बांट लिए। 
Matthew 27:36 और वहां बैठकर उसका पहरा देने लगे। 
Matthew 27:37 और उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि “यह यहूदियों का राजा यीशु है”। 
Matthew 27:38 तब उसके साथ दो डाकू एक दाहिने और एक बाएं क्रूसों पर चढ़ाए गए। 
Matthew 27:39 और आने जाने वाले सिर हिला हिलाकर उस की निन्‍दा करते थे। 
Matthew 27:40 और यह कहते थे, कि हे मन्दिर के ढाने वाले और तीन दिन में बनाने वाले, अपने आप को तो बचा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ। 
Matthew 27:41 इसी रीति से महायाजक भी शास्‍त्रियों और पुरनियों समेत ठट्ठा कर कर के कहते थे, इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता। 
Matthew 27:42 यह तो “इस्राएल का राजा है”। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें। 
Matthew 27:43 उसने परमेश्वर का भरोसा रखा है, यदि वह इस को चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले, क्योंकि इस ने कहा था, कि “मैं परमेश्वर का पुत्र हूं”। 
Matthew 27:44 इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे उस की निन्‍दा करते थे।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 20-21
  • प्रेरितों 10:24-48


रविवार, 12 जून 2016

शान्त


   सन 1939 में जब दूसरे विश्वयुद्ध का आरंभ हुआ, तब ग्रेट ब्रिटेन में एक सन्देश दिखाई देना भी आरंभ हुआ: "शान्त रहें, कार्य ज़ारी रखें"। ब्रिटेन के सरकारी अधिकारियों ने इसे पोस्टरों पर छपवा कर स्थान-स्थान पर लगवा दिया जिससे लोग युद्ध के कारण निराश ना हों, घबराएं नहीं और अपने कार्यों में लगे रहें।

   अपनी बन्धुवाई के समय के बाद जब इस्त्राएली लौट कर अपने देश में आए तो उन्हें उसका पुनः निर्माण करना था। उन्होंने इस कार्य का आरंभ मन्दिर के पुनःनिर्माण से किया, लेकिन इसके लिए उन्हें भी अपने भय और शत्रु के हस्तक्षेप का सामना करके उन पर विजयी होना था (एज़्रा 3:3)। जब वे पुनःनिर्माण के लिए नींव डाल चुके तो उनके शत्रु "फारस के राजा कुस्रू के जीवन भर वरन फारस के राजा दारा के राज्य के समय तक उनके मनोरथ को निष्फल करने के लिये वकीलों को रुपया देते रहे" (एज़्रा 4:5)। उन शत्रुओं ने उनके विरुद्ध दोषारोपण करते हुए सरकारी अधिकारियों को शिकायत के पत्र लिखे, उनके कार्य में बाधा डाली, और निर्माण के कार्य को रुकवा दिया (एज़्रा 4:6, 24)। इन सब प्रतिरोधों के बावजूद, अन्ततः राजा दारा ने आज्ञा-पत्र ज़ारी करके मन्दिर के पुनःनिर्माण के कार्य को पूरा करवाया (एज़्रा 6:12-14)।

   जब हम परमेश्वर के कार्यों में लगे होते हैं और हमें असफलताओं तथा निराशाओं का सामना करना पड़ता है, तब भी हम शान्त होकर अपने कार्य में लगे रह सकते हैं, क्योंकि उन इस्त्राएलियों के समान हम भी आज यह कह सकते हैं कि, "...हम तो आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर के दास हैं..." (एज़्रा 5:11)। हमारे मार्ग में बाधाएं और विलंब तो आएंगे लेकिन हम अपने प्रभु यीशु की प्रतिज्ञा "...मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे" (मत्ती 16:18) में आश्वस्त रह सकते हैं। हम मसीही विश्वासियों में होकर कार्य करवाने वाली सामर्थ परमेश्वर की सामर्थ है ना कि हमारी अपनी, और इस सामर्थ को कोई हरा नहीं सकता; इसलिए "शान्त रहें, कार्य ज़ारी रखें"। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर की आत्मा हमारी गवाही को सामर्थ प्रदान करता है।

चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन 46:10

बाइबल पाठ: एज़्रा 5:7-17
Ezra 5:7 उन्होंने उसको एक चिट्ठी लिखी, जिस में यह लिखा था: कि राजा दारा का कुशल क्षेम सब प्रकार से हो।
Ezra 5:8 राजा को विदित हो, कि हम लोग यहूदा नाम प्रान्त में महान परमेश्वर के भवन के पास गए थे, वह बड़े बड़े पत्थरों से बन रहा है, और उसकी भीतों में कडिय़ां जुड़ रही हैं; और यह काम उन लोगों से फुतीं के साथ हो रहा है, और सफल भी होता जाता है। 
Ezra 5:9 इसलिये हम ने उन पुरनियों से यों पूछा, कि यह भवन बनवाने, और यह शहरपनाह खड़ी करने की आाज्ञा किस ने तुम्हें दी? 
Ezra 5:10 और हम ने उनके नाम भी पूछे, कि हम उनके मुख्य पुरुषों के नाम लिख कर तुझ को जता सकें। 
Ezra 5:11 और उन्होंने हमें यों उत्तर दिया, कि हम तो आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर के दास हैं, और जिस भवन को बहुत वर्ष हुए इस्राएलियों के एक बड़े राजा ने बना कर तैयार किया था, उसी को हम बना रहे हैं। 
Ezra 5:12 जब हमारे पुरखाओं ने स्वर्ग के परमेश्वर को रिस दिलाई थी, तब उसने उन्हें बाबेल के कसदी राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दिया था, और उसने इस भवन को नाश किया और लोगों को बन्धुआ कर के बाबेल को ले गया। 
Ezra 5:13 परन्तु बाबेल के राजा कुस्रू के पहिले वर्ष में उसी कुस्रू राजा ने परमेश्वर के इस भवन के बनाने की आज्ञा दी 
Ezra 5:14 और परमेश्वर के भवन के जो सोने और चान्दी के पात्र नबूकदनेस्सर यरूशलेम के मन्दिर में से निकलवा कर बाबेल के मन्दिर में ले गया था, उन को राजा कुस्रू ने बाबेल के मन्दिर में से निकलवा कर शेशबस्सर नामक एक पुरुष को जिसे उसने अधिपति ठहरा दिया था, सौंप दिया। 
Ezra 5:15 और उसने उस से कहा, ये पात्र ले जा कर यरूशलेम के मन्दिर में रख, और परमेश्वर का वह भवन अपने स्थान पर बनाया जाए। 
Ezra 5:16 तब उसी शेशबस्सर ने आकर परमेश्वर के भवन की जो यरूशलेम में है नेव डाली; और तब से अब तक यह बन रहा है, परन्तु अब तक नहीं बन पाया। 
Ezra 5:17 अब यदि राजा को अच्छा लगे तो बाबेल के राजभणडार में इस बात की खोज की जाए, कि राजा कुस्रू ने सचमुच परमेश्वर के भवन के जो यरूशलेम में है बनवाने की आज्ञा दी थी, था नहीं। तब राजा इस विषय में अपनी इच्छा हम को बताए।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 3-5
  • यूहन्ना 20


सोमवार, 30 मई 2016

आवश्यक


   जौर्डीन कैस्टर जन्म से ही दृष्टिहीन है, लेकिन यह उसके लिए एक भरपूर और उपयोगी जीवन जीने में बाधा नहीं बन सका। उन पर बनाया गया वृत चित्र Can You See How I see? उनकी जीवन-कहानी बताता है। उन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान अपने स्कूल में अति श्रेष्ठ स्तर बना कर रखा, थोड़ी सी सहायता के साथ उन्हें साईकिल चलाना और बर्फ की ढालों पर स्की करके नीचे आना बहुत अच्छा लगता है। अब वे विश्वविद्यालय में कंप्यूटर तकनीकी की पढ़ाई कर रही हैं और उनका ध्येय है कि वे ऐसी कंप्यूटर प्रणालियाँ विकसित करें जो दृष्टिहीनों की सहायता में काम आ सकें।

   अपनी दृष्टिहीन्ता के विषय में जौर्डीन का कहना है: "यदि मेरे लिए संभव होता कि मैं अपनी दृष्टिहीनता वापस लौटा सकूँ, तो भी मैं ऐसा नहीं करती। मेरा मानना है कि परमेश्वर ने हम सब को जैसे हम हैं एक उद्देश्य और योजना के अन्तर्गत बनाया है...और मेरी दृष्टिहीनता मेरे भविष्य तथा मेरे जीवन की उपलब्धियों का भाग है।" जौर्डीन जीवन के प्रति इतना सकारात्मक रवैया कैसे बनाए रख सकती हैं? वे एक मसीही विश्वासी भी हैं, और प्रभु यीशु की अनुयायी होने के नाते वे यह भली-भांति जानती और समझती हैं कि उनके जीवन तथा जीवन की सभी परिस्थितियों का समपूर्ण नियंत्रण तथा संचालन प्रभु परमेश्वर के हाथों में है, जो सदा उनके भले के लिए ही कार्य करता है, हर बात और हर परिस्थिति में उनके लिए भलाई ही उत्पन्न करता है। उनका यह विश्वास उन्हें वह अवसर प्रदान करता है जो अन्य लोगों को संभव नहीं लगते। जौर्डीन का जीवन परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को लिखी गई बात: "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों 4:13) को चरितार्थ करता है।

   हमारी कमज़ोरियाँ और ताकत चाहे जो भी हों, परमेश्वर का सामर्थी हाथ हमें वह सब कुछ प्रदान कर सकता है जो हमें परमेश्वर के लिए उपयोगी होने और संसार में उसकी महिमा के लिए कार्य करने के लिए आवश्यक है। आपकी परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, विश्वास के साथ परमेश्वर के हाथ को थामें रहें और वह आप के लिए जो आवश्यक है आपको देता रहेगा, आपकी भरपूरी और उपयोगिता को बनाए रखेगा। - डेनिस फिशर


परमेश्वर जब किसी कार्य के लिए बुलाता है तो उसके लिए आवश्यक सामर्थ भी प्रदान करता है।

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह 41:10

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:4-13
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो। 
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है। 
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। 
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो। 
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। 
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। 
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 10-12
  • यूहन्ना 11:30-57


शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

प्रगट


   प्रसिद्ध चित्रकार रेमब्रांट ने 27 वर्ष की आयु में परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 4 में दी गई घटना पर आधारित एक चित्र बनाया, Christ in the Storm on the Sea of Galilee. प्रकाश और छाया के तुलनात्मक उपयोग की उनकी विशिष्ट शैली में बना रेमब्रांट का यह चित्र एक छोटी नाव को प्रचण्ड तूफान में घिरा हुआ दिखाता है। चेले नाव को संभालने में संघर्षरत हैं किंतु प्रभु यीशु शान्त और निश्चिंत सोया हुआ है। लेकिन इस चित्र की सबसे विलक्षण बात है नाव में 13 चेलों का होना; और कला विशेषज्ञों का मानना है कि उस 13वें चेले की शकल स्वयं रेमब्रांट की शक्ल के समान है।

   मरकुस रचित सुसमाचार की यह घटना प्रभु यीशु मसीह के चेलों के लिए प्रभु यीशु मसीह के व्यक्तित्व और सामर्थ का एक जीवन्त पाठ है। जबकि चेले नाव को डूबने से बचाने का कठिन संघर्ष कर रहे हैं, प्रभु यीशु उसी नाव में सो रहा है। क्या प्रभु को चिन्ता नहीं है के वे सब नष्ट होने पर हैं? (पद 38)। प्रभु यीशु ने तूफान को शान्त करके (पद 39), चेलों से तीखा प्रश्न पूछा, "और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?" (पद 40)। इस पर वे चेले और भी भयभीत होकर आपस में कहने लगे, "...यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?" (पद 41)।

   इस घटना में रेमब्रांट के समान ही आज हम भी अपने आप रख कर उन चेलों के समान ही सीख सकते हैं कि प्रभु यीशु कौन है। उन चेलों के समान ही हम भी यह जान सकते हैं कि जो कोई अपना विश्वास उसमें लाता है, प्रभु यीशु उस पर अपनी उपस्थिति, अनुकंपा और प्रेम प्रगट करते हैं और यह भी प्रगट करते हैं कि जीवन के हर तूफान में सहायता और सुरक्षा के लिए वे अपने प्रत्येक विश्वासी के साथ सदा बने रहते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


जीवन के तूफानों में हमारा सबसे सुरक्षित और विश्वासयोग्य शरणस्थान प्रभु यीशु मसीह ही है।

परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें। - भजन 46:1-3

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 6-7
  • लूका 20:27-47


मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

व्यवस्थित


   जिस भी बात पर मैं ध्यान करती हूँ, वही मेरी इस धारणा की पुष्टि करती है कि व्यवस्थित होना स्वाभाविक नहीं है। उदाहरण के लिए चाहे मेरे कार्यस्थल को ही ले लीजिए, मैं चकित हूँ कि कितनी शीघ्रता से, बिना किसी प्रयास के भी, मेरा दफतर अव्यवस्थित हो जाता है; लेकिन उसे पुनः व्यवस्थित करने के लिए प्रयास और समय लगता है। व्यवस्था लाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ता है; व्यवस्था स्वतः नहीं आ जाती।

   लेकिन इस बात को लेकर मुझे चकित नहीं होना चाहिए; आखिरकर परमेश्वर का वचन बाइबल भी तो बारंबार यही बात दिखाती है; और यह भी कि अव्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए परमेश्वर को प्रयास और हस्तक्षेप करना ही पड़ता है। इसका एक प्रमुख उदाहरण हमें परमेश्वर द्वारा इस्त्राएल को मिस्त्र की ग़ुलाम प्रजा से एक स्वाधीन राष्ट्र के रूप में स्थापित किए जाने के समय की घटनाओं में देखते हैं (निर्गमन 7-14 अध्याय)। जब परमेश्वर ने मिस्त्र के राजा फिरौन के पास इस्त्राएल को मुक्त कर देने का सन्देश मूसा और हारून के द्वारा भेजा तो फिरौन ने इसका विरोध किया। मिस्त्र की अर्थव्यवस्था और समृद्धि इस्त्राएली गुलामों द्वारा किए जा रहे कठिन श्रम पर निर्भर थी, इसलिए फिरौन उन्हें जाने नहीं देना चाहता था। फिरौन की मनशा बदलने के लिए परमेश्वर ने दस विपत्तियाँ मिस्त्र पर भेजीं। फिरौन के जादूगर पहली दो विपत्तियों की नकल तो करने पाए किंतु शेष आठ की नकल कर पाने में वे असमर्थ रहे; लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि उन दस विपत्तियों में से किसी एक को भी वे जादूगर पलट नहीं सके। वे दो बार अव्यवस्था तो लाने पाए किंतु पुनः व्यवस्था बहाल करना उनके बस की बात नहीं थी; हर बार केवल परमेश्वर ने ही उन विपत्तियों को पलटा और व्यवस्था को बहाल किया। केवल परमेश्वर ही अव्यवस्था को व्यवस्थित कर सकता है।

   एक बात और है, प्रयास करके हम अपने निवास या कार्य स्थान को व्यवस्थित तो कर सकते हैं, उसे कुछ समय तक व्यवस्थित बनाए भी रख सकते हैं; लेकिन अपने आत्मिक और भावनात्मक जीवन की अव्यवस्था को हम कभी स्वयं व्यवस्थित नहीं कर सकते या रख सकते। यह कार्य भी केवल परमेश्वर ही कर सकता है। जब हम परमेश्वर की इच्छानुसार भले कार्यों में लगे रहते हैं, आज्ञाकारिता का जीवन व्यतीत करते हैं, किसी से बुरा नहीं बोलते, नम्र और शांतिप्रीय होकर रहते हैं, सबके साथ कोमलता दिखाते हैं (तीतुस 3:1-2) इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि परमेश्वर ने हमारे जीवनों की अव्यवस्था को व्यवस्थित कर दिया है। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


जब हम अपनी समस्याएं परमेश्वर के हाथों में डाल देते हैं तो वह भी अपनी शांति हमारे हृदयों में डाल देता है।

लोगों को सुधि दिला, कि हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्‍छे काम के लिये तैयार रहें। किसी को बदनाम न करें; झगडालू न हों: पर कोमल स्‍वभाव के हों, और सब मनुष्यों के साथ बड़ी नम्रता के साथ रहें। - तीतुस 3:1-2

बाइबल पाठ: निर्गमन 8:1-15
Exodus 8:1 और तब यहोवा ने फिर मूसा से कहा, फिरौन के पास जा कर कह, यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है, कि मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे जिस से वे मेरी उपासना करें। 
Exodus 8:2 और यदि उन्हें जाने न देगा तो सुन, मैं मेंढ़क भेज कर तेरे सारे देश को हानि पहुंचाने वाला हूं। 
Exodus 8:3 और नील नदी मेंढ़कों से भर जाएगी, और वे तेरे भवन में, और तेरे बिछौने पर, और तेरे कर्मचारियों के घरों में, और तेरी प्रजा पर, वरन तेरे तन्दूरों और कठौतियों में भी चढ़ जाएंगे। 
Exodus 8:4 और तुझ पर, और तेरी प्रजा, और तेरे कर्मचारियों, सभों पर मेंढ़क चढ़ जाएंगे। 
Exodus 8:5 फिर यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी, कि हारून से कह दे, कि नदियों, नहरों, और झीलों के ऊपर लाठी के साथ अपना हाथ बढ़ाकर मेंढकों को मिस्र देश पर चढ़ा ले आए। 
Exodus 8:6 तब हारून ने मिस्र के जलाशयों के ऊपर अपना हाथ बढ़ाया; और मेंढ़कों ने मिस्र देश पर चढ़कर उसे छा लिया। 
Exodus 8:7 और जादूगर भी अपने तंत्र-मंत्रों से उसी प्रकार मिस्र देश पर मेंढक चढ़ा ले आए। 
Exodus 8:8 तब फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, यहोवा से बिनती करो कि वह मेंढ़कों को मुझ से और मेरी प्रजा से दूर करे; और मैं इस्राएली लोगों को जाने दूंगा जिस से वे यहोवा के लिये बलिदान करें। 
Exodus 8:9 तब मूसा ने फिरौन से कहा, इतनी बात पर तो मुझ पर तेरा घमंड रहे, अब मैं तेरे, और तेरे कर्मचारियों, और प्रजा के निमित्त कब बिनती करूं, कि यहोवा तेरे पास से और तेरे घरों में से मेंढकों को दूर करे, और वे केवल नील नदी में पाए जाएं? 
Exodus 8:10 उसने कहा, कल। उसने कहा, तेरे वचन के अनुसार होगा, जिस से तुझे यह ज्ञात हो जाए कि हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कोई दूसरा नहीं है। 
Exodus 8:11 और मेंढक तेरे पास से, और तेरे घरों में से, और तेरे कर्मचारियों और प्रजा के पास से दूर हो कर केवल नील नदी में रहेंगे। 
Exodus 8:12 तब मूसा और हारून फिरौन के पास से निकल गए; और मूसा ने उन मेंढकों के विषय यहोवा की दोहाई दी जो उसने फिरौन पर भेजे थे। 
Exodus 8:13 और यहोवा ने मूसा के कहने के अनुसार किया; और मेंढक घरों, आंगनों, और खेतों में मर गए। 
Exodus 8:14 और लोगों ने इकट्ठे कर के उनके ढेर लगा दिए, और सारा देश दुर्गन्ध से भर गया। 
Exodus 8:15 परन्तु जब फिरोन ने देखा कि अब आराम मिला है तक यहोवा के कहने के अनुसार उसने फिर अपने मन को कठोर किया, और उनकी न सुनी।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 6-8
  • लूका 15:1-10


सोमवार, 11 अप्रैल 2016

सामर्थ


   मेरी तीन वर्षीय पोती, केटी, ने एक दिन अपने माता-पिता को परमेश्वर से सम्बंधित अपनी समझ से चकित कर दिया। केटी ने उन से कहा, "आप दोनों की ही बहने थीं जिन का देहान्त हो गया। लेकिन परमेश्वर ने उन्हें अपने साथ स्वर्ग में रहने के लिए बुला लिया; परमेश्वर कितना सामर्थी है!"

   परमेश्वर की असीम सामर्थ रहस्यमय है, लेकिन फिर भी ऐसी सरल है कि एक छोटा बच्चा भी उसे समझ सकता है। उस छोटी बच्ची केटी की विचार क्षमता भी उसे बता रही थी कि ऐसा अद्भुत आश्चर्यकर्म कर पाने का अर्थ है कि परमेश्वर अति सामर्थी है। बिना इस बात की बारीकियां जाने या समझे, केटी इतना समझती थी कि उसकी फूफी और मौसी को अपने पास स्वर्ग ले लेने के द्वारा परमेश्वर ने अपनी अद्भुत सामर्थ का परिचय दिया है।

   आज के अपने इस आधुनिक और जटिल संसार में हम कितनी बार थोड़ा रुक कर परमेश्वर के सामर्थी होने और हमारे आस-पास के उसकी सामर्थ के प्रमाणों पर विचार करते हैं? शायद जितना करना चाहिए उतना तो नहीं करते। हम यह नहीं समझ पाते कि परमेश्वर ने अपने वचन द्वारा कैसे सृष्टि की रचना करी (अय्युब 38-39; भजन 33:9; इब्रानियों 11:3); ना ही हम यह जानने पाते हैं कि कैसे वह सृष्टि को नियंत्रित करता है (नहेमयाह 9:6)। हमें यह भी नहीं पता कि परमेश्वर ने कब प्रभु यीशु के देहधारी होने की योजना बनाई और कार्यान्वित करी; और ना ही यह समझ पाते हैं कि हमारे उद्धार के लिए प्रभु यीशु द्वारा दिया गया बलिदान कैसे पर्याप्त है। लेकिन हम इतना जानते हैं कि यह सब सत्य है और परमेश्वर के द्वारा हुआ है।

   परमेश्वर की सामर्थ: अपनी विलक्षणता में असीम और अगाध, परन्तु फिर भी इतनी सरल कि बच्चा भी उसे पहचान ले, उसे जान ले। ऐसा परमेश्वर के प्रति समर्पण, आज्ञाकारिता और उसकी आराधना हमारा सौभाग्य है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर का प्रत्येक कार्य सरलता और सामर्थ से चिन्हित होता है।

तू ही अकेला यहोवा है; स्वर्ग वरन सब से ऊंचे स्वर्ग और उसके सब गण, और पृथ्वी और जो कुछ उस में है, और समुद्र और जो कुछ उस में है, सभों को तू ही ने बनाया, और सभों की रक्षा तू ही करता है; और स्वर्ग की समस्त सेना तुझी को दण्डवत करती हैं। - नहेमयाह 9:6 

बाइबल पाठ: भजन 29
Psalms 29:1 हे परमेश्वर के पुत्रों यहोवा का, हां यहोवा ही का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ को सराहो। 
Psalms 29:2 यहोवा के नाम की महिमा करो; पवित्रता से शोभायमान हो कर यहोवा को दण्डवत करो। 
Psalms 29:3 यहोवा की वाणी मेघों के ऊपर सुन पड़ती है; प्रतापी ईश्वर गरजता है, यहोवा घने मेघों के ऊपर रहता है। 
Psalms 29:4 यहोवा की वाणी शक्तिशाली है, यहोवा की वाणी प्रतापमय है। 
Psalms 29:5 यहोवा की वाणी देवदारों को तोड़ डालती है; यहोवा लबानोन के देवदारों को भी तोड़ डालता है। 
Psalms 29:6 वह उन्हें बछड़े की नाईं और लबानोन और शिर्योन को जंगली बछड़े के समान उछालता है।
Psalms 29:7 यहोवा की वाणी आग की लपटों को चीरती है। 
Psalms 29:8 यहोवा की वाणी वन को हिला देती है, यहोवा कादेश के वन को भी कंपाता है।
Psalms 29:9 यहोवा की वाणी से हरिणियों का गर्भपात हो जाता है। और अरण्य में पतझड़ होती है; और उसके मन्दिर में सब कोई महिमा ही महिमा बोलता रहता है।
Psalms 29:10 जलप्रलय के समय यहोवा विराजमान था; और यहोवा सर्वदा के लिये राजा हो कर विराजमान रहता है। 
Psalms 29:11 यहोवा अपनी प्रजा को बल देगा; यहोवा अपनी प्रजा को शान्ति की आशीष देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 17-18
  • लूका 11:1-28


रविवार, 13 मार्च 2016

सामर्थ


   अक्टूबर 2012 के अन्तिम दिनों में अमेरिका के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में एक प्रचण्ड तूफान आया जिससे उस इलाके में भीषण विनाश और बाढ़ आई। उस तूफान के कारण 80 लाख से अधिक लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ा जिससे भोजन वस्तुओं और पानी की भारी कमी हो गई और यातायात के साधन रुक गए। तेज़ हवाओं के कारण बहुत से घर गिर गए, रिहायशी इलाकों में मलबा और रास्तों पर रेत भर गया और जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।

   प्राकृतिक तूफान के समान ही कोई व्यक्तिगत त्रासदी भी हमें अन्दर से ध्वस्त, असहाय और अन्धकार से भरा हुआ छोड़ सकती है। लेकिन ऐसे कठिन समयों में परमेश्वर अपने वचन बाइबल से अपने बच्चों को आश्वस्त करता है "वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है" (यशायाह 40:29)।

   हमारे कठिन समयों में, जब हमें लगता है कि हम अपने जीवन और सामर्थ के न्यून्तम बिन्दु पर पहुंच गए हैं, वहाँ भी हम अपने परमेश्वर पिता में आश्वस्त होकर उस पर भरोसा रख सकते हैं, और उससे सामर्थ पा सकते हैं क्यों कि उसने हम से वायदा किया है, "परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे" (यशायाह 40:31)।

   जीवन के प्रत्येक तूफान में परमेश्वर ही हमारा बल और सामर्थ बना रहता है, हमें सुरक्षित लिए चलता है, पार लगाता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


आश्रय की सामर्थ का वास्तविक प्रमाण तूफान आने पर ही होता है।

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह 41:10

बाइबल पाठ: यशायाह 40:25-31
Isaiah 40:25 सो तुम मुझे किस के समान बताओगे कि मैं उसके तुल्य ठहरूं? उस पवित्र का यही वचन है। 
Isaiah 40:26 अपनी आंखें ऊपर उठा कर देखो, किस ने इन को सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले ले कर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बली है कि उन में के कोई बिना आए नहीं रहता।
Isaiah 40:27 हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता? 
Isaiah 40:28 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। 
Isaiah 40:29 वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। 
Isaiah 40:30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; 
Isaiah 40:31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 20-22
  • मरकुस 13:21-37


शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

प्रेम


   नेतृत्व पर लिखी गई पुस्तकें अकसर सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों की सूची में होती हैं। ये पुस्तकें अधिकांशतः सामर्थी और प्रभावशाली अगुवा बनने के तरीके बताती हैं। किंतु हेनरी नौवेन द्वारा लिखी पुस्तक Name of Jesus: Reflections on Christian Leadership एक अलग ही दृष्टिकोण से लिखी गई है। इस पुस्तक के लेखक एक विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफैसर हैं और उन्होंने अनेक वर्षों तक मानसिक तौर पर अपूर्ण विकसित व्यसकों के समाज में सेवा करी है। अपनी पुस्तक में वे कहते हैं, "प्रश्न ये नहीं हैं कि - कितने लोग आपको गंभीरता से लेते हैं? इससे आपको कितनी उपलब्धि प्राप्त हो जाएगी? क्या आप कोई परिणाम दिखाने पाएंगे? वरन प्रश्न यह है कि क्या आप प्रभु यीशु से प्रेम करते हैं?...अकेलेपन और निराशा से भरे हमारे संसार में, ऐसे लोगों की बहुत आवश्यकता है जो परमेश्वर के हृदय को जानते हैं; उस हृदय को जो क्षमा करता है, जो औरों की परवाह करता है, जो पहल करके तथा आगे बढ़कर लोगों को स्वास्थ्य देता है।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के अनुयायी प्रेरित यूहन्ना ने अपनी पत्री में लिखा, "जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा" (1 यूहन्ना 4:9-10)।

   हेनरी नौवेन ने आगे लिखा कि "आने वाले समय के मसीही अगुवे वे ही होने पाएंगे जो परमेश्वर के हृदय को वास्तव में जानते होंगे; उस हृदय को जो प्रभु यीशु में सदेह होकर हमारे बीच में आया।" प्रभु यीशु में ही हम परमेश्वर के असीम, निस्वार्थ, बिना किसी शर्त पर आधारित प्रेम को जानने और अनुभव करने पाते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में होता है तब ही हमारे हृदय औरों के लिए खुलते हैं।

और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। - यूहन्ना 1:14

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:7-10
1 John 4:7 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। 
1 John 4:8 जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। 
1 John 4:9 जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। 
1 John 4:10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 15-16
  • मरकुस 6:1-29