ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 12 मई 2014

पुकारें


   कातुशिका होकुसई जापान के इतिहास के सबसे यशस्वी और बहुतायत से चित्र बनाने वाले कलाकारों में गिने जाते हैं। सन 1826 से सन 1833 तक, जब उनकी आयु मध्य 60 तथा आरंभिक 70 के मध्य थी, उन्होंने अपने सबसे विख्यात कृति बनाई - लकड़ी के सांचों से रंगीन चित्रों की श्रंखला जिसका शीर्षक था, फूजी पर्वत के 36 दृश्य। इन चित्रों में से एक जो बहुत विख्यात हुआ वह था "The Great Wave off Kanagaawa" (कानागावा तट के निकट विशाल लहर)। उन्होंने यह चित्र उस समय बनाया जब वे आर्थिक और भावनात्मक संघर्ष के दौर से हो कर निकल रहे थे। इस चित्र में एक बहुत ऊँची दीवार के समान समुद्र की लहर दिखाई गई है, लहर के सिरे पर पंजों के समान दिखने वाला फेन है जो कि लहर के नीचे यात्रियों से भरी तीन छोटी नावों पर गिरने को तैयार है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 107 में भी समुद्र के जोखिम में फंसे लोगों का वर्णन दिया है। वे लहरों पर तैरते हुए एक पल में आकाश की ऊँचाईयों पर तो दुसरे ही पल में समुद्र की गहराईयों में उतर आते हैं, जिससे उनके जी में जी नहीं रहता। तब वे सहायता के लिए परमेश्वर को पुकारते हैं, परमेश्वर उनकी पुकार सुनकर लहरों को शान्त करता है और उन्हें उनके गन्तव्य तक सुरक्षित पहुँचा देता है।

   जब हम जीवन कि कठिनाईयों का सामना कर रहे होते हैं तो सहायता, मार्गदर्शन और सांत्वना के लिए हमारी स्वाभाविक प्रतिक्रीया अन्य मनुष्यों की ओर देखने की होती है। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि वे मनुष्य भी तो हमारे समान ही जीवन की परिस्थितियों के उतार-चढ़ाव से जूझ रहे हैं, उन्हें भी हमारे समान ही कठिनाईयों और जोखिमों का सामना करना होता है। केवल परमेश्वर ही है जो जीवन रूपी नाव और परिस्थितियों रूपी समुद्र से बाहर है, उनके ऊपर है, तथा उन पर नियंत्रण रखने की सामर्थ रखता है। वह ही है जो परिस्थितियों के समुद्र को शांत कर के हमें गन्तव्य तक भली भांति पहुँचा सकता है। क्या आप भी जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे हैं? परमेश्वर प्रभु यीशु को विश्वास के साथ पुकारें, अपने जीवन की बाग-डोर उसके हाथ में सौंप दें और निश्चिंत हो जाएं। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


हम उस परमेश्वर की आराधना करते हैं जो हमारी हर समस्या से बड़ा है तथा हमारे जीवन की हर बात को नियंत्रित कर सकता है।

और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा। - भजन 50:15

बाइबल पाठ: भजन 107:23-32
Psalms 107:23 जो लोग जहाजों में समुद्र पर चलते हैं, और महासागर पर हो कर व्यापार करते हैं; 
Psalms 107:24 वे यहोवा के कामों को, और उन आश्चर्यकर्मों को जो वह गहिरे समुद्र में करता है, देखते हैं। 
Psalms 107:25 क्योंकि वह आज्ञा देता है, वह प्रचण्ड बयार उठ कर तरंगों को उठाती है। 
Psalms 107:26 वे आकाश तक चढ़ जाते, फिर गहराई में उतर आते हैं; और क्लेश के मारे उनके जी में जी नहीं रहता; 
Psalms 107:27 वे चक्कर खाते, और मतवाले की नाईं लड़खड़ाते हैं, और उनकी सारी बुद्धि मारी जाती है। 
Psalms 107:28 तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उन को सकेती से निकालता है। 
Psalms 107:29 वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं। 
Psalms 107:30 तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उन को मन चाहे बन्दर स्थान में पहुंचा देता है। 
Psalms 107:31 लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें। 
Psalms 107:32 और सभा में उसको सराहें, और पुरनियों के बैठक में उसकी स्तुति करें।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 4-7