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मंगलवार, 25 नवंबर 2014

भय


   मेरी बेटी ऊँगली से इशारा करते हुए चिल्लाई, "मम्मी, देखो, कीड़ा!" मैंने उसके इशारा करने की ओर घूम कर देखा तो वहाँ एक बड़ा सा मकड़ा था, इतना बड़ा मकड़ा मैंने खिलौने की दिकान के बाहर पहली बार देखा था। वह मकड़ा हमारी ओर देख रहा था, और हम उसकी ओर, दोनों ही यह समझ रहे थे कि हम एक साथ एक स्थान पर नहीं रह सकते परन्तु दोनों ही अपने भय के कारण अपने स्थान से हिल नहीं पा रहे थे। चाह कर भी मैं इस गतिरोध को तोड़ने के लिए उसकी ओर एक कदम भी नहीं बढ़ा पा रही थी; मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई थी और भय ने मुझे मानो एक स्थान पर जमा दिया था।

   भय बहुत शक्तिशाली होता है; भय में आकर हम सही व्यवहार भूलकर गलत व्यवहार करने लग सकते हैं। लेकिन हम मसीही विश्वासियों  के पास यह आश्वासन है कि हमें किसी भी भय में रहने की आवश्यकता नहीं है - ना तो किसी परिस्थिति के, ना ही किसी व्यक्ति या वस्तु के, मकड़ों के भी नहीं। हम परमेश्वर के वचन पर भरोसा रख सकते हैं और भजनकार के साथ परमेश्वर के लिए कह सकते हैं: "जिस समय मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा रखूंगा" (भजन 56:3)।

   भय के प्रति ऐसा रवैया रखना परमेश्वर के वचन बाइबल के निर्देश "तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना" (नीतिवचन 3:5) के अनुकूल है। ऐसा करना सही होता है क्योंकि हमारी अपनी समझ हमें भय के कारण का आँकलन बढ़ा-चढ़ा कर और परमेश्वर की सामर्थ का घटा करवा सकती है। इसलिए भय के समय में हमें परमेश्वर की समझ पर भरोसा रखना चाहिए क्योंकि, "क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है" (यशायाह 40:28)। परमेश्वर का प्रेम हमारे प्रत्येक भय का निवारण कर सकता है क्योंकि, "प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्‍ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ" (1 यूहन्ना 4:18)।

   इसलिए अगली बार जब भय आपको पकड़े, तो घबाराएं नहीं, परमेश्वर पर भरोसा रखकर उसकी सामर्थ और उससे मिलने वाली सदबुद्धि तथा सलाह का सहारा लें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर किया गया भरोसा हमारे सभी भय को दूर कर सकता है।

मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है। - नीतिवचन 29:25

बाइबल पाठ: भजन 56
Psalms 56:1 हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मनुष्य मुझे निगलना चाहते हैं। वे दिन भर लड़कर मुझे सताते हैं। 
Psalms 56:2 मेरे द्रोही दिन भर मुझे निगलना चाहते हैं, क्योंकि जो लोग अभिमान कर के मुझ से लड़ते हैं वे बहुत हैं। 
Psalms 56:3 जिस समय मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा रखूंगा। 
Psalms 56:4 परमेश्वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूंगा, परमेश्वर पर मैं ने भरोसा रखा है, मैं नहीं डरूंगा। कोई प्राणी मेरा क्या कर सकता है? 
Psalms 56:5 वे दिन भर मेरे वचनों को, उलटा अर्थ लगा लगाकर मरोड़ते रहते हैं उनकी सारी कल्पनाएं मेरी ही बुराई करने की होती है। 
Psalms 56:6 वे सब मिलकर इकट्ठे होते हैं और छिपकर बैठते हैं; वे मेरे कदमों को देखते भालते हैं मानों वे मेरे प्राणों की घात में ताक लगाए बैठें हों। 
Psalms 56:7 क्या वे बुराई कर के भी बच जाएंगे? हे परमेश्वर, अपने क्रोध से देश देश के लोगों को गिरा दे! 
Psalms 56:8 तू मेरे मारे मारे फिरने का हिसाब रखता है; तू मेरे आंसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले! क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है? 
Psalms 56:9 जब जिस समय मैं पुकारूंगा, उसी समय मेरे शत्रु उलटे फिरेंगे। यह मैं जानता हूं, कि परमेश्वर मेरी ओर है। 
Psalms 56:10 परमेश्वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूंगा, यहोवा की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूंगा। 
Psalms 56:11 मैं ने परमेश्वर पर भरोसा रखा है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है? 
Psalms 56:12 हे परमेश्वर, तेरी मन्नतों का भार मुझ पर बना है; मैं तुझ को धन्यवाद बलि चढ़ाऊंगा। 
Psalms 56:13 क्योंकि तू ने मुझ को मृत्यु से बचाया है; तू ने मेरे पैरों को भी फिसलने से बचाया है, ताकि मैं ईश्वर के साम्हने जीवतों के उजियाले में चलूं फिरूं?

एक साल में बाइबल: 
  • 1 कुरिन्थियों 9-12