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गुरुवार, 1 जनवरी 2015

भला जीवन

सभी पाठकों की नव वर्ष की शुभ-कामनाएं


   सुन्दरता, संपदा, सामर्थ, प्रेम, विवाहित जीवन, सुख आदि सभी अच्छी बातें हैं लेकिन वे सर्वोत्तम नहीं हैं। सर्वोत्तम है परमेश्वर का प्रेम - परमेश्वर के प्रेम का भागी होना तथा उससे प्रेम करना, उसका मित्र बन जाना, उसे अपने जीवन से महिमा देना। यही सर्वोत्तम जीवन व्यतीत करने की कुंजी है, क्योंकि ऐसा करने से ना केवल इस पृथ्वी के जीवन में संतुष्टि एवं आनन्द मिलता है (युहन्ना 10:10), वरन पृथ्वी के बाद के अनन्त जीवन के लिए भी सभी मसीही विश्वासियों के लिए संतुष्टि एवं आनन्द सुनिश्चित हो जाता है।

   इसीलिए यह आवश्यक है कि हम परमेश्वर के साथ संगति के लिए समय निकालें और उसके प्रेम में विश्राम लेते रहें - उस प्रेम में जिसमें होकर परमेश्वर ने मेरी और आपकी सृष्टि करी तथा संसार के सभी लोगों के उद्धार एवं पाप क्षमा के लिए प्रभु यीशु को बलिदान होने के लिए संसार में भेजा। यही प्रेम हमारे अस्तित्व कारण तथा हमारी आशीषों का आधार है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने जिस प्रकार इस बात को व्यक्त किया है वह मुझे बहुत पसन्द है: "परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं" (भजन 73:28)।

   और, परमेश्वर के समीप रहने का तरीका क्या है? यह करने का एक तरीका है वह बात जो मैंने कई वर्ष पहले आरंभ करी थी और जिसे आप भी सरलता से कर सकते हैं: प्रति प्रातः परमेश्वर के वचन बाइबल में से प्रभु यीशु की जीवनी अर्थात सुसमाचारों (मत्ती, मरकुस, लूका, युहन्ना) में से एक खण्ड पढ़ें और उनमें ध्यान करें कि प्रभु यीशु ने क्या कहा, क्या किया - आखिरकर वह हमें परमेश्वर के बारे में बताने और उसके जीवन को प्रगट करने ही तो आया था (इब्रानियों 1:1-3)। फिर अपने आप को उस पढ़े गए खण्ड के घटनाक्रम में रखें, उसके किसी मुख्य पात्र के स्थान पर अपने आप को खड़ा करें और विचार करें कि यदि आप वहाँ होते तो आपकी प्रतिक्रीया या प्रत्युत्तर क्या होता? प्रभु यीशु के उस प्रेम और करुणा के बारे में ध्यान करें जो उसने आपके प्रति व्यक्त किया, और फिर उसे इन बातों के लिए धन्यवाद करें। - डेविड रोपर


सबसे बड़े अचरज की बात - प्रभु यीशु मुझे जैसे व्यक्ति से भी प्रेम करता है।

चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्‍ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। - युहन्ना 10:10

बाइबल पाठ: भजन 73:21-28
Psalms 73:21 मेरा मन तो चिड़चिड़ा हो गया, मेरा अन्त:करण छिद गया था, 
Psalms 73:22 मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रह कर भी, पशु बन गया था। 
Psalms 73:23 तौभी मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तू ने मेरे दाहिने हाथ को पकड़ रखा। 
Psalms 73:24 तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा। 
Psalms 73:25 स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता। 
Psalms 73:26 मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।। 
Psalms 73:27 जो तुझ से दूर रहते हैं वे तो नाश होंगे; जो कोई तेरे विरुद्ध व्यभिचार करता है, उसको तू विनाश करता है। 
Psalms 73:28 परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।

एक साल में बाइबल: 

  • उत्पत्ति 1-3
  • मत्ती 1