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सोमवार, 30 नवंबर 2015

ध्यान


   सी. एस. ल्युईस एक ऐसे व्यक्तिव थे जिनके लेख और रचनाओं ने बच्चों और विद्वानों, दोनों में ही समान रूप से मसीही विश्वास की अलख जागृत करी थी। सन 1963 में सी. एस. ल्युईस के देहांत के एक सप्ताह पश्चात उनके सहकर्मी और मित्रगण इंगलैंड में ऑक्सफोर्ड स्थित मैगडेलेन कॉलेज के प्रार्थना घर में उन्हें श्रद्धांजलि देने एकत्रित हुए। उस श्रद्धांजलि सभा में सी. एस. ल्युईस के एक करीबी मित्र औस्टिन फेरर ने बताया कि उनके लेखों और रचनाओं को पढ़ने वाले संसार भर के लोगों से जो भी पत्र ल्युईस के पास आते थे वे उन सबका अपने हाथ से लिखकर उत्तर देते थे; लोगों के प्रति उनका व्यवहार और आचरण सबको आदर देने और ध्यान रखने का था, इसीलिए वे आपके द्वारा उन्हें लिखे गए शब्दों का ध्यान रखते थे और अपने उत्तर से सम्मान देते थे।

   अपने इस व्यवहार से ल्युईस ने परमेश्वर के एक गुण को प्रदर्शित किया, परमेश्वर भी हमारी प्रार्थनाओं के प्रत्येक शब्द पर ध्यान रखता है, किसी बात को नज़रन्दाज़ नहीं करता। परमेश्वर के वचन बाइबल में, बड़ी कठिनाई के समय में भजनकार ने परमेश्वर की दोहाई दी (भजन 66:10-14)। बाद में भजनकार ने प्रभु परमेश्वर को उसके द्वारा दी गई सहायता के लिए उसका धन्यवाद और आराधना करते हुए कहा, "परन्तु परमेश्वर ने तो सुना है; उसने मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दिया है" (भजन 66:19)।

    जब हम प्रार्थना में उसके पास आते हैं तो परमेश्वर हमारे शब्दों को भी सुनता है और हमारे मनों की वास्तविक दशा तथा आवश्यकताओं को भी जानता है। हम भी भजनकार के साथ कह सकते हैं, "धन्य है परमेश्वर, जिसने न तो मेरी प्रार्थना अनसुनी की, और न मुझ से अपनी करूणा दूर कर दी है" (भजन 66:20)। परमेश्वर से करी गई हमारी प्रार्थनाएं उसके साथ हमारा एक गहरा संबम्ध बनाने का माध्यम बन जाती हैं। हमारी हर परिस्थिति में, हमारी हर आवश्यकता में, हर कठिनाई में वह हमारी प्रार्थनाओं पर ध्यान रखता है, उनका आदर करता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर का ध्यान सदा हम पर बना रहता है।

देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए। - 2 इतिहास 16:9

बाइबल पाठ: भजन 66:10-20
Psalms 66:10 क्योंकि हे परमेश्वर तू ने हम को जांचा; तू ने हमें चान्दी की नाईं ताया था। 
Psalms 66:11 तू ने हम को जाल में फंसाया; और हमारी कटि पर भारी बोझ बान्धा था; 
Psalms 66:12 तू ने घुड़चढ़ों को हमारे सिरों के ऊपर से चलाया, हम आग और जल से हो कर गए; परन्तु तू ने हम को उबार के सुख से भर दिया है।
Psalms 66:13 मैं होमबलि ले कर तेरे भवन में आऊंगा मैं उन मन्नतों को तेरे लिये पूरी करूंगा, 
Psalms 66:14 जो मैं ने मुंह खोल कर मानीं, और संकट के समय कही थीं। 
Psalms 66:15 मैं तुझे मोटे पशुओं के होमबलि, मेंढ़ों की चर्बी के धूप समेत चढ़ऊंगा; मैं बकरों समेत बैल चढ़ाऊंगा।
Psalms 66:16 हे परमेश्वर के सब डरवैयों आकर सुनो, मैं बताऊंगा कि उसने मेरे लिये क्या क्या किया है। 
Psalms 66:17 मैं ने उसको पुकारा, और उसी का गुणानुवाद मुझ से हुआ। 
Psalms 66:18 यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता। 
Psalms 66:19 परन्तु परमेश्वर ने तो सुना है; उसने मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दिया है।
Psalms 66:20 धन्य है परमेश्वर, जिसने न तो मेरी प्रार्थना अनसुनी की, और न मुझ से अपनी करूणा दूर कर दी है!

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 37-39
  • 2पतरस 2