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मंगलवार, 7 नवंबर 2017

नाम


   एक चर्च समुदाय ने अपनी सभा को संबोधित करने के लिए एक उपदेशक को आमंत्रित किया। सभा के अगुवे ने उपदेशक से कहा, "परमेश्वर के बारे में बातें कीजिए; परन्तु यीशु का उल्लेख मत कीजिए।" उस उपदेशक ने पूछा, "ऐसा क्यों?" तो अगुवे ने उत्तर दिया, "हमारे कुछ प्रमुख सदस्य यीशु के विषय कुछ परेशानी अनुभव करते हैं। आप बस परमेश्वर कहिए, और सब ठीक रहेगा।" लेकिन ऐसे निर्देषों को स्वीकार करना उस उपदेशक के लिए समस्या थी; उसने कहा, "यीशु के बिना मेरे पास कोई सन्देश नहीं है।"

   मसीही विश्वासियों की मण्डली के प्रारंभिक दिनों में प्रभु यीशु के अनुयायियों के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। स्थानीय धार्मिक अगुवों ने एकत्रित होकर योजना बनाई और प्रभु यीशु के शिष्यों को धमका कर कहा कि वे यीशु के नाम से प्रचार न करें (प्रेरितों 4:17)। परन्तु वे शिष्य इस बात से सहमत नहीं हुए; उन्होंने प्रत्युत्तर में कहा, "यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें" (प्रेरितों 4:20)। यह दावा करना कि हम परमेश्वर में तो विश्वास करते हैं, परन्तु उसके पुत्र प्रभु यीशु पर नहीं, परस्पर विरोधाभासी है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु ने अपने तथा परमेश्वर पिता के बीच के संबंध के बारे में स्पष्ट कहा, "मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना 10:30)। इसीलिए प्रभु आगे कह सके, "तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो" (यूहन्ना 14:1)। पौलुस जानता था कि प्रभु यीशु परमेश्वर का स्वरूप और उसके तुल्य है (फिलिप्पियों 2:6)।

   हमें प्रभु यीशु के नाम से लजाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि "किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें" (प्रेरितों 4:12)। लॉरेंस दरमानी


यीशु का नाम हमारे विश्वास और आशा का आधार है।

जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। - फिलिप्पियों 2:6

बाइबल पाठ: प्रेरितों 4:5-20
Acts 4:5 दूसरे दिन ऐसा हुआ कि उन के सरदार और पुरिनये और शास्त्री। 
Acts 4:6 और महायाजक हन्ना और कैफा और यूहन्ना और सिकन्‍दर और जितने महायाजक के घराने के थे, सब यरूशलेम में इकट्ठे हुए। 
Acts 4:7 और उन्हें बीच में खड़ा कर के पूछने लगे, कि तुम ने यह काम किस सामर्थ से और किस नाम से किया है? 
Acts 4:8 तब पतरस ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो कर उन से कहा। 
Acts 4:9 हे लोगों के सरदारों और पुरनियों, इस दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गई है, यदि आज हम से उसके विषय में पूछ पाछ की जाती है, कि वह क्योंकर अच्छा हुआ। 
Acts 4:10 तो तुम सब और सारे इस्त्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे साम्हने भला चंगा खड़ा है। 
Acts 4:11 यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्‍छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। 
Acts 4:12 और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें।
Acts 4:13 जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। 
Acts 4:14 और उस मनुष्य को जो अच्छा हुआ था, उन के साथ खड़े देखकर, वे विरोध में कुछ न कह सके। 
Acts 4:15 परन्तु उन्हें सभा के बाहर जाने की आज्ञा देकर, वे आपस में विचार करने लगे, 
Acts 4:16 कि हम इन मनुष्यों के साथ क्या करें? क्योंकि यरूशलेम के सब रहने वालों पर प्रगट है, कि इन के द्वारा एक प्रसिद्ध चिन्ह दिखाया गया है; और हम उसका इन्कार नहीं कर सकते। 
Acts 4:17 परन्तु इसलिये कि यह बात लोगों में और अधिक फैल न जाए, हम उन्हें धमकाएं, कि वे इस नाम से फिर किसी मनुष्य से बातें न करें। 
Acts 4:18 तब उन्हें बुलाया और चितौनी देकर यह कहा, कि यीशु के नाम से कुछ भी न बोलना और न सिखलाना। 
Acts 4:19 परन्तु पतरस और यूहन्ना ने उन को उत्तर दिया, कि तुम ही न्याय करो, कि क्या यह परमेश्वर के निकट भला है, कि हम परमेश्वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानें। 
Acts 4:20 क्योंकि यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 40-42
  • इब्रानियों 4