जब यह ज्ञात हुआ कि 2011 की कॉलेज की सबसे बड़ा फुटबॉल स्पर्धा जिस दिन होनी तय करी गई थी वह यहूदी धर्म मानने वाले लोगों के सबसे महत्वपूर्ण दिन योम किप्पूर दिवस वाले दिन थी तो टेक्सस विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने अधिकारियों से प्रार्थना करी कि वे दिन को बदल दें, क्योंकि यह यहूदी छात्रों के प्रति अन्यायपूर्ण होता कि वे अपने धर्म के पालन के लिए योम किप्पूर को मनाएं या फुटबॉल खेल के प्रति अपने लगाव के अन्तर्गत उस स्पर्धा को देखें। लेकिन स्पर्धा की तिथि बदली नहीं गई, अब यह उन यहूदी छात्रों पर था कि वे किस को चुनेंगे और किस को छोड़ेंगे। धार्मिक स्वतंत्रता वाले देशों में भी धर्म में आस्था रखने वालों को कठिन चुनाव करने होते हैं।
परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक, दानिय्येल को भी ऐसे ही चुनाव करने पड़े थे, परन्तु उसने हर परिस्थिति और परेशानी का सामना करते हुए भी परमेश्वर की आज्ञाकारिता और आदर को सर्वोपरि बनाए रखा। जब दानिय्येल के राजनैतिक विरोधियों ने उसकी धार्मिकता पर आधारित षड़यंत्र रचकर उसे मरवा देने के लिए राजा से सर्वथा अनुचित कानून बनवा कर लागू करवा दिया, तो दानिय्येल ने ना तो उस कानून को चुनौती दी और ना ही शिकायत करी कि उसे फंसाया जा रहा है। सब जानते और समझते हुए भी, "जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा" (दानिय्येल 6:10)।
दानिय्येल यह तो जानता था कि षड़यंत्र के अन्तर्गत जारी करी गई राज आज्ञा की अवहेलना का परिणाम था शेरों के सामने फेंके जाकर मृत्युदण्ड पाना। वह यह नहीं जानता था कि परमेश्वर उसे इस दण्ड से बचाएगा कि नहीं; किंतु उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसके जीवन का ध्येय था अपने जीवन से परमेश्वर को आदर देना, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी क्यों ना सहना पड़े, और जीवन-मृत्यु की इस परिस्थिति में भी उसने परमेश्वर की आज्ञाकारिता और आदर को ही चुना और अन्ततः वह मृत्यु से भी बच गया, उसके सभी राजनैतिक विरोधी राज आज्ञा द्वारा ही घात करवा दिए गए और वह राजा के सम्मुख और अधिक आदर का पात्र भी बन गया।
दानिय्येल के समान ही हम भी जीवन की भिन्न परिस्थितियों में सही या गलत में से एक चुनने को स्वतंत्र हैं। जो परमेश्वर को चुनते हैं वे कभी हानि में नहीं रहते, इसलिए सांसारिक रीति पर परिस्थिति कितनी भी विकट एवं दुखदायी क्यों ना लगे, अपना चुनाव सांसारिक नहीं परमेश्वरीय ही रखें। - डेविड मैक्कैसलैंड
मसीह यीशु के अनुसरण का चुनाव करने से आप कभी गलत नहीं हो सकते।
परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्य है; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं। समयों और ऋतुओं को वही पलटता है; राजाओं का अस्त और उदय भी वही करता है; बुद्धिमानों को बुद्धि और समझ वालों को समझ भी वही देता है; वही गूढ़ और गुप्त बातों को प्रगट करता है; वह जानता है कि अन्धियारे में क्या है, और उसके संग सदा प्रकाश बना रहता है। - दानिय्येल 2:20-22
बाइबल पाठ: दानिय्येल 6:1-10
Daniel 6:1 दारा को यह अच्छा लगा कि अपने राज्य के ऊपर एक सौ बीस ऐसे अधिपति ठहराए, जो पूरे राज्य में अधिकार रखें।
Daniel 6:2 और उनके ऊपर उसने तीन अध्यक्ष, जिन में से दानिय्येल एक था, इसलिये ठहराए, कि वे उन अधिपतियों से लेखा लिया करें, और इस रीति राजा की कुछ हानि न होने पाए।
Daniel 6:3 जब यह देखा गया कि दानिय्येल में उत्तम आत्मा रहती है, तब उसको उन अध्यक्षों और अधिपतियों से अधिक प्रतिष्ठा मिली; वरन राजा यह भी सोचता था कि उसको सारे राज्य के ऊपर ठहराए।
Daniel 6:4 तब अध्यक्ष और अधिपति राजकार्य के विषय में दानिय्येल के विरुद्ध दोष ढूंढ़ने लगे; परन्तु वह विश्वासयोग्य था, और उसके काम में कोई भूल वा दोष न निकला, और वे ऐसा कोई अपराध वा दोष न पा सके।
Daniel 6:5 तब वे लोग कहने लगे, हम उस दानिय्येल के परमेश्वर की व्यवस्था को छोड़ और किसी विषय में उसके विरुद्ध कोई दोष न पा सकेंगे।
Daniel 6:6 तब वे अध्यक्ष और अधिपति राजा के पास उतावली से आए, और उस से कहा, हे राजा दारा, तू युगयुग जीवित रहे।
Daniel 6:7 राज्य के सारे अध्यक्षों ने, और हाकिमों, अधिपतियों, न्यायियों, और गवर्नरों ने भी आपास में सम्मति की है, कि राजा ऐसी आज्ञा दे और ऐसी कड़ी आज्ञा निकाले, कि तीस दिन तक जो कोई, हे राजा, तुझे छोड़ किसी और मनुष्य वा देवता से बिनती करे, वह सिंहों की मान्द में डाल दिया जाए।
Daniel 6:8 इसलिये अब हे राजा, ऐसी आज्ञा दे, और इस पत्र पर हस्ताक्षर कर, जिस से यह बात मादियों और फारसियों की अटल व्यवस्था के अनुसार अदल-बदल न हो सके।
Daniel 6:9 तब दारा राजा ने उस आज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।
Daniel 6:10 जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन 19-21
- 2 कुरिन्थियों 7
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