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बुधवार, 30 जून 2010

ढूंढना और बचाना

लगभग हर सप्ताह समाचारों में हम किसी न किसी के ढूंढे और बचाए जाने के बारे में सुनते और देखते हैं। यह किसी बच्चे के लिये हो सकता है जो परिवार के साथ घूमने निकल और उनसे अलग होकर भटक गया, या कोई पर्वतारोही जो किसी दुर्गम स्थान पर फंस गया, या लोग जो किसी भूकम्प के कारण ध्वस्त इमारतों में फंस गये। ऐसी प्रत्येक स्थिति में यही होता है कि जोखिम में पड़े वे लोग, अपनी सहायता करने में असमर्थ होते हैं। जो उन परिस्थितियों से बचा लिये जाते हैं, अक्सर वे अपने बचाने वालों के प्रति बहुत कृतज्ञ और आभारी रहते हैं।

ज़क्कई की कहानी (लूका १९:१-१०) भी एक ढूंढने और बचाने की कहानी है। पहली झलक में लगता है कि सब संयोगवश होने वाली घटनाएं थीं - यीशु यरीहो से होकर गुज़र रहा है, एक धनी किंतु नाटा चुंगी लेनेवाला आश्चर्यकर्म करने वाले यीशु को देखने की उत्सुक्ता में उसके मार्ग के एक पेड़ पर चढ़ जाता है और यीशु उसे बुला कर उसके साथ उसके घर जाता है। किंतु इस वृतांत के अंत में, लेखक लूका ने, ज़क्कई से कहे यीशु के वचनों - "तब यीशु ने उस से कहा, आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है। क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है" (लूका १९:९, १०) के द्वारा सपष्ट किया है कि यह यीशु का कार्य था।

यीशु ने अपने जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान द्वारा अपनी ढूंढने और बचाने की सेवाकाई आरंभ करी, और आज भी इस सेवकाई को पवित्र आत्मा की सामर्थ से जारी रखे हुए है। वह अनुग्रहपूर्वक हमें भी बुलाता है कि उसके साथ हम भी इस सेवाकाई में साझी हों और जो पाप में भटके हुए हैं उन्हें प्रेमपूर्वक लौटा लाएं। - डेविड मैक्कैसलैंड।


जो स्वयं पाप से बचाए गए हैं वे ही पापीयों को बचाव का मार्ग दिखाने के लिये सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक हो सकते हैं।


बाइबल पाठ: लूका १९:१-१०


क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है। - लूका १९:१०



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब १७-१९
  • प्रेरितों के काम १०:१-२३

मंगलवार, 29 जून 2010

राजदूत

मैकौले रेवीरा, बाइबल कॉलेज में मेरा एक घनिष्ठ मित्र था और उसे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु से बहुत प्रेम था। उसके मन की अभिलाषा थी कि वह कॉलेज से स्नातक हो, अपनी मंगेतर शैरन से शादी करे और अपने स्थान वॉशिंगटन में लौटकर एक चर्च स्थापित करे जिससे वह अपने मित्रों और परिवार जनों को मसीह के निकट ला सके।

किंतु यह हो न सका, अचानक एक दुर्घटना में हुई मैकौले और शैरन की मृत्यु से उसके इस सपने का अंत हो गया। सारे छात्र स्तब्ध रह गये। उनके स्मरण में की गई शोक-सभा में उसके इस सपने को चुनौती के रूप में रखा गया, "मैक तो चला गया, उसके स्थान पर अब कौन इस सेवकाई को करेगा?" छात्रों पर मैक के जीवन की गवाही के प्रभाव के प्रमाण के रूप में २०० से अधिक छात्र मसीह के उस दिवंगत सेवक के स्थान पर इस चुनौती को स्वीकार करने के लिये खड़े हो गये।

उन छात्रों की यह प्रतिक्रीया यशायाह भविष्यद्वक्ता के समर्पण और आज्ञाकारिता को याद दिलाती है। भय और अशांति के काल में उसे परमेश्वर के सिंहासन के समक्ष बुलाया गया और उसने परमेश्वर का प्रश्न सुना "मैं किसे भेजूँ? हमारी ओर से कौन जायेगा?" यशायाह का जवाब था "मैं यहां हूँ। मुझे भेज" (यशायाह ६:८)।

परमेश्वर आज भी लोगों को अपने राजदूत होने के लिये बुलाता है, जो उसके उद्धार के सन्देश को संसार के लोगों तक ले जाएं। वह हमें पुकारता है कि हम उसकी सेवा में समर्पित हों - घर से दूर या घर के पास। हमारे लिये विचार करने की बात यह है कि हम उसकी पुकार का क्या जवाब देते हैं?

परमेश्वर हमें सामर्थ दे कि हम यशायाह के समान कह सकें "मैं यहां हूँ। मुझे भेज।" - बिल क्राउडर


जिसे परमेश्वर बुलाता है, उसे योग्य भी बनाता है; जिसे योग्य बनाता है उसे भेजता भी है।


बाइबल पाठ: यशायाह ६:१-८


तब मैं ने प्रभु का यह वचन सुना, मैं किस को भेंजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा? तब मैं ने कहा, मैं यहां हूं! मुझे भेज। - याशायाह ६:८


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब १४-१६
  • प्रेरितों के काम ९:२२-४३

सोमवार, 28 जून 2010

क्या आप तैयार हैं?

एक यात्रा पर जाने के तीन महीने पहले मैं अपने एक मित्र से उस यात्रा के बारे में बात-चीत कर रहा था। उसने मुझसे कहा, "यदि तुम्हारे दल में कोई किसी कारणवश न जाने पाये तो उसकी जगह मैं जाना चाहुंगा।" यह यात्रा कोई आसान यात्रा नहीं थी। मैंने यह अपने मित्र को समझाया कि हमें जुलाई महीने की जमैका की गर्मी में पुताई, मरम्मत और वस्तुओं को ठीक करने का काम करना था, फिर भी वह जाने को उत्सुक्त था।

हमारे यात्रा पर निकलने के लगभग ६ सप्ताह पहले, दल में एक स्थान रिक्त हुआ; और मैंने अपने मित्र को, जिससे मैं इस वार्तालाप के बाद नहीं मिला था, सूचित किया और उससे पूछा कि क्या वह जाने को अभी भी इच्छुक है? उसने तुरंत उत्तर दिया, "अवश्य, और इस संभावना से कि शायद तुम्हारा बुलावा आ जाये, मैंने अपना पॉसपोर्ट भी जाने के लिये तैयार करवा रखा है।" उसने यह निश्चित कर रखा था कि अगर जाने का अवसर आता है तो वह उसके लिये तैयार पाया जाय।

मेरे मित्र की इस तैयारी ने मुझे वह स्मरण दिलाया जो प्रथम शताबदी में अन्ताकिया में हुआ। पौलुस और बरनाबास उन अनेक लोगों में से थे जो आत्मिक तौर से अपने आप को तैयार कर रहे थे, जिससे कि परमेश्वरे उन्हें जो भी करने के लिये कहे या जहां भी उन्हें भेजे, वे उसके लिये तैयार मिलें। उन्होंने इस तैयारी के लिये पॉसपोर्ट तो नहीं बनवाये परन्तु "जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे तो पवित्र आत्मा ने कहा, मेरे निमित्त बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिस के लिये मैं ने उन्‍हें बुलाया है" (प्रेरितों के काम १३:२) - वे अपनी यात्रा के लिये तैयार थे।

क्या आप परमेश्वर के कार्य के लिये अपने आप को तैयार कर रहे हैं? जब पवित्र आत्मा आपसे जाने को कहेगा तो क्या आप तैयार पाये जायेंगे? - डेव ब्रैनन


अपने औज़ार तैयार रखिये, परमेश्वर आप के लिये काम निकालेगा।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम १३:१-५


जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे तो पवित्र आत्मा ने कहा, मेरे निमित्त बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिस के लिये मैं ने उन्‍हें बुलाया है। - प्रेरितों के काम १३:२


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ११-१३
  • प्रेरितों के काम ९:१-२१

रविवार, 27 जून 2010

वर के लिये सलाह

शादी से पहले कुंवारों की पार्टी देने का रिवाज़ है, जो अधिकांशतः नशे और पियक्कड़पन का अवसर होता है। इस प्रथा का कारण शायद यह विश्वास है कि अब दूलहा शीघ्र ही शादी के बंधन में बंधकर वैवाहित जीवन की नीरस ज़िम्मेदारियों में बंध जायेगा।

कुछ समय पहले मेरे एक भतीजे की शादी होने वाली थी, उसके एक मित्र ने एसी ही पार्टी आयोजित करी, किंतु उसमें साधारण कुंवारों की पार्टी में होने वाली बातों से भिन्नता थी। जिन्हें निमंत्रित किया गया था उन्हें कुछ विचार साथ लेकर आने थे और बांटने थे जिनसे दूल्हे को अपने जीवन में जुड़ने वाले इस नये अध्याय में सहायता मिले।
जब मैं उस अनौपचारिक प्रातः भोज में पहुंचा तो वहां उपस्थित लोगों में परस्पर एक बहुत अच्छे संबंध को पाया। उपस्थित पिता, चाचा-ताऊ, मामा, मित्र सभी बहुत सजीव चर्चा में भाग ले रहे थे। वर और वधु के पिता से अनुरोध किया गया कि जो उन्होंने अपने मसीही वैवाहिक जीवन में सीखा था, उसके आधार पर कुछ कहें। जो कुछ उन्होंने बांटा वह व्यक्तिगत, व्यवाहरिक और बाइबल पर आधारित था।

नीतिवचन की पुस्तक भी इस तरह की शिक्षा के बारे में परमर्श देती है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना किया जा सके और अच्छा प्रतिफल पाया जा सके - "हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज; क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये कन्ठ माला होंगी" (नीतिवचन १:८, ९)।

अगर और भी नव-विवाहित जोड़े अपनी विवाहित जीवन को ऐसे परामर्श को स्वीकार करने के रवैये के साथ आरंभ करें तो यह परमेश्वर के लिये कितना आदरणीय होगा। - डेनिस फिशर


जो दुसरों के अनुभवों से शिक्षा लेता है वह वास्तव में बुद्धिमान है।


बाइबल पाठ: नीतिवचन १:१-९


हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा - नीतिवचन १:८



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ८-१०
  • प्रेरितों के काम ८:२६-४०

शनिवार, 26 जून 2010

सन्तों का गीत

आपने शायद यह कथन सुना हो, "मैं क्रोध नहीं करता, बस बदला ले लेता हूं।" प्रकाशितवाक्य में वर्णित न्यायों के बारे में पढ़कर कोई यह कलपना कर सकता है कि परमेश्वर भी पपियों द्वारा समस्त मानव इतिहास के दौरान किये गये जघन्य अपराधों और पापों के लिये उनसे अपना बदला लेगा।

सत्य तो यह है कि परमेश्वर का अन्तिम न्याय उसके पवित्र न्यायी होने का अभिन्न भाग है। वह पाप को अनदेखा नहीं कर सकता। जैसा प्रकाशितवाक्य में वर्णित है, यदि वह अन्ततः न्याय नहीं करता है तो यह उसके पवित्र चरित्र का इन्कार होगा। इसीलिये उसके न्याय के समय सन्त लोग यह कहते हुए उसका स्तुती गान करेंगे "हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा क्‍योंकि केवल तू ही पवित्र है, और सारी जातियां आकर तेरे साम्हने दण्‍डवत करेंगी, क्‍योंकि तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं" - प्रकाशितवाक्य १५:४। जो परमेश्वर को भली-भांति जानते हैं वे उसके न्याय के लिये उस पर न्याय नहीं करते, वरन वे उसकी आराधना और उसके कार्यों के लिये उसकी उपासना करते हैं।

हमें अचंभा परमेश्वर के बड़े न्याय से नहीं होना चाहिये, वरन इस बात से हो्ना चाहिये कि इस न्याय के लिये उसने इतनी लंबी प्रतीक्षा करी, जिससे कि प्रत्येक को पश्चाताप का अवसर मिले और कोई भी नाश न हो (२ पतरस ३:९)।परमेश्वर आज भी अपने न्याय को अपनी बड़ी दया में होकर रोके हुए है, वह अपनी करुणा और अनुग्रह को भरपूरी से अवसर दे रहा है। यही समय है उसके धैर्य पूर्ण प्रेम का लाभ उठाकर पापों से पश्चाताप करने का। जब आप ऐसा करेंगे तो आप भी सन्तों के साथ अनन्त काल तक उसकी आरधाना करने वाले हो जाएंगे। - जो स्टोवैल


जब परमेश्वर का न्याय पूरी तरह से खुलकर सामने आयेगा, तब उसकी प्रशंसा और जय जयकार के नारे गूंजेंगे।


बाइबल पाठ: प्रकाशित्वाक्य १५


हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा क्‍योंकि केवल तू ही पवित्र है, और सारी जातियां आकर तेरे साम्हने दण्‍डवत करेंगी, क्‍योंकि तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं - प्रकाशितवाक्य १५:४


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ५-७
  • प्रेरितों के काम ८:१-२५

शुक्रवार, 25 जून 2010

प्रतिरोध

यूजीन क्यूसॉन्स चिंपैन्ज़ी बन्दरों को बचाने का कार्य करते हैं। जंगली जनवरों के मांस के व्यापार में लगे लोग इन बन्दरों को अनाथ बनाने के बाद जेल कोठरी से भी छोटी जगह में इन्हें कैद करके रखते है। यूजीन ने इनके आज़ाद रहने के लिये एक खुला स्थान बनाया है जिसे वह Chimp Eden (वानर वाटिका) कहता है। जब वह इन्हें उस वाटिका में रखने के लिये ले जाने आता है तो अक्सर इन वानरों को घबराया हुआ और विरोध का बरताव करते पाता है।

जब वह उन्हें उस नये खुले स्थान पर ले जाने के लिये एक छोटे पिंजरे में रखने का प्रयास करता है तो वे बन्दर बहुत विरोध करते हैं। उसका कहना है कि "ये नहीं समझते कि मैं उनका नुकसान पहूंचाने वाला मनुष्य नहीं हूँ। मैं तो उन्हें एक बेहतर जीवन देने के लिये उस वानर वाटिका में ले जाना चाहता हूँ।"

इससे भी एक श्रेष्ठ रूप में यह उदाहरण परमेश्वर द्वारा हमें पाप के दासत्व से छुड़ाने के प्रयास और उसमें नासमझी के कारण हमारे द्वारा डाले जाने वाले प्रतिरोध को समझाता है। जब परमेश्वर ने इस्त्रालियों को मिस्त्र देश के दासत्व से छुड़ाया, और उन्हें कठिन स्थानों से लेकर चला तो उन लोगों ने परमेश्वर की भली मनशा पर शक किया और कहा "... क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि हम मिस्र देश को लौट जाएं?" (गिनती १४:३)।

हमारी ’विशवास’ की यात्रा में भी कई बार हमें लगता है कि पाप की ’आज़ादी’ जिसे हम पीछे छोड़कर आये हैं, विश्वास के वर्तमान अनुशासन से बेहतर थी। ऐसे में हमें परमेश्वर द्वारा हमारी सुरक्षा के लिये निर्धारित करी गई और उसके वचन में मिलने वाली सीमाओं का आदर करना है जिससे हम उस परम स्वतंत्रता के स्थान तक पहुँच सकें। - जूली ऐकरमैन लिंक


परमेश्वर की आज्ञाकारिता ही सवतंत्रता की कुंजी है।


बाइबल पाठ: गिनती १४:१-१०


यदि यहोवा हम से प्रसन्न हो, तो हम को उस देश में, जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, पहुंचाकर उसे हमें दे देगा। - गिनती १४:८


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३, ४
  • प्रेरितों के काम ७:४४-६०

गुरुवार, 24 जून 2010

टालने की समस्या

हम में से बहुत इस समस्या से जूझते हैं - टालने की समस्या। एलबर्टा स्थित कैलगरी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक ने इस विषय पर ५ वर्ष तक शोध किया और पाया कि ९५% लोग किसी न किसी बात को टालते हैं। एक अनुमान के अनुसार, अपना कर देना टालने के कारण अमेरीकी लोग लगभग $४०० करोड़ सालाना का नुकसान उठाते हैं! असफल होने के भय अथवा अन्य किन्हीं संभावित असुरक्षाओं के कारण हम किसी कार्य को आरंभ करने के लिये या कोई निर्णय लेने के लिये प्रतीक्षा ही करते रह जाते हैं।

मण्डली (चर्च) में भी टालना एक समस्या है। बहुत लोग परमेश्वर की सेवा करने को टालते रहते हैं। हम जानते हैं कि हमें औरों तक मसीह के सुसमाचार को पहुंचाना है, पर हम इसे टाल जाते हैं, इस चिंता में कि कैसे करेंगे, या करेंगे तो कहीं असफल न हो जाएं। क्योंकि हम अपने वरदानों और अभिरुचियों को भली भांति नहीं जानते, इसलिये मण्डली के कामों में जुड़ने से कतराते हैं और टालते रहते हैं, इस डर से कि "कहीं मैं कोई घटिया काम न कर बैठूं" या "अगर आरंभ करने के बाद मुझे लगे कि मैं इसे नहीं कर पाउंगा, तो क्या होगा?"

इस बात के लिये रोमियों की पत्री का १२वां अध्याय हमें कुछ प्रोत्साहन देता है। वहां हमें मिलता है कि परमेश्वर की सेवा का आरंभ होता है परमेश्वर को भावते हुए जीवित और पवित्र बलिदान के रूप में अपने आप का समर्पण करने से - रोमियों १२:१ । प्रार्थना करें और अपने आप को पुनः प्रभु और उसके कार्य के लिये समर्पित करें। फिर अपने आस-पास ध्यान करें कि आपकी मण्डली में लोग किन कार्यों में लगे हैं, और उनके साथ मिलकर उन कार्यों में हाथ बंटाएं। चाहे तो छोटे से आरंभ करें और कई कार्यों में प्रयास करें।

आपकी मण्डली को आपकी आवश्यक्ता है। परमेश्वर से मांगें कि वह आपको आपकी टालने की समस्या से निकलने में सहायता करे। - एनी सेटास


एक स्वस्थ मण्डली के लिये हर सद्स्य को अपने अपने आत्मिक वरदान का उपयोग करना है।


बाइबल पाठ: रोमियों १२:४-१३


क्‍योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं। वैसे ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में एक दूसरे के अंग हैं। - रोमियों १२:४, ५


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब १, २
  • प्रेरितों के काम ७:२२-४३

बुधवार, 23 जून 2010

एक सामर्थी सन्देश

बाइबल शिक्षक लेहमैन स्ट्रौस ने लड़कपन में ही परमेश्वर के वचन की सामर्थ द्वारा मसीह को अपनाया। उन्होंने अपनी सहेली के कहने पर रोमियों की पत्री से कुछ अंश पढ़े, वे थे रोमियों ३:२३, ५:८ और १०:१३। इन पदों को पढ़ने से उन्हें अपने पाप का बोध हुआ और उन्होंने अपनी दशा पर विलाप के साथ पश्चाताप किया तथा मसीह को ग्रहण किया।

जब उनका पुत्र रिचर्ड ७ वर्ष का था तो उसने अपने पिता से उद्धार का मार्ग पूछा। लेहमैन ने उन्हीं पदों का प्रयोग किया जो उस समय उनकी सहेली और अब उनकी पत्नी ने सालों पहले उनके लिये किया था। उनके पुत्र ने भी विश्वास किया और आगे चलकर परमेश्वर का सेवक बना।

परमेश्वर के वचन में अद्‍भुत और कलपना से परे सामर्थ है। काल के आरंभ में परमेश्वर ने कहा कि उजियाला हो और हो गया (उत्पत्ति १:३)। उसने एब्राहम से वाचा बांधी (उत्पत्ति १७:१५-१९) और उसे उसकी ९० वर्षीय पत्नी से पुत्र दिया (उत्पत्ति २१:१, २)। परमेश्वर आज भी सामर्थ के साथ बात करता है। जो जो उसकी सुनकर सुसमाचार पर विश्वास लाते हैं, वे उद्धार पाते हैं (रोमियों १:१६)।

जी हाँ, मसीह का सुसमाचार और क्रूस पर उसके द्वारा किया गया उद्धार का काम व्यक्ति के जीवन की दशा बदल सकते हैं। उस वचन में वह सामर्थ है कि वह उस के दिल की गहराई तक पहुंचे जिससे आप प्रेम करते हैं और जिसके लिये आपने कई बार प्रार्थना करी है।

इसलिये अपनी गवाही में कभी निराश होकर पीछे मत हटिये, लगातार परमेश्वर के साथ स्थिरता से चलते रहें। प्रार्थना करते रहें और सुसमाचार बांटते रहें - वह एक सामर्थी सन्देश है। - डेव एग्नर


हमारे शब्दों में प्रभाव डालने की सामर्थ है; परमेश्वर के वचन में उद्धार देने की सामर्थ है।


बाइबल पाठ:१ कुरिन्थियों १:१८-२५


मसीह का सुसमाचार...हर एक विश्वास करने वाले के लिये....उद्धार कि निमित परमेश्वर की सामर्थ है। - रोमियों १:१६


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ९, १०
  • प्रेरितों के काम ७:१-२१

मंगलवार, 22 जून 2010

खुला निमंत्रण

सन १६८२ में राजा लूई XIV ने पैरिस की जगह वेरसेलेयस को फ्रांस की राजधनी बनाया और वह १७८९ तक राजधानी रही (बीच के थोड़े से समय को छोड़कर), फिर वापस राजधानी पैरिस हो गई। वेरसेलेयस में राजा ने एक भव्य महल का निर्माण करवाया, जिसमें एक २४१ फुट लम्बा और दर्पणों से भरा शनदार हॉल है। इस हॉल के एक सिरे पर चांदी से बना राजा का सिंहासन था। राजा से भेंट करने आने वालों को दूसरे सिरे से प्रवेश करना होता था, और हर पांच कदम पर, चमचमाते हुए राज-सिंहासन पर बैठे राजा को, झुककर आदर देना होता था। विदेशी राजदूतों को भी फ्रांस के राजा की कृपादृष्टि बनाए रखने के लिए इस अपमानजनक आचार को निभाना पड़ता था।

इसकी तुलना में, हमारा परमेश्वर, जो राजाओं के राजा है, सभी लोगों को अपने सिंहासन के समीप निर्बाध आने का निमंत्रण देता है। जब कभी हमें आवश्यक्ता हो, हम हर हाल और परिस्थिति में उसके समीप आ सकते हैं, इसके लिये कोई पूर्व-नियुक्ति लेने या किसी प्रक्रिया को निभाने की बन्दिश नहीं है।

इतने खुले दिल से हमारा स्वागत करने वाले और हम से मिलने को सदा तत्पर रहने वाले स्वर्गीय पिता के प्रति हमें कितना आभारी होना चाहिये। "क्‍योंकि उस ही (यीशु मसीह) के द्वारा हमारी एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है" (इफिसियों २:१८)। इसी कारण इब्रानियों की पत्री का लेखक हमें प्रेरित करता है कि "इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे" (इब्रानियों ४:१६)।

क्या आपने परमेश्वर के इस खुले निमंत्रण का लाभ उठाया? आदर, भय और आभार के साथ सृष्टि के रचियेता और परमेश्वर के सम्मुख आएं, वह आपकी प्रार्थना सुनने के लिये सदा तैयार है। - सी. पी. हिया


परमेश्वर के सिंहासान का मार्ग सदा खुला रहता है।


बाइबल पाठ: इफिसियों २:१४-२२


इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों ४:१६


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ६-८
  • प्रेरितों के काम ६

सोमवार, 21 जून 2010

आनन्दमय पुनर्मिलन

अमेरिका के उटाह प्रांत से, सन २००२ में एक लड़की एलिज़ाबेथ का अपहरण हो गया। वह अपने अपहरण्कर्ताओं के साथ एक लाचार जीवन व्यतीत करती रही। अपहरण के ९ महीने बाद उसे खोज लिया गया और वह अपने घर लौट सकी। उस परिवार के लिये यह एक बहुत प्रतिक्षित तथा आनन्दमय पुनर्मिलन था।

"प्रकाशितवाक्य" में यूहन्ना एक नई धरती और नए स्वर्ग के अपने दर्शन और प्रभु के साथ होने वाले मिलन का वर्णन करता है (प्रकाशितवाक्य २१:१-५)। इस वर्णन का संदर्भ केवल भौगोलिक नहीं है, वह परमेश्वर के लोगों के जीवन का सन्दर्भ है - एक महिमामय सत्य का, परमेश्वर और उसके लोगों का अनन्त्काल तक एक साथ रहने का सत्य।

यूहन्ना उन आशीशों के बारे में बताता है जो परमेश्वर का उसके लोगों के मध्य में निवास करने के द्वारा उन्हें मिलेंगी। पाप के दुष्परिणाम हमेशा के लिये मिटा दिये जाएंगे। यूहन्ना के दर्शन में, दुख, मृत्यु, दर्द, विछोह आदि उन पुरानी बातों का भाग हैं जो तब सदा के लिये जाती रहेंगी। पुरानी रीतियां हट जाएंगी, एक नया और सिद्ध व्यवहार आ जाएगा; एक अनन्तकालीन और आशीशमय पुनर्मिलन होगा। "परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा, और उन का परमेश्वर होगा। और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा, और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं:" (प्रकाशितवाक्य २१:३-५)।

एक दिन हम अपने परमेश्वर पिता के साथ होने वाले आनन्दमय पुनर्मिलन में मगन होंगे; वह ऐसे अदभुत आनन्द का समय होगा जिसकी हम अभी कल्पना भी नहीं कर सकते। - मार्विन विलियम्स


बिछड़ना धरती का नियम है; पुनर्मिलन स्वर्ग का!


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २१:१-५


परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा, और उन का परमेश्वर होगा। - प्रकाशितवाक्य २१:३


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर ३-५
  • प्रेरितों के काम ५:२२-४२

रविवार, 20 जून 2010

हमारी विरासत

मेरे एक मित्र ने लिखा, "यदि कल हम मर जयें तो जिस कंपनी में हम काम करते हैं वह कुछ ही दिनों में हमारी जगह किसी दुसरे को नियुक्त कर लेगी। परन्तु हमारा परिवार जो पीछे रह जायेगा, वह इस हानि की भरपाई कभी नहीं कर पायेगा और सदा हमारी कमी उसे खलेगी। तो फिर क्यों हम अपने आप को अपने काम में इतना अधिक और अपने बच्चों के जीवन में इतना कम खर्च करते हैं?"

क्यों हम अकसर सुबह जल्दी उठकर और देर शाम तक काम करते रहने से अपने आप को थका लेते हैं, और "दुख भरी रोटी खाते हैं" (भजन १२७:१, २)? हम दुनिया पर अपनी छाप छोड़ने में तो व्यस्त रहते हैं, लेकिन हमारे जीवन में जो बहुमूल्य हैं - हमारे बच्चे, उनकी उपेक्षा कर जाते हैं।

राजा सुलेमान ने सन्तान के लिये कहा कि वे "लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं। जैसे वीर के हाथ में तीर, वैसे ही जवानी के लड़के होते हैं" (भजन १२७:३, ४)। हमारे समय और सामर्थ का हकदार इनसे अधिक और कोई नहीं हो सकता।

राजा सुलेमान ने कहा, रात-दिन मेहनत करने के व्यर्थ परिश्रम की आवश्यक्ता नहीं है, क्योंकि परमेश्वर हमारी ज़रूरतों का ध्यान रखता है (भजन १२७:२)। हम निश्चिंत होकर अपने बच्चों के लिये समय दे सकते हैं और विश्वास रख सकते हैं कि परमेश्वर हमारी भौतिक आवश्यक्ताओं को पूरा करेगा। बच्चे, चाहे हमारे अपने हों या वे जिन्हें हम प्रशिक्षित करते हैं, हमारी स्थायी विरासत हैं। उनपर व्यय किये गये समय और सामर्थ के विष्य में हमें कभी निराशा नहीं होगी। - डेविड रोपर


अपने बच्चों के साथ बिताया गया समय बुद्धिमानी से विनियोग किया गया समय है।


बाइबल पाठ: भजन १२७


लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं। - भजन १२७:३


एक साल में बाइबल:
  • एस्तेर १, २
  • प्रेरितों के काम ५:१-२१

शनिवार, 19 जून 2010

प्रलोभन

दो भाई, दोनो अलग अलग स्थानों पर, अपने घर और एक दूसरे से दूर, दोनो एक जैसे ही प्रलोभन में पड़े किंतु उनकी उस प्रलोभन की प्रतिक्रीया में ज़मीन-आसमान का अन्तर था। एक, अपने परिवार से दूर, एक जवान युवती की युक्ति का शिकार हुआ और उसके इस पाप के कारण पारिवारिक कलेश और शर्मिंदगी हुई। दूसरा, पारिवारिक कलेश के कारण अपने प्रीय जनों से दूर हुआ, उसने एक व्यसक युवती के निमंत्रण को ठुकराया और उसकी इस विश्वासयोग्यता से परिवार का बचाव और पुनर्वास हुआ।

कौन हैं ये भाई? दोनो याकूब की सन्तान हैं, पहला था यहूदा जो अपनी उपेक्षित बहु तामार द्वारा परेशानी में बनाई गई चाल में फंस गया (उत्पत्ति ३८) और दूसरा था यूसुफ जो अपने स्वामी पोतिफर की पत्नी के प्रलोभनों से बचकर भागा (उत्पत्ति ३९)। एक अध्याय एक घिनौनी कहानी है गैरज़िम्मेदार बर्ताव और धोखे की, दूसरा अध्याय एक सुन्दर उदाहरण है विश्वासयोग्यता का।

यहूदा और यूसुफ की कहानियां, याकुब के वंश के वृतांत (उत्पत्ति ३७:२) के बीच में एक दूसरे के आगे-पीछे दी गईं हैं, ये दर्शाती हैं कि समस्या प्रलोभन नहीं है वरन उसके प्रति होने वाली प्रतिक्रीया है। सबको प्रलोभनों का सामना करन पड़ता है, प्रभु यीशु ने भी किया (मत्ती ४:१-११)। सवाल है कि हम प्रलोभन का सामना कैसे करते हैं? क्या हम दिखाते हैं कि परमेश्वर में विश्वास हमें पाप के सामने घुटने टेक जाने से बचा सकता है?

यूसुफ ने प्रलोभन का सामना करने का एक तरीका दिखाया - प्रलोभन को परमेश्वर के प्रति अपमान जानकर उससे दूर भागना। यीशु ने एक और तरीका बताया - परमेश्वर के वचन के सत्य से प्रलोभन पर जय पाना।

क्या आप किसी प्रलोभन का सामना कर रहे हैं? इसे एक अवसर समझिये परमेश्वर और उसके वचन को अपने जीवन में सार्थक दिखाने का, और उस प्रलोभन से भाग निकलिये। - डेव ब्रैनन


हम प्रलोभन में तब ही गिरते हैं जब हम उसके विरुद्ध खड़े नहीं रहते।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति ३९:१-१२


सो भला, मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी क्योंकर बनूं? - उत्पत्ति ३९:९


एक साल में बाइबल:
  • नेहेमियह १२, १३
  • प्रेरितों के काम ४:२३-३७

शुक्रवार, 18 जून 2010

जोशीला साहस

लंदन की बाहरी सीमा के एक इलाके - हाउन्स्लो में एक युवक राह चलते लोगों को प्रचार कर रहा था। अधिकतर लोग उसे नज़रन्दाज़ कर रहे थे, कुछ उसका मज़ाक बना रहे थे और थोड़े से उसकी बात सुन रहे थे। परन्तु लोगों की प्रतिक्रीया से बेपरवाह वह अपनी बात बोलता ही जा रहा था। बुलन्द आवाज़ और दृढ़ निश्चय के साथ वह अपने दिल की बात कह रहा था, एक क्रुद्ध भविष्यद्वक्ता के जैसे नहीं वरन उस मार्ग पर उपस्थित लोगों के प्रति एक गहरी चिंता रखने वाले के समान। उसके हाव-भाव और आवाज़ में करुणा थी, निन्दा नहीं; वह बड़ी हिम्मत के साथ सम्सत संसार के प्रति मसीह के प्रेम और अनुग्रह का वर्णन कर रहा था।

प्रेरितों ४ में, जबकि कलीसिया अभी नई ही थी, पतरस और यूहन्ना ने भी बड़े हियाव के साथ अपने समय के लोगों को संबोधित किया। उन को सुनने वाले लोगों की क्या प्रतिक्रीया हई? "जब उन्‍होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं" (प्रेरितों ४:१३)। पतरस और यूहन्ना में यह हियाव किसी विद्यालय में शिक्षा पाने से नहीं आया, यह नतीजा था अपने प्रभु एवं गुरू के साथ बहुत समय बिताने का। इस कारण वे भी उसी के लिये जोशीले हो गए थे जिसकी प्रभु को चिंता थी - मनुष्यों का अनन्त अन्तिम स्थान। यही जोश हाउन्स्लो के उस युवक में था।

क्या लोग हम में ऐसा जोश देखते हैं? - बिल क्राउडर


एक मसीही राजाओं के राजा का सन्देश देने वाला उसका राजदूत है।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम ४:५-१३


जब उन्‍होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। - प्रेरितों ४:१३



एक साल में बाइबल:
  • नेहेमियाह १०, ११
  • प्रेरितों के कम ४:१-२२

गुरुवार, 17 जून 2010

मामूली पैसे (सैन्ट)

इल्लिनोय विश्वविद्यालय में दाखिला पाए एक नये छात्र, माईक हेय्स ने अपनी शिक्षा के लिये आवश्यक धन एकत्रित करने के लिये एक अनूठा तरीका प्रयोग किया। उसने उस इलाके के एक लोकप्रीय अख़बार "शिकागो ट्रिब्यून" के एक जाने माने पत्रकार को मनाया कि वह अपने लेख में उसके लिये अपील करे "माईक के लिये एक सैन्ट भेजो"।

माईक ने कहा "केवल एक सैन्ट; किसी के लिये भी एक सैन्ट कोई मूल्य नहीं रखता। अपने चारों ओर देखो, कमरे में किसी जगह, ज़मीन पर या सोफे के गद्दी के नीचे या कहीं और, एक सैन्ट ऐसे ही कहीं न कहीं पड़ा ज़रूर मिलेगा। मैं आपसे केवल वही मांग रहा हूँ, प्रत्येक पाठक से केवल एक सैन्ट"।

एक महीने से भी कम समय में माईक के पास २३ लाख सैन्ट जमा हो गये। अमेरिका के सब प्रांतों तथा मैक्सिको, कैनडा और बहमास से भी लोगों ने दान भेजा और कुल मिलाकर माईक के पास $२८,००० जमा हो गये!
एक सैन्ट अपने आप में कुछ कीमत नहीं रखता, जब तक कि वह ऐसे ही अनेक अन्य सैन्ट्स के साथ जोड़ा नहीं जाता। जिस स्त्री का ज़िक्र हम मरकुस १२ में पढ़ते हैं, उसने मन्दिर के दान पात्र में केवल दो दमड़ियां ही डालीं, जो उसकी सारी जीविका थीं (पद ४४)। यद्यपि वे दो दमड़ियां आज के एक सैन्ट से भी बहुत कीमत रखतीं थीं, परन्तु प्रभु यीशु ने उस बहुत थोड़े को भी बहुत आदर दीया क्योंकि उस विधवा ने अपना सब कुछ दे दिया।

उसका यह दान यीशु चेलों के लिये एक उदाहरण और शिक्षा बना, और आज भी हमें सिखाता है। क्या हम कभी ऐसे उदार हुए हैं? यीशु ने उस बेनाम विधवा के द्वारा सिखाया कि वास्तव में दान देने का तात्पर्य क्या है। उस दान का मूल्य एक सैन्ट से भी कम था, किंतु परमेश्वर के प्रति प्रेम की वह अमूल्य भेंट थी। - सिंडी हैस कैसपर


परमेश्वर देने वाले का दिल देखता है, हाथ नहीं; वह दानी को देखता है दान को नहीं।


बाइबल पाठ: मरकुस १२:४१-४४


तब उस (यीशु) ने अपने चेलों को पास बुलाकर उन से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि मन्‍दिर के भण्‍डार में डालने वालों में से इस कंगाल विधवा ने सब से बढ़कर डाला है। - मरकुस १२:४३


एक साल में बाइबल:
  • नेहेमियाह ७-९
  • प्रेरितों के काम ३

बुधवार, 16 जून 2010

दो पैसे का व्यवहार

हाल ही में हमारे परिवार को अपना इन्टरनैट केबल उपलब्ध करने वाला प्रदायक बदलना पड़ा। पहले वाले प्रदायक ने वायदा किया कि उनका इन्टरनैट उपकरण लौटाने के लिये वे डाक-टिकिट लगा एक डब्बा देंगे। हम प्रतीक्षा करते रहे किंतु डब्बा नहीं आया; मैंने उन्हें फोन किया, फिर भी डब्बा तो नहीं आया वरन उसका बिल आ गया।

इस का समाधान करने के लिये मैंने उस उपकरण को अपने डाक-खर्च पर उनहें लौटा दिया, फिर उन्हें कई सन्देश भेजे यह जानने के लिये कि वह उपकरण उन्हें मिल गया या नहीं - पर उन सन्देशों का भी कोई उत्तर नहीं मिला। फिर कुछ समय बाद मुझे उनसे उपकरण वापसी के लिये पैसे लौटाने का एक चैक मिला - दो पैसे का!

इस तरह के अनुभव बहुत कुण्ठित करने वाले होते हैं। एक साधरण सी बात बुरे, अव्यक्तिगत तथा अधूरे व्यवहार के कारण कितनी जटिल और परेशान करने वाली बन जाती है।

यदि हमारी कलीसियाओं में भी किसी को ऐसे ही अव्यक्तिगत तथा अधूरे व्यवहार का सामना करना पड़ता होगा तो यह उनके लिये भी ऐसे ही दुख का कारण होगी। यदि कलीसिया में कोई अपने वैवाहिक जीवन के लिये मार्गदर्शन, अथवा बच्चों की परवरिश के लिये सलाह, या किसी बुरी परिस्थिति में पड़े अपने किसी किशोर बच्चे के लिये मर्गदर्शन की मदद के लिये आये और उसे नीरस और अव्यक्तिगत व्यवहार का सामना करना पड़े तो उसे कैसा लगेगा?

पहली मसीही कलीसिया सिद्ध तो नहीं थी, परन्तु वे एक दुसरे की सहायता करते थे। यरुशलेम की प्रथम कलीसिया के विष्य में लिखा है "और वे अपनी अपनी सम्पत्ति और सामान बेच बेचकर जैसी जिस की आवश्यकता होती थी बांट दिया करते थे" (प्रेरितों २:४५)।

दूसरों की आवश्यक्ता जानने के लिये अच्छा संपर्क बनाना अनिवार्य है। इससे ही हम दुसरों की व्यक्तिगत और व्यावाहरिक सहायता कर सकेंगे, जब भी उनहें इसकी आवश्यक्ता होगी। तब अपने आत्मिक और भौतिक संसाधानों को हम प्रत्येक की आवश्यक्ता के अनुसार, परमेश्वर के प्रेम का पात्र होने के कारण, उनहें उपलब्ध करा सकेंगे। - डैनिस फिशर


परमेश्वर आपका ख्याल रखता है - आप दूसरों का रखिये।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम २:४०-४७


जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रूकना। - नीतिवचन ३:२७


एक साल में बाइबल:
  • नेहेमियाह ४-६
  • प्रेरितों के काम २:२२-४७

मंगलवार, 15 जून 2010

निरंतर प्रोत्साहन

संसार के कई देशों में Father's Day अर्थात "पिता का दिन" मनाया जाता है। यद्यपि सब देशों में इस विषेश दिन का आरंभ, इसमें होने वाली क्रीयाएं और मनाने की तिथि अलग अलग हैं फिर भी उद्देश्य एक ही है - अपने पिता का आदर करना।

इस वर्ष अपने इस विषेश दिन पर मैंने कुछ भिन्न करने का निश्चय किया है। अपने बच्चों के अभिवादन कार्ड या टेलिफोन पर बातचीत की प्रतीक्षा करने की बजाए मैं उन्हें और अपनी पत्नी को प्रशंसा के सन्देश भेजूंगा; आखिरकर, यदि वे सब न होते तो मैं पिता भी न बनता!

पौलुस ने शिक्षा दी कि पिताओं को अपने बच्चों की परवरिश में सकरात्मक भूमिका निभानी चाहिये न कि उनके लिये निराशा या क्रोध का कारण बनें। उसने लिखा "हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्‍तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो" (इफिसियों ६:४); "हे बच्‍चे वालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए" (कुलुस्सियों ३:२१)। यह दोनो पद पारिवारिक संबंधों में आपसी प्रेम और आदर के संदर्भ में हैं।

बच्चों के बड़े होने के साथ पिता की भुमिका बदलती है किंतु समाप्त नहीं होती। बच्चा चाहे ४ वर्ष का हो या ४० का, प्रशंसा और प्रोत्साहन उसे सदा भाते हैं और प्रार्थना सदा सामर्थी होती है। अपने किसी बच्चे के साथ यदि आपका संबंध टूट गया है तो उसे फिर से जोड़ लेने में देर नहीं करनी चाहिए।

पिताओं, अभी यह समय है कि आप अपने बच्चों को बताएं कि आप उनसे कितना प्रेम करते हैं, उनकी प्रशंसा करें और उनको प्रोत्साहित करें। - डेविड मैक्कैस्लैंड


सबसे उत्तम भेंट जो एक पिता अपने बच्चे को दे सकता है वह सव्यं है।


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१४-२५


हे बच्‍चे वालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए। - कुलुस्सियों ३:२१


एक साल में बाइबल:
  • नेहेमियाह १-३
  • प्रेरितों के काम २:१-२१

सोमवार, 14 जून 2010

ध्यान लगाना

कुछ मसीही "ध्यान" करने के बारे में सुनकर विचिलित हो जाते हैं, क्योंकि वे बाइबल में वर्णित "ध्यान" और अन्य लोगों द्वारा बताये जाने वाले "आध्यात्म ध्यान" में फर्क नहीं देख पाते। एक व्याख्या के अनुसार "आध्यात्मिक ध्यान" करने के लिये युक्ति संगत मन को शून्य किया जाता है जिससे आत्मा को नियंत्रण मिल सके; ऐसे ध्यान का लक्ष्य स्वयं के अंदर केंद्रित होकर "परमेश्वर के साथ एकाकार हो जाना" होता है।

इसके विपरीत, बाइबल जिस ध्यान के बारे में बताती है उसका लक्ष्य है परमेश्वर और उसकी बातों पर ध्यान लगाने के द्वारा हमारी बुद्धि और मन का नवीनिकरण (रोमियों १२:२), जिससे हम और अधिक मसीह के समान सोच सकें और कार्य कर सकें। इसका लक्ष्य है जो कुछ परमेश्वर ने किया और कहा है (भजन ७७:१२, ११९:१५, १६, ९७), और उसके स्वरूप पर (भजन ४८:९-१४) मनन करना।

भजन १९:१४ में दाऊद ने लिखा "मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर।" अन्य भजन परमेशवर के प्रेम (४८:९), उसके कार्यों (७७:१२), उसके नियम (११९:९७) और उसकी शिक्षाओं (११९:९९) पर ध्यान करने के बारे में कहते हैं।

अपने मन को परमेश्वेर के वचन से भर लीजीये और प्रभु की आज्ञाओं, प्रतिज्ञाओं और भलाईयों पर ध्यान कीजिये। और यह स्मरण रखिये कि: "...जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो" (फिलिप्पियों ४:८)। - सिंडी हैस कैस्पर


मसीह की समानता में बढ़ने के लिये उसपर ध्यान करो।


बाइबल पाठ: भजन ११९:८९-१०५


मैं तेरे ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप पर और तेरे भांति भांति के आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूंगा। - भजन १४५:५


एक साल में बाइबल:
  • एज़रा ९, १०
  • प्रेरितों के काम १

रविवार, 13 जून 2010

उसके मार्ग में होना

रोमी साम्राज्य अपने राज्य में फैले सड़कों और चौड़े राजमार्गों के जाल के लिये जाना जाता था, जिन पर बहुतायत से यातायात होता था। जब यीशु ने कहा "मार्ग मैं ही हूँ" (यूहन्ना १४:६) तो उसके श्रोताओं के मन में इन्हीं मार्गों का चित्र उभरा होगा।

यद्यपि यह पद यीशु के स्वर्ग का मार्ग होने के संदर्भ में है, किंतु उसके इस कथन में और भी गहरा अर्थ निहित है। इस संसार के घने जंगल की झाड़ियों को काटकर, हमारे जीवन के लिये मार्ग बनाने वाला और उस मार्ग पर हमारा मार्गदर्शक यीशु ही है। बहुतेरे लोग संसार की रीति के अनुसार अपने मित्रों से प्रेम और बैरियों से बैर के मार्ग पर चलते हैं, किंतु यीशु ने हमारे लिये एक नया मार्ग तैयार किया: "परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्यना करो" (मत्ती ५:४४)। दूसरों के दोष देखना और उनकी आलोचना करना तो बहुत आसान है, परन्तु मार्गदर्शक यीशु कहता है कि ऐसा करने से पहले आलोचना करने वाला स्वयं अपनी आंख से लट्ठा निकाल ले (मत्ती ७:३, ४)। वह एक और मार्ग देता है - लालच और स्वार्थ के स्थान पर उदारता से जीने का मार्ग (लूका१२:१३-३४)।

जब यीशु ने कहा "मार्ग मैं हूँ" तो उसकी बुलाहट थी विनाश की ओर ले जाने वाले पुराने मार्ग को छोड़कर उसके पीछे उसके बताये हुए जीवन के नये मार्ग पर चलने की। वास्तव में मरकुस ८:३४ में प्रयुक्त शब्द (जिसका अनुवाद है "अनुसरण करना") का अर्थ है उसके साथ उसके बनाए मार्ग पर होना।

मुझे और आपको यह चुनाव करना है कि या तो हम पुराने और जाने-पहचाने किंतु विनाश पर ले जाने वाले मार्ग पर चल सकते हैं, अथवा उसका अनुसरण करें जो स्वयं मार्ग है और उसके साथ जीवन के मार्ग पर चलें। - जो स्टोवैल


यदि हम उसका अनुसरण करेंगे जो स्वयं मार्ग है तो फिर हमें मार्ग की चिंता करने की आवश्यक्ता नहीं होगी।


बाइबल पाठ: यूहन्ना १४:१-६


यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं। बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। - यूहन्ना १४:६


एक साल में बाइबल:
  • एज़रा ६-८
  • यूहन्ना २१

शनिवार, 12 जून 2010

उचित सौदा

स्कौट और मेरी क्रिकमोर ने अपने जीवन के १५ साल, दक्षिण अफ्रीका की फुलानी जाति की मासिना भाषा में नए नियम का अनुवाद करने में लगा दिये।

प्रारंभिक मसौदे के बाद मेरी आसपास के गांवों में जाकर वहां लोगों को उसे पढ़कर सुनाती, उनकी झोंपड़ियों में बैठकर उन लोगों के समूह से, जो उन्होंने सुना, उसकी चर्चा करती यह जानने के लिये कि क्या जो उन्होंने सुना उसे समझा भी कि नहीं। इससे उन्हें पता चल कि जिन शब्दों का प्रयोग वे अनुवाद में कर रहे थे वे सही और स्पष्ट थे कि नहीं।

कुछ लोग सोच सकते हैं कि स्कौट और मेरी क्रिकमोर को बहुत बड़ा बलिदान देना पड़ा - १५ साल तक आरामदायक जीवन छोड़ कर कठिन परिस्थितियों में केवल उबले चावल और भरता खाना। लेकिन स्कौट और मेरी क्रिकमोर इसे एक उचित सौदा मानते हैं क्योंकि अब फुलानी जाति के पास परमेश्वर का वचन उनकी अपनी भाषा में उपलब्ध है।

भजनकार परमेश्वर के वचन से आनन्दित हुआ। वह उसके वचन का भय मानता था, उससे हर्षित था, उससे प्रीति रखता था और उसका पालन करता था (भजन ११९:१६१-१६८)। उसने परमेश्वर के वचन में बहुत शांति और आशा पायी।

फुलानी कबीले के लोग अब परमेश्वर के वचन के बेशकीमती खज़ाने को पा सकते हैं। क्या आप स्कौट और मेरी क्रिकमोर से सहमत हैं कि परमेश्वर के वचन को दूसरों तक पहुंचाने के प्रयास में उठाई गई हर कठिनाई और दिक्कत एक "उचित सौदा" है? - एने सेटास


परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम का एक मापदण्ड है कि उसके वचन को दुसरों के साथ बांटने के लिये हम क्या कुछ करने को तैयार हैं।


बाइबल पाठ: भजन ११९:१६१-१६८


जैसे कोई बड़ी लूट पाकर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूं। - भजन ११९:१६२


एक साल में बाइबल:
  • एज़रा ३-५
  • यूहन्ना २०

शुक्रवार, 11 जून 2010

धार्मिक दीवाने

मेरा दोस्त मैट एक भोज में आमंत्रित था। जब वह वहां गया तो उसके साथ एक ऐसा व्यक्ति बैठा जो अविश्वासी तो था, साथ ही मसीहियों का उपहास करने में आनन्द पाता था।

सारी शाम वह व्यक्ति बड़े तीखे रूप में मैट को मसीहीयों के संबंध में ताने मारता रहा और मसीहीयों का मज़ाक उड़ाता रहा। हर कटाक्ष पर मैट बड़े शांत स्वरूप में बस इतना ही कहता, " यह एक रोचक विचार है।" अन्तत: मैट ने उससे एक ऐसा प्रश्न पूछा जो मैट की उस व्यक्ति में वास्त्विक रुचि को दर्शाता था और उस प्रश्न से उनकी बातचीत विपरीत विचारधाराओं से हट सकी।

वे दोनो जब जाने के लिये दरवाज़े की ओर बढ़ रहे थे तो उस व्यक्ति ने फिर से मैट की तरफ एक ताना मारा, जिसे सुनकर मैट ने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और मुसकुराकर उससे कहा, "मेरे दोस्त, सारी शाम तुम मुझसे धर्म के बारे में ही बातें करते रहे हो। क्या तुम एक धार्मिक दीवाने हो?"

यह सुनकर उस व्यक्ति का सारा विरोध एक ज़ोर के ठहाके में जाता रहा और फिर वह कुछ गंभीर हो गया, उसमें वास्तव में धार्मिक दीवानगी थी - सब मनुष्यों में होती है, क्योंकि हम परमेश्वर से चाहे कितना भी दूर रहना चाहें, उसका प्रेम निरंतर हमारा पीछा करता रहता है। मैट की नम्रता और विनोदप्रीयता ने उस अविश्वासी को प्रभावित किया और उसके मन को सुसमाचार ग्रहण करने के लिये तैयार किया।

जब हम गैर मसीहीयों से व्यवहार करते हैं तो हमें "सांपों की नाई बुद्धिमान" (मत्ती १०:१६) होना है और उनसे हमारी बात-चीत अनुग्रह सहित और सलोनी हो (कुलुस्सियों ४:६)। - डेविड रोपर


"पृथ्वी के नमक" होने के कारण मसीही दुसरों को "जीवन के जल" के लिए प्यासा बना सकते हैं।


बाइबल पाठ: मत्ती १०:१६-२२


तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए। - कुलुस्सियों ४:६


एक साल में बाइबल:
  • एज़रा १, २
  • यूहन्ना १९:२३-४२

गुरुवार, 10 जून 2010

अनन्त वसन्त का देश

दक्षिण कैरोलिना के कोलंबिया बाइबल कॉलेज के एक भूतपूर्व अधिपति श्री जे. रॉबर्टसन ने दर्शाया कि हमारे बूढे और बुढ़ापे में कमज़ोर होने में भी परमेश्वर का एक बुद्धिमतापूर्ण उद्देश्य है। उनका कहना है, "मेरा विचार है कि परमेश्वर की योजना में जवानी का बल और सुन्दरता शरीर का है और बुढ़ापे का बल और सुन्दरता आत्मा का है। हम धीरे धीरे अपने क्षणिक और नाशवान बल और सौन्दर्य को खोते जाते हैं ताकि हम अपने अविनाशी बल और सौन्दर्य की तरफ ध्यान लगा सकें। तब ही हम नाशवान को छोड़कर अपने अविनाशी घर को जाने के लिये आतुर होंगे। यदि हम सदा जवान, बलवान और सुन्दर रहेंगे तो कभी संसार छोड़कर जाना नहीं चाहेंगे।"

अपनी जवानी में जब हम अपने रिश्तों, मित्रों और कार्यों में मग्न और आनन्दित रहते हैं तो अपने स्वर्गीय घर जाने की लालसा नहीं रखते। परन्तु समय के साथ जब हम अपने आप को परिवार और मित्रों से वंचित पाते हैं, हमारा देखना और सुनना धूमिल हो जाता है, भोजन का स्वाद नहीं रहता, ठीक से नींद नहीं आती, तो हमें अपने स्वर्गीय घर की लालसा होने लगती है।

अपने आप को मैं यह सलाह देता हूँ: जीवन की ग्रीष्म ॠतु हो या पतझड़, सदा कृतज्ञ रहो क्योंकि, जैसा प्रेरित पौलुस ने लिखा है, "परमेश्वर... हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है" (१ तिमुथियुस ६:१७)। साथ ही, जब जीवन की शरद ऋतु आरंभ होती है तब आनन्दित भी रहो क्योंकि तब उम्मीद कर सकते हैं कि शीघ्र ही हम अनन्त वसन्त के देश में होंगे। - वर्नन ग्राउंड्स


स्वर्ग की प्रतिज्ञा हमारी अनन्त आशा है।


बाइबल पाठ: सभोपदेशक १२:१-७


मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूं, परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है। - भजन ३७:२५


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ३४-३६
  • यूहन्ना १९:१-२२

बुधवार, 9 जून 2010

घमंड का जोखिम

जब हमारे बच्चे छोटे थे, तो हमारा एक प्रीय पारिवारिक खेल था RISK (जोखिम) । इस खेल का लक्ष्य संसार पर कब्ज़ा करना था। प्रत्येक खिलाड़ी अपनी सेना को, देशों और महाद्वीपों को जीतने के लिये, एक से दूसरे स्थान पर ले बढ़ाता था। इस खेल को खेलते हुए मुझे सदा एक बात दिल्चस्प लगती थी कि आरंभ में जो खिलाड़ी जीतना शुरु करता था, अन्त में वह शायद ही कभी जीत पाता था। इसका कारण स्पष्ट था - जब बाकी खिलाड़ी जीतने वाले के बढ़ते हुए घमंड को देखते थे तो स्वाभाविक प्रतिक्रीया से उसके विरुद्ध एक हो जाते थे।

जानबूझकर या अवचेतना से, घमंडी तथा ताकतवर लोगों को पसन्द न करना स्वाभाविक होता है। ऐसे लोगों के हाव-भाव ही दूसरों को उनके रास्तों में बाधाएं डालने या उनका विरोध करने को प्रोत्साहित करते हैं।

आज के बाइबल पाठ में हम पाते हैं कि परमेश्वर सात बातों से घृणा करता है, जिनमें पहली है घमंड। जब कोई दूसरों को नीचा दिखाकर अपने आप को महान जताना चाहता है, तो यह उसकी घमंडी नज़रों से प्रकट हो जाता है। अपने अहंकार में फूलकर वह बुराई की योजनाएं बनाने लगता है और लोगों में फूट बोता है। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि परमेश्वर घमंडीयों से घृणा करता है।

घमंडी तथा ताकतवर लोग ये सोचकर चल सकते हैं कि उन्हें दूसरों की अप्रसन्नता की परवाह करने की आवश्यक्ता नहीं है, किंतु वे परमेश्वर के विरोध को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते। पतरस हमें स्मरण दिलाता है कि हम अपने पर नहीं वरन उस परमेश्वर पर भरोसा रखें जो उचित समय पर हमें बढ़ाएगा (१ पतरस ५:६)। जब हम उसपर भरोसा रखकर उसके आधीन हो जाते हैं तो हम घमंड द्वारा चरित्र बिगड़ने के ज़ोखिम से बच जाते हैं और परमेश्वर के धन्यवादी तथा नम्र सेवक हो जाते हैं। - एल्बर्ट ली


कोई भी परमेश्वर और स्वयं, दोनो को एक साथ महिमा नहीं दे सकता।


बाइबल पाठ: नीतिवचन ६:१६-१९


इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। - १ पतरस ५:६


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ३२, ३३
  • यूहन्ना १८:१९-४०

मंगलवार, 8 जून 2010

एक जीवन की यादें

"डैडी, मेरी मदद कीजिए" - ये वे आखिरी शब्द थे जो डायेन और गैरी क्रोनिन ने सांस लेने के लिये ज़ोर लगाती अपनी बेटी के मुंह से सुने। क्रिस्टिन, १४ वर्ष की आयु में अचानक ही चल बसी। केवल दो दिन पहले उसने कहा कि वह कुछ ठीक महसूस नहीं कर रही है; गुरुवार को उसके शरीर में संक्रमण हुआ और शनिवार को वह अपने पिता से मदद की गुहार करती हुई चल बसी।

क्रिस्टिन की मृत्यु होने से पहले ही मेरा उसके पारिवारिक चर्च में बोलना निर्धारित हो चुका था। परमेश्वर के समय निर्धारण में, उसकी मृत्यु और अन्तिम संस्कार के एक दिन बाद मुझे उस मण्डली के सामने खड़े होकर सन्देश देना पड़ा।

क्रिस्टिन एक सजीव और सदा प्रफुल्लित रहने वाली किशोर थी, वह यीशु से प्रेम रखती थी और उसी के लिये जीती थी इसलिये उसकी अचानक मृत्यु हमारे सामने अनगिनित प्रश्न उठाती है। क्योंकि मैं भी कुछ वर्ष पहले अपनी किशोर बेटी की अचानक म्रुत्यु की ऐसी ही दुखःदायी परिस्थिति से निकला था, मैं उस स्तब्ध और दुखी मण्डली को संबोधित कर सका और उन्हें समझा सका। मैंने उन से कहा, सबसे पहले हमें परमेश्वर के सर्वाधिकारी होने को नहीं भूलना है; भजन १३९:१६ हमें स्मरण दिलाता है कि क्रिस्टिन का जीवन काल परमेश्वर द्वारा निर्धारित था। दूसरी बात जिसे सदा याद रखना है वह है उसका परिवार। चाहे २ महीने बीतें या ५ साल, वह परिवार उसकी मृत्यु को कभी भुला नहीं पाएगा। उन्हें सदा ऐसे मसीहीयों की आवश्यक्ता रहेगी जो उनकी सुधी रखें और उन्हें सांत्वना दें।

ऐसे कठिन समयों में हम कभी यह न भूलें कि परमेश्वर हर परिस्थिति पर अधिकार रखता है और उसकी इच्छा हमें अपने शान्तिवाहक बनाकर दूसरों तक शान्ति पहुंचाना है। - डेव ब्रैनन


निराशा की हर मरुभूमि में परमेश्वर ने सांत्वना की हरियाली प्रदान की है।


बाइबल पाठ: भजन १३९:१-१६


वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है, ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। - २ कुरिन्थियों १:४


एक साल में बाइबल: २ इतिहास ३०, ३१ यूहन्ना १८:१-१८

सोमवार, 7 जून 2010

वचन और संख्या

मेरे पति, जे, संख्याओं में निपुण हैं और मैं शब्दों अर्थात "वचन" में। यदि संख्याओं में मेरी कमज़ोरी कभी मेरे अहम् को ठेस पहुंचाती है तो अपने आप को बड़ा जताने के लिये मैं जे से कहती हूं कि "वचन" के लोग श्रेष्ठ होते हैं क्योंकि यीशु ने अपने आप को "वचन" कहा न कि "संख्या"।

अपने पक्ष में तर्क देने कि बजाए जे मेरी बात सुनकर बस मुस्कुरा देते हैं और मेरे बचकाने तर्कों से अधिक महत्वपूर्ण अपने काम को जारी रखते हैं। क्योंकि जे अपना बचाव नहीं करते इसलिये मुझे ही यह बचाव भी करना पड़ता है। यद्यपि मैं इस बात में सही हूं कि यीशु "वचन" है; किंतु मैं इस बात में गलत हूं कि उन्होंने अपने लिये किसी संख्या का प्रयोग नहीं किया। परमेश्वर के वचन का एक मर्मस्पर्शी भाग है प्रभु यीशु की प्रार्थना जो उन्होंने अपने बंदी बनाकर क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले करी। मृत्यु उनके सामने थी, ऐसे में उन्होंने न केवल अपने वरन अपने चेलों के लिये और हमारे लिये भी प्रार्थना करी। हमारे लिये उनकी प्रार्थना का सबसे महत्वपूर्ण भाग एक संख्या से सम्बंधित है। उन्होंने कहा: "मैं केवल इन्‍हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्‍तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों। जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे भेजा। और वह महिमा जो तू ने मुझे दी, मैं ने उन्‍हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे की हम एक हैं।" (यूहन्ना १७:२०-२२)

"वचन" के साथ जीवन जीने वाले लोग होने के कारण हमें स्मरण रखना है कि सही वचन भी संसार को निरर्थक लगेगा यदि मसीह में हम एक रहकर, एक मन और एक आवाज़ में परमेश्वर की महिमा न करें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर अपनी सन्तान को एकता में रहने के लिये बुलाता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना १७:२०-२६


मैं और पिता एक हैं। - यूहन्ना १०:३०


एक साल में बाइबल: २ इतिहास २८, २९ यूहन्ना १७

रविवार, 6 जून 2010

कठिन दिन

टेलिविज़न पर प्रसारित होने वाले एक सिरीयल कार्यक्रम "बैण्ड ऑफ ब्रदर्स" में योरप को नाट्ज़ी कबज़े से छुड़ाने के मुख्य प्रयास के दौरान सेना की एक टुकड़ी को वायुयानों द्वारा युद्ध के क्षेत्र के उपर से लेजा कर पैराशूट द्वारा वहां उतारा जाता है। सीरियल का मुख्य पात्र लैफटिनैंट रिचर्ड विनटर्स जब पैराशूट से उतर रहा होता है तब उनके विरुद्ध मशीन गन और तोपों की भारी गोलाबारी चल रही होती है।

विनटर्स बाद में युद्ध में अपने प्रथम दिन को याद करके कहता है, "उस रात मैंने परमेश्वर का धन्यवाद किया कि उसने मुझे उस सब से कठिन दिन में सुरक्षित रखा।....मैंने परमेश्वर से वायदा किया कि अगर मैं सुरक्षित घर लौटा तो मैं किसी शांत स्थान पर एक छोटा सा ज़मीन का टुकड़ा खरीदकर, वहां शांति से रहुंगा।" परन्तु विनटर्स यह भी जानता था कि ऐसा दिन के आने तक, उसे युद्ध में सब कुछ सहते रहना है।

बाइबल बताती है कि विश्वासी भी शैतान द्वारा परमेश्वर के विरोध में छेड़े गए युद्ध में फंसे हैं। इस कारण उन्हें "मसीह यीशु के अच्छे योद्धा के समान दुख उठाने" की चुनौती है (२ तिमुथियुस २:१०)। पौलुस के ज़माने में रोमी सम्राट के योद्धा अपने सम्राट के लिये तकलीफें उठाते थे। यीशु के अनुयायी होने के नाते, हमें भी उस ’राजाओं के राजा’ की सेवा के लिये दुख उठाने को तैयार रहना चाहिये।

स्वर्ग में हमें कोई भी कष्ट नहीं उठाना पड़ेगा, वरन हम अपने उद्धारकर्ता के साथ अनन्त शांति में रहेंगे। परन्तु अभी हमें विश्वास के साथ उसके लिये स्थिर रहना और सब कुछ निभाना है। - डेनिस फिशर


जो दुख सहने को तैयार हैं उनकी जीत अवश्यंभावी है।


बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस २:१-४


मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा की नाई मेरे साथ दुख उठा। - २ तिमुथियुस २:३


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास २५-२७
  • यूहन्ना १६

शनिवार, 5 जून 2010

गोद लिया हुआ

प्राचीन रोमी साम्राज्य में सम्राट कभी कभी उत्तराधिकार के लिये किसी योग्य जन को गोद ले लेते थे। अगस्तुस कैसर को उसके बड़े काका जूलियस कैसर ने गोद लिया। सम्राट तिबिरयस, ट्रोज़न, हैड्रियन भी गोद लिये हुए थे। वे सब प्रतापि शासक हुए क्योंकि प्रत्येक अपने दत्तक पिता के समन जीया।

प्रत्येक मसीही विश्वासी राजाओं के राजा परमेश्वर का दत्तक पुत्र है। उसके इस उपकार के लिये हम उसके अति आभारी हैं। परन्तु परमेश्वर जिसके पास सब कुछ है, हम उसका प्रत्युप्कार नहीं कर सकते।

परमेश्वर हमसे क्या चाहता है? वह चाहता है कि हम ऐसा जीवन जियें जो उसकी सन्तान होने के अनुकूल हो। ऐसे सब कार्य और बातें जो हमारे परमेश्वर की सन्तान होने के अनुरूप नहीं हैं, उन्हें जीवन से हटा देना है (कुलुसियों ३:५)। स्वार्थी और नाशकारी मार्गों के स्थान पर ऐसे कार्य करने हैं जो परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम और आभार को और हमारे परमेश्वर की सन्तान होने को प्रदर्शित करते हैं। पौलुस ने लिखा, "इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो" (पद १२)।

क्या आपके आसपास के लोग कह सकते हैं कि आप वास्तव में परमेश्वर की सन्तान हैं? पवित्र आत्मा से पूछें कि आपके जीवन में ऐसा क्या है जिसे आप को छोड़ना है और क्या है जिसे धारण करना है, जिससे आप वास्तव में अपने परमेश्वर के पुत्र होने के औहदे को प्रदर्शित कर सकें। - सी. पी. हीया।


जब हम परमेश्वर को अपना पिता कहकर उसकी सन्तान के समान जीवन व्यतीत करते हैं तो उसके नाम को आदर देते हैं।


बाइबल पाठ: कुलुसियों ३:१-१२


इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्‍कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है। - कुलुसियों ३:५


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास २३, २४
  • यूहन्ना १५

शुक्रवार, 4 जून 2010

हमारा सहायक

एक लोकप्रीय गान मण्डली "द ईगल्स" जब किसी कार्यक्रम के लिये कोई नया गीत तैयार करती है तो वे एक घेरे मे बैठकर, बिना किसी स्टेज पर प्रयोग होनेवाले उपकरण का प्रयोग किये, अपनी स्वाभाविक आवाज़ों में उसका अभ्यास करते हैं। ऐसे अभ्यास के लिये घेरे में बैठने को वे "भय का घेरा" कहते हैं क्योंकि वहां गीत गाने में होने वाली उनकी गलतियों को छिपाने का कोई तरीका नहीं होता। गलतियों के स्पष्ट रूप में सामने आने की संभावना के कारण हर सदस्य अभ्यास के समय एक भय में रहता है।

यदि मसीह ना होता तो सच्चे परमेश्वर के सन्मुख हमारी असली हालत के प्रगट होने का इससे भी भयावह अनुभव हमें होता। यदि हमारा कोई सहायक या बचाव का ज़रिया ना होता तो हमारे पास कोई आशा भी नहीं होती। लेकिन यीशु अपने प्रत्येक विश्वासी के लिये एक सहयाक होता है और परमेश्वर के सामने उसकी ओर से निवेदन और प्रार्थना करता है। १ यूहन्ना २:१ में लिखा है, "हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो। और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धामिर्क यीशु मसीह।" जब हमारी विफलताएं और गलतीयां सामने आती हैं तो वह हमारा पक्ष लेता है और निवेदन करता है। हमारा यह रक्षक परमेश्वर के साथ हमारा संबंध इस तरह कराता है कि यह "भय का घेरा" अनुग्रह और सच्चाई की सहभागिता में बदल जाता है।

पवित्रता और खराई से ऐसा जीवन जीना जो हमारे स्वर्गीय पिता को आदर देता हो, हमारे जीवन के लिये चुनौती है। यदि हम इस प्रयास में कभी विफल भी हो जाते हैं तो हमें अपने परमेश्वर पिता से निन्दा या तजे जाने का भय नहीं है - हमारे पास एक सहायक है जो हमारी रक्षा करेगा। - बिल क्राउडर


जो कभी हमारे बदले मरा, अब हमारा सहायक होकर रहता है।


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना २:१-११


यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धामिर्क यीशु मसीह। - १ यूहन्ना २:१


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास २१, २२
  • यूहन्ना १४

गुरुवार, 3 जून 2010

हमारे समय का प्रभु

जब सन् २००६ में अंग्रेज़ी भाषा के प्रसिद्ध शब्दकोष Concise Oxford English Dictionary ने घोषणा करी कि Time (समय)अंग्रेज़ी भाषा में सर्वाधिक प्रयुक्त संज्ञा है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं लगी। हम ऐसे संसार में रहते हैं जहां लोग दिनों का सदुउपयोग करने, मिनिटों को बचाने और हर दिन में और अधिक घंटे ढ़ूंढ़ने की धुन में लगे रहते हैं। यद्यपि हम में से प्रत्येक के पास जितना चाहिये उतना समय है, फिर भी हमें लगता है कि हमारे पास समय की कमी है।

इसीलिये भजन ९० इतना बहुमूल्य खंड है। इसका अध्ययन हमारा ध्यान हमारे समयबद्ध जीवन से हटाकर समय की सीमा से बाहर हमारे अनन्त परमेश्वर की ओर ले जाता है। "इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तूने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादि काल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है" - भजन ९०:२।

मैथ्यु ब्रिजिस के एक प्रसिद्ध भजन "Crown Him With Many Crowns" की आरंभ की पंक्ति है, "कालों के प्रभु को मुकुट पहनाओ, वह समय का अधिपति है।" अर्थात वही सर्वशक्तिशाली, सर्वाधिकारी परमेश्वर है, अभिषिक्त महाराजा - ऐसा अधिकारी जिसे किसी चुनाव में भाग लेने और जीतने या किसी से कोई नियुक्ति लेने की आवश्यक्ता नहीं है।

परमेश्वर ने समय की रचना करी है और वह समय पर शासक है, उसकी सीमाओं से बाहर है। जब हम समय के आभाव के कारण कुण्टित या निराश महसूस करते हैं तो भजन ९० को पढ़ने से मन शांत होता है और स्मरण आता है कि हमारे दिन और वर्ष आनन्त परमेश्वर के हाथों में सुरक्षित हैं।

जब हम परमेश्वर के आगे नम्र होकर दण्डवत करते हैं तो समय को देखने का एक नया दृष्टिकोण हमें मिलता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


समय का सच्चा मूल्य जानने के लिये अनन्तकाल के प्रति सही दृष्टिकोण रखना चाहिये।


बाइबल पाठ: भजन ९०


इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तूने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादि काल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है। - भजन ९०:२


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १९, २०
  • यूहन्ना १३:२१-३८

बुधवार, 2 जून 2010

प्रत्युपकार करो

१२ वर्ष के एक लड़के की संसार में कुछ फर्क लाने के प्रयास को लेकर एक फिल्म बनाई गई है जिसका शीर्षक है "Pay it Forwards" (प्रत्युपकार करो)। फिल्म का नायक ट्रेवर, अपने अध्यापक से प्रेरणा लेकर, एक बेघर व्यक्ति को अपने घर आश्रय देता है और उसे अपने गैरज में सोने की जगह देता है। एक शाम ट्रेवर की मां उठकर देखती है कि कोई आदमी उसके ट्रक पर कुछ काम कर रहा है। बन्दूक की नोक पर वह उससे इसकी सफाई मांगती है। वह व्यक्ति उसे दिखाता है कि उसने उनके ट्रक को ठीक कर दिया है और वह केवल ट्रेवर की भलाई का प्रत्युपकार कर रह है।

मैं समझता हूं कि अपने चेलों से अपनी आखिरी बातचीत में प्रभु यीशु के मन में यही बात रही होगी। वह उन्हें अपने प्रेम की सम्पूर्ण गहराई दिखाना चाहता था। इसलिये उनके साथ अपने आंतिम भोजन के समय प्रभु यीशु ने अपने बाहरी वस्त्र उतारे, अपनी कमर पर एक अंगोछा लपेटा और अपने चेलों के पांव धोने लगा। यह एक बड़ी आजीब और चकित करने वाली बात थी क्योंकि पांव धोना गुलामों का काम था। यह कार्य यीशु की सेवाभाव का प्रतीक था और उसके आने वाले बलिदान, घोर क्लेष और क्रूस की लज्जा की ओर इशारा करता था। उसने अपने चेलों से आग्रह किया कि " यदि मैं ने प्रभु और गुरू होकर तुम्हारे पांव धोए, तो तुम्हें भी एक दुसरे के पांव धोना चाहिए" (यूहन्ना १३:१४)। उन्हें प्रत्युपकार का जीवन जीना था।

कल्पना कीजिये, जैसा प्रेम परमेश्वर ने मसीह यीशु में होकर हमसे किया है, यदि हम भी वैसा ही प्रेम दूसरों से करें, तो यह संसार कितना भला और भिन्न होगा! - मार्विन विलियम्स


प्रेम जानने के लिये अपने हृदय को यीशु के लिये खोलिये;
प्रेम दिखाने के लिये अपने हृदय को दूसरों के लिये खोलिये।



बाइबल पाठ: यूहन्ना १३:३-१५


मैं ने तुम्हें नमूना दिखा दिया है, कि जैसा मैं ने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो। - यूहन्ना १३:१५


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १७, १८
  • यूहन्ना १३:१-२०

मंगलवार, 1 जून 2010

भोले भक्त

जब परमेश्वर ने ऐब्राम से बात करी तो उसने तुरन्त परमेश्वर की आज्ञा मान ली और एक अनजान देश की ओर निकल पड़ा, केवल एक प्रतिज्ञा के भरोसे। वह निःसन्तान था, किंतु भोलेपन से उसने परमेश्वर पर विश्वास किया कि वह उससे एक बड़ी जाति बनायेगा (उत्पत्ति १२:२)।

परमेश्वर अपना कार्य अक्सर ऐसे ही "भोले भक्तों" के माध्यम से करता है - भोलेपन से भरोसा रखने वाले जो अविश्वसनीय विश्वास के साथ काम कर जाते हैं। जबकि मैं अपने प्रत्येक निर्णय को बड़े नाप-तौल के और नियंत्रण के साथ लेता हूं।

शिकागो में, एक भारी विपत्ति के समय, हमारी मण्डली ने एक सारी रात्रि की प्रार्थना सभा आयोजित करी। हमने उस सभा की व्यावाहरिकता और उपयोगिता पर बहुत चर्चा करी और तब उस में सम्मिलित होने का निर्णय लिया। हमारी मण्डली के कुछ सदस्य जो गरीब एवं बुज़ुर्ग थे और मकान बनाने के कार्य में एक स्थान पर मज़दूरी कर रहे थे, उन्हों ने उस सभा का बहुत उत्साह से स्वागत किया। मैं सोचने लगा कि कई सालों से उन्हें न जाने कितनी प्रार्थनाओं का कोई अनुकूल उत्तर नहीं मिला होगा, फिर भी उन्होंने प्रार्थना की सामर्थ पर बच्चों जैसे भोलेपन से विश्वास किया। उनके आने-जाने के लिये गाड़ियों के प्रबंध के विचार से, मैंने उन से पूछा "आप कितनी देर तक रुकना चाहते हैं, एक या दो घंटा?" उन्होंने कहा, "हम तो सारी रात रहेंगे।"

उनमें से एक ९० वर्षीय महिला ने समझाया, "हम प्रार्थना कर सकते हैं। हमारे पास समय है और विश्वास है। वैसे भी हममें से कुछ तो ज़्यादा सोते नहीं हैं, हम रात भर प्रार्थना कर सकते हैं।" और उन्होंने ऐसा ही किया।

उनसे हमने एक महत्वपूर्ण पाठ सीखा - विश्वास कई बार वहां मिलता है जहां उसकी आशा नहीं होती और जहां बहुतायत से मिलना चाहिए वहां वह कम पाया जाता है। - फिलिप यैनसी


प्रार्थना विश्वास की पुकार है।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १२:१-५


विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है। - मरकुस ९:२३


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १५, १६
  • यूहन्ना १२:२७-५०