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रविवार, 17 जुलाई 2011

आनन्द का रहस्य

बाइबल के पुराने नियम की एक छोटी सी पुस्तक है हबक्कुक भविष्यद्वक्ता की पुस्तक; इस पुस्तक में केवल तीन अध्याय हैं। इन तीन संक्षिपत अध्यायों में हम भविष्यद्वक्ता में जीवन के प्रति उसके दृष्टिकोण में एक अद्भुत परिवर्तन होते देखते हैं। पुस्तक का आरंभ होता है दुष्टों और दुष्टता को बढ़ते पनपते देखने से भविष्यद्वक्ता की घोर निराशा और परमेश्वर से उठाए जा रहे अपनी निराशा के कारणों से संबंधित प्रश्न से, लेकिन अन्त होता है भविष्यद्वक्ता द्वारा परमेश्वर की आराधना और आनन्द के शिखर पर होने के अनुभव के साथ।

इस अद्भुत परिवर्तन का कारण क्या है? क्यों हबक्कुक ने अपनी निराशा और परमेश्वर के प्रति शिकायत से आरंभ तो किया लेकिन परमेश्वर की आरधना के गीत से अन्त किया? इन प्रश्नों का उत्तर दूसरे अध्याय की तीन पदों में मिलता है। परमेश्वर ने हबक्कुक को ना केवल दुष्टों के होने वाले न्याय के बारे में बताया, दुष्टों की दुष्टता के बावजूद उनके फलते फुलते होने से परेशान भविष्यद्वक्ता को परमेश्वर ने यह भी समझाया कि, "देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा" (हबक्कुक २:४)। साथ ही परमेश्वर ने हबक्कुक को आश्वस्त किया कि वह दिन भी आएगा जब "पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है" (हबक्कुक २:१४); और उसे इन बातों से परेशान होने की बजाए धैर्य रखने तथा निश्चिंत रहने को कहा क्योंकि "यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में है; समस्त पृथ्वी उसके साम्हने शान्त रहे" (हबक्कुक २:२०)।

परमेश्वर से मिले सांत्वना के इन तीन अद्भुत सत्यों ने जीवन के प्रति हबक्कुक का दृष्टिकोण बदल दिया और उसे निराशा की अन्धेरी गहराईयों से निकाल कर आराधना की उज्जवल ऊँचाईयों पर ला खड़ा किया। अपने चारों ओर की परिस्थितियों से हटा कर जब भविष्यद्वक्ता ने अपनी नज़रें परमेश्वर पर टिकाईं तो उसे निराशा छोड़ कर हर परिस्थिति में आनन्दित रहने का स्त्रोत मिल गया।

आज भी जब हम अपने चारों ओर दुष्टता को बढ़ता और फलता फूलता देख कर निराश होते हैं और हमारे मन में परमेश्वर के न्याय के बारे में प्रश्न उठते हैं तो हबक्कुक का उदाहरण हमें हर परिस्थिति में आनन्दित रहने का रहस्य सिखाता है। भविष्यद्वक्ता के समान हमें भी परमेश्वर के उचित समय और उसके कभी न टलने वाले खरे न्याय में अपने विश्वास को बनाए रखना है और उस समय की बाट जोहते रहना है जब प्रभु यीशु मसीह का दोबारा आगमन होगा और वह धार्मिकता और शांति का अपना राज्य स्थापित करेगा। अपने विश्वास को उसमें बनाए रखना ही हर परिस्थिति में आनन्दित रहने का रहस्य है। - रिचर्ड डी हॉन


अपना दृष्टिकोण सुधारने के लिए अपनी दृष्टि परमेश्वर पर लगाए रखिए।

क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा। - हबक्कुक ३:१७, १८

बाइबल पाठ: हबक्कुक १:१-४; ३:१७-१९
Hab 1:1 भारी वचन जिसको हबक्कूक नबी ने दर्शन में पाया।
Hab 1:2 हे यहोवा मैं कब तक तेरी दोहाई देता रहूंगा, और तू न सुनेगा? मैं कब तक तेरे सम्मुख “उपद्रव”, “उपद्रव” चिल्लाता रहूंगा? क्या तू उद्धार नहीं करेगा?
Hab 1:3 तू मुझे अनर्थ काम क्यों दिखाता है? और क्या कारण है कि तू उत्पात को देखता ही रहता है? मेरे साम्हने लूट-पाट और उपद्रव होते रहते हैं और झगड़ा हुआ करता है और वादविवाद बढ़ता जाता है।
Hab 1:4 इसलिये व्यवस्था ढीली हो गई और न्याय कभी नहीं प्रगट होता। दुष्ट लोग धर्मी को घेर लेते हैं; सो न्याय का खून हो रहा है।

Hab 3:17 क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों,
Hab 3:18 तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा।
Hab 3:19 यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १८-१९
  • प्रेरितों २०:१७-३८