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बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

आतुर और तैयार


   प्रसिद्ध प्रचारक एवं धर्मशास्त्री हेल्मट थिएलिके (1908-1986) को जर्मनी में नाट्ज़ी शासन के दौरान 1930 तथा 1940 के दशकों में बहुत विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी इन कठिन और कष्टदायक समयों में वे मसीह यीशु में परमेश्वर की उपस्थिति और सामर्थ्य का प्रचार करने से थमे नहीं। उनके विषय में विद्वान रॉबर्ट स्मिथ ने कहा कि अपने प्रचार में थिएलिके ने वर्तमान के मुद्दों और समस्याओं को संबोधित करते हुए अपने समक्ष सदा एक प्रश्न रखा, "इस विषय पर परमेश्वर की ओर से क्या कोई वचन है?"

   क्या यही प्रश्न आज हम सबके समक्ष नहीं होना चाहिए? क्योंकि जो परमेश्वर ने कहा है वह ही हमें सामर्थ देगा और हमारा मार्गदर्शन करेगा तथा कठिनाईयों और परिस्थितियों से होकर निकलने में हमारी सहायता करेगा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के 1 शमूएल 3 अध्याय में हम एक ऐसे काल का उल्लेख पाते हैं जब "परमेश्वर का वचन दुर्लभ था" (पद 1)। जब परमेश्वर ने बालक शमूएल से बात करी, तब पहले तो शमूएल ने समझा कि वृद्ध पुरोहित एली, जिसके साथ वह रहता था, वह उससे बात करना चाह रहा है। एली ने ही सारी परिस्थिति समझ कर शमूएल को समझाया कि जब पुनः उसे परमेश्वर का स्वर सुनाई दे तो वह कहे, "हे यहोवा कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है" (पद 9)। शमूएल ने परमेश्वर की आवाज़ को सुना और उसकी बात पर विश्वास करना तथा उसे मानना सीखा, और वह परमेश्वर का निडर और विश्वासयोग्य सेवक बन सका, तथा, "...यहोवा ने अपने आप को शीलो में शमूएल पर अपने वचन के द्वारा प्रगट किया" (पद 21)।

   जब कभी हम परमेश्वर के अध्ययन के लिए बैठें, या परमेश्वर के वचन पर आधारित कोई प्रचार सुनें, या प्रार्थना में परमेश्वर के सामने आएं, तो हमारे लिए बहुत अच्छा होगा कि हम परमेश्वर से कहें, "हे प्रभु यीशु मुझसे बोलिए। मैं सुनने के लिए आतुर और आज्ञा मानने के लिए तैयार हूँ।" - डेविड मैक्कैसलैण्ड


परमेश्वर अपने वचन में हो कर उन से बोलता है जो सच्चे मन से उसकी सुनने और मानने को तैयार रहते हैं।

मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। - भजन 119:11 

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 3:1-10
1 Samuel 3:1 और वह बालक शमूएल एली के साम्हने यहोवा की सेवा टहल करता था। और उन दिनों में यहोवा का वचन दुर्लभ था; और दर्शन कम मिलता था। 
1 Samuel 3:2 और उस समय ऐसा हुआ कि (एली की आंखे तो धुंघली होने लगी थीं और उसे न सूझ पड़ता था) जब वह अपने स्थान में लेटा हुआ था, 
1 Samuel 3:3 और परमेश्वर का दीपक अब तक बुझा नहीं था, और शमूएल यहोवा के मन्दिर में जहाँ परमेश्वर का सन्दूक था लेटा था; 
1 Samuel 3:4 तब यहोवा ने शमूएल को पुकारा; और उसने कहा, क्या आज्ञा! 
1 Samuel 3:5 तब उसने एली के पास दौड़कर कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। वह बोला, मैं ने नहीं पुकारा; फिर जा लेट रह। तो वह जा कर लेट गया। 
1 Samuel 3:6 तब यहोवा ने फिर पुकार के कहा, हे शमूएल! शमूएल उठ कर एली के पास गया, और कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। उसने कहा, हे मेरे बेटे, मैं ने नहीं पुकारा; फिर जा लेट रह। 
1 Samuel 3:7 उस समय तक तो शमूएल यहोवा को नहीं पहचानता था, और न तो यहोवा का वचन ही उस पर प्रगट हुआ था। 
1 Samuel 3:8 फिर तीसरी बार यहोवा ने शमूएल को पुकारा। और वह उठके एली के पास गया, और कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। तब एली ने समझ लिया कि इस बालक को यहोवा ने पुकारा है। 
1 Samuel 3:9 इसलिये एली ने शमूएल से कहा, जा लेट रहे; और यदि वह तुझे फिर पुकारे, तो तू कहना, कि हे यहोवा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है तब शमूएल अपने स्थान पर जा कर लेट गया। 
1 Samuel 3:10 तब यहोवा आ खड़ा हुआ, और पहिले की नाईं पुकारा, शमूएल! शमूएल! शमूएल ने कहा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 10-12


गुरुवार, 16 जनवरी 2014

पुस्तक


   अमेरीकी नागरिक जौन म्युइर (1838-1914) के पिता एक मसीही विश्वासी थे जो परमेश्वर के वचन बाइबल को कण्ठस्त करने पर बहुत ज़ोर देते थे। कहा जाता है कि किशोरावस्था तक जौन ने बाइबल का सम्पूर्ण नया नियम खण्ड और पुराने नियम खण्ड के अधिकांश भाग कण्ठस्त कर लिए थे और अपनी स्मरण शक्ति द्वारा ही उन्हें दोहरा सकता था।

   अपनी युवावस्था से ही जौन ने परमेश्वर की सृष्टि से विशेष प्रेम हो गया था और उसके दृष्टिकोण से प्रकृति परमेश्वर के बारे में जानने समझने का एक माध्यम थी। वह सृष्टि को "प्रकृति की पुस्तक" कहता था। जंगल और बियाबान में खोज करना उसे बहुत पसन्द था और अपनी इस खोज में वह पेड़-पौधों और जानवरों का एक ऐसे वातवरण में अध्ययन करने पाया जो सभ्यता और रिहायशी स्थानों के बढ़ते हुए दायरे से बाहर सीधे परमेश्वर के हाथों से उपलब्ध हुआ था। आगे चलकर जौन ने वन संरक्षण आन्दोलन का नेतृत्व किया और उसके प्रयासों का ही नतीजा था कि अमेरिका में कई राष्ट्रीय उद्यान बने जहां वनस्पति और जानवर संरक्षित रहते हैं और सुरक्षित विचरण कर सकते हैं, फल-फूल सकते हैं।

   परमेश्वर का ज्ञान हमें बाइबल से प्राप्त होता है इसलिए परमेश्वर में रुचि रखने वालों के लिए बाइबल का अध्ययन अनिवार्य है। बाइबल से ही हम सीखते हैं कि परमेश्वर ने अपने अन्देखे गुण अपनी सृष्टि में प्रगट किए हैं, इसलिए परमेश्वर की सृष्टि का अध्ययन और उसकी देखभाल भी परमेश्वर से प्रेम रखने वालों के लिए आवश्यक है। सृष्टि परमेश्वर की एक और पुस्तक है जहाँ शब्द और अक्षर नहीं वरन परमेश्वर की कारीगरी उसके गुणों का बयान करती है।

   परमेश्वर की दोनों पुस्तकों, बाइबल और सृष्टि, को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लीजिए, उनका अध्ययन और पालन करते रहिए; आपका जीवन आशीषित हो जाएगा। - डेनिस फिशर


सृष्टि रूपी परमेश्वर की पुस्तक से हम अनेक बहुमूल्य पाठ सीख सकते हैं।

क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। - रोमियों 1:20

बाइबल पाठ: रोमियों 1:18-24
Romans 1:18 परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं। 
Romans 1:19 इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। 
Romans 1:20 क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। 
Romans 1:21 इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। 
Romans 1:22 वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए। 
Romans 1:23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
Romans 1:24 इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उन के मन के अभिलाषाओं के अुनसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 1-4


मंगलवार, 5 नवंबर 2013

शांति


   हमारे चर्च का एक अगुवा, टेड, पहले पुलिस अधिकारी हुआ करता था। उस समय, एक बार एक हिंसा की घटना की खबर पाकर टेड और उसका एक साथी पुलिस वाला उस स्थान पर पहुँचे, जहाँ स्थिति विकट हो गई। एक आदमी ने किसी दूसरे को चाकू मारा और फिर चाकू से टेड पर हमला करने का प्रयास किया। टेड के साथी पुलिस वाले ने बचाने के लिए उस आदमी पर गोली चलाई लेकिन गोली टेड के लग गई। चाकू वाला हमलावर तो पकड़ लिया गया, किंतु टेड को एम्बुलेंस में अस्पताल के लिए रवाना करा गया। एम्बुलेंस में टेड का साथी पुलिस वाला अपनी चूक के कारण बहुत परेशान और दुखी था, लेकिन टेड परमेश्वर के पवित्र आत्मा की ओर से एक अद्भुत शांति को अपने ऊपर बहता महसुस कर रहा था। उस शांति के कारण टेड ज़रा भी विचिलित नहीं हुआ और अपनी जान को खतरा होते हुए भी टेड अपने साथी पुलिस वाले को ढाढ़स के शब्द भी कह सका, और उसे उभार भी सका।

   प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने से कुछ ही घंटे पहले अपने विश्वासियों को अपनी शांति देने का वायदा किया। प्रभु यीशु ने उस समय अपने चेलों से कहा: "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (यूहन्ना 14:27)। उसका यही वायदा आज भी प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए वैसा ही बना हुआ है जैसा तब चेलों के लिए था। प्रभु यीशु के वायदे के अनुसार, परमेश्वर पवित्र आत्मा से मिलने वाली यह अद्भुत शांति प्रत्येक मसीही विश्वासी ने अनुभव करी है।

   आपका सबसे बड़ा डर क्या है? वह चाहे कुछ भी हो, परन्तु एक मसीही विश्वासी होने के नाते यह सदा स्मरण रखें कि यदि आपको उस डर का प्रत्यक्ष सामना भी करना पड़ा, तो उस परिस्थिति में प्रभु यीशु आपके साथ होगा। जब उस पर विश्वास बनाए रखेंगे और प्रार्थना द्वारा उससे सामर्थ प्राप्त करेंगे, "तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी" (फिलिप्पियों 4:7)। - डेनिस फिशर


शांति पाने का भेद है प्रत्येक चिन्ता को परमेश्वर के हाथों में सौंप देना।

मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्‍ति मिले; संसार में तुम्हें क्‍लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है। - यूहन्ना 16:33

बाइबल पाठ: यूहन्ना 14:16-27
John 14:16 और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। 
John 14:17 अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा। 
John 14:18 मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं। 
John 14:19 और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे। 
John 14:20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में, और मैं तुम में। 
John 14:21 जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा। 
John 14:22 उस यहूदा ने जो इस्करियोती न था, उस से कहा, हे प्रभु, क्या हुआ की तू अपने आप को हम पर प्रगट किया चाहता है, और संसार पर नहीं। 
John 14:23 यीशु ने उसको उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे। 
John 14:24 जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिसने मुझे भेजा।
John 14:25 ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं। 
John 14:26 परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। 
John 14:27 मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 34-36 
  • इब्रानियों 2


सोमवार, 4 नवंबर 2013

सर्व-उपयोगी

   लेखक सी. एस. ल्यूइस कहते हैं कि धार्मिक सिद्धांत सूप (भोजन के साथ लिया जाने वाला तरल रसा) के समान होते हैं; कुछ तो गाढ़े और अपारदर्शी तथा अन्य पतले और पारदर्शक। परमेश्वर के वचन बाइबल में भी कई ऐसे ही गहन और समझने के लिए मनन माँगने वाले सिद्धाँत हैं, रहस्यमय, जटिल और जिनकी गूढ़ता अति प्रवीण व्यक्तियों को भी चुनौती देती है। उदाहरणस्वरूप रोमियों 9:18 को ही लीजिए: "सो वह जिस पर चाहता है, उस पर दया करता है; और जिसे चाहता है, उसे कठोर कर देता है।" लेकिन उसी बाइबल में ऐसे सिद्धांत भी हैं जो बिलकुल स्पष्ट और समझने, मानने में सरल हैं; भला 1 यूहन्ना 4:16 "...परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है" से अधिक सरल और सर्वमान्य और क्या होगा?

   पंद्रहवीं शताबदी के एक लेखक जौन कैमरून ने इस विषय को समझाने के लिए कहा, "उसी घास के मैदान से गाय-बैल घास खा लेते हैं, पक्षी दाने आदि से पेट भर लेते हैं, और किसी मनुष्य को वहाँ दबा कोई खज़ाना भी प्राप्त हो सकता है। इसी प्रकार परमेश्वर के उस एक ही वचन में तरह तरह की विशेषताएं और बातें हैं जिनसे भिन्न लोग, भिन्न आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार, भिन्न स्तर की बातें और मार्गदर्शन पा सकते हैं। यह वचन वह है जिसमें मेमना चर सकता है, हाथी तैर सकता है, बच्चों के पेट दूध से भरे जा सकते हैं, और प्रौढ़ ठोस भोजन से तृप्त किए जा सकते हैं।"

   बुद्धि और ज्ञान के सभी खज़ाने परमेश्वर के वचन बाइबल में विद्यमान हैं - यह समुद्र के समान अथाह भी है जिसकी गहराई अति प्रबुद्ध मनुष्य भी नहीं पाने पाते और समुद्र तट के समान उथला भी है जहाँ साधारण सामन्य समझ रखने वाले बच्चे भी आसानी से खेल सकते हैं, आनन्दित हो सकते हैं।

   ना तो बाइबल से घबराएं और ना ही उसे पढ़ने से हिचकिचाएं वरन उसमें डुबकी लगाएं। बाइबल सब के लिए लाभकारी है, सर्व-उपयोगी है; आखिर परमेश्वर द्वारा अपनी सृष्टि को उसके लाभ और मार्गदर्शन के लिए दिया गया वचन है! - डेविड रोपर


परमेश्वर अपने वचन के द्वारा बातें करता है; आप से भी, यदि आप उस की वाणी सुनने के लिए तैयार हों, उसे समय दें।

यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; - भजन 19:7

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 3:14-17
2 Timothy 3:14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था 
2 Timothy 3:15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है। 
2 Timothy 3:16 हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। 
2 Timothy 3:17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 32-33 
  • इब्रानियों 1


सोमवार, 19 अगस्त 2013

ईश्वरीय कैमरा

   स्टीवन विल्टशायर नामक व्यक्ति को "मानव कैमरा" भी कहा जाता है क्योंकि उस में एक विलक्षण प्रतिभा है - वह जो देख लेता है उसकी बारीकियों को भी याद कर लेता है और फिर उन्हें चित्र में बना कर दिखा सकता है। उदाहरण के लिए, एक बार स्टीवन को रोम शहर वायुयान द्वारा ऊपर से घुमाया गया और फिर धरती पर उतरने के बाद उससे कहा गया कि रोम के मध्य भाग का चित्र बनाए। जाँचने वाले दंग रह गए जब उसने अपनी स्मरण शक्ति से उस भाग का बिल्कुल सही चित्र बना दिया जिसमें वहाँ की छोटी-छोटी घुमावदार गलियां, सभी इमारतें, भवनों की खिड़कियां आदि सभी बिल्कुल हू-ब-हू दिख रहीं थीं।

   स्टीवन विल्टशायर की स्मरण शक्ति निःसन्देह विलक्षण है, लेकिन एक और स्मरण शक्ति है जो इससे भी अधिक विलक्षण है, और कहीं अधिक महत्वपूर्ण। प्रभु यीशु ने अपने स्वर्गारोहण से पूर्व अपने शिष्यों से वायदा किया था कि उनकी सहायता के लिए वह पवित्र आत्मा को भेजेगा जो उन्हें एक ईश्वरीय स्मरण शक्ति प्रदान करेगा जिससे वे प्रभु यीशु की शिक्षाओं और उसके साथ के अपने अनुभवों को स्मरण रख सकें (यूहन्ना 14:26)।

   शिष्यों ने प्रभु यीशु की अद्भुत शिक्षाओं को सुना था, उसे अनेक आश्चर्यकर्म - अन्धों को आँखें देना, बहरों को श्रवण-शक्ति देना, मृतकों को जीवित करना आदि करते हुए देखा था। अब प्रभु यीशु ने उन्हें ज़िम्मेदारी सौंपी थी कि वे इन सब शिक्षाओं और प्रभु यीशु की बातों को संसार के छोर तक सभी लोगों और जातियों में लेकर जाएं और उन्हें बताएं। ना केवल वे शिष्य, वरन जो उनकी गवाही और प्रचार द्वारा प्रभु यीशु पर विश्वास लाते, उन्हें भी यही ज़िम्मेदारी ऐसे ही निभानी थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रभु यीशु की शिक्षाओं और कार्यों के वर्णन में समय, भाषा और काल के परिवर्तन के बावजूद कभी भी कोई मिलावट या त्रुटि ना होने पाए उन्हें और उनके बाद के सभी चेलों को एक ईश्वरीय स्मरण शक्ति की आवश्यकता थी। उनके लिए यह सहायता परमेश्वर के पवित्र आत्मा के रूप में उन्हें उपलब्ध कराई गई और परमेश्वर का पवित्र आत्मा तब से प्रत्येक मसिही विश्वासी के अन्दर निवास करता है और उसे प्रभु यीशु तथा परमेश्वर की बातों को स्मरण कराता रहता है।

   इसी कारण जब मसीही शिष्यों और विश्वासियों ने प्रभु यीशु के वचन, शिक्षाएं और कार्य लिखे तो यह अपनी किसी सामर्थ अथवा स्मरण शक्ति या समझ-बूझ के आधार पर नहीं लिखे, वरन जैसा परमेश्वर के पवित्र आत्मा ने उन्हें प्रेरित करके लिखवाया, उन्होंने लिखा। यही कारण है कि संपूर्ण बाइबल में कोई विरोधाभास नहीं है, बाइबल का प्रत्येक भाग अन्य भागों का पूरक और सहायक है - क्योंकि सभी भागों का लिखवाने वाला वही एक पवित्र आत्मा है, चाहे लिखने वाले मनुष्य भिन्न हों। इसीलिए बाइबल परमेश्वर का वचन है और आप इस पर संपूर्ण रीति से भरोसा रख सकते हैं, इसे परख भी सकते हैं; क्योंकि यह ईश्वरीय कैमरे में दर्ज हो रखी बातों का लिखित विवरण है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर का पवित्र आत्मा परमेश्वर के वचन का उपयोग परमेश्वर के लोगों को सिखाने के लिए करता है।

परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। - यूहन्ना 14:26 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 16:7-15
John 16:7 तौभी मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।
John 16:8 और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।
John 16:9 पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।
John 16:10 और धामिर्कता के विषय में इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं,
John 16:11 और तुम मुझे फिर न देखोगे: न्याय के विषय में इसलिये कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है।
John 16:12 मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।
John 16:13 परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।
John 16:14 वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से ले कर तुम्हें बताएगा।
John 16:15 जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिये मैं ने कहा, कि वह मेरी बातों में से ले कर तुम्हें बताएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 103-104 
  • 1 कुरिन्थियों 2


रविवार, 11 अगस्त 2013

वचन की सहायता

   प्रभु यीशु की पृथ्वी की सेवकाई का आरंभ तो बहुत अच्छा था। परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 3 अध्याय में हम पाते हैं कि उसके बपतिस्मे के समय परमेश्वर पिता ने स्वर्ग से आकाशवाणी के द्वारा कहा: "और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्‍त प्रसन्न हूं" (मत्ती 3:17)। लेकिन इसके तुरंत बाद परिस्थिति विकट हो गई - प्रभु यीशु को परीक्षा के लिए जाना पड़ा!

   प्रभु यीशु की यह परीक्षा अनायास अथवा अनपेक्षित नहीं थी - पवित्र आत्मा प्रभु यीशु को बियाबान में ले गया जहाँ स्वर्ग और नरक की ताकतों का सामना हो सके। चालीस दिन तक प्रभु यीशु उपवास में रहा और शैतान द्वारा परखा गया (लूका 4:1)। अपनी इस परीक्षा से विजयी होकर निकलने के द्वारा प्रभु यीशु ने हम मसीही विश्वासियों के लिए एक उदाहराण दिया जिसके द्वारा हम भी अपनी परीक्षाओं के समय में प्रभु यीशु के समान ही जयवंत हो सकते हैं। जैसे शैतान ने हमारे प्रभु की परीक्षा करी थी, वैसे ही आज भी वह प्रभु यीशु के अनुयायीयों की परीक्षा करता रहता है, उन्हें भरमाने और पाप में गिराने के प्रयास करता रहता है।

    मत्ती और लूका रचित सुसमाचारों में दिए प्रभु यीशु की परीक्षा से संबंधित इस खंड में हम यह भी पाते हैं कि शैतान ने उस चालिस दिन के उपवास के अन्त में, जब प्रभु भूखा और थका हुआ था, उसे परमेश्वर पिता के विरुद्ध भड़काने और स्वार्थ सिद्धि के लिए कार्य करने को उकसाने का प्रयास किया। शैतान हमारे साथ भी यही कार्य करता है - जब हम थकित और कमज़ोर होते हैं तब वह प्रलोभनों, अनुचित मार्गों और विधियों के प्रयोग और परमेश्वर के प्रति अनाज्ञाकारी होने के सुझावों के द्वारा हमें बहकाने और गिराने के प्रयास करता है। ऐसी स्थिति में उसकी युक्तियों को व्यर्थ करने और उस पर जयवंत होने के लिए हमें भी वही करना चाहिए जो प्रभु यीशु ने किया - परमेश्वर के वचन की सहायता लेना।

   शैतान के हर प्रयास और प्रलोभन का उत्तर प्रभु यीशु ने परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखी परमेश्वर की आज्ञा को उद्धरित करके दिया। जीवन में आने वाली हर परिस्थिति और प्रलोभन तथा आवश्यकता से संबंधित शिक्षा बाइबल में मिलती है। अनेकों ऐसे पद और हवाले हैं जो हमें लुचपन, लालच, झूठ, तरह तरह की बुराइयों आदि के संबंध में चिताते हैं और मार्गदर्शन करते हैं। यदि हम परमेश्वर के वचन को अपने मन में बसा लें और स्मरण रखें तो परिस्थिति के अनुसार शैतान के हमलों का उचित प्रत्युत्तर दे सकते हैं और बुराई तथा पाप में गिरने से बच सकते हैं।

   पाप से बचने के लिए परमेश्वर के वचन की सहायता ही हमारी सर्वोत्तम सहायता है। - जो स्टोवैल


जब शैतान वार करे तो परमेश्वर के वचन से उस पर पलटवार करें।

फिर यीशु पवित्रआत्मा से भरा हुआ, यरदन से लैटा; और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा; और शैतान उस की परीक्षा करता रहा। - लूका 4:1

बाइबल पाठ: मत्ती 4:1-11
Matthew 4:1 तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्‍लीस से उस की परीक्षा हो।
Matthew 4:2 वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्‍त में उसे भूख लगी।
Matthew 4:3 तब परखने वाले ने पास आकर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं।
Matthew 4:4 उसने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।
Matthew 4:5 तब इब्‍लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया।
Matthew 4:6 और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।
Matthew 4:7 यीशु ने उस से कहा; यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।
Matthew 4:8 फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर
Matthew 4:9 उस से कहा, कि यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा।
Matthew 4:10 तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।
Matthew 4:11 तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 81-83 
  • रोमियों 11:19-36


बुधवार, 7 अगस्त 2013

सुरक्षा कवच

   चर्च के एक कार्यक्रम में एक बच्चा बाइबल के पद उद्धृरित कर रहा था, और मैं शीघ्र ही समझ गई कि उसे बाइबल के बारे में जानकारी नहीं थी। बाइबल के जिस खंड को वह उद्धृरित कर रहा था वह था इफिसियों 6:17 "और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो"।

   जब उस से इस वाक्य का हवाला पूछा गया तो उसका उत्तर था, "मैंने सोचा वह संख्या, 6:17, जो वाक्य के अन्त में लिखी है वह समय बताया गया है, क्योंकि मैं जब इसे याद कर रहा था तो लगभग यही समय था!" मैं उसकी बात सुनकर मुसकुराई, फिर मैंने अपनी बाइबल निकाली और उसे वह खण्ड निकालकर दिखाया और समझाया कि संख्या अध्याय और पद को इंगित करती है।

   बाइबल के कुछ हवाले जानना अच्छा है लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल को अपने हृदय में छिपा लेना वास्तव में आवश्यक है (भजन 119:11)। परमेश्वर के वचन को स्मरण रखने और मन में बसा लेने का सबसे बड़ा लाभ है कि उससे हम शैतान द्वारा हम पर किए जा रहे हमलों से बचाव कर सकते हैं (इफिसियों 6:10-18)। उदाहरणस्वरूप जब शैतान ने प्रभु यीशु की परीक्षा करी तब प्रभु यीशु ने परमेश्वर के वचन का हवाला देकर ही उसका सामना किया और उसे पराजित किया (मत्ती 4:1-11)। इसी प्रकार जब भी हम परमेश्वर के प्रति अनाज्ञाकारी होने के लिए शैतान द्वारा उकसाए जाते हैं तो हम अपने मन में बसे, उस परिस्थिति से संबंधित परमेश्वर के वचन के भाग और शिक्षाओं को स्मरण करके अनाज्ञाकारी होने से बच सकते हैं। यही नहीं, जो वचन हमने स्मरण कर रखा है, उसे आधार बनाकर हम परमेश्वर के वचन की शिक्षाओं को दूसरों के साथ भी बाँट सकते हैं।

   परमेश्वर ने अपना वचन हमें इसीलिए दिया है कि आवश्यकतानुसार वह हमारा मार्गदर्शन और सहायता करे, एक सुरक्षा कवच के समान हमारी रक्षा करे। परमेश्वर के वचन बाइबल को ना केवल अपने मन में बसा लें वरन एक सुरक्षा कवच के समान उसे धारण भी कर लें। - ऐनी सेटास


कोई बुराई परमेश्वर के वचन रूपी सुरक्षा कवच को कभी भेद नहीं सकती है।

जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे! मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। - भजन 119:9-11

बाइबल पाठ: इफिसियों 6:10-18
Ephesians 6:10 निदान, प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्‍त बनो।
Ephesians 6:11 परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।
Ephesians 6:12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्‍टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।
Ephesians 6:13 इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा कर के स्थिर रह सको।
Ephesians 6:14 सो सत्य से अपनी कमर कसकर, और धार्मिकता की झिलम पहिन कर।
Ephesians 6:15 और पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन कर।
Ephesians 6:16 और उन सब के साथ विश्वास की ढाल ले कर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्‍ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।
Ephesians 6:17 और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो।
Ephesians 6:18 और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और बिनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो, कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार बिनती किया करो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 72-73 
  • रोमियों 9:1-15


रविवार, 4 अगस्त 2013

बाँटने के योग्य

   बहुत से लोगों को दूसरों के साथ उन पुस्तकों या लेखों को बाँटने से आनन्द मिलता है जिन के द्वारा उनके जीवनों पर प्रभाव आया और उनका जीवन संवर सका। ऐसे ही एक व्यवसायी हैं जैरी मैकमॉरिस जिन्होंने 50 वर्ष पूर्व, जब वे कौलरडो विश्वविद्यालय में छात्र थे तब एक व्यावसायिक खबरों वाला अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल पढ़ना आरंभ किया था। वे अपने विश्वविद्यालय और इस व्यावासयिक अखबार से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने विश्वविद्यालय के सैंकड़ों छात्रों के लिए इस अखबार का ग्राहकी शुल्क भरकर इसे नियमित रूप से उन्हें मिलते रहने की भेंट दी। जैरी मैकमॉरिस ने एक अन्य अखबार कोलरैडो स्प्रिंग्स गज़ेट को एक साक्षात्कार में बताया: "उस अखबार ने सदा ही मुझे व्यावासायिक जगत में हो रही बातों की अच्छी जानकारी दी है, और अपने व्यावासयिक दिन का आरंभ उसे पढ़ने के द्वारा करना मेरे लिए एक आदत बन चुका है। उस अखबार के द्वारा व्यवसायिक-संसार की वास्तविक और महत्वपूर्ण बातें छात्रों को सहजता से पहुँचती रहती हैं।"

   इस व्यवसायी जैरी मैकमॉरिस के समान ही प्रभु यीशु के अनुयायीयों को भी प्रभु यीशु के वचन दूसरों के साथ बाँटने में आनन्द मिलता है क्योंकि उन्होंने उन वचनों की जीवन बदलने और सुधारने वाली सच्चाई व्यक्तिगत रीति से अनुभव करी है। परमेश्वर के इस जीवत वचन बाइबल को दूसरों के साथ बाँटने के लिए लोग अनेक प्रकार से योगदान देते हैं - कुछ उसके भिन्न भाषाओं में अनुवाद में सहायता करते हैं, कुछ उसके छपने में सहायता करते हैं या फिर वितरण करने में योगदान करते हैं। कुछ अन्य लोगों को अपने साथ आकर वचन का अध्ययन करने का निमंत्रण देते हैं। परमेश्वर के वचन की सच्चाईयों को अन्य लोगों तक पहुँचाने के अनेक मार्ग हैं जिससे सच्चाई, प्रेरणा और सहायता के लिए प्यासे लोगों तक यह जीवनदायी वचन पहुँच सके। परमेश्वर के वचन को भिन्न रीतियों से दूसरों तक पहुँचाने वाले सब लोगों का लक्ष्य एक ही है, जो लाभ और सामर्थ उन्होंने प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानकर उसे जीवन समर्पित करने के द्वारा पाया है उसे दूसरों के लाभ के लिए उन तक पहुँचाना जिससे वे भी सच्चा मार्गदर्शन पा सकें। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने लिखा है, "यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं" (भजन 19:7)।

   सच्चे जीवते परमेश्वर का यह खरा और जीवता वचन जो जीवन बदलने और संवारने की सामर्थ रखता है और प्रत्येक विश्वास करने वाले का हर परिस्थिति में सही मार्गदर्शन करता है और बुराई से उसकी रक्षा करता है, वास्तव में बहुतायत से बाँटने के योग्य है। - डेविड मैककैसलैंड


बाइबल: अपने मस्तिष्क में इसे जानें, अपने मन में इसे बसा लें, अपने जीवन में इसे प्रदर्शित करें और संसार में इसे फैलाएं।

वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। - भजन 19:10

बाइबल पाठ: भजन 19:7-14
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं;
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है;
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं।
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं।
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है।
Psalms 19:12 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर।
Psalms 19:13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।
Psalms 19:14 मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 66-67 
  • रोमियों 7


मंगलवार, 25 जून 2013

पुनःआँकलन

   मैं अपने मित्र के साथ उसकी कार में एक लंबी सड़क यात्रा पर निकला था। प्रतिदिन की अपनी यात्रा को तय करने के लिए हम उसके जी०पी०एस० अर्थात मार्ग और दिशा निर्देश देने वाले यन्त्र की सहायता लेते रहते थे। जब हम किसी बस्ती या शहर में से होकर निकलते तो उस यन्त्र से एक आवाज़ हमें बताती कि हमें कौन सी सड़क लेनी है और कौन से मोड़ पर मुड़ना है। यदि हम उस यन्त्र द्वारा बताए गए मार्ग से हटकर किसी अन्य मार्ग पर हो लेते, जानबूझकर अथवा गलती से, तो वह आवाज़ कहती, "पुनःआँकलन किया जा रहा है" और फिर हमारी वर्तमान स्थिति से गन्तव्य स्थान के लिए मार्ग का पुनःआँकलन करके वह आवाज़ हमें फिर से सही मार्ग पर आने के निर्देश देना आरंभ कर देती।

   जीवन यात्रा में प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए परमेश्वर का वचन बाइबल भी ऐसा ही मार्ग तथा दिशा निर्देशक यन्त्र है। प्रेरित पौलुस द्वारा तिमुथियुस को लिखी अपनी दूसरी पत्री में पौलुस ने तिमुथियुस को समझाया: "हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है" (2 तिमुथियुस 3:16)। मार्गदर्शन तथा दिशा निर्देशन से संबंधित परमेश्वर के वचन की चार योग्यताएं पौलुस ने यहाँ गिनाई हैं:
  • उपदेश - अर्थात वह निर्धारित मार्ग जिस पर हमें चलना है।
  • समझाना - अर्थात मार्ग से भटक जाने पर मिलने वाली सूचना और संबंधित सलाह।
  • सुधारना - अर्थात सही मार्ग पर लौट आने के निर्देश।
  • धर्म की शिक्षा - अर्थात सही मार्ग पर बने रहने से संबंधित शिक्षाएं।

   हमें परमेश्वर के मार्ग से दूर ले जाने वाली हमारी गलतियों या चुनावों को हमें हलके में नहीं लेना चाहिए, वरन गंभीरता पूर्वक उन पर विचार करके उन्हें फिर से ना दोहराने के सार्थक प्रयास करने चाहिएं। गलती सामान्यतः अन्तिम नहीं होती और निर्णय भी बदले जा सकते हैं, इसलिए परमेश्वर के पवित्र आत्मा की आवाज़ के प्रति, जो परमेश्वर की ओर से प्रत्येक नया जन्म पाए मसीही विश्वासी को दिया गया है, हमें संवेदनशील रहना चाहिए क्योंकि सही मार्ग से भटकते ही वह हमें बताना आरंभ कर देता है कि हम पथ से हट गए हैं और हमारे लिए वहाँ से सही मार्ग पर लौटने के मार्ग का पुनःआँकलन करके उसके बारे में हमें बताने लगता है।

   क्या आप परमेश्वर द्वारा दिए गए सही मार्ग पर चल रहे हैं? कहीं परमेश्वर किसी रीति से आपका ध्यान अपनी ओर खींच कर आपकी गलती के बारे में आपको बताने के प्रयास तो नहीं कर रहा? आज कहीं आप अपने आप को परमेश्वर के मार्ग से भटका हुआ और सही मार्ग तो खोजते हुए तो नहीं पाते? परमेश्वर और उसके वचन बाइबल की ओर लौट आईए, उसने आपके लिए लौटने के मार्ग का पुनःआँकलन कर रखा है; आपको बस उसके निर्देशों का पालन मात्र ही करना है। - डेविड मैक्कैसलैंड


सही दिशा में बढ़ने के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल के निर्देशों का पालन करते रहिए।

क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है। - इब्रानियों 4:12 

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 3:10-17
2 Timothy 3:10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
2 Timothy 3:11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्‍ताकिया और इकुनियुम और लुस्‍त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
2 Timothy 3:12 पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
2 Timothy 3:13 और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
2 Timothy 3:14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
2 Timothy 3:15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
2 Timothy 3:16 हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
2 Timothy 3:17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।


एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 3-4 
  • प्रेरितों 7:44-60


शनिवार, 15 जून 2013

वचन का अध्ययन

   मैं एक जवान प्रबन्धक के साथ परमेश्वर के वचन बाइबल को नियमित रूप से पढ़ने और उसपर मनन करने से होने वाले लाभ के बारे में बात कर रहा था, और उसने पूछा, "क्या मुझे बाइबल में लैव्यवस्था की पुस्तक पढ़ना आवश्यक है? पुराना नियम पढ़ना कभी कभी उबाऊ और कठिन होता है।" यह केवल उस एक जन का विचार नहीं है, बहुत से मसीही विश्वासी भी ऐसे ही विचार रखते हैं और पुराने नियम को या उसके कुछ भागों को पढ़ने से कतराते हैं। लेकिन सच तो यह है कि पुराने नियम को संपूर्णता से पढ़ना हमारे लिए आवश्यक तथा लाभपूर्ण है क्योंकि पुराने नियम से ही हमें नए नियम को समझने की पृष्ठभूमि और संसार की सृष्टि से चले आ रहे परमेश्वर के उद्देश्य पता लगते हैं जिनकी व्याख्या तथा पूर्ति नए नियम में आकर पूर्ण होती है।

   यशायाह हमें परमेश्वर के खोजी होने को प्रेरित करता है (यशायाह 55:6); साथ ही वह हमें यह भी सिखाता है कि परमेश्वर का वचन कभी व्यर्थ नहीं लौटता, वरन परमेश्वर की इच्छा पूरी करके ही लौटता है (यशायाह 55:11)। बाइबल की अन्य पुस्तकों में परमेश्वर के वचन को जीवित और प्रबल कहा गया है "क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है" (इब्रानियों 4:12); उसे उपदेश देने, समझाने, सुधारने तथा सिद्ध बनने के लिए लाभदायक बताया गया है (2 तिमुथियुस 3:16-17)। संभव है कि परमेश्वर के वचन की बातें हमें वर्तमान में ही व्यावाहरिक अथवा कार्यकारी ना लगें, परन्तु किसी अन्य समय और परिस्थिति में उनकी व्यावाहरिकता तथा उपयोगिता प्रकट हो जाती है और समझ में आती है।

   जब हम परमेश्वर के वचन की सच्चाईयों को अपने मन में पढ़ने तथा मनन करने के द्वारा संजो लेते हैं तो परमेश्वर का आत्मा हमें हमारी आवश्यकतानुसार उन्हें स्मरण दिलाता है और उन्हें जीवन में उपयोगी बनाता है - लैव्यवस्था को भी; उदाहरणस्वरूप, लैव्यवस्था 19:10-11 हमें सिखाती है कि व्यावसायिक स्पर्धा और निर्धनों के प्रति कैसा रवैया रखें। परमेश्वर का आत्मा ऐसे ही अनेक सिद्धांत और उदाहरण हमें सही समय पर स्मरण दिलाकर हमारी सहायता करता है जिससे हम सही निर्णय ले सकें। इसलिए परमेश्वर के वचन को उसकी संपूर्णता में अपने हृदय तथा जीवन में स्थान देना हमारे लिए बहुत आवश्यक है।

   परमेश्वर के वचन को पढ़ना तथा उसपर मनन करना हमारे मनों को एक अनमोल तथा सदा उपयोगी खज़ाने का भण्डार बना देता है, और हमारी आवश्यकता तथा परिस्थिति के अनुसार परमेश्वर का आत्मा हमारे इस भण्डार से लेकर हमें सही मार्ग दिखाता है, हमें सफल बनाता है। इसलिए परमेश्वर के वचन बाइबल की सभी 66 पुस्तकों का अध्ययन आवश्यक है - लैव्यवस्था का भी! - रैन्डी किल्गोर


परमेश्वर के वचन को समझने के लिए परमेश्वर के आत्मा पर निर्भर रहें।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: यशायाह 55:6-13
Isaiah 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो;
Isaiah 55:7 दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है।
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है,
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे।
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 1-3 
  • प्रेरितों 2:1-21


सोमवार, 20 मई 2013

नम्रता से ग्रहण करो


   परमेश्वर के वचन बाइबल के अपने अध्ययन में, याकूब की पत्री के पहले अध्याय को पढ़ते हुए, वहाँ लिखित एक वाक्याँश को पढ़कर मैं चौंक गया; जिस पद पर मैं पहुँचा था वह था: "इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है" (याकूब 1:21) और वाक्याँश था "उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है"। तुरंत मुझे वह निर्णय स्मरण हो आया जिस से मैं जूझ रहा था, और साथ ही यह विचार भी कि, "मुझे इस निर्णय के लिए कोई अन्य पुस्तक पढ़ने, किसी गोष्ठी या परिसंवाद में भाग लेकर सीखने, या किसी मित्र से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है। मुझे केवल वह करना है जो बाइबल मुझे इस विषय के बारे में सिखाती है।" याकूब ने प्रभु यीशु के अनुयायियों को लिखी इस पत्री में आगे यह भी लिखा: "परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं" (याकूब 1:22) और मैंने एहसास किया कि मेरा परमेश्वर के वचन को और अधिक तथा और गहराई से सीखने के प्रयास ही मेरे लिए परमेश्वर के वचन की शिक्षाओं की उपेक्षा के कारण बन गए थे; मैं उस जीवित वचन को मानने वाला बनने की बजाए केवल सीखने वाला ही बन कर रह गया था।

   बाइबल विद्वान डब्ल्यु. ई. वाईन ने, जो बाइबल में प्रयुक्त मूल यूनानी भाषा के शब्दों के अर्थों को समझाने के लिए विख्यात हैं, इन पदों में प्रयुक्त शब्द जिसका अनुवाद "ग्रहण करो" हुआ है, के बारे में लिखा है कि मूल भाषा में इस शब्द का तात्पर्य है, "भली-भांति जानते, विचारते और पूर्ण सहमति के साथ प्रदान की हुई वस्तु को ग्रहण करो या स्वीकार करो" और इस पद में याकूब इस सब के साथ एक सदगुण और जोड़ रहा है - नम्रता। एक नम्र मन परमेश्वर के साथ विवाद नहीं करता, ना ही उससे कोई झगड़ा करता है, वरन समर्पण के साथ उसकी सहर्ष मान लेता है। याकूब के कहने का तात्पर्य यह बना कि "अपने प्रति परमेश्वर की बातों और कार्यों का किसी रीति से कोई प्रतिरोध नहीं करो वरन उन्हें सहर्ष मान लो, स्वीकार कर लो क्योंकि परमेश्वर हर बात में हमारा भला ही चाहता है और हमारे लिए वही करता है जो हमारे लिए सर्वोत्तम है।"

   परमेश्वर अपना सामर्थी वचन हमारे हृदयों में इसलिए बोता है जिससे कि वह वचन हमारे लिए आत्मिक समझ-बूझ और सामर्थ का विश्वासयोग्य और बहुमूल्य स्त्रोत बन कर हमारा मार्गदर्शन करे। परमेश्वर के वचन की यह आशीष हमें तब प्राप्त होती है जब हम उसे नम्रता से ग्रहण करते और आदर से उसका पालन करते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


अपनी बाइबल प्रार्थनापूर्वक खोलें, ध्यान लगाकर उसे पढ़ें और आनन्द के साथ उसका पालन करें।

इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। - याकूब 1:21

बाइबल पाठ: याकूब 1:13-22
James 1:13 जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है।
James 1:14 परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है।
James 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है।
James 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।
James 1:17 क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।
James 1:18 उसने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 10-12 
  • यूहन्ना 6:45-71



गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

अपना भोजन


   नॉर्फोक वन्स्पति उद्यान में लगे एक कैमरे से बड़ा रोचक घटनाक्रम दिखाया जा रहा था - उस उद्यान में चील के एक घोंसले में चील के तीन चूज़े भूखे थे और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनके माता-पिता इस बात कि अन्देखी कर रहे हैं। उन चूज़ों में से एक ने स्वयं ही अपनी भूख की समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया - वह अपने पास की घोंसले की लकड़ी को चबाने का प्रयास करने लगा। किंतु शीघ्र ही उसने यह करना छोड़ दिया - संभवतः उसे वह स्वादिष्ट नहीं लगी, या वह उसे चबा नहीं पाया।

   लेकिन जिस बात ने मुझे विस्मित किया वह चूज़े का लकड़ी चबाने का प्रयास नहीं था, वरन यह कि उन चूज़ों के पीछे ही एक बड़ी मछली घोंसले में पड़ी हुई थी, लेकिन वे उसे अपना पेट भरने के लिए उपयोग नहीं कर रहे थे। उन चूज़ों ने अब तक अपना भोजन आप लेना नहीं सीखा था; वे अभी भी अपने माता-पिता द्वारा भोजन छोटे छोटे टुकड़ों में बना कर उनके मुँह में डाले जाने के आदी थे। संभवतः चूज़ों के माता-पिता उन चूज़ों को अपनी निगरानी में भूखा रख कर प्रयास कर रहे थे कि चूज़े भोजन को पहचानें और अपना भोजन आप ही खाना सीखें - क्योंकि यदि वे अपना भोजन आप जुटाना और खाना नहीं सीखेंगे तो फिर उनका जीवित बने रहना खतरे में पड़ जाएगा।

   आत्मिक जीवन में भी यह बात इतनी ही महत्वपूर्ण है। बहुत से लोग आत्मिक संगति तो करते हैं परन्तु सदा ही आत्मिक शिक्षाओं और उससे होने वाली आत्मिक बढ़ोतरी के लिए दूसरों पर ही निर्भर रहते हैं। परमेश्वर अपने प्रत्येक सन्तान को व्यक्तिगत रीति से सिखाना चाहता है, उनसे संपर्क रखना चाहता है, किंतु लोग इस बात को अन्देखा कर, परमेश्वर की बजाए अन्य मनुष्यों पर ही निर्भर रहते हैं। यह समस्या आज की नहीं है, यही प्रवृति पुराने नियम में इस्त्राएली समाज में और फिर नए नियम में प्राथमिक मसीही विश्वासी मण्डली में भी देखी जाती थी तथा आज भी मसीही विश्वासी मण्डलियों में विद्यमान है। बजाए परमेश्वर की उपस्थिति में परमेश्वर के वचन बाइबल के साथ बैठ कर उस पर स्वयं मनन करने के, वे सदा दूसरों के मनन और प्रवचन से सीखने की प्रवृति रखते हैं। आत्मिक भोजन उनके पास है, परन्तु उसे ग्रहण करना वे नहीं जानते, और इस कारण आत्मिक रीति से कमज़ोर रहते हैं। इब्रानियों की मण्डली को लिखी अपनी पत्री में लेखक के द्वारा परमेश्वर का आत्मा कहता है: "समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए" (इब्रानियों 5:12)।

   प्रचारकों और वचन के शिक्षकों से परमेश्वर के वचन को सीखना अच्छा है और कई बातों में लाभप्रद भी है, किंतु यह कभी स्वयं परमेश्वर के वचन पर मनन के द्वारा परमेश्वर से सीखने का स्थान नहीं ले सकता। आत्मिक सामर्थ और बढ़ोतरी के लिए अपना आत्मिक भोजन आप जुटाना भी आवश्यक है। - जूली ऐकरमैन लिंक


आत्मिक बढ़ोतरी परमेश्वर के वचन के ठोस भोजन से ही संभव है।

समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए। - इब्रानियों 5:12

बाइबल पाठ: इब्रानियों 5:12-6:2
Hebrews 5:12 समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।
Hebrews 5:13 क्योंकि दूध पीने वाले बच्‍चे को तो धर्म के वचन की पहिचान नहीं होती, क्योंकि वह बालक है।
Hebrews 5:14 पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्‍द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।
Hebrews 6:1 इसलिये आओ मसीह की शिक्षा की आरम्भ की बातों को छोड़ कर, हम सिद्धता की ओर आगे बढ़ते जाएं, और मरे हुए कामों से मन फिराने, और परमेश्वर पर विश्वास करने।
Hebrews 6:2 और बपतिस्मों और हाथ रखने, और मरे हुओं के जी उठने, और अन्‍तिम न्याय की शिक्षारूपी नेव, फिर से न डालें।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 21-22 
  • लूका 18:24-43


शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

स्वाद


   एक दोपहर की बात है, एंजेला ने अपनी बेटी एलियाना को चार टौफियाँ दीं और उससे बड़े स्पष्ट शब्दों में दृढ़ता से कहा कि आज के लिए उसे बस इतनी ही मिलेंगी, इससे अधिक और इसके बाद एक भी नहीं। एंजेला के देखते देखते उस बच्ची एलियाना ने तीन टौफियाँ तो बड़ी जल्दी जल्दी खालीं परन्तु चौथी को खाने में उसने बहुत समय लगाया। एलियाना ने उस दिन की उस अन्तिम टौफी को धीरे धीरे चूसा, कभी वह उसे अपने मुँह से निकालती और उसका एक छोटा सा टुकड़ा दाँतों से काट कर चूसती, कभी मुँह के बाहर ही उसपर जीभ फेरकर उसका स्वाद लेती। अपनी उस दिन की उस अन्तिम टौफी को खत्म कर लेने में एलियाना ने पूरे 45 मिनिट लगाए। एंजेला अपनी बेटी की यह करतूत बड़ी दिलचस्पी से देखती रही। एंजेला को एहसास हुआ कि वह एलियाना को एक महत्वपूर्ण पाठ सीखते देख रही है - स्वाद लेने और रस तथा आनन्द का अन्तिम कतरा तक निकाल पाने का पाठ।

   कुछ ऐसी ही आशा परमेश्वर भी हमसे अपने वचन बाइबल के पढ़े जाने के प्रति रखता है। वह चाहता है कि हम समय लगाकर, मनन कर के, गंभीरता और अर्थपूर्ण रीति से उसके वचन का अध्ययन करें, जिससे उसका पूरा पूरा स्वाद ले सकें, उसकी गहराईयों को समझ सकें और उसकी संगति का आनन्द उठा सकें। दाउद ने कहा, "चखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है!" (भजन 34:8)। प्रभु यीशु ने स्पष्ट कहा है कि उसके वचन के साथ समय बिताना ही उसके प्रति हमारे प्रेम का सूचक है, परमेश्वर के साथ समय बिताना है, जो यह करते हैं परमेश्वर भी उनसे प्रेम करता है और उनके साथ वास करता है: "जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा। यीशु ने उसको उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे।" (यूहन्ना 14:21, 23)।

   परमेश्वर के वचन का स्वाद लेना सीखिए - उसपर मनन करने के द्वारा, अपने हृदय में उसे बसा लेने के द्वारा, उसका पालन करने के द्वारा, उसे दूसरों के साथ बांटने के द्वारा, दूसरों को इस जीवते वचन की सामर्थ और प्रतिभा बताने के द्वारा और आप पाएंगे कि आपके अपने जीवन का स्वाद संसार की कड़ुवाहट से भरने की बजाए ईश्वरीय सुगन्ध और मिठास से भर जाएगा। - सिंडी हैस कैस्पर


हम मसीही विश्वासीयों सबसे बड़ा सौभाग्य परमेश्वर का स्वाद लेते रहना है।

चखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है। - भजन 34:8

बाइबल पाठ: भजन 34:1-10
Psalms 34:1 मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।
Psalms 34:2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।
Psalms 34:3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।
Psalms 34:4 मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
Psalms 34:5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला न होने पाया।
Psalms 34:6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
Psalms 34:7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उन को बचाता है।
Psalms 34:8 चखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है।
Psalms 34:9 हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!
Psalms 34:10 जवान सिंहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 1-3 
  • लूका 8:26-56


बुधवार, 13 मार्च 2013

ऊर्जा का स्त्रोत


   चौकलेट सामान्यतः लोगों का एक पसंदीदा पदार्थ है जिससे मिठास और उर्जा दोनो ही प्राप्त होते हैं। ब्रिटिश औटो टैक्निशियन्स ने इस मीठे खाद्य पदार्थ का एक अनूठा उपयोग निकाला है। वारविक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक रेसिंग कार बनाई है जो वनस्पति तेलों और चौकलेट से चलती है। इस अनोखे इन्धन से चलने वाली यह कार 135 मील प्रति घंटा की रफतार तक जा सकती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी भोजन से मिली ऊर्जा का एक विलक्षण उदाहरण दिया गया है। कार्मेल पर्वत पर परमेश्वर ने एलियाह के द्वारा एक अद्भुत और महान कार्य करवाया और यहोवा ही परमेश्वर है प्रमाणित करने के लिए एलियाह के कहने पर आसमान से आग गिराई और वेदी पर रखी हुई बलि को भस्म कर दिया। इस आत्मिक पराकाष्ठा के बाद एलियाह को हत्या की धमकी मिली जिससे वह घोर निराशा में आ गया और वहाँ से भाग खड़ा हुआ। एलियाह की निराशा के समय में परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत द्वारा उसे भोजन और जल पहुँचाया; उस भोजन से मिली ऊर्जा असाधारण थी: "...और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा" (1 राजा 19:8)।

   जैसे हमारे शरीरों को शारीरिक बल के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वैसे ही हमारी आत्मा को भी आत्मिक बल के लिए आत्मिक ऊर्जा कि आवश्यकता होती है। परमेश्वर का वचन बाइबल ही वह आत्मिक भोजन है जो आत्मा को सामर्थ देता है। इसीलिए भजनकार ने परमेश्वर के वचन के लिए लिखा: "यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है;" (भजन 19:7-8)। 

   प्रभु यीशु के लिए परमेश्वर की आज्ञाकारिता ही उसका भोजन अर्थात ऊर्जा का स्त्रोत थी: "यीशु ने उन से कहा, मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं" (यूहन्ना 4:34); और प्रभु यीशु ने कहा: "जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।...यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे" (यूहन्ना 14:21, 23)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल को अपनी आत्मिक ऊर्जा का स्त्रोत बना लीजिए, वह जीवन की हर परिस्थिति में काम आएगी, सही मार्गदर्शन देगी और आपको परमेश्वर की संगति में बनाए रखेगी। - डेनिस फिशर


परमेश्वर अपने वचन के द्वारा हमारा पोषण करता है।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। - 2 तिमुथियुस 3:16

बाइबल पाठ: 1 राजा 19:1-8
1 Kings 19:1 तब अहाब ने ईज़ेबेल को एलिय्याह के सब काम विस्तार से बताए कि उसने सब नबियों को तलवार से किस प्रकार मार डाला।
1 Kings 19:2 तब ईज़ेबेल ने एलिय्याह के पास एक दूत के द्वारा कहला भेजा, कि यदि मैं कल इसी समय तक तेरा प्राण उनका सा न कर डालूं तो देवता मेरे साथ वैसा ही वरन उस से भी अधिक करें।
1 Kings 19:3 यह देख एलिय्याह अपना प्राण ले कर भागा, और यहूदा के बेर्शेबा को पहुंच कर अपने सेवक को वहीं छोड़ दिया।
1 Kings 19:4 और आप जंगल में एक दिन के मार्ग पर जा कर एक झाऊ के पेड़ के तले बैठ गया, वहां उसने यह कह कर अपनी मृत्यु मांगी कि हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ।
1 Kings 19:5 वह झाऊ के पेड़ तले लेटकर सो गया और देखो एक दूत ने उसे छूकर कहा, उठ कर खा।
1 Kings 19:6 उसने दृष्टि कर के क्या देखा कि मेरे सिरहाने पत्थरों पर पकी हुई एक रोटी, और एक सुराही पानी धरा है; तब उसने खाया और पिया और फिर लेट गया।
1 Kings 19:7 दूसरी बार यहोवा का दूत आया और उसे छूकर कहा, उठ कर खा, क्योंकि तुझे बहुत भारी यात्रा करनी है।
1 Kings 19:8 तब उसने उठ कर खाया पिया; और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 20-22 
  • मरकुस 13:21-37


शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

खुली किताब


   मैं पेशे से एक लेखक हूँ और कभी न कभी कोई मित्र या जानकार मुझसे कहता रहता है कि "किसी दिन मैं भी एक पुस्तक लिखुँगा।" मेरा उत्तर होता है, "यह एक अच्छा लक्ष्य है, और मेरी शुभकामनाएं हैं कि आप अवश्य ही कोई पुस्तक लिखें। किंतु पुस्तक लिखने से बेहतर होता है जीवन का स्वयं पुस्तक होना।"

   मेरा यह कथन परमेश्वर के वचन में प्रेरित पौलुस की कही बात पर आधारित है। पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी दूसरी पत्री में उन्हें समझाया, "यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है" (२ कुरिन्थियों ३:३)।

   इंगलैंड के राजा जेम्स प्रथम के पादरी लुइस बेय्ली ने अपनी पुस्तक The Practice of Piety में लिखा: "जो अपनी लेखनी के द्वारा कुछ भला करना चाहता है, वह थोड़े ही समय में समझ जाएगा कि वह बहुत थोड़े से लोगों को ही प्रभावित कर पा रहा है। इसलिए भलाई करने तथा किसी को प्रभावित करने का सबसे सक्षम तरीका है उस भलाई का उदाहरण बनना। अपने आस-पास के लोगों को सिखाने के लिए हज़ार में से कोई एक जन पुस्तक लिखने की क्षमता रख सकता है, परन्तु प्रत्येक जन में यह क्षमता है कि वह अपने आस-पास के लोगों के लिए एक सजीव उदाहरण बन कर जी सकता है।"

   जो काम प्रभु यीशु अपने विश्वासियों के जीवन में करता है वह उनके जीवनों को ही उनके द्वारा लिखी जाने वाली किसी पुस्तक से कहीं अधिक प्रभावी बना देता है। परमेश्वर का जो वचन उनके हृदय की पट्टियों पर लिखा जाता है (यर्मियाह ३१:३३) वह संसार के सामने परमेश्वर के प्रेम और भलाई को प्रदर्शित करने की सामर्थ रखता है। चाहे आप अपने जीवन में एक भी पुस्तक ना लिखने पाएं, लेकिन एक मसीही विश्वासी होने के नाते आप स्वयं एक पुस्तक बन जाते हैं जिसमें होकर लोग परमेश्वर की शिक्षाओं को पढ़ते हैं, मसीह के प्रेम को समझते हैं। 

   सचेत रहिए, एक मसीही विश्वासी का जीवन खुली किताब है; लोग आपके जीवन से क्या पढ़ने पाते हैं? - डेविड रोपर


यदि कोई आपके जीवन को पुस्तक के समान पढ़े तो क्या उन पन्नों में मसीह यीशु को पाएगा?

यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है। - २ कुरिन्थियों ३:३

बाइबल पाठ: यर्मियाह ३१:३१-३४
Jer 31:31  फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आने वाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा।
Jer 31:32  वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी थी जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली।
Jer 31:33  परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।
Jer 31:34  और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से ले कर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४३-४५ 
  • मत्ती १२:२४-५०

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

अन्धकार में मार्गदर्शन


   मैं सोचता था कि परमेश्वर यदि पहले से ही मुझे बात का परिणाम बता दे तो मुझे कार्य करना सरल हो जाएगा। मैं मानता हूँ कि परमेश्वर के वचन के वायदे के अनुसार सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं (रोमियों ८:२८), किंतु अन्धकार के समयों में मेरे लिए कार्य कर पाना अधिक सहज होगा यदि मैं पहले से जान सकूँ कि वह "भलाई" क्या है!

   परन्तु परमेश्वर अधिकांशतः हमें वह स्थान पहले से नहीं दिखाता जहां वह हमें ले कर जा रहा है; वह बस हमें उस पर और उस की योजनाओं पर विश्वास रखने को कहता है। यह अन्धकार में कार चलाने के समान है। कार चलाते हुए, हमारी कार की बत्ती की रौशनी हमारे गन्तव्य स्थान तक नहीं पहुँचती, उन बत्तियों की रौशनी में हम केवल लगभग १००-१५० फुट आगे का ही देखने पाते हैं; किंतु उस रौशनी की यह सीमा हमें आगे बढ़ने से नहीं रोकती। हम बत्ती पर भरोसा करते हुए, जितना दिख रहा है उसका आंकलन करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं और बत्ती हमें क्रमशः आगे का मार्ग दिखाती चली जाती है, अन्ततः हम अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं।

   परमेश्वर का वचन बाइबल भी उस ज्योति के समान है जो अन्धकार में मार्ग दिखाती है - उतना जितने की हमें उस समय आवश्यकता है। परमेश्वर के वचन में उसके बच्चों के लिए परमेश्वर के आश्वासन और प्रतिज्ञाएं हैं जो उन्हें जीवन की निराशा और कटुता के गढ़हों में गिरने से बचाते हैं। परमेश्वर ने कहा है कि वह ना हमें कभी छोड़ेगा और ना कभी हमें त्यागेगा (इब्रानियों १३:५)। उसका वचन हमें आश्वस्त करता है कि जो योजनाएं वह हमारे लिए बना रहा है वे हमारे लाभ ही की हैं जिससे हमें एक अच्छा भविष्य मिल सके (यर्मियाह २९:११)। उसका वायदा है कि जो परीक्षाएं हम पर आती हैं वे हमारे नुकसान के लिए नहीं वरन हमारी उन्नति के लिए हैं (याकूब १:२-४)।

   इसलिए यदि अगली बार जीवन की किसी कठिनाई और परीक्षा में आपको लगे कि आप अन्धेरे में चल रहे हैं तो अपनी ज्योति - परमेश्वर के वचन पर भरोसा रखिए; उस परिस्थिति के लिए वही आपका मार्गदर्शन करेगा, सही राह दिखाएगा। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के वचन की ज्योति में चलेंगे तो जीवन के मार्ग में ठोकर नहीं खाएंगे।

तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। - भजन ११९:१०५

बाइबल पाठ: भजन ११९:१०५-११२
Ps 119:105  तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।
Ps 119:106  मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूंगा।
Ps 119:107  मैं अत्यन्त दु:ख में पड़ा हूं; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला।
Ps 119:108  हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जान कर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।
Ps 119:109  मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
Ps 119:110  दुष्टों ने मेरे लिये फन्दा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।
Ps 119:111  मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं।
Ps 119:112  मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं।

एक साल में बाइबल: उत्पत्ति ४१-४२ मत्ती १२:१-२३

सोमवार, 10 दिसंबर 2012

चुनाव


   परमेश्वर के वचन बाइबल से लिए गए कुछ वाक्यांशों पर विचार कीजिए: "...सब मूढ़ झगड़ने को तैयार होते हैं" (नीतिवचन २०:३); "...दुष्टों का नाम मिट जाता है" (नीतिवचन १०:७); "...वह पशु सरीखा है" (नीतिवचन १२:१)। क्या परमेश्वर प्रेम और दया का परमेश्वर नहीं है? क्या परमेश्वर के वचन में किसी को मूढ़, दुष्ट या पशु सरीखा कहना उचित है?

   जी हां, वास्तव में परमेश्वर प्रेम है, दया और करुणा से भरा हुआ है। उसने इस संसार की सृष्टि करी और उसमें आनन्द और संतुष्टि के बहुत अवसर और साधन भी दिए हैं। परन्तु साथ ही परमेश्वर हमें यह भी स्मरण दिलाता है कि अपने प्रेम में वह हमारी मूर्खताओं और बुद्धिहीन कार्यों को नज़रांदाज़ नहीं करता है। नीतिवचन से लिए गए ऊपर लिखे पद हमें स्मरण दिलाते हैं कि परमेश्वर प्रेम तो है, किंतु साथ ही हमसे बहुत आशाएं भी रखता है और जो व्यक्ति उसके मार्गों को तजकर, जानबूझकर पाप से खेलेते हैं वे अपने ऊपर परेशानीयां लाते हैं, उनके लिए जीवन कठोर भी हो जाता है।

   नीतिवचन से लिए गए उपरोक्त पदों में प्रयुक्त हर नकारात्मक शब्द का एक सकारात्मक प्रतिपक्ष भी उसी पद में दिया गया है - वह सकारात्मक विधि जो परमेश्वर हमारे जीवनों से चाहता है। अब उपरोक्त दिए गए वाक्यांशों के स्थान पर उनके पूर्ण वाक्यों को देखिए और वास्तविक पक्ष-प्रतिपक्ष पर विचार कीजिए: "मुकद्दमें से हाथ उठाना, पुरूष की महिमा ठहरती है; परन्तु सब मूढ़ झगड़ने को तैयार होते हैं" (नीतिवचन २०:३); "धर्मी को स्मरण करके लोग आशीर्वाद देते हैं, परन्तु दुष्टों का नाम मिट जाता है" (नीतिवचन १०:७); "जो शिक्षा पाने में प्रीति रखता है वह ज्ञान से प्रीति रखता है, परन्तु जो डांट से बैर रखता, वह पशु सरीखा है" (नीतिवचन १२:१)।

   जीवन में सदा ही एक चुनाव हमारे समक्ष बना रहता है और हमारा यही चुनाव निर्धारित करता है कि जीवन हमारे लिए कठोर होगा अथवा कोमल। परमेश्वर के वचन के अनुसार जीवन व्यतीत कीजिए और उसकी सम्मति की मुस्कान के साथ सफलता का जीवन बिताईये, या मूर्ख बनकर उसकी अनाज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत कीजिए और विनाश के दुख को उठाईये - चुनाव तो आप ही के हाथ में है। परमेश्वर के संसार में जीने के यही कोमल एवं कठोर सत्य हैं। अब आपका चुनाव क्या है? - डेव ब्रैनन


मूर्ख ही पाप के साथ खेलते हैं।

खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहने वाले पुरूष का अन्तफल अच्छा है। परन्तु अपराधी एक साथ सत्यानाश किए जाएंगे; दुष्टों का अन्तफल सर्वनाश है। - भजन ३७:३७-३८

बाइबल पाठ: भजन ३७:३०-४०
Psa 37:30  धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है। 
Psa 37:31  उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते।
Psa 37:32  दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है। और उसके मार डालने का यत्न करता है। 
Psa 37:33  यहोवा उसको उसके हाथ में न छोड़ेगा, और जब उसका विचार किया जाए तब वह उसे दोषी न ठहराएगा।
Psa 37:34  यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएंगे, तब तू देखेगा।
Psa 37:35  मैं ने दुष्ट को बड़ा पराक्रमी और ऐसा फैलता हुए देखा, जैसा कोई हरा पेड़ अपने निज भूमि में फैलता है। 
Psa 37:36  परन्तु जब कोई उधर से गया तो देखा कि वह वहां है ही नहीं? और मैं ने भी उसे ढूंढ़ा, परन्तु कहीं न पाया।
Psa 37:37  खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहने वाले पुरूष का अन्तफल अच्छा है। 
Psa 37:38  परन्तु अपराधी एक साथ सत्यानाश किए जाएंगे; दुष्टों का अन्तफल सर्वनाश है।
Psa 37:39  धर्मियों की मुक्ति यहोवा की ओर से होती है; संकट के समय वह उनका दृढ़ गढ़ है। 
Psa 37:40  और यहोवा उनकी सहायता करके उनको बचाता है; वह उनको दुष्टों से छुड़ाकर उनका उद्धार करता है, इसलिये कि उन्होंने उस में अपनी शरण ली है।

एक साल में बाइबल: 
  • होशे १-४ 
  • प्रकाशितवाक्य १

रविवार, 9 दिसंबर 2012

सफलता का नुस्खा


   मेरे खाना बनाने के प्रति मेरे परिवार की प्रतिक्रिया अधिकांशतः सिकोड़ी हुई नाक और बिचकाए हुए होंठ ही होते हैं, विशेषतः तब जब मैं कोई नए भोजन या विधि को आज़मा रही हूँ। अभी हाल ही में मैंने मैकरोनी और पनीर से खाना बनाने की एक नई विधि अपनाई, जो अप्रत्याशित रूप से सफल रही। मैंने तुरंत उस बनाने की विधि और प्रयुक्त सामग्री को एक कागज़ पर लिख कर संजो कर रख लिया, अन्यथा अगली बार जब मैं वह बनाने का प्रयास करती तो इन संजोए गए निर्देशों की सहायता के बिना उसके बनाने में कुछ न कुछ गड़बड़ ही होती और सब व्यर्थ हो जाता।

   यहोशू को परमेश्वर की ओर से ज़िम्मेवारी मिली थी कि वह इस्त्राएल को वाचा के देश में ले जाकर बसाए। परमेश्वर के निर्देशों और सहायता के बिना यहोशू के लिए यह कार्य संभव नहीं था। परमेश्वर ने यहोशू को यह ज़िम्मेवारी ठीक से निभाने के लिए कुछ आवश्यक निर्देश भी दिए। पहला निर्देश था कि वह हिम्मत बांधकर दृढ़ता से कार्य करे (यहोशू १:६); दूसरा था कि वह परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक पर लगातार मनन करता रहे और तीसरा निर्देश था कि व्यवस्था की उस पुस्तक की आज्ञाओं के पालन से कभी पीछे ना हटे। जब तक वह इन निर्देशों का पालन करता रहेगा, परमेश्वर उसे सफलता में बनाए रखेगा (यहोशू १:८)।

   परमेश्वर द्वारा यहोशू को दी गई सफलता का यह नुस्खा हमारे लिए भी वैसे ही कार्यकारी हो सकता है जैसे यहोशू के लिए। किंतु इस सफलता का अर्थ धन-संपत्ति, लोकप्रीयता या अच्छा स्वास्थ्य पाना नहीं है। मूल इब्रानी भाषा में जिसमें यह बात लिखी गई थी, ’तू सफल होगा’ का तात्पर्य है ’तु बुद्धिमता से कार्य कर सकेगा या निर्णय ले सकेगा’। जैसे परमेश्वर ने यहोशु को बुद्धिमता से चलने और निर्णय लेने और उसकी योग्यता पाने की बात कही, वैसे ही आज वह हम मसीही विश्वासियों से भी यही आशा रखता है: "इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो" (इफीसियों ५:१५)।

   जब हम प्रभु परमेश्वर में अपनी हिम्मत बनाए रखते हैं, उसके वचन पर मनन करते रहते हैं और उसकी आज्ञाकारिता में चलते हैं तो सफलता का एक ऐसा नुस्खा हमारे पास होता है जो हमारे अपने किसी भी नुस्खे से अधिक प्रभावी और विश्वासयोग्य है। सफलता के इस नुस्खे को थामे रहें और जीवन में लागू रखें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता ही जीवन में सफलता की कुंजी है।

व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। - यहोशू १:८

बाइबल पाठ: यहोशू १:१-९
Jos 1:1  यहोवा के दास मूसा की मृत्यु के बाद यहोवा ने उसके सेवक यहोशू से जो नून का पुत्र था कहा, 
Jos 1:2  मेरा दास मूसा मर गया है; सो अब तू उठ, कमर बान्ध, और इस सारी प्रजा समेत यरदन पार होकर उस देश को जा जिसे मैं उनको अर्थात इस्राएलियों को देता हूं। 
Jos 1:3 उस वचन के अनुसार जो मैं ने मूसा से कहा, अर्थात जिस जिस स्थान पर तुम पांव धरोगे वह सब मैं तुम्हे दे देता हूं। 
Jos 1:4  जंगल और उस लबानोन से लेकर परात महानद तक, और सूर्यास्त की ओर महासमुद्र तक हित्तियों का सारा देश तुम्हारा भाग ठहरेगा। 
Jos 1:5  तेरे जीवन भर कोई तेरे साम्हने ठहर न सकेगा; जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा, और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोडूंगा। 
Jos 1:6  इसलिये हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; क्योंकि जिस देश के देने की शपथ मैं ने इन लोगों के पूर्वजों से खाई थी उसका अधिकारी तू इन्हें करेगा। 
Jos 1:7  इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा। 
Jos 1:8  व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। 
Jos 1:9  क्या मैं ने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल ११-१२ 
  • यहूदा

रविवार, 18 नवंबर 2012

व्यर्थ भोजन


   बहुत से देशों में बच्चों में मोटापा बहुत बढ़ गया है जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और आगे चलकर अनेक समस्याओं को उत्पन्न करेगा। इसका एक मुख्य कारण है भोजन से संबंधित गलत आदतें और व्यर्थ भोजन सामग्री का सेवन।

   व्यर्थ भोजन सामग्री का तात्पर्त्य उस भोजन सामग्री से है जो स्वाद में तो अच्छा होता है किंतु पौष्टिक तथा संतुलित आहार नहीं होता। ऐसे भोजन में वसा (चिकनाई या तैल पदार्थ) तथा उष्णता अधिक होते हैं जो शरीर में एकत्रित होते रहते हैं और शरीर के अनेक अंगों पर हानिकारक प्रभाव डालते रहते हैं जिनसे बाद में बहुत से रोग हो जाते हैं। ऐसे व्यर्थ भोजन के उदाहरण हैं चिप्स, सोडा युक्त ठंडे पेय, मिठाईयां-केक-पेस्ट्री इत्यादि, कुछ फास्ट-फूड दुकानों पर मिलने वाले भोजन आदि।

   जैसे कुछ प्रकार का शारीरिक भोजन व्यर्थ और हानिकारक होता है, वैसे ही कई प्रकार का आत्मिक भोजन भी व्यर्थ और हानिकारक होता है। व्यर्थ शारीरिक भोजन के समान ही यह व्यर्थ आत्मिक भोजन भी सामान्य आत्मिक भोजन की वस्तुओं से ही बनाया जाता है, दिखने और स्वाद में भी अच्छा लगता है किंतु इसके दीर्घ-कालीन परिणाम अति हानिकारक होते हैं। मसीही विश्वासियों को तो इससे खासकर बहुत सावधान रहना चाहिए।

   यह व्यर्थ आत्मिक भोजन कोई "भिन्न सुसमाचार" (गलतियों १:६) से लेकर मसीही विश्वास द्वारा शारीरिक लाभ और संपदा में बढ़ोतरी तथा झूठी धार्मिकता की बातों तक कुछ भी हो सकता है। कुछ मसीही विश्वास के गीतों तथा पुस्तकों में भी यह गलत शिक्षाएं पाई जाती हैं। ऐसे आत्मिक भोजन के प्रयोग से आत्मिक भूख मिटने का आभास तो हो सकता है किंतु आत्मिक बढ़ोतरी नहीं होगी, वरन आगे चलकर आत्मिक हानि ही होगी।

   परमेश्वर के वचन में इब्रानियों की पत्री में सचेत किया गया है: "नाना प्रकार के और ऊपरी उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्‍योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्‍तुओं से जिन से काम रखने वालों को कुछ लाभ न हुआ" (इब्रानियों १३:९)। गलत शिक्षाएं हमारे लिए हानिकारक हैं, उनसे कोई लाभ नहीं होता क्योंकि वे हमें ना तो पाप की सामर्थ पर जयवंत होना सिखाती हैं और ना ही हमारी आत्मिक वृद्धि में योगदान करती हैं। परन्तु जैसे प्रेरित पौलुस ने तिमुथियुस को सिखाया, परमेश्वर के वचन बाइबल के सत्य और परमेश्वर के आत्मा की प्रेर्णा से उपयोग द्वारा हमारी आत्मिक भूख भी तृप्त होती है और आत्मिक स्वास्थ्य भी मिलता है।

   व्यर्थ भोजन से बचें - चाहे वाह शारीरिक हो अथवा आत्मिक, और नित्य परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा अपने आत्मिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ और उन्नत रखें। - डेनिस फिशर


परमेश्वर के वचन के सत्यों पर नित्य भोजन करते रहने से हम झूठी और व्यर्थ बातों के स्वाद को पहचान पाने में सक्षम हो जाएंगे।

नाना प्रकार के और ऊपरी उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्‍योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्‍तुओं से जिन से काम रखने वालों को कुछ लाभ न हुआ। - इब्रानियों १३:९

बाइबल पाठ: गलतियों १:६-१२; २ तिमुथियुस ३:१२-१७
Gal 1:6  मुझे आश्‍चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। 
Gal 1:7  परन्‍तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। 
Gal 1:8  परन्‍तु यदि हम या स्‍वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो श्रापित हो। 
Gal 1:9  जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो श्रापित हो। अब मैं क्‍या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्‍या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं? 
Gal 1:10  यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता।
Gal 1:11  हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं। 
Gal 1:12 क्‍योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला।

2Ti 3:12  पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे। 
2Ti 3:13 और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे। 
2Ti 3:14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह, कि तू ने उन्‍हें किन लोगों से सीखा था; 
2Ti 3:15 और बालकपन से पवित्र शास्‍त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्‍त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है। 
2Ti 3:16 हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। 
2Ti 3:17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लि्ये तत्‍पर हो जाए।

एक साल में बाइबल: 

  • यहेजकेल ८-१० 
  • इब्रानियों १३

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

झूठ या सच


   स्टीव अकसर अपने सह-कर्मियों के साथ प्रभु यीशु और उद्धार के बारे में बातें करता है। किंतु जब भी वह सीधे परमेश्वर के वचन बाइबल से कोई बात कहता है तो कोई न कोई अवश्य यह कह उठता है कि "जरा ठहरो! किसी भी अन्य पुस्तक के समान यह भी तो मनुष्यों द्वारा ही लिखा गया है।" एक स्थानीय अखबार में छपे संपादक को लिखे पत्र में एक पाठक ने भी यही बात कही; उस पाठक ने लिखा: "मसीही विश्वासी बाइबल को परमेश्वर का वचन और अचूक बताते हैं, लेकिन मुझे कोई ऐसा कारण नहीं दीख पड़ता कि मैं स्वीकार कर लूँ कि बाइबल में मनुष्यों द्वारा लिखे शब्द किसी विज्ञान पत्रिका में लिखे मनुष्यों के शब्दों से अधिक विश्वासयोग्य हैं।"

   जब ऐसी आलोचना और परमेश्वर के वचन को मानव रचना एवं त्रुटिपूर्ण कहकर उसकी उपेक्षा का सामना करना पड़े तो हम मसीही विश्वासी प्रत्युत्तर में क्या कहें? संभव है कि हम में से बहुत से बाइबल के ज्ञाता नहीं हैं, इसलिए हम से कोई उत्तर बन ना पड़े। इसीलिए सबसे पहली आवश्यकता है कि हम परमेश्वर के वचन बाइबल का नियमित रूप से प्रार्थना के साथ अध्ययन करें और बाइबल के इतिहास तथा उससे संबंधित पुरातत्व खोजों के बारे में जानकारी अपने पास रख लें। जब हम ध्यान और नियम से बाइबल का अध्ययन करेंगे (२ तिमुथियुस २:१५) तो हम जानेंगे कि उसका परमेश्वर की प्रेर्णा से लिखा होना स्वयं बाइबल ही का दावा है (२ तिमुथियुस ३:१६) और विश्वासयोग्य है; ऐसा दावा जिसे आज तक कभी कोई गलत साबित नहीं कर पाया है।

   बाइबल से संबंधित थोड़े से तथ्यों पर विचार कीजिए - यह १६०० वर्षों के अन्तराल में लिखी ६६ भिन्न पुस्तकों का संकलन है। ये पुस्तकें ४० लेखकों द्वारा, जिनका सामाजिक और शैक्षिक स्तर बिलकुल भिन्न था, तीन भिन्न भाषाओं में, भिन्न परिस्थितियों में लिखी गईं। ये लेखक किसी दूसरे लेखक की कृति से अनभिज्ञ थे और ना ही उन्हें इस बात का आभास भी था कि कभी उनके द्वार लिखी बात एक पुस्तक के रूप में संकलित होगी। ना ही उनमें से कोई स्वभाव या पेशे लेखक था, वे सब परमेश्वर द्वारा प्रेरित होकर जो परमेश्वर उन्हें बताता गया लिखते गए, और जब उनका कार्य पूरा हो गया तो उनकी लेखनी भी शांत हो गई। बाइबल के प्रथम खंड ’पुराने नियम’ और दूसरे खंड ’नए नियम’ के बीच ४०० वर्षों की शांत अवधि है जब परमेश्वर द्वारा कोई वचन नहीं दिया गया। इतनी भिन्नता के बावजूद इस संकलन की प्रथम पुस्तक ’उत्पत्ति’ से लेकर अन्तिम पुस्तक ’प्रकाशितवाक्य’ तक एक ही वृतांत का वर्णन है, उसमें कोई परसपर विरोधाभास नहीं है और सभी पुस्तकें एक दुसरे की पूरक हैं। यह तभी संभव है जब उनका मानवीय लेखक चाहे जो भी हो, किंतु उन सब का मूल लेखक एक ही हो जो ना केवल बाइबल वरन सृष्टि के आरंभ से अन्त तक सब कुछ जानता हो - अर्थात परमेश्वर।

   यद्यपि हम बाइबल को परमेश्वर का वचन विश्वास द्वारा मानते हैं, तो भी यह कोई अन्ध-विश्वास नहीं है, क्योंकि परमेश्वर का वचन उसे परखने और जांचने का खुला निमंत्रण देता है। जिसने भी खुले और निषपक्ष मन से जांचा है, बाइबल को खरा और विश्वासयोग्य ही पाया है।

   परमेश्वर के वचन का नियमित अध्ययन कीजिए और उसकी आशीषें दूसरों के साथ भी बांटिए और आपका अपना जीवन आशीशों से भरपूर रहेगा। - ऐनी सेटास


बदलते और अस्थिर संसार में आप कभी ना बदलने वाले परमेश्वर के स्थिर और अटल वचन बाइबल पर पूरा भरोसा रख सकते हैं।

अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्‍न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो। - २ तिमुथियुस २:१५

बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ३:१२-१७
2Ti 3:12   पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे। 
2Ti 3:13  और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे। 
2Ti 3:14  पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह कि तू ने उन्‍हें किन लोगों से सीखा था; 
2Ti 3:15  और बालकपन से पवित्र शास्‍त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्‍त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है। 
2Ti 3:16  हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। 
2Ti 3:17  ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह १८-१९ 
  • २ तिमुथियुस ३