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मंगलवार, 19 जुलाई 2011

परमेश्वर के अन्तिम वचन

बाइबल में मलाकी भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पुराने नियम की अन्तिम पुस्तक है और पुराने नियम के अन्तर्गत इसमें लिखित वचन परमेश्वर के इस्त्राएल को दिए अन्तिम वचन हैं। इसके बाद परमेश्वर ४०० साल तब तक खामोश रहा जब तक प्रभु यीशु के आगमन के समय प्रभु के मार्ग बनाने वाले कि लिए न कहा गया: "जंगल में एक पुकारने वाले का शब्‍द हो रहा है, कि प्रभु का मार्ग तैयार करो, उस की सड़कें सीधी करो" (मत्ती ३:३)। मलाकी की पुस्तक में केवल चार अध्याय ही हैं और चौथे अध्याय में केवल ६ पद हैं। इन अन्तिम पदों को पढ़ने से ऐसा प्रतीत होता है कि छठा पद जैसे क्रोध में कहा गया हो, लेकिन वास्तव में यह परमेश्वर के हृदय से निकली प्रेम की चेतावनी है जिसमें वह ’ऐसा न हो’ कह कर अनाज्ञाकारिता के एक स्वाभाविक गंभीर प्रतिफल को टालने का प्रयास कर रहा है।

महान बाइबल शिक्षक और ज्ञाता जी. कैम्पबेल मॉर्गन ने इन पदों की व्याख्या में बताया कि मलाकी के समय से ले कर मसीह यीशु के आगमन तक जब यहूदी धर्मोपदेशक इस खंड को सभा में पढ़ते थे तो वे चौथे पद के बाद छठा पद पढ़ते और फिर पलटकर पाँचवे पद पर आते जिसमें लिखा है, "देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा" (मलाकी ४:५)। अर्थात वे पुराने नियम की अन्तिम पुस्तक के अन्तिम वचन भविष्य की आशा को रखते थे जो इस बात का सूचक था कि छटे पद को वे परमेश्वर द्वारा क्रोध में कहे गए नहीं मानते थे वरन उसके प्रेम की पुकार के रूप में लेते थे; उन्हें परमेश्वर से भविष्य की आशा थी।

नए नियम में भी परमेश्वर के अन्तिम वचन विश्वासियों को भविष्य की आशा बंधाने वाले ही हैं: "जो इन बातों की गवाही देता है, वह यह कहता है, हां शीघ्र आने वाला हूं। आमीन। हे प्रभु यीशु आ। प्रभु यीशु का अनुग्रह पवित्र लोगों के साथ रहे। आमीन" (प्रकाशितवाक्य २२:२०, २१)।

परमेश्वर की प्रजा इस्त्राएल और परमेश्वर के विश्वासियों की मण्डली, दोनो ही से कहे गए परमेश्वर के अन्तिम वचन भविष्य की आशा और शांति के हैं। परमेश्वर के हमारे प्रति प्रेम के कारण उसकी दी गई चेतावानियाँ और हमारे प्रति उसका सहनशील, विलंब से कोप करने वाला स्वभाव तथा उसकी क्षमाशीलता के अनुग्रह, यह सब हमें प्रेरित करते हैं कि उस भविष्य की महिमामयी आशा पर अपनी नज़रें टिकाए हुए हम उसकी निकटता एवं आज्ञाकारिता में अपने जीवनों को बिताएं। - डेनिस डी हॉन


मसीही विश्वासी का भविष्य परमेश्वर के वायदों के समान दृढ़ और रौशन है।

...ऐसा न हो कि मैं आकर पृथ्वी को सत्यानाश करूं। - मलाकी ४:६


बाइबल पाठ: मलाकी ४:१-६

Mal 4:1 क्योंकि देखो, वह धधकते भट्ठे का सा दिन आता है, जब सब अभिमानी और सब दुराचारी लोग अनाज की खूंटी बन जाएंगे और उस आने वाले दिन में वे ऐसे भस्म हो जाएंगे कि उनका पता तक न रहेगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
Mal 4:2 परन्तु तुम्हारे लिये जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के द्वारा तुम चंगे हो जाओगे और तुम निकल कर पाले हुए बछड़ों की नाई कूदोगे और फांदोगे।
Mal 4:3 तब तुम दुष्टों को लताड़ डालोगे, अर्थात मेरे उस ठहराए हुए दिन में वे तुम्हारे पांवों के नीचे की राख बन जाएंगे, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
Mal 4:4 मेरे दास मूसा की व्यवस्था अर्थात जो जो विधि और नियम मैं ने सारे इस्रएलियों के लिये उसको होरेब में दिए थे, उनको स्मरण रखो।
Mal 4:5 देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा।
Mal 4:6 और वह माता पिता के मन को उनके पुत्रों की ओर, और पुत्रों के मन को उनके माता-पिता की ओर फेरेगा; ऐसा न हो कि मैं आकर पृथ्वी को सत्यानाश करूं।

एक साल में बाइबल:
  • भजन २३-२५
  • प्रेरितों २१:१८-४०

सोमवार, 18 जुलाई 2011

भविष्यवाणी

परमेश्वर के वचन बाइबल में पुराने नियम के भविष्यद्वक्ताओं जैसे यशायाह, मीका और अन्य ने प्रभु यीशु मसीह के जन्म, जीवन और मृत्यु से संबंधित बहुत सी घटनाएं उनके आगमन से सदियों पहले अपनी भविष्यद्वाणीयों में दर्ज कर दी थीं और प्रभु यीशु के पृथ्वी पर आगमन के बाद वे सभी संपूर्णतः पूरी भी हुईं।

अपनी पुस्तक Science Speaks में लेखक पीटर स्टोनर ने आधुनिक विज्ञान और गणित के किसी बात के संभव होने के सिद्धान्तों (Probability Principles) द्वारा इन भविष्यवाणियों में से केवल आठ का विशलेषण किया। इस विशलेष्ण की व्याख्या उनकी पुस्तक में दी गई है; उनका निष्कर्ष था कि किसी भी व्यक्ति के लिए केवल इन आठ भविष्याणियों को अक्षरक्षः पूरा कर पाने के संभावना होगी १०x१० १७ बार (अर्थात १००,०००,०००,०००,०००,०००) में से केवल एक बार की है। इस गिनती की विशालता और बात की असंभवता को समझाने के लिए स्टोनर ने एक उदाहरण दिया कि यदि हम इतनी ही संख्या के सिक्के लें और उन्हें अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े प्रांत - टेक्सस प्रांत पर (जिसकी लंबाई लगभग ७९० मील और चौड़ाई लगभग ७७३ मील तथा जिसका क्षेत्रफल लगभग २६८५८१ वर्ग मील है), क्रमवार बिछा दें तो पूरा प्रांत सिक्कों के दो फुट ऊंचे ढेर से ढक जाएगा। अब यदि इन सभी सिक्कों में से केवल एक पर निशान लगा कर, पूरे ढेर को खंगाल कर, उसे उस ढेर में कहीं मिला दिया जाए और फिर किसी मनुष्य की आंखों पर पट्टी बन्ध कर उस से कहा जाए कि इस सिक्कों के ढेर पर वह चाहे जितना इधर उधर आए-जाए और उसे चाहे जितना खंगाले, और तब बिना आंखों से पट्टी हटाए वह उस एक सिक्के को उठाए जिसपर निशान लगा है, तो जो संभावना उस व्यक्ति के इस कार्य में सफल होने की है, वही संभावना उन भविष्यद्वाक्ताओं की भविष्यवाणीयों के पूरा होने के लिए थी; अर्थात वे भविष्यद्वक्ता, जो एक दूसरे की बातों से अन्जान थे, भविष्यवाणी करें और उनके जीवन के सैंकड़ों साल के बाद एक मनुष्य उन्हें अक्षरक्षः पूरा करे। स्वाभाविक है कि यह किसी मनुष्य द्वारा दी गई भविष्यवाणी के लिए संभव नहीं है, यह केवल तब ही संभव है जब भविष्यवाणी देने और पूरा करवाने वाला परमेश्वर ही हो।

जिस परमेश्वर ने अपने पुत्र के प्रथम आगमन की भविष्यवाणीयाँ अपने भविष्य्द्वक्ताओं द्वारा लिखवाईं थीं, उसी ने उसके दूसरे आगमन और उसके न्याय की भविष्यवाणीयाँ भी लिखवाई हैं। जैसे पहले आगमन से संबंधित सभी भवैष्यवाणियाँ संपूर्णतः पूरी हुई हैं, वैसे ही दूसरे आगमन और न्याय से संबंधित भी पूरी होंगी, और उनके पूरे होने के चिन्ह वर्तमान में दिखाई देने आरंभ हो चुके हैं।

हम आनन्दित और धन्यवादी हों कि परमेश्वर ने अपने पुत्र को पहले संसार का उद्धारकर्ता बना कर भेजा, जिससे जो कोई उस पर विश्वास करे वह पाप में नाश न हो वरन परमेश्वर की धार्मिकता का अनन्त जीवन पाए (युहन्ना ३:१६); और अब अपने पुत्र को फिर से भेजने वाला है कि उसकी धार्मिकता और न्याय का राज्य स्थापित हो और संसार से दुष्टता और पाप का अन्त हो।

बैतलहम का शिशु अब सृष्टि का राजा बन कर आने वाला है और उसका न्याय तथा धार्मिकता का सिंहासन कभी नहीं टलेगा, जैसी उसके विष्य में भविष्यवाणीयाँ सदियों पहले करी गई हैं।

क्या आप उसके इस दूसरे आगमन और न्याय के लिए तैयार हैं? - डेनिस डी हॉन


भविष्यवाणीयाँ समय में पूर्व से लिखा गया इतिहास हैं।

हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरूष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करने वाला होगा; और उसका निकलना प्राचीन काल से, वरन अनादि काल से होता आया है। - मीका ५:२

बाइबल पाठ: मीका ५:१-५

Mic 5:1 अब हे बहुत दलों की स्वामिनी, दल बान्ध-बान्धकर इकट्ठी हो, क्योंकि उस ने हम लोगों को घेर लिया है; वे इस्राएल के न्यायी के गाल पर सोंटा मारेंगे।
Mic 5:2 हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरूष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करने वाला होगा; और उसका निकलना प्राचीन काल से, वरन अनादि काल से होता आया है।
Mic 5:3 इस कारण वह उनको उस समय तक त्यागे रहेगा, जब तक जच्चा उत्पन्न न करे; तब इस्राएलियों के पास उसके बचे हुए भाई लौटकर उन से मिल जाएंगे।
Mic 5:4 और वह खड़ा हो कर यहोवा की दी हुई शक्ति से, और अपने परमेश्वर यहोवा के नाम के प्रताप से, उनकी चरवाही करेगा। और वे सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि अब वह पृथ्वी की छोर तक महान्‌ ठहरेगा।
Mic 5:5 और वह शान्ति का मूल होगा, जब अश्शूरी हमारे देश पर चढ़ाई करें, और हमारे राजभवनों में पांव धरें, तब हम उनके विरूद्ध सात चरवाहे वरन आठ प्रधान मनुष्य खड़ें करेंगे।

एक साल में बाइबल:
  • भजन २०-२२
  • प्रेरितों २१:१-१७

रविवार, 17 जुलाई 2011

आनन्द का रहस्य

बाइबल के पुराने नियम की एक छोटी सी पुस्तक है हबक्कुक भविष्यद्वक्ता की पुस्तक; इस पुस्तक में केवल तीन अध्याय हैं। इन तीन संक्षिपत अध्यायों में हम भविष्यद्वक्ता में जीवन के प्रति उसके दृष्टिकोण में एक अद्भुत परिवर्तन होते देखते हैं। पुस्तक का आरंभ होता है दुष्टों और दुष्टता को बढ़ते पनपते देखने से भविष्यद्वक्ता की घोर निराशा और परमेश्वर से उठाए जा रहे अपनी निराशा के कारणों से संबंधित प्रश्न से, लेकिन अन्त होता है भविष्यद्वक्ता द्वारा परमेश्वर की आराधना और आनन्द के शिखर पर होने के अनुभव के साथ।

इस अद्भुत परिवर्तन का कारण क्या है? क्यों हबक्कुक ने अपनी निराशा और परमेश्वर के प्रति शिकायत से आरंभ तो किया लेकिन परमेश्वर की आरधना के गीत से अन्त किया? इन प्रश्नों का उत्तर दूसरे अध्याय की तीन पदों में मिलता है। परमेश्वर ने हबक्कुक को ना केवल दुष्टों के होने वाले न्याय के बारे में बताया, दुष्टों की दुष्टता के बावजूद उनके फलते फुलते होने से परेशान भविष्यद्वक्ता को परमेश्वर ने यह भी समझाया कि, "देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा" (हबक्कुक २:४)। साथ ही परमेश्वर ने हबक्कुक को आश्वस्त किया कि वह दिन भी आएगा जब "पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है" (हबक्कुक २:१४); और उसे इन बातों से परेशान होने की बजाए धैर्य रखने तथा निश्चिंत रहने को कहा क्योंकि "यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में है; समस्त पृथ्वी उसके साम्हने शान्त रहे" (हबक्कुक २:२०)।

परमेश्वर से मिले सांत्वना के इन तीन अद्भुत सत्यों ने जीवन के प्रति हबक्कुक का दृष्टिकोण बदल दिया और उसे निराशा की अन्धेरी गहराईयों से निकाल कर आराधना की उज्जवल ऊँचाईयों पर ला खड़ा किया। अपने चारों ओर की परिस्थितियों से हटा कर जब भविष्यद्वक्ता ने अपनी नज़रें परमेश्वर पर टिकाईं तो उसे निराशा छोड़ कर हर परिस्थिति में आनन्दित रहने का स्त्रोत मिल गया।

आज भी जब हम अपने चारों ओर दुष्टता को बढ़ता और फलता फूलता देख कर निराश होते हैं और हमारे मन में परमेश्वर के न्याय के बारे में प्रश्न उठते हैं तो हबक्कुक का उदाहरण हमें हर परिस्थिति में आनन्दित रहने का रहस्य सिखाता है। भविष्यद्वक्ता के समान हमें भी परमेश्वर के उचित समय और उसके कभी न टलने वाले खरे न्याय में अपने विश्वास को बनाए रखना है और उस समय की बाट जोहते रहना है जब प्रभु यीशु मसीह का दोबारा आगमन होगा और वह धार्मिकता और शांति का अपना राज्य स्थापित करेगा। अपने विश्वास को उसमें बनाए रखना ही हर परिस्थिति में आनन्दित रहने का रहस्य है। - रिचर्ड डी हॉन


अपना दृष्टिकोण सुधारने के लिए अपनी दृष्टि परमेश्वर पर लगाए रखिए।

क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा। - हबक्कुक ३:१७, १८

बाइबल पाठ: हबक्कुक १:१-४; ३:१७-१९
Hab 1:1 भारी वचन जिसको हबक्कूक नबी ने दर्शन में पाया।
Hab 1:2 हे यहोवा मैं कब तक तेरी दोहाई देता रहूंगा, और तू न सुनेगा? मैं कब तक तेरे सम्मुख “उपद्रव”, “उपद्रव” चिल्लाता रहूंगा? क्या तू उद्धार नहीं करेगा?
Hab 1:3 तू मुझे अनर्थ काम क्यों दिखाता है? और क्या कारण है कि तू उत्पात को देखता ही रहता है? मेरे साम्हने लूट-पाट और उपद्रव होते रहते हैं और झगड़ा हुआ करता है और वादविवाद बढ़ता जाता है।
Hab 1:4 इसलिये व्यवस्था ढीली हो गई और न्याय कभी नहीं प्रगट होता। दुष्ट लोग धर्मी को घेर लेते हैं; सो न्याय का खून हो रहा है।

Hab 3:17 क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों,
Hab 3:18 तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा।
Hab 3:19 यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १८-१९
  • प्रेरितों २०:१७-३८

शनिवार, 16 जुलाई 2011

झूठे अगुवे, झूठे दावे

शोधकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों के विष्य में माना जाता है कि वे तथ्यों को एकत्रित करते हैं और तथ्यों के आधार पर ही कोई निष्कर्ष देते हैं। लेकिन कई दफा यह धारणा गलत साबित हुई है। एक समाचार पत्र ने, एक ऐसे ही प्रकाशित निष्कर्ष के बारे में, भारी गलतियों का खुलासा किया। कुछ शोधकर्ताओं ने यह जांचना चाहा कि जो लोग नशे की आदत से छुटकारा पा लेते हैं, क्या वे दोबारा नशे का सेवन बिना उसकी आदत में फिर से पड़े कर सकते हैं कि नहीं। शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष में दावा किया कि वे बिना दोबारा लत में पड़े नशा कर सकते हैं। लेकिन समाचार पत्र द्वारा इस दावे की गहन जाँच करने से पता चला कि शोधकर्ताओं ने अपने शोध की गलत रिपोर्ट प्रकाशित करवाई थी। जिन नशे की लत से छूटे लोगों ने दोबारा नशे का सेवन आरंभ किया था वे बहुत बुरे हाल में थे और कई समस्याओं से घिरे हुए थे। कुछ ने तो आत्महत्या तक कर ली थी। अब निष्कर्ष यह था कि वे शोधकर्ता विश्वासयोग्य नहीं थे।

शोधकर्ताओं और वैज्ञनिकों से भी अधिक, धर्म के अगुवों को कभी भी कोई झूठा दावा करने से बच कर रहना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है। अपने स्वार्थसिद्धि के लिए झुठे दावे कर के लोगों को बहकाने वाले धर्म के अगुवों की कमी नहीं है, और आए दिन उनके झूठे दावों और कारनामों के विवरण समाचार पत्रों में छपते रहते हैं। ये अगुवे, लोगों को वही सुनाते और बताते हैं, जो और जैसा वे लोग सुनना चाहते हैं। इन अगुवों के शाँति तथा उम्मीद के दावे केवल चतुराई से रचा गया झूठ का पुलिंदा भर होते हैं।

हम भी बहकाए जाकर ऐसे अगुवों के जाल में फंस सकते हैं यदि हम भी केवल अपनी इच्छानुसार बातें सुनने की लालसा रखते हैं। हम भी यह मानने की गलती कर सकते हैं कि हर अगुवा सत्य ही बोलता है। बहकावे में आने से बचने के लिए और नुकसान में फंसने के लिए अनिवार्य है कि हम परमेश्वर के वचन को अपने हृदयों में अधिकाई से बसने दें (कुलुस्सियों ३:१६) और हर संदेश और शिक्षा को परमेश्वर वचन के समक्ष रखकर जाँचें और तब ही उसे ग्रहण करें (१ थिस्सलुनिकियों ५:२१)।

जब हम परमेश्वर के वचन में स्थिर बने रहेंगे तो परमेश्वर का आत्मा और वचन हमें झूठे दावों में फंसने और नुकसान उठाने से भी बचाए रखेंगे। - मार्ट डी हॉन


समझदारी की पहली पहचान है सत्य को जानना और दूसरी है अस्त्य को पहचान पाना।

मसीह के वचन को अपने ह्रृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलुस्सियों ३:१६


सब बातों को परखो: जो अच्‍छी है उसे पकड़े रहो। - १ थिस्सलुनिकियों ५:२१

बाइबल पाठ: यहूदा १:१-२५

Jud 1:1 यहूदा की ओर से जो यीशु मसीह का दास और याकूब का भाई है, उन बुलाए हुओं के नाम जो परमेश्वर पिता में प्रिय और यीशु मसीह के लिये सुरक्षित हैं।
Jud 1:2 दया और शान्‍ति और प्रेम तुम्हें बहुतायत से प्राप्‍त होता रहे।
Jud 1:3 हे प्रियो, जब मैं तुम्हें उस उद्धार के विषय में लिखने में अत्यन्‍त परिश्रम से प्रयत्‍न कर रहा था, जिस में हम सब सहभागी हैं तो मैं ने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस विश्वास के लिये पूरा यत्‍न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था।
Jud 1:4 क्‍योंकि कितने ऐसे मनुष्य चुपके से हम में आ मिले हैं, जिन के इस दण्‍ड का वर्णन पुराने समय में पहिले ही से लिखा गया था: ये भक्तिहीन हैं, और हमारे परमेश्वर के अनुग्रह को लुचपन में बदल डालते है, और हमारे अद्वैत स्‍वामी और प्रभु यीशु मसीह का इन्‍कार करते हैं।
Jud 1:5 पर यद्यपि तुम सब बात एक बार जान चुके हो, तौभी मैं तुम्हें इस बात की सुधि दिलाना चाहता हूं, कि प्रभु ने एक कुल को मिस्र देश से छुड़ाने के बाद विश्वास न लाने वालों को नाश कर दिया।
Jud 1:6 फिर जो र्स्‍वगदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन अपने निज निवास को छोड़ दिया, उस ने उन को भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अन्‍धकार में जो सदा काल के लिये है बन्‍धनों में रखा है।
Jud 1:7 जिस रीति से सदोम और अमोरा और उन के आस पास के नगर, जो इन की नाई व्यभिचारी हो गए थे और पराये शरीर के पीछे लग गए थे आग के अनन्‍त दण्‍ड में पड़ कर दृष्‍टान्‍त ठहरे हैं।
Jud 1:8 उसी रीति से ये स्‍वप्‍नदर्शी भी अपने अपने शरीर को अशुद्ध करते, और प्रभुता को तुच्‍छ जानते हैं और ऊंचे पद वालों को बुरा भला कहते हैं।
Jud 1:9 परन्‍तु प्रधान स्‍वर्गदूत मीकाईल ने, जब शैतान से मूसा की लोथ के विषय में वाद-विवाद करता था, तो उस को बुरा भला कह के दोष लगाने का साहस न किया पर यह कहा, कि प्रभु तुझे डांटे।
Jud 1:10 पर ये लोग जिन बातों को नहीं जानते, उन को बुरा भला कहते हैं; पर जिन बातों को अचेतन पशुओं की नाई स्‍वभाव ही से जानते हैं, उन में अपने आप को नाश करते हैं।
Jud 1:11 उन पर हाय! कि वे कैन की सी चाल चले, और मजदूरी के लिये बिलाम की नाई भ्रष्‍ट हो गए हैं: और कोरह की नाई विरोध कर के नाश हुए हैं।
Jud 1:12 यह तुम्हारी प्रेम सभाओं में तुम्हारे साथ खाते-पीते, समुद्र में छिपी हुई चट्टान सरीखे हैं, और बेधड़क अपना ही पेट भरने वाले रख वाले हैं; वे निर्जल बादल हैं जिन्‍हें हवा उड़ा ले जाती है; पतझड़ के निष्‍फल पेड़ हैं, जो दो बार मर चुके हैं और जड़ से उखड़ गए हैं।
Jud 1:13 ये समुद्र के प्रचण्‍ड हिलकोरे हैं, जो अपनी लज्ज़ा का फेन उछालते हैं: ये डांवाडोल तारे हैं, जिन के लिये सदा काल तक घोर अन्‍धकार रखा गया है।
Jud 1:14 और हनोक ने भी जो आदम से सातवीं पीढ़ी में था, इन के विषय में यह भविष्यद्ववाणी की, कि देखो, प्रभु अपने लाखों पवित्रों के साथ आया।
Jud 1:15 कि सब का न्याय करे, और सब भक्तिहीनों को उन के अभक्ति के सब कामों के विषय में, जो भक्तिहीन पापियों ने उसके विरोध में कही हैं, दोषी ठहराए।
Jud 1:16 ये तो असंतुष्‍ट, कुड़कुड़ाने वाले, और अपनी अभिलाषाओं के अनुसार चलने वाले हैं; और अपने मुंह से घमण्‍ड की बातें बोलते हैं और वे लाभ के लिये मुंह देखी बड़ाई किया करते हैं।
Jud 1:17 पर हे प्रियों, तुम उन बातों को स्मरण रखो जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रेरित पहिले कह चुके हैं।
Jud 1:18 वे तुम से कहा करते थे, कि पिछले दिनों में ऐसे ठट्ठा करने वाले होंगे, जो अपनी अभक्ति की अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।
Jud 1:19 ये तो वे हैं, जो फूट डालते हैं, ये शारीरिक लोग हैं, जिन में आत्मा नहीं।
Jud 1:20 पर हे प्रियों तुम अपने अति पवित्र विश्वास में अपनी उन्नति करते हुए और पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते हुए।
Jud 1:21 अपने आप को परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखो और अनन्‍त जीवन के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह की दया की आशा देखते रहो।
Jud 1:22 और उन पर जो शंका में हैं दया करो।
Jud 1:23 और बहुतों को आग में से झपट कर निकालो, और बहुतों पर भय के साथ दया करो; वरन उस वस्‍त्र से भी घृणा करो जो शरीर के द्वारा कलंकित हो गया है।
Jud 1:24 अब जो तुम्हें ठोकर खाने से बचा सकता है, और अपनी महिमा की भरपूरी के साम्हने मगन और निर्दोष कर के खड़ा कर सकता है।
Jud 1:25 उस अद्वैत परमेश्वर हमारे उद्धारकर्ता की महिमा, और गौरव, और पराक्रम, और अधिकार, हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जैसा सनातन काल से है, अब भी हो और युगानुयुग रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १६-१७
  • प्रेरितों २०:१-१६

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

किसका भय मानें

एक लड़के ने, जो दूसरे विश्वयुद्ध के समय हौलैण्ड के नाट्ज़ी सेनाओं के कबज़े वाले इलाके में रहता था, अपनी डायरी में लिखा, "पिछले सप्ताह तीन जर्मन सैनिकों ने मेरे पिताजी को घर के गलियारे में घेर लिया। उन्होंने बन्दूक के ज़ोर पर उन्हें मजबूर किया कि घर के तहखाने के रास्ते को खोलें। उनमें से एक ने पिताजी को आज्ञा दी कि कमरों के नीचे की जगह में रेंग कर जाकर दिखाएं कि हथियार कहाँ छिपा कर रखे हैं, अन्यथा वे उन्हें गोली मार देंगे। मेरे पिता कोई बहुत बहादुर व्यकति नहीं हैं, वे तो दन्त-चिकित्सक तक से डरते हैं। उन सैनिकों में से एक ने उनकी कनपट्टी पर अपनी पिस्तौल रखकर उसका घोड़ा दबाते हुए जब उन्हें धमकाया, तो पिता जी ने बाइबल का वह पद बोलना आरंभ कर दिया जो उनके ध्यान में आ रहा था: ’जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है’ (मत्ती १०:२८)। उन जर्मन सैनिकों ने विस्मित होकर एक दूसरे को देखा और फिर अपने कंधे झटक कर उन्हें छोड़ कर चले गए।"

अनेक प्रकार के भय कई दफा मसीही विश्वासियों को सताते हैं। कुछ तो अस्पष्ट और बेबुनियाद घबराहट से ही ग्रस्त रहते हैं। यह सब हमें हमारे भरोसे और आनन्द से वंचित करते हैं और हमारे आत्मिक स्वास्थ्य की हानि तथा हमारे मसीह के लिए प्रभावी होने को बाधित करते हैं। बाइबल में इस समस्या का उत्तर भी दिया गया है - हर भय को परमेश्वर के भय के आधीन ले आना। जब हम परमेश्वर के भय को भली-भाँति सीख जाएंगे तो फिर किसी भय से भयभीत नहीं होंगे।

हौलैण्ड के उस लड़के के पिता के समान, जब हम परमेश्वर के भय को सर्वोपरि रखेंगे तो हमारे लिए अन्य प्रत्येक भय अपने आप ही सही परिपेक्ष में आ जाएगा। - डेव एगनर


हमें इस संसार के किसी अंधकार से डरने की कोई आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि संसार की ज्योति, प्रभु यीशु मसीह सदा हमारे साथ बना रहता है।

जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है। - मत्ती १०:२८


बाइबल पाठ: मत्ती १०:२४-३३

Mat 10:24 चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं और न दास अपने स्‍वामी से।
Mat 10:25 चेले का गुरू के, और दास का स्‍वामी के बाराबर होना ही बहुत है; जब उन्‍होंने घर के स्‍वामी को शैतान कहा तो उसके घरवालों को क्‍यों न कहेंगे?
Mat 10:26 सो उन से मत डरना, क्‍योंकि कुछ ढंपा नहीं, जो खोला न जाएगा और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा।
Mat 10:27 जो मैं तुम से अन्‍धियारे में कहता हूं, उसे उजियाले में कहो; और जो कानों कान सुनते हो, उसे कोठों पर से प्रचार करो।
Mat 10:28 जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है।
Mat 10:29 क्‍या पैसे मे दो गौरैये नहीं बिकती? तौभी तुम्हारे पिता की इच्‍छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती।
Mat 10:30 तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं।
Mat 10:31 इसलिये, डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।
Mat 10:32 जो कोई मनुष्यों के साम्हने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी उसे स्‍वर्गीय पिता के साम्हने मान लूंगा।
Mat 10:33 पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्‍कार करेगा उस से मैं भी अपने स्‍वर्गीय पिता के साम्हने इन्‍कार करूंगा।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १३-१५
  • प्रेरितों १९:२१-४१

गुरुवार, 14 जुलाई 2011

प्रेरणा का सर्वोत्तम स्त्रोत

पहली कक्षा के छात्र क्रेग का चेहरा खिला हुआ और बड़ी सी मुस्कान से सजा हुआ था। बड़े गर्व से उसने अपने अंग्रेज़ी शब्दों की वर्तनी का परीक्षाफल, जिस पर उसकी अध्यापिका ने लिखा था - "१०० - बहुत अच्छा" मुझे दिखाया और कहा, "मैंने यह अपनी मम्मी और डैडी को भी दिखाया क्योंकि मैं जानता था कि वे इससे बहुत खुश होंगे।" उस बच्चे के लिए अपने माँ बाप को खुश करना प्रेरणा का एक बड़ा स्त्रोत था।

पौलुस ने तिमुथियुस को एक ऐसे सैनिक के उदाहरण द्वारा सिखाया जो अपने सेनापति की प्रसन्नता के लिए कोई भी जोखिम उठाने को सर्वदा तैयार रहता है, जिससे तिमुथियुस परमेश्वर की सेवा के मर्म को समझ सके, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो (२ तिमुथियुस २:३, ४)। हमारी श्रद्धा परमेश्वर को तब ही भाती है जब वह परमेश्वर के नियमों का गंभीरता से पालन और उसकी आज्ञाकारिता के लिए भरपूर मेहनत के साथ उसको एक पूर्णतः समर्पित एवं प्रेम पूर्ण हृदय से अर्पित करी गई हो।

परमेश्वर की सेवा करने के लिए हमारे पास कई उद्देश्य हो सकते हैं, लेकिन परमेश्वर को हम सर्वोत्तम महिमा तब ही देते हैं जब हम आनन्द सहित केवल वही करना चाहते हैं जिससे वह प्रसन्न होता है। हमारे उद्धारकर्ता ने भी, अपने मानवीय जीवन में, क्रूस पर हम सब के पापों के लिए बलिदान होने से पहले, हृदय की बड़ी व्यथा सही; लेकिन उसकी परमेश्वर से उस समय भी यही प्रार्थना थी, "...मेरी नहीं परन्‍तु तेरी ही इच्‍छा पूरी हो" (लूका २२:४२)। हमारा उद्देश्य भी अपने उद्धारकर्ता के समान सदा ही हर बात में परमेश्वर पिता की प्रसन्नता ही होना चाहिए।

परमेश्वर को प्रसन्न करना ही उसकी आज्ञाकारिता के लिए सर्वोत्तम प्रेरणा है और हमारा परमेश्वर का भय मानने का प्रमाण भी। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


मनुष्य कार्यों द्वारा परखता है, परन्तु परमेश्वर मन के उद्देश्यों को देखता है।

तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ। - कुलुसियों १:१०


बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस २:१-१३

2Ti 2:1 इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा।
2Ti 2:2 और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी है, उन्‍हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों।
2Ti 2:3 मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा की नाईं मेरे साथ दुख उठा।
2Ti 2:4 जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिये कि अपने भरती करने वाले को प्रसन्न करे, अपने आप को संसार के कामों में नहीं फंसाता;
2Ti 2:5 फिर अखाड़े में लडने वाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता।
2Ti 2:6 जो गृहस्थ परिश्रम करता है, फल का अंश पहिले उसे मिलना चाहिए।
2Ti 2:7 जो मैं कहता हूं, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातों की समझ देगा।
2Ti 2:8 यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है।
2Ti 2:9 जिस के लिये मैं कुकर्मी की नाईं दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं परन्‍तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं।
2Ti 2:10 इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूं, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्‍त महिमा के साथ पाएं।
2Ti 2:11 यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं तो उसके साथ जीएंगे भी।
2Ti 2:12 यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे : यदि हम उसका इन्‍कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्‍कार करेगा।
2Ti 2:13 यदि हम अविश्वासी भी हों तौ भी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्‍योंकि वह आप अपना इन्‍कार नहीं कर सकता।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १०-१२ प्
  • रेरितों १९:१-२०

बुधवार, 13 जुलाई 2011

सबसे भयावह भय

कुछ लोगों को भय से रोमांच होता है, लेकिन केवल काल्पनिक बातों में - वे डरावनी फिल्में देखना तथा डरावनी कहानीयाँ और उपन्यास पढ़ना पसन्द करते हैं लेकिन किसी वास्तविक भयावह परिस्थिति का वो कभी सामना करना नहीं चाहते। ऐसे ही संसार के अधिकांश लोग पसन्द नहीं करते कि किसी बात को उन्हें समझाने या बताने के लिए किसी प्रकार के भय का कोई उल्लेख किया जाए। यदि कोई लेखक सामयवादी यानि क्मयुनिस्ट विचार धारा के खतरों के बारे में कुछ लिखता है तो उस पर नाहक ही भय द्वारा बात मनवाने के प्रयास का इल्ज़ाम आता है। इसी प्रकार यदि कोई मसीही अगुवा इस बात का सुझाव मात्र भी दे कि परमेश्वर द्वारा पाप के न्याय के फलस्वरूप भी कुछ बिमारियाँ मनुष्यों में फैल सकती हैं तो उसे तिरस्कार किया जाता है, उसके प्रति घृणा का वातवरण उत्पन्न किया जाता है। लोगों में प्रचलित धारणा यही है कि, "लोगों को उनकी गलती से मुँह मोड़ने और उन्हें सही मार्ग पर लाने के लिए कभी परमेश्वर के न्याय और उसके भय का उल्लेख भी मत करो।"

लेकिन यह धारणा परमेश्वर के वचन और स्वभाव से मेल नहीं खाती। परमेश्वर के नबी यशायाह ने परमेश्वर की प्रजा को सही मार्गदर्शन देने के लिए परमेश्वर के न्याय और भय का उल्लेख करने में कभी कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। प्रजा के लोगों ने उस पर राजद्रोह का अभियोग लगाया क्योंकि उसने चेतावनी दी कि इस्त्राएल को अशूर के राजा के साथ संधि नहीं करनी चाहिए। यशायाह उन्हें चिता रहा था कि इस्त्राएल को अशूर के राजा से अधिक परमेश्वर से डरना चाहिए, और मनुष्य के भय में आकर यदि वे गलत संधि करेंगे और परमेश्वर के नियमों से समझौता करेंगे तो उन्हें परमेश्वर के न्याय का सामना करना पड़ेगा और वे अपनी स्वतंत्रता गंवा बैठेंगे। लोगों ने उसकी नहीं सुनी, परमेश्वर से अधिक मनुष्य को महत्व दिया, चेतावनी के विरुद्ध समझौते किये और अन्त वही हुआ जिसके लिए यशायाह इन्हें चिता रहा था।

परमेश्वर का वचन बाइबल यह भी बताती है कि जो लोग प्रभु यीशु मसीह का इन्कार कर के उसके द्वारा दिये गए उद्धार के मार्ग और अवसर का तिरिस्कार करते रहते हैं और अपने पापों में बने रहते हैं, वे एक दिन परमेश्वर को अपने विरुद्ध खड़ा पाएंगे। यदि यह बात किसी को भयावह प्रतीत होती है और इस भय के अन्तर्गत कोई व्यक्ति प्रभु यीशु पर विश्वास करने के द्वारा पापों से क्षमा तथा उद्धार पाता है, तो भय ने एक भला कार्य करवाया है। इसी भय के कारण यदि कोई मसीही विश्वासी प्रभु की सेवा में अपने आप को पुनःसमर्पित करके एक नए उत्साह के साथ अपनी सेवा को पूरा करता है तो भी भय एक सकरात्मक कार्य का कारण बना है।

मनुष्यों के लिए सबसे भयावह भय किसी अन्य नशवर मनुष्य या उसकी सामर्थ का भय नहीं वरन अविनाशी और सर्वसामर्थी परमेश्वर का और उसके न्याय का भय होना चाहिए, जिसका सामना प्रत्येक को एक न एक दिन करना ही है। यह सबसे भयावह भय ही सबसे भला भय भी है क्योंकि यही वह भय है जो हमें सही मार्ग पर लाता है और बनाए रखता है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


सच्चे परमेश्वर का सच्चा भय मानिए, आपको अन्य किसी भय को मानने की कभी कोई आवश्यक्ता नहीं होगी।

इसलिये मैं भी उनके लिये दु:ख की बातें निकालूंगा, और जिन बातों से वे डरते हैं उन्हीं को उन पर लाऊंगा; क्योंकि जब मैं ने उन्हें बुलाया, तब कोई न बोला, और जब मैं ने उन से बातें की, तब उन्होंने मेरी न सुनी; परन्तु जो मेरी दृष्टि में बुरा था वही वे करते रहे, और जिस से मैं अप्रसन्न होता था उसी को उन्होंने अपनाया। - यशायाह ६६:४


बाइबल पाठ: यशायाह ८:११-२२

Isa 8:11 क्योंकि यहोवा दृढ़ता के साथ मुझ से बोला और इन लोगों की सी चाल चलने को मुझे मना किया,
Isa 8:12 और कहा, जिस बात को यह लोग राजद्रोह कहें, उसको तुम राजद्रोह न कहना, और जिस बात से वे डरते हैं उस से तुम न डरना और न भय खाना।
Isa 8:13 सेनाओं के यहोवा ही को पवित्र जानना, उसी का डर मानना, और उसी का भय रखना।
Isa 8:14 और वह शरणस्थान होगा, परन्तु इस्राएल के दोनो घरानों के लिये ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान, और यरूशलेम के निवासियों के लिये फन्दा और जाल होगा।
Isa 8:15 और बहुत से लोग ठोकर खाएंगे, वे गिरेंगे और चकनाचूर होंगे, वे फन्दे में फसेंगे और पकड़े जाएंगे।
Isa 8:16 चितौनी का पत्र बन्द कर दो, मेरे चेलों के बीच शिक्षा पर छाप लगा दो।
Isa 8:17 मैं उस यहोवा की बाट जोहता रहूंगा जो अपने मुख को याकूब के घराने से छिपाये है, और मैं उसी पर आशा लगाए रहूंगा।
Isa 8:18 देख, मैं और जो लड़के यहोवा ने मुझे सौंपे हैं, उसी सेनाओं के यहोवा की ओर से जो सिय्योन पर्वत पर निवास किए रहता है इस्राएलियों के लिये चिन्ह और चमत्कार हैं।
Isa 8:19 जब लोग तुम से कहें कि ओझाओं और टोन्हों के पास जाकर पूछो जो गुनगुनाते और फुसफुसाते हैं, तब तुम यह कहना कि क्या प्रजा को अपने परमेश्वर ही के पास जाकर न पूछना चाहिये? क्या जीवतों के लिये मुर्दों से पूछना चाहिये?
Isa 8:20 व्यवस्था और चितौनी ही की चर्चा किया करो! यदि वे लोग इस वचनों के अनुसार न बोलें तो निश्चय उनके लिये पौ न फटेगी,
Isa 8:21 वे इस देश में क्लेशित और भूखे फिरते रहेंगे, और जब वे भूखे होंगे, तब वे क्रोध में आकर अपने राजा और अपने परमेश्वर को श्राप देंगे, और अपना मुख ऊपर आकाश की ओर उठाएंगे;
Isa 8:22 तब वे पृथ्वी की ओर दृष्टि करेंगे परन्तु उन्हें सकेती और अन्धियारे अर्थात संकट भरा अन्धकार ही देख पड़ेगा, और वे घोर अन्धकार में ढकेल दिए जाएंगे।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ७-९
  • प्रेरितों १८

सोमवार, 11 जुलाई 2011

जयवंत भय

भय कई तरह के होते हैं और लोग उन के अलग अलग प्रकारों से लम्बे समय से परिचित हैं। हाल ही में एक नया भय प्रगट हुआ है - कमप्यूटर का भय (cyberphobia)। कुछ लोग कमप्यूटर को देख कर बहुत भयभीत हो जाते हैं, वे उस कमरे में रहना नहीं चाहते जहाँ कमप्यूटर लगा है। यदि उन्हें कमप्यूटर के पास छोड़ दिया जाए तो वे घबराने लगते हैं, उनके दिल की धड़कन तेज़ और अनियमित हो जाती है, उन्हें साँस लेने में कठिनाई होने लगती है, कोई कोई कंपकंपाने लगता है और कोई मुर्छित भी हो जाता है। वे इतने विचिलित हो जाते हैं कि उन्हें संयम खोने, सनकी होने या बेहोशा हो जाने का आभास होने लगता है। हम में से अधिकांशतः के लिए यह समझ से परे है, जैसे हर प्रकार का भय किसी न किसी की समझ से परे होता है; लेकिन जो उससे ग्रसित हैं उन लोगों के लिए वह भय वास्तविक है।

लेकिन एक और भय है, जो हम में से अधिकांश लोगों को है और उपरोक्त भय के समान वास्तविक भी है और वैसा ही निष्क्रीय करने वाला भी, लेकिन हम इसे स्वीकार कम ही करते हैं - मनुष्यों का भय, दूसरों के कहने और राय का भय। कई बार हम ऐसे व्यवहार करते हैं मानो हमारा भविष्य और भलाई पूर्णतः दूसरे मनुष्यों के हाथों में है।

यशायाह ने वर्णन किया कि मनुष्यों का यह बेबुनियाद भय परमेश्वर को कैसा प्रतीत होता है, जब हम उस पर अपना भरोसा छोड़ मनुष्यों पर निर्भर होने लगते हैं। परमेश्वर ने कहा मनुष्यों के भय में और उनके वशीभूत रहना मूर्खता है क्योंकि मनुष्य नाशमान प्राणी है जिसका अस्तित्व और सामर्थ मैदान की घास से अधिक नहीं है ( याशायाह ५१:१२)। परमेश्वर यह भी जानता है कि लोग किस प्रकार की हानि पहुंचने के भय के कारण दूसरों पर हावी होते हैं ( याशायाह ५१:१३, १४)। लेकिन परमेश्वर ही है जो हर बात और प्रत्येक जन का अन्तिम फैसला अपने हाथ में रखे हुए है।

हमारा भविष्य और अनन्त काल की भलाई परमेश्वर पर निर्भर है, किसी मनुष्य पर नहीं, केवल परमेश्वर पर। इसलिए जैसा इब्रानियों की पत्री के लेखक ने मसीही जीवन के लिए लिखा है, "इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें, जिस ने उस आनन्‍द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न करके, क्रूस का दुख सहा और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा" (इब्रानियों १२:१, २)।

परमेश्वर का भय ही हर परिस्थिति पर जयवन्त करने वाला भय है जिससे कभी हानि नहीं आती। - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर पर विश्वास और परमेश्वर का भय, दमन करने वाले मनुष्यों के भय को जीवन से निकाल फेंकता है।

मैं, मैं ही तेरा शान्तिदाता हूं; तू कौन है जो मरने वाले मनुष्य से, और घास के समान मुर्झाने वाले आदमी से डरता है? - यशायाह ५१:१२


बाइबल पाठ: यशायाह ५१:१-१६

Isa 51:1 हे धर्म पर चलने वालो, हे यहोवा के ढूंढ़ने वालो, कान लगाकर मेरी सुनो; जिस चट्टान में से तुम खोदे गए और जिस खान में से तुम निकाले गए, उस पर ध्यान करो।
Isa 51:2 अपने मूलपुरूष इब्राहीम और अपनी माता सारा पर ध्यान करो, जब वह अकेला था, तब ही से मैं ने उसको बुलाया और आशीष दी और बढ़ा दिया।
Isa 51:3 यहोवा ने सिय्योन को शान्ति दी है, उस ने उसके सब खण्डहरों को शान्ति दी है; वह उसके जंगल को अदन के समान और उसके निर्जल देश को यहोवा की वाटिका के समान बनाएगा, उस में हर्ष और आनन्द और धन्यवाद और भजन गाने का शब्द सुनाई पड़ेगा।
Isa 51:4 हे मेरी प्रजा के लोगों, मेरी ओर ध्यान धरो, हे मेरे लोगों, कान लगा कर मेरी सुनो, क्योंकि मेरी ओर से व्यवस्था दी जाएगी, और मैं अपना नियम देश देश के लोगों की ज्योति होने के लिये स्थिर करूंगा।
Isa 51:5 मेरा छुटकारा निकट है, मेरा उद्धार प्रगट हुआ है, मैं अपने भुजबल से देश देश के लोगों का न्याय करूंगा। द्वीप मेरी बाट जाहेंगे और मेरे भुजबल पर आशा रखेंगे।
Isa 51:6 आकाश की ओर अपनी आंखें उठाओ, और पृथ्वी को निहारो; क्योंकि आकाश धुंए ही नाई लोप हो जाएगा, पृथ्वी कपड़े के समान पुरानी हो जाएगी, और उसके रहने वाले यों ही जाते रहेंगे, परन्तु जो उद्धार मैं करूंगा वह सर्वदा ठहरेगा, और मेरे धर्म का अन्त न होगा।
Isa 51:7 हे धर्म के जानने वालों, जिनके मन में मेरी व्यवस्था है, तुम कान लगाकर मेरी सुनो; मनुष्यों की नामधराई से मत डरो, और उनके निन्दा करने से विस्मित न हो।
Isa 51:8 क्योंकि घुन उन्हें कपड़े की नाईं और कीड़ा उन्हें ऊन की नाईं खाएगा, परन्तु मेरा धर्म अनन्त काल तक, और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।
Isa 51:9 हे यहोवा की भुजा, जाग! जाग और बल धारण कर; जैसे प्राचीन काल में और बीते हुए पीढिय़ों में, वैसे ही अब भी जाग। क्या तू वही नहीं है जिस ने रहब को टुकड़े टुकड़े किया और मगरमच्छ को छेदा?
Isa 51:10 क्या तू वही नहीं जिस ने समुद्र को अर्थात गहिरे सागर के जल को सुखा डाला और उसकी गहराई में अपने छुड़ाए हओं के पार जाने के लिये मार्ग निकाला था?
Isa 51:11 सो यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौट कर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे, और उनके सिरों पर अनन्त आनन्द गूंजता रहेगा, वे हर्ष और आनन्द प्राप्त करेंगे, और शोक और सिसकियों का अन्त हो जाएगा।
Isa 51:12 मैं, मैं ही तेरा शान्तिदाता हूं; तू कौन है जो मरने वाले मनुष्य से, और घास के समान मुर्झाने वाले आदमी से डरता है?
Isa 51:13 और आकाश के तानने वाले और पृथ्वी की नेव डालने वाले अपने कर्ता यहोवा को भूल गया है, और जब द्रोही नाश करने को तैयार होता है तब उसकी जलजलाहट से दिन भर लगातार थरथराता है? परन्तु द्रोही की जलजलाहट कहां रही?
Isa 51:14 बंधुआ शीघ्र ही स्वतन्त्र किया जाएगा, वह गड़हे में न मरेगा और न उसे रोटी की कमी होगी।
Isa 51:15 जो समुद्र को उथल-पुथल करता जिस से उसकी लहरों मे गरजन होती है, वह मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं मेरा नाम सेनाओं का यहोवा है। और मैं ने तेरे मुंह में अपने वचन डाले,
Isa 51:16 और तुझे अपने हाथ की आड़ में छिपा रखा है कि मैं आकाश को तानूं और पृथ्वी की नेव डालूं, और सिय्योन से कहूं, तुम मेरी प्रजा हो।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १-३
  • प्रेरितों १७:१-१५

रविवार, 10 जुलाई 2011

भय की प्राथमिकताएं

मैंने एक प्रचारक को कहते सुना कि हमें केवल परमेश्वर से भय रखना चाहिए, यद्यपि उसके कहने का तातपर्य सही था, तो भी मैं उससे पूर्णतः सहमत नहीं हूँ। परमेश्वर के वचन बाइबल में ही प्रेरित पतरस द्वारा परमेश्वर के आत्मा ने लिखवाया है कि सेवक अपने स्वामियों के भय में रहें (१ पतरस २:१८) और पौलुस प्रेरित द्वारा लिखवाया कि बुराई करने वालों को सामाजिक अधिकारियों के भय में रहना चाहिए (रोमियों १३:४)। यह हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है कि हम जिन बातों का भय रखते हैं उनकी सही प्राथमिकताएं भी रखें और उन सही प्राथमिकताओं के अनुसार भय को निभाएं।

एक युवक ने मुझे अपने अनुभव के बारे में बताया, उसके मित्र उसे नशीले पदार्थों के सेवन के लिए उकसा रहे थे, उसे भय था कि यदि उसने उनकी ना मानी तो वे उसे कायर समझेंगे; लेकिन इससे भी अधिक भय उसे इस बात से था कि यदि उसने उन पदार्थों को लेना आरंभ कर दिया तो उसका परिणाम क्या होगा। अपने भय की सही प्राथमिकताओं के कारण ही वह बुरी आदत और उसके दुषपरिणामों से बच सका। एक सैनिक ने अपने युद्ध भूमि के अनुभव बताए। उसने अपनी स्वेच्छा से एक बहुत खतरनाक मुहिम पर जाने की रज़ामन्दी अपनी टुकड़ी के नायक को दी। उसने माना कि उस मुहिम पर जाने के लिए उसे भय तो बहुत था लेकिन उस भय से भी अधिक भय इस बात का था कि यदि दुशमन जीत गया तो क्या परिणाम होगा। भय की प्राथमिकताओं ने ही इन दोनो जवानों को सही निर्णय लेने की प्रेरणा दी।

बाइबल हमें सिखाती है कि हमारा सब से बड़ा भय होना चाहिए परमेश्वर को अप्रसन्न करने का भय। यह वह भय है जिसे सदा हमारे प्राणों के भय से भी बढ़कर रहना चाहिए। यदि एक मसीही विश्वासी के सामने बुराई करने अथवा पीड़ा उठाने या प्राण गंवाने की परिस्थिति हो तो निसन्देह, बिन झिझके उसे परमेश्वर की आज्ञाकारिता के लिए पीड़ा उठाने या प्राणों का जोखिम उठाने को चुनना चाहिए, ना कि बुराई के लिए समझौता करने को। प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा, "जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है" (मत्ती १०:२८)।

भय हमारे जीवन का एक भाग है। यदि हम भय की प्राथमिकताएं बनाना सीख जाएं और परमेश्वर के भय को सदा सर्वोपरी रखें तो भय हमारे लिए लाभ का कारण बन जाएगा। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


मनुष्यों के भय से लज्जा किंतु परमेश्वर के भय से विवेक जागृत होता है।

इसलिये हर एक का हक चुकाया करो, जिसे कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो। - रोमियों १३:७



बाइबल पाठ: रोमियों १३:१-७

Rom 13:1 हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के अधीन रहे, क्‍योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो, और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं।
Rom 13:2 इस से जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करने वाले दण्‍ड पाएंगे।
Rom 13:3 क्‍योंकि हाकिम अच्‍छे काम के नहीं, परन्‍तु बुरे काम के लिये डर का कारण हैं; सो यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्‍छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी;
Rom 13:4 क्‍योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्‍तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्‍योकि वह तलवार व्यर्थ लिये हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करने वाले को दण्‍ड दे।
Rom 13:5 इसलिये अधीन रहना न केवल उस क्रोध से परन्‍तु डर से अवश्य है, वरन विवेक भी यही गवाही देता है।
Rom 13:6 इसलिये कर भी दो, क्‍योंकि वे परमश्‍ेवर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं।
Rom 13:7 इसलिये हर एक का हक चुकाया करो, जिस कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ४१-४२
  • प्रेरितों १६:२२-४०

शनिवार, 9 जुलाई 2011

भय से भरोसा

एक कबीले में प्रथा थी कि जब उनके कबीले का बच्चा व्यसक होने लगता था तो कबीले के अगुवे उसे अपने कबीले की प्रथाएं सिखाते थे। इन प्रथाओं के पालन के लिए वे उसके ऊपर दण्ड का भय या "यह करो, वह न करो" की नैतिकता का भार नहीं डालते थे, वरन वे उस से बस इतना ही कहते थे कि "ना मानने से कबीले के लोग तुम्हारे बारे में बातें कर सकते हैं"। अपने साथ के लगों में सही छवि बनाए रखने के लिए वह बच्चा स्वतः ही प्रथाओं का पालन करने में तत्पर रहता था।

साथियों के इस दबाव के संबंध में परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह की पुस्तक के ५१ अध्याय में भी कुछ कहा गया है - समाज में सही दिखने वाले व्यवहार को लेकर। कबीले के अगुवे बच्चों को सही व्यवहार बनाए रखने के लिए साथियों का दबाव बताते थे, लेकिन यशायाह ५१ में इसका दूसरा पहलू दर्शाया गया है - साथियों के दबाव में आकर पाप में फंसना और गिर जाना (यशायाह ५१:७)। परमेश्वर ने अपने लोगों को चेतावनी दी कि "लोग उन के बारे में क्या कहेंगे" का भय, उन के जीवनों में परमेश्वर की आज्ञाओं के साथ समझौता करने और अनाज्ञाकारी होने का कारण हो सकता है और वे अनैतिक संबंधों में फंस सकते हैं। परमेश्वर ने कहा कि जब ऐसी बात उठे तब वह उस पर भरोसा रखें और केवल उसी की सम्म्ति से कार्य करें।

यह सलाह आज हमारे लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज भी "मनुष्यों का भय" बहुत से मसीही लोगों को परमेश्वर के अनाज्ञाकारी होने के लिए बाध्य कर देता है और इसके दुषपरिणाम वे अपने जीवनों मे भोगते रहते हैं। यदि हम अपना व्यवहार केवल लोगों की पसन्द - नापसन्द पर आधारित रखेंगे तो शीघ्र ही हमारे जीवन कुण्ठाओं और दुखदाई अनिश्चितताओं से भर जाएंगे और हम न स्वयं प्रसन्न रह सकेंगे, न किसी दूसरे को सदा प्रसन्न रख सकेंगे और परमेश्वर से भी विमुख हो जाएंगे।

जब हम अपनी तृप्ति सदा ही परमेश्वर को भाने वाली बातों में बनाएंगे तो हमें अपंग करने वाले मनुष्यों के भय से स्वतः ही मुक्ति मिल जाएगी। फिर मनुष्यों के भय के स्थान पर हम परमेश्वर के भय में कार्य करने लगेंगे जो सदा ही उन्नति का कारण होता है। परमेश्वर का भय उसके प्रति श्रद्धा का सकारात्मक भय है, जो हमें उसकी इच्छानुसार चलने को प्रेरित करता है और सदा हमारे भले ही का भरोसा देता है। - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर का भय ही हमें मनुष्यों के भय से मुक्त कर सकता है।

मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है। - नीतिवचन २९:२५


बाइबल पाठ: यशायाह ५१:७-१६

Isa 51:7 हे धर्म के जानने वालों, जिनके मन में मेरी व्यवस्था है, तुम कान लगाकर मेरी सुनो, मनुष्यों की नामधराई से मत डरो, और उनके निन्दा करने से विस्मित न हो।
Isa 51:8 क्योंकि घुन उन्हें कपड़े की नाईं और कीड़ा उन्हें ऊन की नाईं खाएगा; परन्तु मेरा धर्म अनन्तकाल तक, और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।
Isa 51:9 हे यहोवा की भुजा, जाग! जाग और बल धारण कर, जैसे प्राचीन काल में और बीते हुए पीढिय़ों में, वैसे ही अब भी जाग। क्या तू वही नहीं है जिस ने रहब को टुकड़े टुकड़े किया और मगरमच्छ को छेदा?
Isa 51:10 क्या तू वही नहीं जिस ने समुद्र को अर्थात गहिरे सागर के जल को सुखा डाला और उसकी गहराई में अपने छुड़ाए हओं के पार जाने के लिये मार्ग निकाला था?
Isa 51:11 सो यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौट कर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे, और उनके सिरों पर अनन्त आनन्द गूंजता रहेगा; वे हर्ष और आनन्द प्राप्त करेंगे, और शोक और सिसकियों का अन्त हो जाएगा।
Isa 51:12 मैं, मैं ही तेरा शान्तिदाता हूं, तू कौन है जो मरने वाले मनुष्य से, और घास के समान मुर्झाने वाले आदमी से डरता है?
Isa 51:13 और आकाश के तानने वाले और पृथ्वी की नेव डालने वाले अपने कर्ता यहोवा को भूल गया है, और जब द्रोही नाश करने को तैयार होता है तब उसकी जलजलाहट से दिन भर लगातार थरथराता है? परन्तु द्रोही की जलजलाहट कहां रही?
Isa 51:14 बंधुआ शीघ्र ही स्वतन्त्र किया जाएगा; वह गड़हे में न मरेगा और न उसे रोटी की कमी होगी।
Isa 51:15 जो समुद्र को उथल-पुथल करता जिस से उसकी लहरों मे गरजन होती है, वह मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं मेरा नाम सेनाओं का यहोवा है। और मैं ने तेरे मुंह में अपने वचन डाले,
Isa 51:16 और तुझे अपने हाथ की आड़ में छिपा रखा है कि मैं आकाश को तानूं और पृथ्वी की नेव डालूं, और सिय्योन से कहूं, तुम मेरी प्रजा हो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३८-४०
  • प्रेरितों १६:१-२१

शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

हर तरह का मौसम

भजनकार ने सारी सृष्टि को परमेश्वर की स्तुति में अपनी आवाज़ उठाने को कहा ( भजन १४८:७-१२)। उस ने पहचाना की प्रकृति की प्रबल शक्तियाँ परमेश्वर द्वारा भेजी जाती हैं कि उसकी इच्छा को पूरी करें। ये शक्तियाँ न केवल जीवन की रक्षा और पोषण करती हैं वरन उसे आकार और स्वरूप भी देती हैं।

अपने घर के बाहर लगे विशाल पेड़ को देखकर मैं यही सोच रहा था। लम्बे समय से उस पेड़ के मज़बूत और गगनचुँबी तने और हर तरफ फैली शाखाओं को देखकर उनहें सराहता रहता था। अब मैं ने विचार किया कि परमेश्वर द्वारा भेजी गई प्रकृति की इन प्रबल शक्तियों ने ही इस पेड़ को इसका यह स्वरूप दिया है। गरमीयों की कठोर धूप, निकट की झील से आती तेज़ ठण्डी हवाएं जो उसकी शाखाओं को झकझोरती हैं, बरसात की तेज़ आँधियाँ, सर्दियों में उस पर पड़ने और जमने वाली बर्फ जिसका बोझ उसे उठाना होता है, वसन्त ऋतु में आने वाले तूफान, सब मिलकर उस पेड़ को इतना मज़बूत और स्थिर बनाते हैं।

जीवन में आने वाले तूफान के दबाव और बर्फानी हवाओं के थपेड़े परमेश्वर की ओर से भेजे गए मौसम के अलग अलग मिज़ाजों की तरह हैं। इनसे मेरे जीवन में सामर्थ और परिपक्वता आती है, ये परमेश्वर की ओर से मुझे उस स्वरूप में ढालते हैं जो परमेश्वर मेरे जीवन में चाहता है।

हमारे जीवन में हर प्रकार का मौसम, गर्मी की तपिश और सर्दी की ठिठुरन, सब परमेश्वर की ओर से है और हमें उस ही के स्वरूप में ढालने के लिए हैं, यदि हम आपने आप को उसके हाथों में समर्पित कर दें तो।


परमेश्वर निर्धारित करेगा कि आपको क्या झेलना है, आप यह निर्धारित कीजिए कि किस रीति से झेलेंगे।

पृथ्वी में से यहोवा की स्तुति करो, हे मगरमच्छों और गहिरे सागर, हे अग्नि और ओलों, हे हिम और कुहरे, हे उसका वचन मानने वाली प्रचण्ड बयार! - भजन १४८:७, ८


बाइबल पाठ: भजन १४८

Psa 148:1 याह की स्तुति करो! यहोवा की स्तुति स्वर्ग में से करो, उसकी स्तुति ऊंचे स्थानों में करो!
Psa 148:2 हे उसके सब दूतों, उसकी स्तुति करो: हे उसकी सब सेना उसकी स्तुति कर!
Psa 148:3 हे सूर्य और चन्द्रमा उसकी स्तुति करो, हे सब ज्योतिमय तारागण उसकी स्तुति करो!
Psa 148:4 हे सब से ऊंचे आकाश, और हे आकाश के ऊपर वाले जल, तुम दोनों उसकी स्तुति करो।
Psa 148:5 वे यहोवा के नाम की स्तुति करें, क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और ये सिरजे गए।
Psa 148:6 और उस ने उन को सदा सर्वदा के लिये स्थिर किया है और ऐसी विधि ठहराई है, जो टलने की नहीं।
Psa 148:7 पृथ्वी में से यहोवा की स्तुति करो, हे मगरमच्छों और गहिरे सागर,
Psa 148:8 हे अग्नि और ओलों, हे हिम और कुहरे, हे उसका वचन मानने वाली प्रचण्ड बयार!
Psa 148:9 हे पहाड़ों और सब टीलो, हे फलदाई वृक्षों और सब देवदारों!
Psa 148:10 हे वन- पशुओं और सब घरैलू पशुओं, हे रेंगने वाले जन्तुओं और हे पक्षियों!
Psa 148:11 हे पृथ्वी के राजाओं, और राज्य राज्य के सब लोगों, हे हाकिमों और पृथ्वी के सब न्यायियों!
Psa 148:12 हे जवानों और कुमारियों, हे पुरनियों और बालकों!
Psa 148:13 यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसी का नाम महान है; उसका ऐश्वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।
Psa 148:14 और उस ने अपनी प्रजा के लिये एक सींग ऊंचा किया है, यह उसके सब भक्तों के लिये अर्थात इस्राएलियों के लिये और उसके समीप रहने वाली प्रजा के लिये स्तुति करने का विषय है। याह की स्तुति करो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३६-३७
  • प्रेरितों १५:२२-४१

गुरुवार, 7 जुलाई 2011

चिकने और गोलाकार

समुद्र के किनारे पैदल चलते हुए मैं एक छोटी से खाड़ीनुमा स्थान पर आया जिसका मुहाना तंग तथा सुरक्षित था और बड़ी तथा तेज़ लहरें वहाँ अन्दर तक वेग से नहीं आ पाती थीं। मैंने ध्यान किया कि जो पत्थर और चट्टानें वहाँ तट पर पड़ीं थीं वे उबड़-खाबड़ और पैनी थीं न की चिकनी और गोलाकार, जैसी की उस खाड़ीनुमा इलाके के बाहर थीं जहाँ पर समुद्र की लहरें वेग से आकर चट्टानों पर टूटती थीं और उन से घिस कर चट्टानों का पैनापन जाता रहा था और वे चिकनी हो गई थीं।

यही बात मसीही विश्वासी के चरित्र पर भी लागु होती है। जैसे लहरों और पानी का कठोर प्रहार चट्टानों को घिस कर चिकना कर देता है, वैसे ही हमारे जीवनों की कठिनाईयाँ और परिक्षाएं हमारे चरित्र को निखार कर हम में मसीही परिपक्वता ले आती हैं। इसी लिए भजनकार ने लिखा कि, "मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं" (भजन ११९:७१)। इसी भाव को प्रचारक सैमुएल रदरफोर्ड ने भी व्यक्त किया जब उसने कहा कि "क्लेषों की भट्टी से होकर निकलने से मुझे परमेश्वर का वचन एक नए रूप में मिल गया है।" जब उसका विश्वास परखा गया तो परमेश्वर के वचन की एक नई समझ उसे मिली और साथ ही उसका चरित्र भी और अधिक निखर गया।

एक सामन्य भ्रांति है कि जब हमारे साथ कुछ बुरा हो रहा होता है, तब परमेश्वर हमें दण्ड दे रहा होता है। यह सदा सत्य नहीं होता, परमेश्वर का वचन हमें यह भी सिखाता है कि परीक्षाएं एक मसीही विश्वासी के लिए सम्मान के पदक भी हो सकते हैं। वे दिखाती हैं कि उन परीक्षाओं में होकर परमेश्वर हम में कार्य कर रहा है जिससे वह हम में वह धैर्य उत्पन्न कर सके जिसकी चर्चा याकूब ने करी और जो हमें परिपक्व करता है जिससे हम किसी भी घटी में न रहें (याकूब १:४)।

क्लेषों और परीक्षाओं के द्वारा परमेश्वर हमारे चरित्र के पैने और ऊबड़-खाबड़ हिस्सों को घिस कर चिकना और गोलाकार करता है और हमें अपने पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता में बदलता जाता है। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वर हमारे जीवनों में कठिनाईयाँ और परिक्षाएं हमें निखारने के लिए आने देता है, हमें बिगाड़ने के लिए नहीं।

...तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है। - याकूब १:३


बाइबल पाठ: याकूब १:१-१८

Jas 1:1 परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर होकर रहते हैं नमस्‍कार पहुंचे।
Jas 1:2 हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो
Jas 1:3 तो इसे पूरे आनन्‍द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है।
Jas 1:4 पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।
Jas 1:5 पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है और उस को दी जाएगी।
Jas 1:6 पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्‍देह न करे क्‍योंकि सन्‍देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।
Jas 1:7 ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा।
Jas 1:8 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।
Jas 1:9 दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्‍ड करे।
Jas 1:10 और धनवान अपनी नीच दशा पर: क्‍योंकि वह घास के फूल की नाई जाता रहेगा।
Jas 1:11 क्‍योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।
Jas 1:12 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है क्‍योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।
Jas 1:13 जब किसी ही परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है क्‍योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वही किसी की परीक्षा आप करता है।
Jas 1:14 परन्‍तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है।
Jas 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनता है और पाप बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्‍पन्न करता है।
Jas 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।
Jas 1:17 क्‍योंकि हर एक अच्‍छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।
Jas 1:18 उस ने अपनी ही इच्‍छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्‍पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३४-३५
  • प्रेरितों १५:१-२१

बुधवार, 6 जुलाई 2011

दिल पर हावी

अपनी बैसाखियों के कारण रौजर कभी खेल-कूद में भाग नहीं ले सका, लेकिन वह अपनी पढ़ाई में सदा अच्छा स्थान बनाए रहा, सदा हँसमुख रहता था और उसके साथ के लोग उसे बहुत पसन्द करते थे। बहुत समय तक उसकी इस असमर्थता के बारे में किसी ने उससे कुछ नहीं पूछा, लेकिन एक दिन उसके एक अच्छे मित्र ने उस से पूछ ही लिया। रौजर ने उसे बताया कि उसकी यह असमर्थता बचपन में हुई पोलियो की बीमारी के कारण थी। उसके मित्र ने फिर पूछा "इतनी कठिनाईयों और तकलीफों के बावजूद तुम्हारे अन्दर कोई कडुवाहट क्यों नहीं दिखाई देती?" रौजर ने अपने दिल की ओर ऊँगुली का इशारा करते हुए और मुस्कुराते हुए उत्तर दिया "क्योंकि मैंने इसे अपने दिल पर कभी हावी नहीं होने दिया।"

हो सकता है कि कोई लोग ऐसे भी हों जिन्होंने कभी क्लेषों का सामना नहीं किया हो। लेकिन हम में से अधिकांश लोगों के लिये क्लेष - शारीरिक, मानसिक अथवा भावनाओं से जुड़े हुए, अनजान नहीं हैं; देर-सवेर, किसी न किसी रूप में, ये हमारे जीवनों में आ ही जाते हैं और तब हमारी स्वाभाविक प्रतिक्रिया इनसे बचने और राहत पाने की होती है। परमेश्वर का वचन बाइबल कभी कहीं यह आश्वासन नहीं देती कि हमारे जीवन सदा क्लेषों से मुक्त होंगें और हम पर कभी कोई असमर्थता नहीं आएगी, और ना ही कोई ऐसा आश्वासन देती है कि क्लेषों से मुक्ति की प्रत्येक प्रार्थना का उत्तर हमारी इच्छानुसार ही होगा, यद्यपि कभी ऐसा होता भी है। लेकिन परमेश्वर का वचन हमें यह आश्वासन अवश्य देता है कि हर क्लेष में हमारा परमेश्वर और उसकी शांति तथा सामर्थ हमारे साथ बनी रहेगी और हर क्लेष में वह हमारे अविनाशी आत्मा को संभाले रहेगा, जो नशवर शरीर से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

यदि हम किसी ऐसी व्याधि से होकर निकलें, जिसका निवारण परमेश्वर तुरंत और हमारी इच्छानुसार नहीं कर देता तो हमें निराश और हताश होकर अपने जीवनों में कडुवाहट, आत्मग्लानि और परमेश्वर के प्रति विरोध और विद्रोह को आने नहीं देना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में अवश्य ही इस प्रकार के विचार हमारे मनों में घर बनाने का प्रयास करेंगे। जब जब ऐसा हो तो बड़ी सच्चाई और साधारण विश्वास के साथ हमें अपनी इन भावनाओं को परमेश्वर के सामने मान लेना चाहिए, क्योंकि वह न केवल सब कुछ जानता है वरन हमारी दशा को समझता भी है और हमसे प्रेम तथा सहानुभुति भी रखता है। ऐसा करने से न केवल हम परिस्थितियों पर जयवंत होंगे और हमारे जीवनों में परमेश्वर की शांति राज करेगी, वरन परमेश्वर भी हमें अपने प्रेम और सामर्थ का उदाहरण बना कर दूसरों तक अपनी गवाही को पहुँचाने पाएगा जिससे कि उनके जीवनों में भी निराशा राज न करने पाए।

यदि हर परिस्थिति में हम अपने जीवन परमेश्वर के आगे खुले रखेंगे तो कोई परिस्थिति कभी हमारे दिलों पर हावी नहीं हो सकेगी। - डेनिस डी हॉन


शरीर का ऐसा कोई क्लेष नहीं है जिससे आत्मा सामर्थ न पा सके।

जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा। - भजन ४१:३


बाइबल पाठ: भजन ४१

Psa 41:1 क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा।
Psa 41:2 यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा, और वह पृथ्वी पर भाग्यवान होगा। तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़।
Psa 41:3 जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।
Psa 41:4 मैं ने कहा, हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ को चंगा कर, क्योंकि मैं ने तो तेरे विरूद्ध पाप किया है!
Psa 41:5 मेरे शत्रु यह कह कर मेरी बुराई करते हैं: वह कब मरेगा, और उसका नाम कब मिटेगा?
Psa 41:6 और जब वह मुझ से मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है।
Psa 41:7 मेरे सब बैरी मिलकर मेरे विरूद्ध कानाफूसी करते हैं; वे मेरे विरूद्ध होकर मेरी हानि की कल्पना करते हैं।
Psa 41:8 वे कहते हैं कि इसे तो कोई बुरा रोग लग गया है, अब जो यह पड़ा है, तो फिर कभी उठने का नहीं।
Psa 41:9 मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, जो मेरी रोटी खाता था, उस ने भी मेरे विरूद्ध लात उठाई है।
Psa 41:10 परन्तु हे यहोवा, तु मुझ पर अनुग्रह करके मुझ को उठा ले कि मैं उनको बदला दूं!
Psa 41:11 मेरा शत्रु जो मुझ पर जयवन्त नहीं हो पाता, इस से मैं ने जान लिया है कि तू मुझ से प्रसन्न है।
Psa 41:12 और मुझे तो तू खराई से सम्भालता, और सर्वदा के लिये अपने सम्मुख स्थिर करता है।
Psa 41:13 इस्राएल का परमेश्वर यहोवा आदि से अनन्तकाल तक धन्य है आमीन, फिर आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३२-३३
  • प्रेरितों १४

मंगलवार, 5 जुलाई 2011

क्लेषों का उद्देश्य

सूखे और पत्थरीले रेगिस्तानी इलाकों में पाई जाने वाली कुछ झाड़ीयों के बीज तब तक अंकुरित नहीं होते जब तक रगड़ खाकर उनके बाहरी खोल क्षतिग्रस्त नहीं हो जाते। जब झाड़ीयों में बीज बनता है तो उसपर एक कठोर खोल भी चढा होता है जो उनके अन्दर के अंकुरित होने की क्षमता और सामग्री की रक्षा करता है, लेकिन इस खोल के कारण पानी उनके अन्दर भी नहीं पहुंच पाता और वे सही परिस्थितयों के होने तक अंकुरित नहीं हो पाते। जब भारी बारिश से उन पत्थरीली ढालों पर पानी तेज़ी से बहता है, तो उस पानी के वेग से वे बीज भी कंकड़ों और पत्थरों से टकाराते और रगड़ खाते हुए पानी के प्रवाह के साथ लुड़कते चले जाते हैं और उनका कठोर बाहरी खोल क्षतिग्रस्त होता जाता है, जिससे पानी उनके अन्दर पहुँच पाता है। पानी के साथ बहते हुए ये बीज ऐसे स्थानों में मिट्टी में दब जाते हैं जहाँ पानी का कुछ ठहराव हो और भूमि की नमी कुछ समय बनी रहे। यहाँ पर इन अनुकूल परिस्थितित्यों में अब ये अंकुरित होकर जड़ पकड़ सकते हैं और आगे चलकर बीज बनाने वाले नए पौधे बन सकते हैं।

कभी कभी हम मसीही विश्वासी भी इन बीजों की तरह ही होते हैं। हमें भी जीवन के तेज़ प्रवाह द्वारा इधर उधर पटके जाने की आवश्यक्ता होती है जिससे परमेश्वर के वचन का जल हमारे अन्दर पहुँच सके और हम में मसीही चरित्र को अंकुरित कर सके। हम तब तक अपने विश्वास को गंभीरता से नहीं लेते जब तक कुछ उग्र हमारे साथ घटित नहीं हो जाता, जैसे, बीमारी और अस्पताल के बिस्तर पर बिताया कुछ समय, या अचानक आया कोई बड़ा खर्च, या परिवार में आई कोई गंभीर समस्या आदि। यद्यपि हमारा परमेश्वर पिता हमें अनावश्यक रूप से किसी दुख और संकट में जाने नहीं देना चाहता, लेकिन वह हमारे जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ आने देता है जो हमारे अन्दर परमेश्वर के वचन रूपी जल को पहुँचने से रोकने वाली बातों को छीलकर हटाती रहें और हमें नम्र बनाए रखें। ऐसी परिस्थितियाँ अवश्य दुख देती हैं, लेकिन जब इनमें भी हम परमेश्वर की योजना को पहचान कर परमेश्वर के आगे नम्र और उसके आधीन हो जाते हैं तो यही परिस्थितियाँ हमारे आत्मिक जीवन की बढ़ोतरी का कारण भी बन जाती हैं।

चाहे हम बीज के रुप में एक स्थान पर सूखे और शिथिल पड़े रहना चाहते हों, लेकिन हमारा परमेश्वर पिता हमें फलवन्त वृक्ष देखना चाहता है, और इसलिए वह हम पर क्लेष भी आने देता है कि हम अंकुरित हों और उसकी महिमा के लिए फल लाएं। - मार्ट डी हॉन


कठिनाईयों से निकले बिना कुछ प्राप्त नहीं होता।

हे मेरे पुत्र, यहोवा की शिक्षा से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना, क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उसको डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है। - नीतिवचन ३:११, १२


बाइबल पाठ: इब्रानियों १२:१-१२

Heb 12:1 इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें।
Heb 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर से ताकते रहें, जिस ने उस आनन्‍द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न करके, क्रूस का दुख सहा और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
Heb 12:3 इसलिये उस पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया कि तुम निराश हो कर हियाव न छोड़ दो।
Heb 12:4 तुम ने पाप से लड़ते हुए उस से ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लोहू बहा हो।
Heb 12:5 और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों की नाई दिया जाता है, भूल गए हो, कि हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़।
Heb 12:6 क्‍योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है और जिसे पुत्र बना लेता है, उस को कोड़े भी लगाता है।
Heb 12:7 तुम दुख को ताड़ना समझ कर सह लो: परमेश्वर तुम्हें पुत्र जान कर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है, वह कौन सा पुत्र है, जिस की ताड़ना पिता नहीं करता?
Heb 12:8 यदि वह ताड़ना जिस के भागी सब होते हैं, तुम्हारी नहीं हुई, तो तुम पुत्र नहीं, पर व्यभिचार की सन्‍तान ठहरे!
Heb 12:9 फिर जब कि हमारे शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना किया करते थे, तो क्‍या आत्माओं के पिता के और भी आधीन न रहें जिस से जीवित रहें।
Heb 12:10 वे तो अपनी अपनी समझ के अनुसार थोड़े दिनों के लिये ताड़ना करते थे, पर यह तो हमारे लाभ के लिये करता है, कि हम भी उस की पवित्रता के भागी हो जाएं।
Heb 12:11 और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्‍द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उस को सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्‍हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।
Heb 12:12 इसलिये ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३०-३१
  • प्रेरितों १३:२६-५२

सोमवार, 4 जुलाई 2011

तराशा हुआ हीरा

एक हीरा अपने स्वाभाविक स्वरूप में कंकड़ या छोटे पत्थर के समान ही दिखता है, उसकी सुन्दरता तराशे जाने के बाद ही निखर कर बाहर आने लगती है तथा तराशे जाने के बाद जब उसे चमकाया जाता है और तब उसकी चमक देखने लायक होती है तथा उसकी कीमत बन जाती है। साधारण कंकड़ से बहुमूल्य हीरा बनाने के लिए निपुण कारीगर उसे कठोर सान पर लगा कर चारों ओर से घिसता है, जिससे उसके बेडौल स्वाभाविक स्वरूप को सुन्दर स्वरूप में बदल सके। यह एक बहुत बारीकी से करी गई कारिगरी की प्रक्रिया है जिसमें बहुत ध्यान और समय लगता है। स्वरूप देने के बाद कारीगर फिर उसे निखारने के लिए रगड़ कर उसे चमकाता है।

यह प्रक्रिया उस प्रक्रिया के समान है जो परमेश्वर अपनी सन्तान के साथ करता है। जिन कठोर परिस्थितियों का सामना हमें प्रति दिन करना पड़ता है वे उस सान के समान हैं जो हीरे को स्वरूप देती है। परमेश्वर जीवन की कठिनाईयों और विषम परिस्थितियों द्वारा हमें तराशता और चमकाता है जिससे हमारा चरित्र निखर कर सिद्ध हो जाए और हम एक दिन उसके साथ स्वर्ग में सुन्दर और तेजोमय हो सकें। अवश्य ही यह प्रक्रिया सुखद नहीं होती, और ना ही उस ईश्वरीय कारीगर का उद्देश्य इसका सुखदाई होना है। उसकी नज़र हमारे अन्तिम तेजोमय स्वरूप पर है, और उस स्वरूप में बदलने के लिए वह हमारे जीवन और चरित्र से हर अनावश्यक बात तराश कर निकालता रहता है और हमें रगड़ कर चमकाता रहता है।

पतरस प्रेरित ने कहा "... कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो" (१ पतरस १:६), लेकिन जब हम इन परीक्षाओं के उद्देश्य को समझ लेंगे तो अपनी इन परीक्षाओं की आवश्यक्ता और कीमत को भी जान सकेंगे। परमेश्वर का, इस निखारे जाने की प्रक्रिया के दौरान, अपनी सन्तान के लिए एक ही ध्येय है: "और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे" (१ पतरस १:७)।

अपने जीवन में आने वाली परेशानियों और कठिनाईयों के उद्देश्य को जानते और पहचानते हुए, हमें परमेश्वर और हमारे प्रति उसके प्रेम पर शक नहीं करना चाहिए, वरन इन बातों के आगे आने वाले तेजोमय भविष्य पर अपनी नज़रें लगा कर वर्तमान में भी आनन्दित रहना चाहिए ना कि उन से निराशा होना चाहिए। - पौल वैन गौर्डर


जैसे सान पर लगाए बिना हीरा तराशा नहीं जा सकता, वैसे ही कठिनाईयों की रगड़ लगे बिना मनुष्य निखर नहीं सकता।

और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।" - १ पतरस १:७


बाइबल पाठ: १ पतरस १:१-९

1Pe 1:1 पतरस की ओर से जो यीशु मसीह का प्रेरित है, उन परदेशियों के नाम, जो पुन्‍तुस, गलतिया, कप्‍पदुकिया, आसिया, और बितुनिया में तित्तर बित्तर होकर रहते हैं।
1Pe 1:2 और परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार, आत्मा के पवित्र करने के द्वारा आज्ञा मानने, और यीशु मसीह के लोहू के छिड़के जाने के लिये चुने गए हैं। तुम्हें अत्यन्‍त अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
1Pe 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने यीशु मसीह को मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया।
1Pe 1:4 अर्थात एक अविनाशी और निर्मल, और अजर मीरास के लिये।
1Pe 1:5 जो तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में रखी है, जिन की रक्षा परमेश्वर की सामर्थ से, विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है, की जाती है।
1Pe 1:6 और इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो।
1Pe 1:7 और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।
1Pe 1:8 उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास कर के ऐसे आनन्‍दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है।
1Pe 1:9 और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात आत्माओं का उद्धार प्राप्‍त करते हो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २८-२९
  • प्रेरितों १३:१-२५

शुक्रवार, 3 जून 2011

निराशा में भी आशा

अंग्रेज़ी कवि एलिक्ज़ैंडर पोप ने लिखा, "आशा मनुष्य के अन्दर सदा उत्पन्न होती रहती है, क्योंकि मनुष्य धन्य होने के लिए ही सृजा गया है।" किंतु जब आशा जाती रहे तो मनुष्य क्या करे, किसकी ओर मुड़े?

एक अस्पताल के निर्देशक ने अपने साथ बीती घटना बताई: कैंसर से ग्रसित एक जवान व्यक्ति हर बार की तरह अपना इलाज लेने उसके अस्पताल में आया। उस दिन एक नया चिकित्सक बैठा था; उस विकित्सक ने बेपरवाही और कुछ बेरहमी से उस युवक से कहा - "तुम जानते हो न कि तुम इस साल भर भी ज़िन्दा नहीं रहने वाले हो।" अपना इलाज लेने के बाद लौटते हुए वह जवान अस्पताल के निर्देशक के पास आया और रो पड़ा; रोते हुए वह बोला, "उस डॉक्टर ने मेरी आशा मुझसे छीन ली।" निर्देशक ने कहा, "ठीक बात है, उसने ऐसा किया तो है; अब यह समय है कि कोई नई आशा खोजी जाए।"

इस घटना पर टिप्पणी करते हुए लुइस स्मीड्स ने लिखा, "जब आशा समाप्त हो जाए तो क्या उसे फिर से जगाया जा सकता है? जब परिस्थिति बिलकुल निराशाजनक हो तो क्या कोई आशा रखी जा सकती है? ये वे प्रश्न हैं जो हमें अनन्त काल की आशा की ओर मोड़ देते हैं, क्योंकि मसीही विश्वास में आशा किसी "संभव" पर नहीं वरन परमेश्वर की अटल प्रतिज्ञाओं पर है।" क्योंकि न परमेश्वर का अन्त हो सकता है, न उसकी भलाई और उसकी प्रतिज्ञाओं का, इसलिए मसीही विश्वास में आशा का भी कोई अन्त संभव नहीं; क्योंकि परमेश्वर आशा का दाता है (रोमियों १५:१३) इसलिए हर निराशा में भी मसीही विश्वासी की आशा वर्तमान रहती है।

जब हमारी आशा परमेश्वर और हमें पाप तथा मृत्यु से छुड़ाने वाले उसके पुत्र हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह पर आधारित है, तो कवि एलिक्ज़ैंडर पोप द्वारा उपरोक्त कही बात एक सदा विद्यमान वास्तविकता बन जाती है; हम हर निराशा में भी धन्य होते हैं। आशा का दाता हमारा परमेश्वर तब भी हम में आशा को प्रवाहित करता रहता है जब हमारी अपनी सारी आशा समाप्त हो जाती है। - डेनिस डी हॉन


परमेश्वर पर अपने विश्वास द्वारा ही हम अपनी हर परिस्थिति को संभाल पाते हैं।

धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिस ने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। - यर्मियाह १७:७

बाइबल पाठ: यर्मियाह १७:५-८

Jer 17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है।
Jer 17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा।
Jer 17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिस ने परमेश्वर को अपना आधार माना हो।
Jer 17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १९-२०
  • यूहन्ना १३:२१-३८

गुरुवार, 2 जून 2011

प्रशंसा की आवश्यक्ता

केन को उसके मित्र ने अपने घर भोजन पर बुलाया। भोजन तो बहुत बढ़िया था किंतु भोजन के बाद परोसा गया मिष्ठान इतना अच्छा नहीं था; लेकिन फिर भी केन को उस मिष्ठान की तारीफ करने के लिए कुछ अच्छा मिल गया और उसने तारीफ करी भी।

अगली बार जब केन अपने मित्र के घर भोजन पर आया तो फिर से भोजनोपरांत वैसा ही मिष्ठान परोसा गया, और इस बार यह मिष्ठान भोजन के समान ही लाजवाब था। केन बिना किसी भी प्रकार का एक भी शब्द कहे, परोसा हुआ सब कुछ खाता गया। अन्ततः उसके मित्र की पत्नी से रहा नहीं गया और वह बोल उठी, "पिछली बार जो मिष्ठान मैंने परोसा था, मैं स्वयं उससे शर्मिंदा थी, लेकिन आप ने उसकी तारीफ करी; इस बार जो मिष्ठान मैंने परोसा है, शायद उससे अच्छा मैंने इसे कभी नहीं बनाया, लेकिन आप ने उसके विष्य में कुछ भी नहीं कहा?" केन ने उत्तर दिया, "इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि आज जो आपने परोसा है वह लाजवाब है, और जो पिछली बार परोसा था वह इतना अच्छा नहीं था। चाहे प्रशंसा का कारण आज हो, लेकिन प्रशंसा की आवश्यक्ता तो उसी दिन थी।"

लोगों के साथ हमारे सबंध कुछ इसी तरह हैं - कुछ लोगों को अधिक प्रशंसा की आवश्यक्ता होती है, कुछ को कम। यदि कोई चीज़ वास्तव में बुरी है तो झूठे ही उसे भला कहने या उसकी प्रशंसा करना गलत है। लेकिन किसी व्यक्ति में कितनी भी त्रुटि अथवा अपूर्णता क्यों न हो, हम उसमें कोई न कोई प्रशंसा के योग्य गुण पा सकते हैं।

एक कुचला हुआ सरकण्डा या लौ रहित धुंआ देती हुई बाती किस काम की हो सकती है? कुचला सरकण्डा तो अपने आप ही सीधा नहीं रह सकता, वह किसी दूसरे को क्या सहारा देगा; धुंआ देती बाती से दीवार काली और साँस में धुंए की बेचैनी ही मिल सकती है, लेकिन प्रभु यीशु के लिए कहा गया, "यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है, मेरा प्रिय, जिस से मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्मा उस पर डालूंगा और वह अन्यजातियों को न्याय का समाचार देगा। वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा, और न बाजारों में कोई उसका शब्‍द सुनेगा। वह कुचले हुए सरकण्‍डे को न तोड़ेगा, और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए। और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी। " - मती १२:१८-२१

हमारे चारों ओर निराशा से भरे लोग हैं। मसीही विश्वासी होने के कारण हमारी यह ज़िम्मादारी है कि अपने प्रभु के समान हम न किसी को तुच्छ जाने और न किसी का तिरिस्कार करें, इन कुचले हुए सरकंडों और धुंआ देती बातियों को भी उभारें। हमारा जरा सा प्रयास, एक सकरात्मक रवैया और थोड़ी सी प्रशंसा ऐसे हतोत्साहित लोगों को भी प्रोत्साहन देने में सक्षम है।

निराश लोगों में भी प्रशंसा के कारण खोजिए, समाज को इसकी बहुत आवश्यक्ता है।

जिस किसी के चेहरे पर आपको मुस्कान दिखाई न दे, उसे अपनी मुस्कान दे दीजिए।

उदास मन दब जाता है, परन्तु भली बात से वह आनन्दित होता है। - नीतिवचन १२:२५


बाइबल पाठ: नीतिवचन १२:१७-२८

Pro 12:17 जो सच बोलता है, वह धर्म प्रगट करता है, परन्तु जो झूठी साक्षी देता, वह छल प्रगट करता है।
Pro 12:18 ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं।
Pro 12:19 सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल ही भर का होता है।
Pro 12:20 बुरी युक्ति करने वालों के मन में छल रहता है, परन्तु मेल की युक्ति करने वालों को आनन्द होता है।
Pro 12:21 धर्मी को हानि नहीं होती है, परन्तु दुष्ट लोग भारी विपत्ति में डूब जाते हैं।
Pro 12:22 झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है।
Pro 12:23 चतुर मनुष्य ज्ञान को प्रगट नहीं करता है, परन्तु मूढ़ अपने मन की मूढ़ता ऊंचे शब्द से प्रचार करता है।
Pro 12:24 कामकाजी लोग प्रभुता करते हैं, परन्तु आलसी बेगारी में पकड़े जाते हैं।
Pro 12:25 उदास मन दब जाता है, परन्तु भली बात से वह आनन्दित होता है।
Pro 12:26 धर्मी अपने पड़ोसी की अगुवाई करता है, परन्तु दुष्ट लोग अपनी ही चाल के कारण भटक जाते हैं।
Pro 12:27 आलसी अहेर का पीछा नहीं करता, परन्तु कामकाजी को अनमोल वस्तु मिलती है।
Pro 12:28 धर्म की बाट में जीवन मिलता है, और उसके पथ में मृत्यु का पता भी नहीं।

एक साल में बाइबल:
२ इतिहास १७-१८
यूहन्ना १३:१-२०

बुधवार, 1 जून 2011

निश्चित छुटकारा

इस संसार के किसी भी आनन्द से बढ़कर परमेश्वर की संगति का आनन्द है; लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल कहीं भी यह नहीं कहता कि परमेश्वर के लोग शारीरिक दुख, मानसिक अस्वस्थता या आत्मिक अन्धकार का कभी सामना नहीं करेंगे।

महान प्रचारक स्पर्जन अकसर घोर निराशा में पड़ जाया करता था। स्पर्जन की जीवनी के लेखक आर्नल्ड डालिमोर ने लिखा, "इन निराशा के अन्धकार के समयों में वे किस वेदना से होकर निकलते होंगे, हम नहीं जानते...ऐसे में परमेश्वर से करी गई उनकी प्रार्थनाएं भी उन को ढाढ़स नहीं बन्धा पातीं थीं। उनकी निराशा के विशाल दुर्ग के नीचे जैसे अन्धकार की गहरी काल कोठरियाँ थीं।"

भजन ८८ परमेश्वर के भक्त हेमन द्वारा लिखा भजन है और संपूर्ण भजन संग्रह में एकमात्र ऐसा भजन है जो आरंभ से लेकर अन्त तक शोक और उदासी से भरा हुआ है। दाउद के लिखे कई भजनों में दुख और उदासी तो हैं लेकिन वे अन्ततः आशा पर समाप्त होते हैं, लेकिन हेमन का यह भजन अन्धकार के साथ अन्त होता है।

ऐसा शोकमय भजन कैसे हमें प्रोत्साहित कर सकता है? सर्वप्रथम यह भजन हमें सिखाता है कि परमेश्वर के लोग भी घोर निराशा और दुख से होकर निकल सकते हैं; दूसरे, यह भजन यह भी सिखाता है कि इन निराशा की परिस्थितियों में क्या करें - हेमन के समान अपनी व्यथा परमेश्वर के आगे मुक्त भाव से उंडेल दें; तीसरे, इस भजन का भजन संग्रह में विद्यमान होना इस बात का प्रमाण है कि हृदय से निकली वेदना की पुकार परमेश्वर अन्सुनी नहीं करता।

हेमन के इस भजन में बाइबल के ज्ञानी प्रभु यीशु की वेदना के समानन्तर में हेमन की वेदना के वर्णन को पाते हैं। हम जानते हैं कि जब कलवरी के क्रूस पर प्रभु यीशु समस्त संसार का पाप लिए हुए चढ़ाए गए, तब परमेश्वर ने भी उनसे मुँह मोड़ लिया था। वे परमेश्वर द्वारा उस समय इसलिए त्यागे गए जिससे फिर हम अपने पाप के कारण त्यागे न जाएं; अब जो प्रभु यीशु में विश्वास लाते हैं वे कभी परमेश्वर द्वारा त्यागे नहीं जाएंगे।

हमारे लिए अब परमेश्वर का वायदा है कि चाहे हमें अपनी व्यथा का अन्त न भी दिखाई दे, लेकिन क्लेशों से छुटकारा निश्चित है। - डेनिस डी हॉन


जैसे परमेश्वर हमारे साथ उजाले में रहता है, निश्चय ही वैसे ही वह अंधियारे में भी हमारे साथ बना रहता है।

क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है। - भजन८८:३



बाइबल पाठ: भजन ८८

Psa 88:1 हे मेरे उद्धारकर्त्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूं।
Psa 88:2 मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा!
Psa 88:3 क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है।
Psa 88:4 मैं कबर में पड़ने वालों में गिना गया हूं; मैं बलहीन पुरूष के समान हो गया हूं।
Psa 88:5 मैं मुर्दों के बीच छोड़ा गया हूं, और जो घात होकर कबर में पड़े हैं, जिनको तू फिर स्मरण नहीं करता और वे तेरी सहायता रहित हैं, उनके समान मैं हो गया हूं।
Psa 88:6 तू ने मुझे गड़हे के तल ही में, अन्धेरे और गहिरे स्थान में रखा है।
Psa 88:7 तेरी जलजलाहट मुझी पर बनी हुई है, और तू ने अपने सब तरंगों से मुझे दु:ख दिया है;
Psa 88:8 तू ने मेरे पहिचान वालों को मुझ से दूर किया है और मुझ को उनकी दृष्टि में घिनौना किया है। मैं बन्दी हूं और निकल नही सकता;
Psa 88:9 दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई। हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं।
Psa 88:10 क्या तू मुर्दों के लिये अदभुत् काम करेगा? क्या मरे लोग उठकर तेरा धन्यवाद करेंगे?
Psa 88:11 क्या कबर में तेरी करूणा का, और विनाश की दशा में तेरी सच्चाई का वर्णन किया जाएगा?
Psa 88:12 क्या तेरे अदभुत् काम अन्धकार में, वा तेरा धर्म विश्वासघात की दशा में जाना जाएगा?
Psa 88:13 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है, और भोर को मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचेगी।
Psa 88:14 हे यहोवा, तू मुझ को क्यों छोड़ता है? तू अपना मुख मुझ से क्यों छिपाता रहता है?
Psa 88:15 मैं बचपन ही से दु:खी वरन अधमुआ हूं, तुझ से भय खाते मैं अति व्याकुल हो गया हूं।
Psa 88:16 तेरा क्रोध मुझ पर पड़ा है, उस भय से मैं मिट गया हूं।
Psa 88:17 वह दिन भर जल की नाई मुझे घेरे रहता है, वह मेरे चारों ओर दिखाई देता है।
Psa 88:18 तू ने मित्र और भाईबन्धु दोनों को मुझ से दूर किया है, और मेरे जान- पहिचान वालों को अन्धकार में डाल दिया है।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १५-१६
  • यूहन्ना १२:२७-५०

मंगलवार, 31 मई 2011

निराश को आशा

एक बहुप्रचलित धारणा है कि क्योंकि हमारे सारे दुखों का स्त्रोत अदन की वाटिका में हमारे आदि माता-पिता आदम और हव्वा द्वारा हुआ पाप है, इसलिए हमारी सभी व्याधियों की जड़ भी हमारा कोई पाप ही होगा। इसी धारणा के अन्तर्गत प्रभु यीशु के चेलों ने उस जन्म के अंधे को भी देखा, और यीशु से पूछा, "हे रब्‍बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्‍धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने?" लेकिन प्रभु के उत्तर ने उन्हें चौंका दिया और इस गलत धारणा की जड़ पर तीखा प्रहार किया, "यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया था, न इस के माता पिता ने: परन्‍तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों।" (यूहन्ना ९:२, ३)

अधिकाँश शारीरिक रोग तो सामाजिक रीति से नीची नज़रों से नहीं देखे जाते, लेकिन मानसिक रोगों के विष्य में अभी भी गलत धारणाएं समाज में बसी हुई हैं। समाज अभी भी मानसिक रोग से ग्रसित मनुष्य को एक अति संकीर्ण मानसिकता के तहत तुच्छ जानता है, उसे तिरिस्करित रखता है और उसे ढंग से समझना नहीं चाहता। विवियन क्लार्क ने एक चर्चा के विष्य में लिखा जिसका मुद्दा था "क्या निराशा का मानसिक रोग एक मसीही विश्वासी के लिए पाप है?" एक व्यक्ति ने कहा, "अवश्य ही यह पाप है क्योंकि निराशा पवित्रआत्मा के एक फल - आनन्द, के विपरीत है, और दोनो एक साथ विद्यमान नहीं हो सकते।" दूसरे ने कहा, "किसी मसीही विश्वासी के लिए निराशा होकर रहना संभव ही नहीं है।" यह सब सुनकर उस चर्चा के लिए एकत्रित समूह में से एक उदास चेहेरे वाली महिला उठकर चली गई, कई दिन से वह निराश थी, और ऐसी टिप्पणियों ने उसकी निराशा को और बढ़ा दिया।

यह संभव है कि मानसिक परेशानियाँ किसी गलत व्यवहार, बुरी आदत या किसी पाप के कारण हों, लेकिन पाप किस से नहीं होता? हम सब परमेश्वर के नियमों का उल्लंघन करने के दोषी हैं, लेकिन सभी तो मानसिक रोगों से ग्रस्त नहीं हो जाते। मानसिक रोगों के कारण बहुत जटिल और विविध हैं; सब को संकीर्ण नज़रिये से देखकर एक ही बात के आधीन कर देना कदापि सही नहीं है।

प्रत्येक मसीही विश्वासी को अपने प्रति प्रभु के लगातार बने रहने वाले अनुग्रह और धैर्य को ध्यान में रखते हुए किसी मानसिक रोगी या निराश व्यक्ति को देखकर उसपर तुरंत किसी पाप का दोष नहीं मढ़ देना चाहिए।

निराश को आशा देने के लिए उसके साथ सहानुभुति और प्रेम का व्यवहार करना चाहिए और प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए कि, "हे प्रभु मैं इस व्यक्ति के जीवन में आपका कार्य कर सकूँ, इसके मन में आपकी शाँति पहुँचा सकूँ, मुझे ऐसी बुद्धि और सामर्थ दें।" - डेनिस डी हॉन


अनुकंपा किसी दूसरे के दुख को हर लेने के लिए हर संभव प्रयास करती है।

हे रब्‍बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्‍धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने? - यूहन्ना ९:२


बाइबल पाठ: यूहन्ना ९:१-११

Joh 9:1 फिर जाते हुए उस ने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म का अन्‍धा था।
Joh 9:2 और उसके चेलों ने उस से पूछा, हे रब्‍बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्‍धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने?
Joh 9:3 यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया था, न इस के माता पिता ने: परन्‍तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों।
Joh 9:4 जिस ने मुझे भेजा है हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता।
Joh 9:5 जब तक मैं जगत में हूं, तब तक जगत की ज्योति हूं।
Joh 9:6 यह कहकर उस ने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अन्‍धे की आंखों पर लगा कर।
Joh 9:7 उस से कहा जा शीलोह के कुण्‍ड में धो ले, (जिस का अर्थ भेजा हुआ है) सो उस ने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया।
Joh 9:8 तब पड़ोसी और जिन्‍होंने पहले उसे भीख मांगते देखा था, कहने लगे क्‍या यह वही नहीं, जो बैठा भीख मांगा करता था?
Joh 9:9 कितनों ने कहा, यह वही है: औरों ने कहा, नहीं परन्‍तु उसके समान है: उस ने कहा, मैं वही हूं।
Joh 9:10 तब वे उस से पूछने लगे, तेरी आंखें क्‍योंकर खुल गईं?
Joh 9:11 उस ने उत्तर दिया, कि यीशु नाम एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी, और मेरी आंखों पर लगा कर मुझ से कहा, कि शीलोह में जाकर धो ले; सो मैं गया, और धोकर देखने लगा।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १३-१४
  • यूहन्ना १२:१-२६

सोमवार, 30 मई 2011

विश्वास की भविष्यवाणी

एक लंबी और कठिन शीत ऋतु के बाद बसन्त के सुखदायी, साफ आसमान और चमकती धुप के दिन आरंभ हुए। ऐसे में ध्रुवीय ठंडी हवाओं से भरा एक तूफान आया, और ऐसा लगने लगा कि शीत ऋतु फिर से आरंभ हो गई है। जो बन्द घरों में रहना पसन्द नहीं करते, वे घबराने लगे; जो आंगन में बार बार जमने वाली बर्फ को साफ करते करते थक चुके थे वे फिर इसी काम में लगने के विचार से पस्त होकर अपनी कुर्सियों पर पसर गए और घर गर्म रखने के खर्च का अन्दाज़ लगाने लगे। हर तरफ निराशा का माहौल था, लेकिन दुबारा ठंडा हो जाने पर किसी ने भी यह निश्कर्ष नहीं निकाला कि सदियों से चला आ रहा मौसम बदलने का क्रम आक्समत ही रुक गया है या बदल गया है, और न ही किसी ने कहा कि पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर घूमने की दिशा उलट गई है। पुनः ठंडे हुए मौसम से निराश होने वालों ने जब बीते समयों का ध्यान किया तो उनको याद आया कि बदलती ऋतु में ऐसे ठंडे तूफान पहले भी आए हैं, और वे आश्वस्त हो गए कि बसन्त ऋतु फिर शीघ्र ही अपनी पूरी बहार में आ जाएगी।

ऐसे ही जब हम अपनी बीते समयों की आशीशों को ध्यान करते हैं तो हमें वर्तमान में आशा और आते समय के लिए हिम्मत मिलती है। भजन ७७ का लेखक निराशा में इतना धंस चुका था कि अब उसे कोई आशा नहीं रही थी, उसकी नींद जाती रही थी और वह अपनी दशा के बारे में किसी से कोई बात भी करना नहीं चाहता था। लेकिन फिर कुछ हुआ - उसने अपने पुरखाओं को स्मरण किया; उसे ध्यान आय कि वे भी घोर निराशाजनक परिस्थितियों से होकर निकले थे और परमेश्वर ने उन्हें सभी परिस्थितियों में न केवल सुरक्षित रखा, वरन उनसे सकुशल निकाला भी। अपने पुरखाओं के प्रति परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को स्मरण करने से भजन के लेखक का विश्वास भी पु्नर्जीवित हो गया।

परमेश्वर का वचन बाइबल हमें स्मरण दिलाती है कि विकट परिस्थितियों से होकर निकलने वाले हम प्रथम नहीं हैं। परमेश्वर के लोग सदा ही ऊँच-नीच का सामना करते रहे हैं और परमेश्वर उन्हें हर परिस्थिति से निकालता रहा है।

निराशा का अन्धकार कितना ही गहरा क्यों न हो, विश्वास की भविष्यवाणी सदा उज्जवल भविष्य ही की रहती है। - मार्ट डी हॉन


बीते समय में परमेश्वर से मिली भलाई और भविष्य के लिए उसकी प्रतिज्ञाएं हमें वर्तमान में आशा देती हैं।

मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दाहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं। - भजन ७७:१०


बाइबल पाठ: भजन ७७:१-१५

Psa 77:1 मैं परमेश्वर की दोहाई चिल्ला चिल्लाकर दूंगा, मैं परमेश्वर की दोहाई दूंगा, और वह मेरी ओर कान लगाएगा।
Psa 77:2 संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा, रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं।
Psa 77:3 मैं परमेश्वर का स्मरण कर कर के करहाता हूं, मैं चिन्ता करते करते मूर्छित हो चला हूं। (सेला)
Psa 77:4 तू मुझे झपकी लगने नहीं देता, मैं ऐसा घबराया हूं कि मेरे मुंह से बात नहीं निकलती।
Psa 77:5 मैंने प्राचीनकाल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है।
Psa 77:6 मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं:
Psa 77:7 क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा और फिर कभी प्रसन्न न होगा?
Psa 77:8 क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है?
Psa 77:9 क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उस ने क्रोध करके अपनी सब दया को रोक रखा है? (सेला)
Psa 77:10 मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं।
Psa 77:11 मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा।
Psa 77:12 मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा।
Psa 77:13 हे परमेश्वर तेरी गति पवित्राता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है?
Psa 77:14 अद्भुत काम करनेवाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।
Psa 77:15 तू ने अपने भुजबल से अपनी प्रजा, याकूब और यूसुफ के वंश को छुड़ा लिया है।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ११:३०-५७