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शुक्रवार, 13 जून 2014

सर्वोत्तम शिक्षक


   बहुत से जवान लोगों ने, भविष्य की अपनी तैयारी के संबंध में मुझ से कहा है, "हमें संसार में जाकर अधर्मी परिस्थितियों और लोगों का अनुभव लेना आवश्यक है जिस से हम उनके लिए तैयार और उनका सामना करने के लिए सामर्थी बन सकें।" इस विचारधारा ने बहुत से अपरिपक्व मसीहियों को निगल लिया है और कुछ को तो परमेश्वर के विरुद्ध भी कर दिया है।

   यह सच है कि हम संसार में रहते हैं तथा हमें संसार में ही रहना भी है (यूहन्ना 17:15) और अपने स्कूल, व्यवसाय, पड़ौस आदि में गैर-मसीही लोगों और विचारधारा का सामना भी हमें करना पड़ता है, इसलिए यह अति आवश्यक है कि हम सावधान रहें कि संसार की बातों का सामना करते करते कहीं हमें उन के अनुरूप ना होने लग जाएं, उन से संबंध ना बनाने लग जाएं। हम सब मसीही विश्वासी परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 1:1 में दिए परमेश्वर के निर्देश के पालन से भली-भांति परिपक्व हो सकते हैं। इस भजन में दिए निर्देशों के अनुसार हमें:
  • प्रथम, ध्यान रखना है कि हमारे चुनाव तथा निर्णय "दुष्टों की युक्ति" के अनुसार ना हों।
  • दूसरे, हमें अपने आप को ऐसी परिस्थितियों से दूर रखना है जहाँ वे लोग जो मसीह यीशु को व्यक्तिगत रीति से नहीं जानते और उसे समर्पित जीवन व्यतीत नहीं करते, वे हमारे सोच-विचार को प्रभावित कर सकें।
  • तीसरे, हम उनके साथ निकट या घनिष्ट ना हों जो परमेश्वर के वचन बाइबल का, परमेश्वर का और हमारे जीवनों में उनकी भूमिका का ठट्ठा करते हैं या उसे महत्वहीन मानते हैं।
   ऐसे लोगों की सलाह हमें परमेश्वर से दूर ले जाती है। इसलिए अपने प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और परामर्श के लिए हमें परमेश्वर के पवित्र वचन बाइबल तथा बाइबल से प्रेम करने वालों एवं उसके आज्ञाकारी रहकर जीवन व्यतीत करने वाले लोगों के पास ही जाना चाहिए। संसार का ज्ञान या अनुभव नहीं वरन परमेश्वर और उसका जीवता एवं सच्चा वचन ही हर बात तथा परिस्थिति के लिए हमारा सर्वोत्तम शिक्षक है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के वचन बाइबल से अपने मस्तिष्क को भर लें, उसे अपने मन पर राज्य और अपने जीवन का मार्गदर्शन करने दें।

और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। - रोमियों 12:2 

बाइबल पाठ: भजन 1
Psalms 1:1 क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! 
Psalms 1:2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। 
Psalms 1:3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।
Psalms 1:4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। 
Psalms 1:5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; 
Psalms 1:6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 58-60