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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

सीखो और बढ़ो

 

          मेरे एक मित्र ने मुझे, अपने जीवन और अनुभवों के आधार पर, एक बहुत उपयोगी और बुद्धिमत्तापूर्ण सलाह दी। अपने व्यावसायिक जीवन के आरंभिक वर्षों में, जब मेरा मित्र, आलोचना तथा प्रशंसा, दोनों ही से व्यवहार करना सीखने में संघर्ष कर रहा था, तो उसे लगा कि परमेश्वर उससे कह रहा ही कि वह दोनों ही को पीछे छोड़ते हुए आगे ही बढ़ता जाए। जो बात उसने सीखी, उसका सार यही था कि वह आलोचना और प्रशंसा से जो भी सीख सकता है, उसे सीख कर, दोनों ही को पीछे छोड़ दे, और परमेश्वर के अनुग्रह में दीन होकर आगे बढ़ता जाए।

          आलोचना और प्रशंसा, दोनों ही हमारे अन्दर प्रबल भावनाएँ जगाते हैं, और यदि इन दोनों ही प्रकार की भावनाओं को नियंत्रण में नहीं रखा गया, तो ये या तो हमें अत्यधिक आत्म-ग्लानि में अथवा अत्यधिक घमण्ड में ले जाएँगी। परमेश्वर के वचन बाइबल में, नीतिवचन की पुस्तक में हम औरों को प्रोत्साहित करने तथा उन्हें बुद्धिमत्तापूर्ण सलाह देने के लाभ के बारे में पढ़ते हैं: “अच्छे समाचार से हड्डियां पुष्ट होती हैं ... जो शिक्षा को सुनी-अनसुनी करता, वह अपने प्राण को तुच्छ जानता है, परन्तु जो डांट को सुनता, वह बुद्धि प्राप्त करता है” (15:30, 32)।

          यदि हमें किसी से फटकार सुननी पड़ रही है, तो हम यह ठान लें कि हम उस से अपने अन्दर उचित सुधार लाएँगे। नीतिवचन में लिखा है,जो जीवनदायी डांट कान लगा कर सुनता है, वह बुद्धिमानों के संग ठिकाना पाता है” (पद 31)। और यदि हमें प्रशंसा के शब्दों से आशीषित किया जा रहा है, तो हम उन से तरोताजा होकर कृतज्ञ भी हो जाएँ। जब हम परमेश्वर के साथ नम्रता पूर्वक चलते हैं, तो वह हमें आलोचना और प्रशंसा, दोनों ही से सीखने वाला बना सकता है। और फिर परमेश्वर के मार्गदर्शन में हम उन्हें वहीं छोड़कर और आगे बढ़ते जा सकते हैं (पद 33)। - रूथ ओ-रियली-स्मिथ

 

आलोचना अथवा प्रशंसा पर रुक कर न बैठें, वरन उन्हें सीढ़ी बनाकर और आगे बढ़ जाएँ।


इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। - 1 पतरस 5:6

बाइबल पाठ: नीतिवचन 15:30-33

नीतिवचन 15:30 आंखों की चमक से मन को आनन्द होता है, और अच्छे समाचार से हड्डियां पुष्ट होती हैं।

नीतिवचन 15:31 जो जीवनदायी डांट कान लगा कर सुनता है, वह बुद्धिमानों के संग ठिकाना पाता है।

नीतिवचन 15:32 जो शिक्षा को सुनी-अनसुनी करता, वह अपने प्राण को तुच्छ जानता है, परन्तु जो डांट को सुनता, वह बुद्धि प्राप्त करता है।

नीतिवचन 15:33 यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्त होती है, और महिमा से पहिले नम्रता होती है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • लैव्यव्यवस्था 25
  • मरकुस 1:23-45

बुधवार, 25 मार्च 2020

सुनना



      मनुष्य होने के नाते हम अकसर उसी जानकारी के खोजी होते हैं जो हमारे अपने विचारों का समर्थन करती है। जांचने के द्वारा देखा गया है कि लोग उनके दृष्टिकोण का समर्थन करने वाली जानकारी को ढूँढने और जुटाने के लिए दो गुना अधिक प्रयास करते हैं। जब हम अपने विचारों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध होते हैं, तो हम प्रयास करते हैं कि कोई हमारे दृष्टिकोण को चुनौती न दे, और प्रतिकूल विचार वालों से बच कर रहने का प्रयास करते हैं।

      परमेश्वर के बाइबल में भी हम इसका एक उदाहरण इस्राएल के राजा अहाब में पाते हैं। जब अहाब और यहूदा का राजा यहोशापात रामोत पर चढ़ाई करने के विषय मंत्रणा कर रहे थे, तो ‘परमेश्वर की इच्छा’ जानने के अभिप्राय से अहाब ने अपने 400 भविष्यद्वक्ताओं को एकत्र किया; क्योंकि वे सभी के अहाब द्वारा नियुक्त किए गए थे, इसलिए वे वही बोलते थे जो अहाब सुनना चाहता था। उन सभी ने अहाब से कहा कि वह युद्ध में जाए, “...क्योंकि परमेश्वर उसको राजा के हाथ कर देगा” (2 इतिहास 18:5)। परन्तु यहोशापात इससे आश्वस्त नहीं हुआ और उसने पूछा की क्या कोई ऐसा भविष्यद्वक्ता है जो परमेश्वर के द्वारा नियुक्त किया गया हो जिस से वे परमेश्वर की इच्छा को जान सकें। अहाब ने बड़े संकोच के साथ मीकायाह का नाम लिया क्योंकि अहाब को लगता था कि “...वह मेरे विष्य कभी कल्याण की नहीं, सदा हानि ही की नबूवत करता है। वह यिम्ला का पुत्र मीकायाह है” (पद 7)। और मीकायाह ने ऐसा ही कहा भी, कि वे विजयी नहीं होंगे, वरन सभी लोग तित्तर-बित्तर हो जाएंगे(पद 16)।

      इस कहानी को पढ़ते हुए मैं देखती हूँ कि, यदि वह मेरी इच्छा के अनुसार नहीं है तो मैं भी बुद्धिमत्ता की सलाह से बचना चाहती हूँ। अहाब के लिए, उसका अपने नियुक्त 400 चापलूस भविष्यद्वक्ताओं की सुनना विनाशकारी हुआ (पद 34)। हमें भी सत्य की आवाज़ को, बाइबल में दी गई परमेश्वर की सलाह को सुनने और मानने वाला होना चाहिए, चाहे वह बात हमारी अपनी राय के अनुकूल न भी हो। - कर्सटन होल्मबर्ग

परमेश्वर की सलाह सदा विश्वसनीय और बुद्धिमत्तापूर्ण होती है।

तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन 3:5-6

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 18: 4-27
2 इतिहास 18:4 फिर यहोशापात ते इस्राएल के राजा से कहा, आज यहोवा की आज्ञा ले।
2 इतिहास 18:5 तब इस्राएल के राजा ने नबियों को जो चार सौ पुरुष थे, इकट्ठा कर के उन से पूछा, क्या हम गिलाद के रामोत पर युद्ध करने को चढ़ाई करें, अथवा मैं रुका रहूं? उन्होंने उत्तर दिया चढ़ाई कर, क्योंकि परमेश्वर उसको राजा के हाथ कर देगा।
2 इतिहास 18:6 परन्तु यहोशापात ने पूछा, क्या यहां यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिस से हम पूछ लें?
2 इतिहास 18:7 इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, एक पुरुष और है, जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते हैं; परन्तु मैं उस से घृणा करता हूँ; क्योंकि वह मेरे विष्य कभी कल्याण की नहीं, सदा हानि ही की नबूवत करता है। वह यिम्ला का पुत्र मीकायाह है। यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे।
2 इतिहास 18:8 तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवा कर कहा, यिम्ला के पुत्र मीकायाह को फुर्ती से ले आ।
2 इतिहास 18:9 इस्राएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात अपने अपने राजवस्त्र पहिने हुए, अपने अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे; वे शोमरोन के फाटक में एक खुले स्थान में बैठे थे और सब नबी उनके साम्हने नबूवत कर रहे थे।
2 इतिहास 18:10 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने लोहे के सींग बनवा कर कहा, यहोवा यों कहता है, कि इन से तू अरामियों को मारते मारते नाश कर डालेगा।
2 इतिहास 18:11 और सब नबियों ने इसी आशय की नबूवत कर के कहा, कि गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ होवे; क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ कर देगा।
2 इतिहास 18:12 और जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था, उसने उस से कहा, सुन, नबी लोग एक ही मुंह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं; सो तेरी बात उनकी सी हो, तू भी शुभ वचन कहना।
2 इतिहास 18:13 मीकायाह ने कहा, यहोवा के जीवन की सौंह, जो कुछ मेरा परमेश्वर कहे वही मैं भी कहूंगा।
2 इतिहास 18:14 जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उस से पूछा, हे मीकायाह, क्या हम गिलाद के रामोत पर युद्ध करने को चढ़ाई करें अथवा मैं रुका रहूं? उसने कहा, हां, तुम लोग चढ़ाई करो, और कृतार्थ होओ; और वे तुम्हारे हाथ में कर दिए जाएंगे।
2 इतिहास 18:15 राजा ने उस से कहा, मुझे कितनी बार तुझे शपथ धरा कर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण कर के मुझ से सच ही कह।
2 इतिहास 18:16 मीकायाह ने कहा, मुझे सारा इस्राएल बिना चरवाहे की भेंड़-बकरियों की नाईं पहाड़ों पर तित्तर-बित्तर दिखाई पड़ा, और यहोवा का वचन आया कि वे तो अनाथ हैं, इसलिये हर एक अपने अपने घर कुशल क्षेम से लौट जाएं।
2 इतिहास 18:17 तब इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था, कि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं, हानि ही की नबूवत करेगा?
2 इतिहास 18:18 मीकायाह ने कहा, इस कारण तुम लोग यहोवा का यह वचन सुनो: मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके दाहिने बाएं खड़ी हुई स्वर्ग की सारी सेना दिखाई पड़ी।
2 इतिहास 18:19 तब यहोवा ने पूछा, इस्राएल के राजा अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, कि वह गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर के खेत आए, तब किसी ने कुछ और किसी ने कुछ कहा।
2 इतिहास 18:20 निदान एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई, और कहने लगी, मैं उसको बहकाऊंगी।
2 इतिहास 18:21 यहोवा ने पूछा, किस उपाय से? उसने कहा, मैं जा कर उसके सब नबियों में पैठ के उन से झूठ बुलवाऊंगी। यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जा कर ऐसा ही कर।
2 इतिहास 18:22 इसलिये सुन अब यहोवा ने तेरे इन नबियों के मुंह में एक झूठ बोलने वाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही है।
2 इतिहास 18:23 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने निकट जा, मीकायाह के गाल पर थप्पड़ मार कर पूछा, यहोवा का आत्मा मुझे छोड़ कर तुझ से बातें करने को किधर गया।
2 इतिहास 18:24 उसने कहा, जिस दिन तू छिपने के लिये कोठरी से कोठरी में भागेगा, तब जान लेगा।
2 इतिहास 18:25 इस पर इस्राएल के राजा ने कहा, कि मीकायाह को नगर के हाकिम आमोन और राजकुमार योआश के पास लौटा कर,
2 इतिहास 18:26 उन से कहो, राजा यों कहता है, कि इस को बन्दीगृह में डालो, और जब तक मैं कुशल से न आऊं, तब तक इसे दु:ख की रोटी और पानी दिया करो।
2 इतिहास 18:27 तब मीकायाह ने कहा, यदि तू कभी कुशल से लौटे, तो जान, कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा। फिर उसने कहा, हे लोगो, तुम सब के सब सुन लो।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 19-21
  • लूका 2:25-52



गुरुवार, 5 जनवरी 2017

सहायक और शान्ति-दाता


   जब हमारी बेटी और उसके मंगेतर के पास उनके विवाह के उपहार आने लगे, तो यह उनके लिए बड़े आनन्द का समय था। वे प्रत्येक उपहार को खोलकर उसे यथास्थान रखते जाते थे। उन्हें मिले उपहारों में से एक थी एक अल्मारी जिसे बनाकर खड़ा करने के लिए उसके विभिन्न भागों को आपस में जोड़ना था। क्योंकि उन दोनों के पास करने के लिए और भी बहुत से कार्य थे इसलिए मैंने इच्छा प्रकट की कि उस अलमारी को मैं जोड़कर बना दूँगा। यह करने के लिए मुझे कुछ घण्टे लगे, परन्तु यह करना अपेक्षा से कहीं अधिक सरल निकला। अलमारी के लिए लकड़ी के विभिन्न भाग पहले से ही काट कर तैयार किए हुए थे; उन में पेच लगाकर आपस में कसने के लिए सही स्थानों पर छेद भी बने हुए थे, उन भागों को जोड़ने के लिए आवश्यक सभी चीज़ें भी साथ ही दी गई थीं और उन सबको एक साथ बैठा कर अलमारी बनाने के निर्देश भी बिलकुल स्पष्ट तथा सरल थे।

   दुर्भाग्यवश जीवन सामान्यतः ऐसा नहीं होता है। ना तो जीवन की परिस्थितियों के साथ उन से निपटने के सरल और स्पष्ट निर्देश आते हैं, और ना ही हमें समस्याओं को सुलझाने के लिए आवश्यक वस्तुएं सरलता से एक साथ मिल पाती हैं। हमें परिस्थितियों और समस्याओं का सामना बिना यह जाने करने पड़ता है कि हम किस में कदम बढ़ा रहे हैं और उससे निकल पाने के लिए क्या चाहिए होगा। कठिन समयों में हम बड़ी सरलता से अपने आप को अभिभूत हुआ पा सकते हैं।

   परन्तु हम मसीही विश्वासियों को अपनी किसी भी परिस्थिती या समस्या का सामना अकेले करने की कोई आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर चाहता है कि हम अपनी हर बात, हर परेशानी, हर आवश्यकता को उसके पास लेकर आएं; उसके बारे में उससे चर्चा करें, उसकी सलाह लें: "किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी" (फिलिप्पियों 4:6-7)।

   हमारा उद्धारकर्ता प्रभु, हमारी हर बात, हर समस्या, हर परिस्थिती, हर आवश्यकता को जानता और समझता है; और सदा हमें सलाह और शान्ति देने के लिए तैयार रहता है; प्रभु यीशु हमें कभी ना छोड़ने वाला हमारा सहायक और शान्तिदाता है जो हमें सदा सही मार्गदर्शन देता है, सदा हमारी भलाई के लिए कार्य करता है। -  बिल क्राउडर


शान्ति में रहने के लिए अपनी प्रत्येक चिन्ता परमेश्वर को सौंप दें।

इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। - 1 पतरस 5:6-7

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:4-13
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो। 
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है। 
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। 
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो। 
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। 
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। 
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 13-15
  • मत्ती 5:1-26


सोमवार, 16 मई 2016

अच्छे सलाहकार


   पन्द्रहवीं शताब्दी के धर्मशास्त्री थौमस ए. केम्पिस ने कहा था, "ऐसा बुद्धिमान कौन है जो हर विषय का सिद्ध ज्ञान रखे? इसलिए, अपने विचार पर आवश्यकता से अधिक भरोसा मत रखना, वरन औरों के विचार सुनने के लिए भी तैयार रहना। चाहे आपके अपने विचार अच्छे भी हों, तौभी परमेश्वर के प्रेम में होकर यदि आप अपने विचार को छोड़कर दूसरों के बेहतर विचार सुनकर उन्हें मान लेंगे, तो इससे आपका भला ही होगा।" थौमस ने जीवन के निर्णय लेने में भले सलाहकारों की उपयोगिता और महत्व को पहचान लिया था।

   जीवन में परमेश्वर की इच्छा जानने और उसके अनुसार चलने के लिए बुद्धिमान व्यक्ति को अपने समक्ष ऐसे विकल्प बनाए रखने चाहिएं जिन में होकर परमेश्वर का मार्गदर्शन उस तक पहुंचा सके, जैसे कि परमेश्वर का वचन बाइबल, परमेश्वर को समर्पित और उससे प्रेम करने वाले परिपक्व लोग, स्वयं प्रार्थना और बाइबल अध्ययन में परमेश्वर के साथ समय बिताना आदि। जब कोई व्यक्ति अच्छे सलाहकारों की सलाह लेता है, तो वह यह भी दिखाता है कि उसे एहसास है कि उस निर्णय के लेने से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों को संभवतः वह स्वयं जान नहीं पाया है। परमेश्वर के वचन बाइबल में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति सुलेमान ने बताया कि अच्छे सलाहकारों से सलाह लेने का क्या महत्व है: "बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है" (नीतिवचन 15:22)।

   प्रभु यीशु ही हमारा अद्भुत, युक्ति करने वाला, प्राक्रमी परमेश्वर है (यशायाह 9:6), वही हमारे लिए परमेश्वर की बुद्धि है, और वही अच्छे सलाहकारों के द्वारा हमें सुरक्षित रखता है। इसलिए परमेश्वर के भय में रहने और चलने वाले, परमेश्वर के वचन में दृढ़ और स्थापित रहने वाले अच्छे सलाहकारों को ढूँढ़ें, उनकी संगति में रहें, उनके लिए प्रभु परमेश्वर का धन्यवाद करें और अपने जीवन के लिए स्पष्ट और नेक सलाह प्राप्त करने में उनका सहयोग लेते रहें। - मार्विन विलियम्स


यदि आप अच्छे सलाहकारों की सलाह लेते रहेंगे तो सही निर्णय ले पाने की संभावनाओं को बढ़ाते रहेंगे।

क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्‌भुत, युक्ति करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। - यशायाह 9:6

बाइबल पाठ: नीतिवचन 8:12-21
Proverbs 8:12 मैं जो बुद्धि हूं, सो चतुराई में वास करती हूं, और ज्ञान और विवेक को प्राप्त करती हूं। 
Proverbs 8:13 यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है। घमण्ड, अंहकार, और बुरी चाल से, और उलट फेर की बात से भी मैं बैर रखती हूं। 
Proverbs 8:14 उत्तम युक्ति, और खरी बुद्धि मेरी ही है, मैं तो समझ हूं, और पराक्रम भी मेरा है। 
Proverbs 8:15 मेरे ही द्वारा राजा राज्य करते हैं, और अधिकारी धर्म से विचार करते हैं; 
Proverbs 8:16 मेरे ही द्वारा राजा हाकिम और रईस, और पृथ्वी के सब न्यायी शासन करते हैं। 
Proverbs 8:17 जो मुझ से प्रेम रखते हैं, उन से मैं भी प्रेम रखती हूं, और जो मुझ को यत्न से तड़के उठ कर खोजते हैं, वे मुझे पाते हैं। 
Proverbs 8:18 धन और प्रतिष्ठा मेरे पास है, वरन ठहरने वाला धन और धर्म भी हैं। 
Proverbs 8:19 मेरा फल चोखे सोने से, वरन कुन्दन से भी उत्तम है, और मेरी उपज उत्तम चान्दी से अच्छी है। 
Proverbs 8:20 मैं धर्म की बाट में, और न्याय की डगरों के बीच में चलती हूं, 
Proverbs 8:21 जिस से मैं अपने प्रेमियों को परमार्थ के भागी करूं, और उनके भण्डारों को भर दूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 24-25
  • यूहन्ना 5:1-24


मंगलवार, 28 जुलाई 2015

सलाह


   एक पुस्तक The Wisdom of Crowds के बारे में इंटरनैट पर दिए विवरण में लिखा है, "इस रोमांचक पुस्तक में व्यावसायिक स्तंभ लेखक जेम्स सुरोविकी एक अत्यंत ही सरल और सहज प्रतीत होने वाले विचार: "लोगों का बड़ा समूह या भीड़, विशिष्ट लोगों के एक छोटे गुट से अधिक चतुर होता है, चाहे वे विशिष्ट लोग कितने भी गुण-संपन्न क्यों ना हों; बड़ा समूह समस्याओं का हल ढूढ़ने, नई ईजाद के लिए प्रोत्साहक, बुद्धिमता पूर्ण निर्णय लेने की क्षमता रखने वाला यहाँ तक की भविष्य के बारे में बेहतर बताने वाला होता है" का विशलेषण करते हैं।

   लेखक ने, पॉप संस्कृति से लेकर राजनीति तक की विभिन्न बातों के उपयोग द्वारा अपने इस मूल विचार को प्रस्तुत किया है कि अकसर भीड़ की राय ही सही निकलती है। यह एक रुचिकर सिद्धान्त तो है, किंतु ऐसा सिद्धान्त भी है जिस को लेकर वाद-विवाद होना स्वाभविक है, चाहे वह चुनाव के समय में हो या फिर टी.वी पर चल रहे किसी स्पर्धा के कार्यक्रम में से जब कोई पसन्दीदा भाग लेनेवाला हार कर बाहर हो तब।

   परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि आवश्यक नहीं है कि भीड़ की बुद्धिमता भरोसेमन्द हो, भीड़ की राय खतरनाक भी हो सकती है (मत्ती 7:13-14); लेकिन साथ ही एक अन्य तरीका भी है जिसके अन्तरगत सामूहिक बुद्धिमता सहायक हो सकती है - नीतिवचन 11:14 में हम पढ़ते हैं, "जहां बुद्धि की युक्ति नहीं, वहां प्रजा विपत्ति में पड़ती है; परन्तु सम्मति देने वालों की बहुतायत के कारण बचाव होता है।" मसीही विश्वासियों की मण्डली में होने का एक लाभ यह भी है कि हम एक दूसरे की सहायता करें और साथ मिलकर परमेश्वर की बुद्धिमता और सलाह को सीखें तथा जानें। जब हम परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करते हैं, उससे एक दूसरे के लिए सही सलाह माँगते हैं तो उसके द्वारा दिए गए इस प्रावधान से परस्पर सुरक्षा तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए उसके बुद्धिमानी से भरे निर्देशों को भी प्राप्त करते हैं। सबसे सही सलाह परमेश्वर से मिलने वाली सलाह ही है; उसे ही प्राप्त करने के खोजी रहें। - बिल क्राउडर


मिल-जुल कर परमेश्वर की सलाह खोजना ही उसकी सलाह मिलने का सर्वोत्त्म तरीका है।

ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को ठीक देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है। - नीतिवचन 14:12

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 1:18-25
1 Corinthians 1:18 क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है। 
1 Corinthians 1:19 क्योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्‍छ कर दूंगा। 
1 Corinthians 1:20 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया? 
1 Corinthians 1:21 क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे। 
1 Corinthians 1:22 यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं। 
1 Corinthians 1:23 परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है। 
1 Corinthians 1:24 परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है। 
1 Corinthians 1:25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48
  • प्रेरितों 28


मंगलवार, 21 जुलाई 2015

अहंकार


   सी. एस. ल्युईस द्वारा लिखी गई पुस्तक The Screwtape Letters में एक वरिष्ठ शैतान अपने नए शिक्षार्थी को एक मसीही विश्वासी के ध्यान को परमेश्वर से हटाने के लिए उस विश्वासी के ध्यान को चर्च में उसके आस-पास के लोगों की खामियों पर ले जाने के लिए कहता है, क्योंकि उस मसीही विश्वासी के मन में आस-पास के लोगों के प्रति आलोचनात्मक तथा अपनी धार्मिकता के प्रति गर्व की प्रवृत्ति उत्पन्न कर के वह उसे परमेश्वर से दूर करना चाहता था।

   एक इतवार को हो रही चर्च सभा में मेरा ध्यान मेरे निकट खड़े एक व्यक्ति द्वारा स्तुति के भजनों को ऊँची आवाज़ में बेसुरा गाने तथा बाइबल पाठ को सब के साथ लय में ना पढ़ने से विचलित होने लगा। लेकिन जब कुछ समय पश्चात हम सब ने खामोशी के साथ व्यक्तिगत प्रार्थना के लिए सर झुकाया तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे मन में उस व्यक्ति के लिए उठने वाली उन आलोचनात्मक भावनाओं की बजाए परमेश्वर उस व्यक्ति द्वारा सीधे सच्चे मन से गाए जाने वाले गीतों तथा पढ़े जाने वाले पाठ से अधिक प्रसन्न हुआ होगा।

   कुछ दिन के पश्चात जब मैं परमेश्वर के वचन बाइबल का अपना अध्ययन कर रहा था तो मैं नीतिवचन के 8वें अध्याय को पढ़ते समय उसके 13वें पद से चौंका, जहाँ ’बुद्धि’ कह रही थी, "यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है। घमण्ड, अंहकार, और बुरी चाल से, और उलट फेर की बात से भी मैं बैर रखती हूं।" इस पूरे अध्याय में ’बुद्धि’ अर्थात परमेश्वर की सुमति, बारंबार पाठकों को विभिन्न बातों के लिए सचेत कर रही है, उन से कह रही है कि वे समझ-बूझ वाला मन रखें (पद 5), परमेश्वर से जीवन तथा उसकी प्रसन्नता प्राप्त करें (पद 35)। ऐसा ना करने का विकल्प है जीवन में अहंकार के साथ जीना और अन्दर ही अन्दर नाश होते जाना (पद 36)।

   अहंकार एक ऐसी तलवार है जो ना केवल उसे काटती है जिसके विरुद्ध उसका उपयोग होता है, वरन उसे भी काटती है जो उसका उपयोग करता है। अहंकार हमें उन सभी आशीषों से वंचित कर देता है जो परमेश्वर हमें देना चाहता है, परन्तु "नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महिमा और जीवन होता है" (नीतिवचन 22:4)। - डेविड मैक्कैसलैंड


अहंकार शर्मिंदगी किंतु नम्रता आदर प्रदान करती है।

विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है। - नीतिवचन 16:18

बाइबल पाठ: नीतिवचन 8:12-21
Proverbs 8:12 मैं जो बुद्धि हूं, सो चतुराई में वास करती हूं, और ज्ञान और विवेक को प्राप्त करती हूं। 
Proverbs 8:13 यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है। घमण्ड, अंहकार, और बुरी चाल से, और उलट फेर की बात से भी मैं बैर रखती हूं। 
Proverbs 8:14 उत्तम युक्ति, और खरी बुद्धि मेरी ही है, मैं तो समझ हूं, और पराक्रम भी मेरा है। 
Proverbs 8:15 मेरे ही द्वारा राजा राज्य करते हैं, और अधिकारी धर्म से विचार करते हैं; 
Proverbs 8:16 मेरे ही द्वारा राजा हाकिम और रईस, और पृथ्वी के सब न्यायी शासन करते हैं। 
Proverbs 8:17 जो मुझ से प्रेम रखते हैं, उन से मैं भी प्रेम रखती हूं, और जो मुझ को यत्न से तड़के उठ कर खोजते हैं, वे मुझे पाते हैं। 
Proverbs 8:18 धन और प्रतिष्ठा मेरे पास है, वरन ठहरने वाला धन और धर्म भी हैं। 
Proverbs 8:19 मेरा फल चोखे सोने से, वरन कुन्दन से भी उत्तम है, और मेरी उपज उत्तम चान्दी से अच्छी है। 
Proverbs 8:20 मैं धर्म की बाट में, और न्याय की डगरों के बीच में चलती हूं, 
Proverbs 8:21 जिस से मैं अपने प्रेमियों को परमार्थ के भागी करूं, और उनके भण्डारों को भर दूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 29-30
  • प्रेरितों 23:1-15


मंगलवार, 3 मार्च 2015

स्पष्टवादी


   मुझे अपनी माँ की बहुत सी बातें पसन्द हैं; उन पसन्दीदा बातों में से एक प्रमुख बात है उन की स्पष्टवादिता। मैंने अनेक बार भिन्न विषयों पर उन से सलाह लेने के लिए उन्हें फोन किया है, और प्रत्येक सलाह से पहले उनका एक ही आरंभिक उत्तर होता है: "यदि तुम मेरी बात को ठीक से स्वीकार करने को तैयार नहीं हो तो मेरी सलाह मत लो, क्योंकि मैं तुम्हें वह नहीं कहूँगी जो तुम सुनना चाहते हो वरन वही कहूँगी जो मैं इस विषय पर सोचती हूँ या जो सही है।"

   एक ऐसे संसार में जहाँ वार्तालाप में शब्दों को बहुत सावधानी से प्रयोग किया जाता है, उनकी यह स्पष्टवादिता मेरे लिए एक ताज़गी से भरा एहसास होता है। यह एक सच्चे मित्र का गुण भी है; सच्चे मित्र प्रेम में होकर हमसे सच्ची बात ही बोलते हैं चाहे उस सत्य को हम सुनना ना भी चाहते हों। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन पुस्तक में लिखा गया है: "जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य है परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है" (नीतिवचन 27:6)।

   यह भी एक कारण है कि प्रभु यीशु को सर्वोत्तम मित्र कहा गया है - क्योंकि वह सदा स्पष्टवादी एवं सत्यवादी रहता है। जब उस सामरी स्त्री की प्रभु यीशु के साथ बातचीत हुई (यूहन्ना 4:7-26), तो इधर-उधर की गौण बातों में उलझने, अथवा उनपर बहस में पड़ने की बजाए प्रभु यीशु ने उस स्त्री से उसकी आवश्यकता और मनःस्थिति के अनुसार दो-टूक बातचीत करी। प्रभु ने उसकी गहन निराशाओं, टूटे हुए सपनों और प्रेमी परमेश्वर पिता के चरित्र को लेकर उसके सामने एक चुनौती प्रस्तुत करी।

   आज यदि हम प्रभु यीशु के साथ-साथ चलते हैं, तो उसे यह अवसर और अनुमति दें कि वह हमारे मन की स्थिति और हमारी आवश्यकता के अनुसार हम से स्पष्टवादी होकर बातचीत करे, अपने वचन द्वारा हमारी आवश्यकतानुसार सभी बातों को हमें स्पष्ट दिखाए और सिखाए, जिससे हम उसकी ओर फिरें, उसकी निकटता में चलने बढ़ने वाले बनें और वह हमारा सहायक तथा मार्गदर्शक हो सके। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु सदा सत्य ही बोलता है।

पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है। - याकूब 1:25

बाइबल पाठ: यूहन्ना 4:7-26
John 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला। 
John 4:8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। 
John 4:9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)। 
John 4:10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता। 
John 4:11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया? 
John 4:12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया? 
John 4:13 यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा। 
John 4:14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा। 
John 4:15 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं। 
John 4:16 यीशु ने उस से कहा, जा, अपने पति को यहां बुला ला। 
John 4:17 स्त्री ने उत्तर दिया, कि मैं बिना पति की हूं: यीशु ने उस से कहा, तू ठीक कहती है कि मैं बिना पति की हूं। 
John 4:18 क्योंकि तू पांच पति कर चुकी है, और जिस के पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं; यह तू ने सच कहा है। 
John 4:19 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, मुझे ज्ञात होता है कि तू भविष्यद्वक्ता है। 
John 4:20 हमारे बाप दादों ने इसी पहाड़ पर भजन किया: और तुम कहते हो कि वह जगह जहां भजन करना चाहिए यरूशलेम में है। 
John 4:21 यीशु ने उस से कहा, हे नारी, मेरी बात की प्रतीति कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता का भजन करोगे न यरूशलेम में। 
John 4:22 तुम जिसे नहीं जानते, उसका भजन करते हो; और हम जिसे जानते हैं उसका भजन करते हैं; क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है। 
John 4:23 परन्तु वह समय आता है, वरन अब भी है जिस में सच्चे भक्त पिता का भजन आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही भजन करने वालों को ढूंढ़ता है। 
John 4:24 परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें। 
John 4:25 स्त्री ने उस से कहा, मैं जानती हूं कि मसीह जो ख्रीस्‍तुस कहलाता है, आनेवाला है; जब वह आएगा, तो हमें सब बातें बता देगा। 
John 4:26 यीशु ने उस से कहा, मैं जो तुझ से बोल रहा हूं, वही हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 28-30
  • मरकुस 8:22-38



शुक्रवार, 13 जून 2014

सर्वोत्तम शिक्षक


   बहुत से जवान लोगों ने, भविष्य की अपनी तैयारी के संबंध में मुझ से कहा है, "हमें संसार में जाकर अधर्मी परिस्थितियों और लोगों का अनुभव लेना आवश्यक है जिस से हम उनके लिए तैयार और उनका सामना करने के लिए सामर्थी बन सकें।" इस विचारधारा ने बहुत से अपरिपक्व मसीहियों को निगल लिया है और कुछ को तो परमेश्वर के विरुद्ध भी कर दिया है।

   यह सच है कि हम संसार में रहते हैं तथा हमें संसार में ही रहना भी है (यूहन्ना 17:15) और अपने स्कूल, व्यवसाय, पड़ौस आदि में गैर-मसीही लोगों और विचारधारा का सामना भी हमें करना पड़ता है, इसलिए यह अति आवश्यक है कि हम सावधान रहें कि संसार की बातों का सामना करते करते कहीं हमें उन के अनुरूप ना होने लग जाएं, उन से संबंध ना बनाने लग जाएं। हम सब मसीही विश्वासी परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 1:1 में दिए परमेश्वर के निर्देश के पालन से भली-भांति परिपक्व हो सकते हैं। इस भजन में दिए निर्देशों के अनुसार हमें:
  • प्रथम, ध्यान रखना है कि हमारे चुनाव तथा निर्णय "दुष्टों की युक्ति" के अनुसार ना हों।
  • दूसरे, हमें अपने आप को ऐसी परिस्थितियों से दूर रखना है जहाँ वे लोग जो मसीह यीशु को व्यक्तिगत रीति से नहीं जानते और उसे समर्पित जीवन व्यतीत नहीं करते, वे हमारे सोच-विचार को प्रभावित कर सकें।
  • तीसरे, हम उनके साथ निकट या घनिष्ट ना हों जो परमेश्वर के वचन बाइबल का, परमेश्वर का और हमारे जीवनों में उनकी भूमिका का ठट्ठा करते हैं या उसे महत्वहीन मानते हैं।
   ऐसे लोगों की सलाह हमें परमेश्वर से दूर ले जाती है। इसलिए अपने प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और परामर्श के लिए हमें परमेश्वर के पवित्र वचन बाइबल तथा बाइबल से प्रेम करने वालों एवं उसके आज्ञाकारी रहकर जीवन व्यतीत करने वाले लोगों के पास ही जाना चाहिए। संसार का ज्ञान या अनुभव नहीं वरन परमेश्वर और उसका जीवता एवं सच्चा वचन ही हर बात तथा परिस्थिति के लिए हमारा सर्वोत्तम शिक्षक है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के वचन बाइबल से अपने मस्तिष्क को भर लें, उसे अपने मन पर राज्य और अपने जीवन का मार्गदर्शन करने दें।

और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। - रोमियों 12:2 

बाइबल पाठ: भजन 1
Psalms 1:1 क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! 
Psalms 1:2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। 
Psalms 1:3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।
Psalms 1:4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। 
Psalms 1:5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; 
Psalms 1:6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 58-60


शुक्रवार, 17 जनवरी 2014

नेक सलाहकार


   हम में से कई लोग बहुत व्यस्त जीवन व्यतीत करते हैं, इसलिए परमेश्वर के वचन बाइबल के निर्गमन 18 अध्याय में दिए मूसा की व्यस्तता के वर्णन को समझ सकते हैं, उसके साथ सहानुभूति रख सकते हैं। उन लाखों इस्त्राएलियों के मध्य, जिन्हें वह मिस्त्र के दासत्व से निकालकर कनान देश को लिए जा रहा था, मूसा ही एक मात्र न्यायी था। इस लिए प्रातः से सन्धया तक मूसा ज़रूरतमन्द लोगों की भीड़ से घिरा रहता था (निर्गमन 18:3)।

   मेरे पास आकर कई लोगों ने, विशेषकर जवान माता-पिता ने कहा है कि वे मूसा की परिस्थिति समझते हैं और उससे सहानुभूति रखते हैं। मुझे लगता है कि ऐसी व्यस्त परिस्थितियों में जीवन निर्वाह के लिए हमें मूसा के समान दो गुणों को विकसित कर लेना चाहिए; पहला तो सुनने में प्रवीण होना (पद 24) तथा दूसरा अन्य लोगों की सहायता स्वीकार करना (पद 25)। कई बार तो हमारा अहम हमें दूसरों से सहायता लेना स्वीकार करने से रोकता है, लेकिन यह सदा ही होने वाली बात नहीं है।

   जैसा मूसा के साथ हुआ, वैसे ही हमारे साथ भी होता है कि जीवन इतनी तेज़ी से चल रहा होता है और हमारे समय पर इतनी माँगें बनी रहती हैं (पद 13-15) कि हमारे पास उन माँगों को ही उचित प्रतिक्रीया देने का ही समय नहीं होता, किसी के पास परामर्श या सहायता की माँग लेकर जाना तो बहुत दूर की बात है। संभवतः इसीलिए परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सलाह देती है कि हमारे साथ और हमारे संपर्क में अच्छे सलाहकार रहने चाहिएं जो अपने अनुभव और भली समझ-बूझ के आधार पर हमें आवश्यकतानुसार स्वयं ही सही सलाह दे सकें, चाहे हमारे पास सलाह माँगने का अवसर हो या ना हो। हम यही बात मूसा के जीवन की इस घटना में भी देखते हैं जहाँ उसके ससुर येत्रो ने मूसा की हालत देखकर उसे समझाया कि वह अपनी कुछ ज़िम्मेदारियाँ अन्य योग्य लोगों में बाँट दे जो साधारण और हलके मामले सुलझा सकें और मूसा को केवल कठिन मामलों के लिए ही समय देना पड़े (पद 17-23)।

   कार्य करने की ज़िम्मेदारी परमेश्वर ने सब को दी है, लेकिन वह हमें कुछ ही कार्यों द्वारा अभिभूत होकर अन्य ज़िम्मेदारियों से मूँह मोड़ते हुए नहीं देखना चाहता। इसलिए परमेश्वर का भय मानने वाले भले सलाहकारों के साथ संगति रखें, आवश्यकतानुसार उनसे परामर्श लें और फिर उस परामर्श का पालन भी करें। - रैण्डी किलगोर


जो सलाह नहीं लेता वह सहायता से भी वंचित रहता है।

जहां बुद्धि की युक्ति नहीं, वहां प्रजा विपत्ति में पड़ती है; परन्तु सम्मति देने वालों की बहुतायत के कारण बचाव होता है। - नीतिवचन 11:14

बाइबल पाठ: निर्गमन 18:13-24
Exodus 18:13 दूसरे दिन मूसा लोगों का न्याय करने को बैठा, और भोर से सांझ तक लोग मूसा के आसपास खड़े रहे। 
Exodus 18:14 यह देखकर कि मूसा लोगों के लिये क्या क्या करता है, उसके ससुर ने कहा, यह क्या काम है जो तू लोगों के लिये करता है? क्या कारण है कि तू अकेला बैठा रहता है, और लोग भोर से सांझ तक तेरे आसपास खड़े रहते हैं? 
Exodus 18:15 मूसा ने अपने ससुर से कहा, इसका कारण यह है कि लोग मेरे पास परमेश्वर से पूछने आते है। 
Exodus 18:16 जब जब उनका कोई मुकद्दमा होता है तब तब वे मेरे पास आते हैं और मैं उनके बीच न्याय करता, और परमेश्वर की विधि और व्यवस्था उन्हें जताता हूं। 
Exodus 18:17 मूसा के ससुर ने उस से कहा, जो काम तू करता है वह अच्छा नहीं। 
Exodus 18:18 और इस से तू क्या, वरन ये लोग भी जो तेरे संग हैं निश्चय हार जाएंगे, क्योंकि यह काम तेरे लिये बहुत भारी है; तू इसे अकेला नहीं कर सकता। 
Exodus 18:19 इसलिये अब मेरी सुन ले, मैं तुझ को सम्मति देता हूं, और परमेश्वर तेरे संग रहे। तू तो इन लोगों के लिये परमेश्वर के सम्मुख जाया कर, और इनके मुकद्दमों को परमेश्वर के पास तू पहुंचा दिया कर। 
Exodus 18:20 इन्हें विधि और व्यवस्था प्रगट कर कर के, जिस मार्ग पर इन्हें चलना, और जो जो काम इन्हें करना हो, वह इन को जता दिया कर। 
Exodus 18:21 फिर तू इन सब लोगों में से ऐसे पुरूषों को छांट ले, जो गुणी, और परमेश्वर का भय मानने वाले, सच्चे, और अन्याय के लाभ से घृणा करने वाले हों; और उन को हज़ार-हज़ार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस मनुष्यों पर प्रधान नियुक्त कर दे। 
Exodus 18:22 और वे सब समय इन लोगों का न्याय किया करें; और सब बड़े बड़े मुकद्दमों को तो तेरे पास ले आया करें, और छोटे छोटे मुकद्दमों का न्याय आप ही किया करें; तब तेरा बोझ हलका होगा, क्योंकि इस बोझ को वे भी तेरे साथ उठाएंगे। 
Exodus 18:23 यदि तू यह उपाय करे, और परमेश्वर तुझ को ऐसी आज्ञा दे, तो तू ठहर सकेगा, और ये सब लोग अपने स्थान को कुशल से पहुंच सकेंगें। 
Exodus 18:24 अपने ससुर की यह बात मान कर मूसा ने उसके सब वचनों के अनुसार किया।

एक साल में बाइबल: 

  • निर्गमन 5-7