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मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

आनन्द


   जब हमारे आदि माता-पिता आदम और हव्वा ने परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता करी तो आनन्द जाता रहा। उन्हें परमेश्वर द्वारा उनके रहने के लिए बनाकर दी गई वाटिका से बाहर जाना पड़ा। उस वाटिका के बाहर का जीवन सरल नहीं था; उन्हें अपने भोजन को जुटाने के लिए कड़ा परिश्रम करना पडता था। उनके पाप के कारण मृत्यु ने भी संसार में स्थान पा लिया था इसलिए अब उन्हें जानवरों से भी सावधान रहना पड़ता था। उनके पहलौठे बेटे ने ही अपने छोटे भाई की हत्या भी कर डाली। उस एक अनाज्ञाकारिता ने परमेश्वर के साथ उनकी सहभागिता तथा उनके और संसार के सारे आनन्द को छिन्न-भिन्न कर दिया।

   लेकिन परमेश्वर ने अपने साथ मानव की संगति तथा उस खोए हुए आनन्द को लौटा कर पुनःस्थापित कर देने की योजना कार्यान्वित करी। परमेश्वर से संगति और सहभागिता का आनन्द एक व्यक्ति की अनाज्ञाकारिता और मृत्यु के द्वारा जाता रहा था, परन्तु एक व्यक्ति के जन्म और परमेश्वर पिता के प्रति उसकी आज्ञाकारिता के कारण उस आनन्द को पुनः प्राप्त कर लेने का मार्ग समस्त मानव-जाति के लिए उपलब्ध करवा दिया गया। प्रभु यीशु के जन्म के समय स्वर्गदूत ने समाचार सुनाया: "तब स्वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा" (लूका 2:10)। प्रभु यीशु ने रोगियों को चंगा किया, अन्धों को आँखें दीं, मृतकों को जीवित किया; किंतु यह सब केवल आते समय के आनन्द और आशीषों की झलक मात्र थी।

   प्रभु यीशु के रूप में परमेश्वर संसार में आया, हमारे दुखों में संभागी हुआ, हमारे लिए मृत्यु पर जयवन्त हुआ और हमें एक दृढ़ अटल आशा दी कि एक दिन वह हमारे सभी दुखों, पीड़ाओं और मृत्यु का अन्त कर देगा (यूहन्ना 11:25-26; 1 कुरिन्थियों 15:3-4; प्रकाशितवाक्य 21:4)। यही कारण है क्रिसमस के समय को आनन्द का समय कहा जाता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


समस्त संसार के सभी लोगों के लिए आनन्द का मार्ग केवल प्रभु यीशु ही है।

और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। - प्रकाशितवाक्य 21:4

बाइबल पाठ: लूका 2:1-12
Luke 2:1 उन दिनों में औगूस्‍तुस कैसर की ओर से आज्ञा निकली, कि सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं। 
Luke 2:2 यह पहिली नाम लिखाई उस समय हुई, जब क्‍विरिनियुस सूरिया का हाकिम था। 
Luke 2:3 और सब लोग नाम लिखवाने के लिये अपने अपने नगर को गए। 
Luke 2:4 सो यूसुफ भी इसलिये कि वह दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया। 
Luke 2:5 कि अपनी मंगेतर मरियम के साथ जो गर्भवती थी नाम लिखवाए। 
Luke 2:6 उन के वहां रहते हुए उसके जनने के दिन पूरे हुए। 
Luke 2:7 और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखा: क्योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी। 
Luke 2:8 और उस देश में कितने गड़ेरिये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्ड का पहरा देते थे। 
Luke 2:9 और प्रभु का एक दूत उन के पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उन के चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए। 
Luke 2:10 तब स्वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा। 
Luke 2:11 कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है। 
Luke 2:12 और इस का तुम्हारे लिये यह पता है, कि तुम एक बालक को कपड़े में लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे।

एक साल में बाइबल: 
  • इब्रानियों 8-10