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गुरुवार, 18 जून 2015

महत्व एवं आदर


   किम पीक के पास एक अद्भुत प्रतिभा है - अद्वितीय स्मरण शक्ति! किम ने शेक्स्पीयर द्वारा लिखे गए सभी नाटक अक्षरशः स्मरण कर रखे हैं। एक बार शेक्सपीयर के एक नाटक की प्रस्तुति के दौरान एक अभिनेता अपनी पंक्ति का एक शब्द बोलना भूल गया; किम पीक तुरंत खड़ा होकर बोल उठा, "रुको!" उस अभिनेता ने क्षमा माँगी और कहा कि उसे लगा कि ना ही इस पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा और ना ही किसी को कोई एतराज़ होगा। किम ने जवाब दिया, "शेक्स्पियर को अवश्य होता"।

   शब्द महत्वपूर्ण होते हैं; विशेषकर तब जब वे परमेश्वर के शब्द हों। मूसा ने इस्त्राएलियों को इस बारे में सचेत किया और लिखा, "जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उस में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूं उन्हें तुम मानना" (व्यवस्थाविवरण 4:2)। जब इस्त्राएली वाचा किए हुए देश में प्रवेश करने को तैयार हो रहे थे तब मूसा ने उन्हें अनेक बार उनके प्रति लगातार बनी रहने वाली परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के बारे में स्मरण दिलाया; साथ ही उसने उन्हें उस वाचा के देश में परमेश्वर के वचन के पालन और उसके प्रति उनकी आज्ञाकारिता के बने रहने पर भी ज़ोर दिया जिससे कि उनके जीवन में आशीषें और समृद्धि बनी रहे (व्यवस्थाविवरण 4:39-40)। परमेश्वर की दृष्टि में उसके वचन का प्रत्येक नियम और निर्देश महत्वपूर्ण और पालन-योग्य है, कुछ भी नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता; और इस्त्रएली जो महत्व एवं आदर उसके वचन का करते वही इस बात का सूचक होता कि परमेश्वर का उनके जीवनों में कितना आदर एवं महत्व है।

   आज यही हमारे लिए भी उतना ही सार्थक है - जो महत्व एवं आदर हम परमेश्वर के वचन बाइबल का करते हैं वही इस बात का सूचक है कि हमारे जीवनों में परमेश्वर का क्या महत्व एवं आदर है। परमेश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने का अर्थ है उसके वचन को महत्व देना, सावधानी से उसका उपयोग करना और मन से उसका पालन करना; विचार करें कि आप ऐसा कर रहे हैं या नहीं! - मार्विन विलियम्स

परमेश्वर के वचन को किसी जोड़-तोड़ की नहीं, आज्ञाकारिता की आवश्यकता है।

जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा। - यूहन्ना 14:21

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 4:1-10
Deuteronomy 4:1 अब, हे इस्राएल, जो जो विधि और नियम मैं तुम्हें सिखाना चाहता हूं उन्हें सुन लो, और उन पर चलो; जिस से तुम जीवित रहो, और जो देश तुम्हारे पितरों का परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उस में जा कर उसके अधिकारी हो जाओ। 
Deuteronomy 4:2 जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उस में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूं उन्हें तुम मानना। 
Deuteronomy 4:3 तुम ने तो अपनी आंखों से देखा है कि बालपोर के कारण यहोवा ने क्या क्या किया; अर्थात जितने मनुष्य बालपोर के पीछे हो लिये थे उन सभों को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे बीच में से सत्यानाश कर डाला; 
Deuteronomy 4:4 परन्तु तुम जो अपने परमेश्वर यहोवा के साथ लिपटे रहे हो सब के सब आज तक जीवित हो। 
Deuteronomy 4:5 सुनो, मैं ने तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हें विधि और नियम सिखाए हैं, कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उस में तुम उनके अनुसार चलो। 
Deuteronomy 4:6 सो तुम उन को धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के साम्हने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है। 
Deuteronomy 4:7 देखो, कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसका देवता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमेश्वर यहोवा, जब कि हम उसको पुकारते हैं? 
Deuteronomy 4:8 फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे साम्हने रखता हूं? 
Deuteronomy 4:9 यह अत्यन्त आवश्यक है कि तुम अपने विषय में सचेत रहो, और अपने मन की बड़ी चौकसी करो, कहीं ऐसा न हो कि जो जो बातें तुम ने अपनी आंखों से देखीं उन को भूल जाओ, और वह जीवन भर के लिये तुम्हारे मन से जाती रहे; किन्तु तुम उन्हें अपने बेटों पोतों को सिखाना। 
Deuteronomy 4:10 विशेष कर के उस दिन की बातें जिस में तुम होरेब के पास अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने खड़े थे, जब यहोवा ने मुझ से कहा था, कि उन लोगों को मेरे पास इकट्ठा कर कि मैं उन्हें अपने वचन सुनाऊं, जिस से वे सीखें, ताकि जितने दिन वे पृथ्वी पर जीवित रहें उतने दिन मेरा भय मानते रहें, और अपने लड़के बालों को भी यही सिखाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 10-11
  • प्रेरितों 4:1-22