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सोमवार, 11 नवंबर 2019

दृश्य



      सन 1968 के अपोलो 8 अन्तरिक्ष अभियान के एस्ट्रोनौट, बिल सैंडर्स ने चन्द्रमा की परिक्रमा करते हुए निकट से उन्हें दिखाई देने वाली चन्द्रमा की सतह का विवरण दिया। उन्होंने उसे “अनिष्ट क्षितिज का दर्शन...एक फीका और बेस्वाद दिखने वाला स्थान” बताया। इसके बाद यान के अन्तरिक्ष यात्रियों ने बारी-बारी से परमेश्वर के वचन बाइबल के आरंभिक भाग, उत्पत्ति 1:1-10 को धरती से उन्हें देख रहे लोगों को पढ़ कर सुनाया। यान के कमांडर फ्रैंक बोरमैन ने पद 10 “और परमेश्वर ने देखा की अच्छा है” को पढ़ने के बाद समाप्त करते हुए कहा, “अच्छी धरती पर रहने वाले आप सभी पर परमेश्वर की आशीष हो।”

      बाइबल का आरंभिक अध्याय दो तथ्यों पर बल देता है:
      सृष्टि परमेश्वर की रचना है – वाक्यांश, “और परमेश्वर ने कहा...” सारे अध्याय में व्याप्त है, बारम्बार दोहराया गया है। यह समस्त भव्य संसार, जिसमें हम रहते हैं, परमेश्वर का रचनात्मक कार्य है। बाइबल में इसके बाद आने वाली प्रत्येक बात उत्पत्ति अध्याय 1 के इस सन्देश की पुनःपुष्टि करती है। समस्त इतिहास के पीछे, परमेश्वर विद्यमान है।

      सृष्टि अच्छी है – एक अन्य वाक्य जो पहले वाले के साथ इस पूरे अध्याय में चलता रहता है, है: “और परमेश्वर ने देखा की अच्छा है।” सृष्टि के उस प्रारंभिक पल के बाद से आज तक के समय में बहुत कुछ बदल गया है। उत्पत्ति 1 संसार का उस दशा में वर्णन करती है जिसमें परमेश्वर ने उसे रचा था और उसे रखना चाहा था, पाप द्वारा उसे बिगाड़ दिए जाने से पहले। जो भी सुन्दरता हम आज प्रकृति, संसार और सृष्टि में देखते हैं, वह उस भव्य सुन्दरता की, जिसमें इनकी रचना की गयी थी, एक फीकी से छाया मात्र है।

      अपोलो 8 के अन्तरिक्ष यात्रियों ने पृथ्वी को एक अकली लटकी हुई चमकीली गेंद के समान देखा, जो बहुत सुन्दर किन्तु नाज़ुक दिख रही थी। वह दृश्य उत्पत्ति वाले दृश्य के समान का दृश्य था। - फिलिप यैंसी

आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। - उत्पत्ति 1:1

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन 19:1

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:1-10
Genesis 1:1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।
Genesis 1:2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था।
Genesis 1:3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।
Genesis 1:4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया।
Genesis 1:5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया।
Genesis 1:6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।
Genesis 1:7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर कर के उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।
Genesis 1:9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 50
  • इब्रानियों 8