एक चर्च में प्रचार करते हुए प्रचारक ने देखा कि उसकी सुनहरी घड़ी रौशनी में जगमगा रही थी। उसने लिखा, "मैं देख रहा था कि लोगों का ध्यान उस चमकती हुई घड़ी की वजह से बंट रहा है। परमेश्वर ने मुझसे कहा, ’इस घड़ी को उतार दो; यह लोगों का ध्यान सन्देश से हटा रही है।’ मैंने कहा, ’प्रभु अपने पिता की दी हुई घड़ी को तो मैं पहने रह सकता हूँ!’ लेकिन परमेश्वर मुझे छोटी छोटी बातों के लिए संवेदनशील होना सिखा रहा था। मैंने बात को समझा और घड़ी को उतार दिया, और उसके बाद कभी प्रचार करते समय उसे नहीं पहना।" परमेश्वर की आत्मा द्वारा छोटी छोटी बातों के लिए भी किये गए इशारों के प्रति संवेदनशील रहना एक परिपक्व मसीही विश्वासी की निशानी है।
हर बार निश्चित रूप से परमेश्वर की वाणी को पहचानना आसान नहीं है। अन्दर से उठने वाली आवाज़ कई बार किसी भय, किसी स्वार्थ या शैतान द्वारा भी उत्पन्न हो सकती है। किंतु फिर भी यदि हम परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा परमेश्वर के सिद्धांत समझ लें और अपने आप को परमेश्वर के आत्मा के आधीन कर दें तो हम उसके कही गई बातों को भी पहचान सकेंगे। इब्रानियों की पत्री का लेखक कहता है कि परिपक्व विश्वासीयों की ज्ञानेन्द्रियाँ अभ्यास द्वारा सही और गलत की पहचान करने में सक्षम हो जाती हैं (इब्रानियों ५:१४)।
जो भी मसीह को स्वयं से प्रथम स्थान देता है वह परमेश्वर की ओर से है और उसे हम आश्वस्त होकर मान सकते हैं। परन्तु जो कुछ भी दया रहित, प्रेम रहित या स्वार्थपूर्ण है वह परमेश्वर की ओर से नहीं है और यदि हम ऐसे कार्य करते हैं तो परमेश्वर के आत्मा को दुखी करते हैं। जब कभी किसी भी विश्वासी से ऐसा कोई भी कार्य हो जाए जिससे परमेश्वर का आत्मा दुखी होता है तो उसे तुरंत परमेश्वर के सम्मुख अपने पाप को मान लेना चाहिए और क्षमा प्रार्थना द्वारा परमेश्वर के साथ अपने संबंध को ठीक कर लेने चाहिएं।
प्रत्येक विश्वासी को परमेश्वर की वाणी के समझने के लिए सदा परमेश्वर से माँगना चाहिए - "प्रभु मुझे संवेदनशील बनाईये!" - डेनिस डी हॉन
और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। - इफिसियों ४:३०
बाइबल पाठ: इब्रानियों १५
Heb 5:1 क्योंकि हर एक महायाजक मनुष्यों में से लिया जाता है, और मनुष्यों ही के लिये उन बातों के विषय में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, ठहराया जाता है: कि भेंट और पाप बलि चढ़ाया करे।
Heb 5:2 और वह अज्ञानों, और भूले भटकों के साथ नर्मी से व्यवहार कर सकता है इसलिये कि वह आप भी निर्बलता से घिरा है।
Heb 5:3 और इसी लिये उसे चाहिए, कि जैसे लोगों के लिये, वैसे ही अपने लिये भी पाप-बलि चढ़ाया करे।
Heb 5:4 और यह आदर का पद कोई अपने आप से नहीं लेता, जब तक कि हारून की नाई परमेश्वर की ओर से ठहराया न जाए।
Heb 5:5 वैसे ही मसीह ने भी महायाजक बनने की बड़ाई अपने आप से नहीं ली, पर उस को उसी ने दी, जिस ने उस से कहा था, कि तू मेरा पुत्र है, आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।
Heb 5:6 वह दूसरी जगह में भी कहता है, तू मलिकिसिदक की रीति पर सदा के लिये याजक है।
Heb 5:7 उस ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊंचे शब्द से पुकार पुकार कर, और आंसू बहा बहा कर उस से जो उस को मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्यनाएं और बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई।
Heb 5:8 और पुत्र होने पर भी, उस ने दुख उठा उठा कर आज्ञा माननी सीखी।
Heb 5:9 और सिद्ध बनकर, अपने सब आज्ञा मानने वालों के लिये सदा काल के उद्धार का कारण हो गया।
Heb 5:10 और उसे परमेश्वर की ओर से मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक का पद मिला।
Heb 5:11 इस के विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिन का समझना भी कठिन है; इसलिये कि तुम ऊंचा सुनने लगे हो।
Heb 5:12 समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए? और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।
Heb 5:13 क्योंकि दूध पीने वाले बच्चे को तो धर्म के वचन की पहिचान नहीं होती, क्योंकि वह बालक है।
Heb 5:14 पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रियाँ अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।
एक साल में बाइबल:
हर बार निश्चित रूप से परमेश्वर की वाणी को पहचानना आसान नहीं है। अन्दर से उठने वाली आवाज़ कई बार किसी भय, किसी स्वार्थ या शैतान द्वारा भी उत्पन्न हो सकती है। किंतु फिर भी यदि हम परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा परमेश्वर के सिद्धांत समझ लें और अपने आप को परमेश्वर के आत्मा के आधीन कर दें तो हम उसके कही गई बातों को भी पहचान सकेंगे। इब्रानियों की पत्री का लेखक कहता है कि परिपक्व विश्वासीयों की ज्ञानेन्द्रियाँ अभ्यास द्वारा सही और गलत की पहचान करने में सक्षम हो जाती हैं (इब्रानियों ५:१४)।
जो भी मसीह को स्वयं से प्रथम स्थान देता है वह परमेश्वर की ओर से है और उसे हम आश्वस्त होकर मान सकते हैं। परन्तु जो कुछ भी दया रहित, प्रेम रहित या स्वार्थपूर्ण है वह परमेश्वर की ओर से नहीं है और यदि हम ऐसे कार्य करते हैं तो परमेश्वर के आत्मा को दुखी करते हैं। जब कभी किसी भी विश्वासी से ऐसा कोई भी कार्य हो जाए जिससे परमेश्वर का आत्मा दुखी होता है तो उसे तुरंत परमेश्वर के सम्मुख अपने पाप को मान लेना चाहिए और क्षमा प्रार्थना द्वारा परमेश्वर के साथ अपने संबंध को ठीक कर लेने चाहिएं।
प्रत्येक विश्वासी को परमेश्वर की वाणी के समझने के लिए सदा परमेश्वर से माँगना चाहिए - "प्रभु मुझे संवेदनशील बनाईये!" - डेनिस डी हॉन
अपना नियंत्रण परमेश्वर के आत्मा को सौंप देने से हम आत्म-नियंत्रण से विहीन नहीं हो जाते।
और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। - इफिसियों ४:३०
बाइबल पाठ: इब्रानियों १५
Heb 5:1 क्योंकि हर एक महायाजक मनुष्यों में से लिया जाता है, और मनुष्यों ही के लिये उन बातों के विषय में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, ठहराया जाता है: कि भेंट और पाप बलि चढ़ाया करे।
Heb 5:2 और वह अज्ञानों, और भूले भटकों के साथ नर्मी से व्यवहार कर सकता है इसलिये कि वह आप भी निर्बलता से घिरा है।
Heb 5:3 और इसी लिये उसे चाहिए, कि जैसे लोगों के लिये, वैसे ही अपने लिये भी पाप-बलि चढ़ाया करे।
Heb 5:4 और यह आदर का पद कोई अपने आप से नहीं लेता, जब तक कि हारून की नाई परमेश्वर की ओर से ठहराया न जाए।
Heb 5:5 वैसे ही मसीह ने भी महायाजक बनने की बड़ाई अपने आप से नहीं ली, पर उस को उसी ने दी, जिस ने उस से कहा था, कि तू मेरा पुत्र है, आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।
Heb 5:6 वह दूसरी जगह में भी कहता है, तू मलिकिसिदक की रीति पर सदा के लिये याजक है।
Heb 5:7 उस ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊंचे शब्द से पुकार पुकार कर, और आंसू बहा बहा कर उस से जो उस को मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्यनाएं और बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई।
Heb 5:8 और पुत्र होने पर भी, उस ने दुख उठा उठा कर आज्ञा माननी सीखी।
Heb 5:9 और सिद्ध बनकर, अपने सब आज्ञा मानने वालों के लिये सदा काल के उद्धार का कारण हो गया।
Heb 5:10 और उसे परमेश्वर की ओर से मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक का पद मिला।
Heb 5:11 इस के विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिन का समझना भी कठिन है; इसलिये कि तुम ऊंचा सुनने लगे हो।
Heb 5:12 समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए? और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।
Heb 5:13 क्योंकि दूध पीने वाले बच्चे को तो धर्म के वचन की पहिचान नहीं होती, क्योंकि वह बालक है।
Heb 5:14 पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रियाँ अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।
एक साल में बाइबल:
- १ राजा १-२
- लूका १९:२८-४८
संवेदना और समर्पण जीवन का सच है.
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