कुछ लोग शांत वातावरण सहन नहीं कर सकते - सुबह उठते ही वे रेडियो चालु कर देते हैं; यदि वे टी.वी. नहीं देख रहे होते तो घर में ऊंची आवाज़ में संगीत बज रहा होता है। परन्तु वे कभी प्रकृति के शांत मधुर संगीत का आनन्द नहीं उठाते। उन्हें परमेश्वर की शांत और धीमी आवाज़ सुनाई नहीं देती।
इस शोर भरे संसार में एकांत में बिताए शांत समय की आशीशों का उल्लेख भजन ४६ में मिलता है। भजनकार भजन का आरंभ सामर्थ से बाहर विनाशकारी शक्तियों का सामना करते हुए भी परमेश्वर मे अटल विश्वास से करता है; वो पृथ्वी के उलट-पुलट होने, गरजते समुद्र की विशाल उफनती लहरों, पहाड़ों के डोलने और कांप कर समुद्र में गिर जाने के बारे में लिखता है। फिर वह शांत नदी के प्रवाह की बात करता है जो जीवनदाई जल लेकर आती है। इसके बाद भजनकार वर्णन करता है परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने वाली उग्र सांसारिक शक्तियों का जिनका विनाश होता है। तब लेखक परमेश्वर की महान विजय का चित्रण करके परमेश्वर का सन्देश कहता है, "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं।" पूरा भजन शांत होकर अशांत संसार की उथल-पुथल में भी परमेश्वर के कार्य को होता हुए देखने का आहावन है - परमेश्वर किसी परिस्थिति से हारता नहीं, उसका कार्य निरंतर होता रहता है।
हम परमेश्वर की आवाज़ प्रकृति की मधुर तथा सौम्य आवाज़ में और उसके वचन में दिये गई प्रतिज्ञाओं में सुनते हैं। वह चाहता है कि हम जाने कि वो उपस्थित है और सब कुछ उसके नियंत्रण में है। लेकिन उसकी आवाज़ कोलाहल में नहीं सुनाई देती; उसकी आवाज़ सुनने के लिए हमें बाहर से ही नहीं, अन्दर से भी शांत होना होगा। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। - भजन ४६:१०
बाइबल पाठ: भजन ४६
Psa 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
Psa 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psa 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।
Psa 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psa 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psa 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psa 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psa 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उस ने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psa 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है, वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psa 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
Psa 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
एक साल में बाइबल:
इस शोर भरे संसार में एकांत में बिताए शांत समय की आशीशों का उल्लेख भजन ४६ में मिलता है। भजनकार भजन का आरंभ सामर्थ से बाहर विनाशकारी शक्तियों का सामना करते हुए भी परमेश्वर मे अटल विश्वास से करता है; वो पृथ्वी के उलट-पुलट होने, गरजते समुद्र की विशाल उफनती लहरों, पहाड़ों के डोलने और कांप कर समुद्र में गिर जाने के बारे में लिखता है। फिर वह शांत नदी के प्रवाह की बात करता है जो जीवनदाई जल लेकर आती है। इसके बाद भजनकार वर्णन करता है परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने वाली उग्र सांसारिक शक्तियों का जिनका विनाश होता है। तब लेखक परमेश्वर की महान विजय का चित्रण करके परमेश्वर का सन्देश कहता है, "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं।" पूरा भजन शांत होकर अशांत संसार की उथल-पुथल में भी परमेश्वर के कार्य को होता हुए देखने का आहावन है - परमेश्वर किसी परिस्थिति से हारता नहीं, उसका कार्य निरंतर होता रहता है।
हम परमेश्वर की आवाज़ प्रकृति की मधुर तथा सौम्य आवाज़ में और उसके वचन में दिये गई प्रतिज्ञाओं में सुनते हैं। वह चाहता है कि हम जाने कि वो उपस्थित है और सब कुछ उसके नियंत्रण में है। लेकिन उसकी आवाज़ कोलाहल में नहीं सुनाई देती; उसकी आवाज़ सुनने के लिए हमें बाहर से ही नहीं, अन्दर से भी शांत होना होगा। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
परमेश्वर की शांत और धीमी आवाज़ वे ही सुन सकते हैं जो शांत होकर उसकी सुनने के लिए समय देते हैं।
चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। - भजन ४६:१०
बाइबल पाठ: भजन ४६
Psa 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
Psa 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psa 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।
Psa 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psa 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psa 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psa 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psa 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उस ने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psa 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है, वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psa 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
Psa 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
एक साल में बाइबल:
- २ शमूएल २३-२४
- लूका १९:१-२७
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