ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

धन्यवादी



      मैंने आज मैदान में एक फूल को खिले हुए देखा, एक अकेला छोटा सा बैंगनी फूल, कवि थॉमस ग्रे की अद्भुत पंक्ति के अनुसार, “अपनी मनोहरता को रेगिस्तान में व्यर्थ करते हुए।” मैं निश्चित हूँ कि मुझ से पहले किसी ने भी इस फूल को नहीं देखा होगा, और संभवतः कोई और देखेगा भी नहीं। मैं सोचने लगा, इस एकांत स्थान में, ऐसी भव्य सुन्दरता भला क्यों?

      प्रकृति कभी व्यर्थ नहीं जाती है। प्रतिदिन प्रकृति अपने रचनाकार की सच्चाई, भलाई, और सुंदरता को प्रदर्शित करती है, जैसे परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने व्यक्त किया है: “आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है” (भजन 19:1)। प्रतिदिन प्रकृति परमेश्वर की महिमा का नया बखान करती है। क्या मैं प्रकृति की उस गवाही में परमेश्वर की वह महिमा देखने पाता हूँ, या मैं उसकी गवाही को एक सरसरी नज़र के साथ नज़रंदाज़ कर देता हूँ?

      समस्त प्रकृति अपनी रचना करने वाले की सुन्दरता को दिखाती है। ऐसे में हमारा प्रत्युत्तर आराधना, प्रशंसा, और धन्यवाद हो सकता है – सूरजमुखी के फूल की चमक के लिए, सूर्योदय की भव्यता के लिए, और किसी भी वृक्ष या अन्य किसी के भी स्वरूप के लिए।

      लेखक सी. एस. ल्यूइस ने अपने एक मित्र के साथ गर्मी के एक दिन टहलने जाने के बारे में लिखा। उसने अपने मित्र से पूछा कि परमेश्वर के प्रति एक धन्यवादी हृदय कैसे विक्सित किया जाए। उनका मित्र पास बह रहे एक नाले पर गया, वहाँ एक छोटे से झरने से पानी लेकर अपने चहरे और हाथों पर डाला, और कहा, “क्यों न इससे ही आरंभ करो?” ल्यूइस ने कहा कि उस पल में उन्होंने एक महान सिद्धान्त सीखा: “जहाँ और जैसे भी हैं, वहीं और उसी के लिए परमेश्वर का धन्यवादी बनें।”

      एक छोटा सा झरना, पेड़ों में बहती हवा की मधुर ध्वनि, एक छोटा पक्षी, आपके आस-पास की कोई भी बात – क्यों न परमेश्वर के प्रति धन्यवादी होने की यात्रा का आरंभ इन्हीं से किया जाए! – डेविड रोपर


समस्त सुन्दरता की पृष्ठभूमी में परमेश्वर ही है। - स्टीव डिविट

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: भजन 136:1-9
Psalms 136:1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:2 जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:3 जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:4 उसको छोड़कर कोई बड़े बड़े अशचर्यकर्म नहीं करता, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:5 उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:6 उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:7 उसने बड़ी बड़ी ज्योतियों बनाईं, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:8 दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:9 और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
                                                                                                                                                        
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 36-38
  • मत्ती 23:1-22