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सोमवार, 16 मार्च 2020

साथ



      हम में से कुछ की प्रवृत्ति है कि हम संसार में केवल बुरा ही देखते हैं। डीविट जोंस नैशनल जिओग्राफिक पत्रिका के लिए कार्य करने वाले फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने अपने व्यवसाय को संसार में जो भला है उसे दिखाने और उससे आनंदित होने के लिए उपयोग किया है। वे ध्यान से देखते रहते तथा प्रतीक्षा में रहते हैं, किसी भी परिपेक्ष अथवा परिस्थिति में आए हलके से भी परिवर्तन के कारण उजागर होने वाले किसी अचरज को, जो वहां होते हुए भी पहले प्रकट नहीं था, अपने कैमरे में पकड़ लेते हैं। वे अपने कैमरे का प्रयोग लोगों तथा प्रकृत्ति की बहुत सामान्य बातों में भी सुन्दरता एवं मनोहरता को ढूँढने तथा दिखाने के लिए करते हैं।

      यदि इस संसार में गलत देखने के लिए किसी के पास कारण थे, तो निःसंदेह अय्यूब के पास थे। परमेश्वर के वचन बाइबल में पुराने नियम खण्ड के इस प्रमुख व्यक्ति ने जो कुछ संसार में भोगा, वह शायद ही कभी किसी अन्य ने भोगा होगा। अय्यूब एक भरे-पूरे परिवार वाला बहुत संपन्न तथा धर्मी व्यक्ति था; परन्तु जो कुछ उसके लिए आनन्द का कारण था, शैतान ने उससे वह सब छीन लिया, और उसे सांत्वना देने आए उसके मित्र भी उस पर दोषारोपण करने वाले बन गए। उन सभी को लगने लगा कि अय्यूब में अवश्य ही कुछ छिपे हुए पाप हैं, जिन्हें वह स्वीकार नहीं कर रहा है, और इसी कारण उसे यह सब दुःख सहना पड़ रहा है। जब उस धर्मी अय्यूब ने सहायता के लिए परमेश्वर को पुकारा, तो परमेश्वर भी चुप रहा।

      अन्ततः परमेश्वर ने उसके जीवन में उठे तूफ़ान और आए अंधियारे में से भी अय्यूब से उसके चारों और फ़ैली प्रकृति के अचरजों को देखने और उन पर विचार करने के लिए कहा, जिन सभी से परमेश्वर की बुद्धिमत्ता और सामर्थ्य प्रकट होती है और जो अय्यूब की अपनी बुद्धिमत्ता और सामर्थ्य से कहीं अधिक बढ़कर है (अय्यूब 38:2-4)। जब अय्यूब ने ऐसा किया, तो वह पहचान सका की परमेश्वर के सम्मुख वह कितना तुच्छ है और उसकी बुद्धिमत्ता कितनी गौण है; और उसने परमेश्वर के सामने नतमस्तक होकर पश्चाताप किया और क्षमा माँगी (अय्यूब 42:1-6)।

      आज जब हम अपनी परिस्थितियों और कठिनाइयों के लिए परमेश्वर पर दोष लगाते हैं, उससे प्रश्न करते हैं, तो वह हम से क्या कहेगा? क्या हम अपने चारों फैली प्रकृति, उसकी हस्तकला और सृष्टि, में उसकी बुद्धिमत्ता और सामर्थ्य को पहचानने और उनके लिए उसकी आराधना और स्तुति करने पाते हैं? यदि हम भी यह दृष्टिकोण रखने लगें, तो हमें भी पहले से विद्यमान परमेश्वर की कारीगरी में एक नई मनोहरता दिखाई देगी, और हम भी अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर के मन और हृदय की हमारे प्रति भावना को समझने पाएंगे, कि वह सदा हमारे साथ बना रहता है। - मार्ट डीहान

प्रकृति में ऐसे अद्भुत अचरज भरे पड़े हैं, जिनका कोई अंत नहीं है।

मैने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ। - अय्यूब 42:5-6

बाइबल पाठ: अय्यूब 38:1-18
Job 38:1 तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यूं उत्तर दिया,
Job 38:2 यह कौन है जो अज्ञानता की बातें कहकर युक्ति को बिगाड़ना चाहता है?
Job 38:3 पुरुष के समान अपनी कमर बान्ध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे।
Job 38:4 जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे।
Job 38:5 उसकी नाप किस ने ठहराई, क्या तू जानता है उस पर किस ने सूत खींचा?
Job 38:6 उसकी नेव कौन सी वस्तु पर रखी गई, वा किस ने उसके कोने का पत्थर बिठाया,
Job 38:7 जब कि भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?
Job 38:8 फिर जब समुद्र ऐसा फूट निकला मानो वह गर्भ से फूट निकला, तब किस ने द्वार मूंदकर उसको रोक दिया;
Job 38:9 जब कि मैं ने उसको बादल पहिनाया और घोर अन्धकार में लपेट दिया,
Job 38:10 और उसके लिये सिवाना बान्धा और यह कहकर बेंड़े और किवाड़े लगा दिए, कि
Job 38:11 यहीं तक आ, और आगे न बढ़, और तेरी उमंडने वाली लहरें यहीं थम जाएं?
Job 38:12 क्या तू ने जीवन भर में कभी भोर को आज्ञा दी, और पौ को उसका स्थान जताया है,
Job 38:13 ताकि वह पृथ्वी की छोरों को वश में करे, और दुष्ट लोग उस में से झाड़ दिए जाएं?
Job 38:14 वह ऐसा बदलता है जैसा मोहर के नीचे चिकनी मिट्टी बदलती है, और सब वस्तुएं मानो वस्त्र पहिने हुए दिखाई देती हैं।
Job 38:15 दुष्टों से उनका उजियाला रोक लिया जाता है, और उनकी बढ़ाई हुई बांह तोड़ी जाती है।
Job 38:16 क्या तू कभी समुद्र के सोतों तक पहुंचा है, वा गहिरे सागर की थाह में कभी चला फिरा है?
Job 38:17 क्या मृत्यु के फाटक तुझ पर प्रगट हुए, क्या तू घोर अन्धकार के फाटकों को कभी देखने पाया है?
Job 38:18 क्या तू ने पृथ्वी की चौड़ाई को पूरी रीति से समझ लिया है? यदि तू यह सब जानता है, तो बतला दे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 28-29
  • मरकुस 14:54-72



रविवार, 29 दिसंबर 2019

मनन



      हिन्दी में फूलचुसनी कही जाने वाली चिड़िया को अंग्रेज़ी में हमिंगबर्ड कहते हैं, क्योंकि इसके तेज़ी से फड़फड़ाते हुए पंखों के कारण एक गुनगुनाने की सी ध्वनि उत्पन्न होती है। अन्य भाषाओं में भी इस चिड़िया के विभिन्न नाम हैं, पुर्तगाली में इसे फूलों का चुम्बन लेने वाली, और स्पैनिश में इस उड़ती हुई मणि कहते हैं। किन्तु मेरा सबसे प्रिय नाम है मेक्सिको की ज़ेपोटेक का शब्द बियुलू जिसका अर्थ ओता है “आँखों में बस जाने वाला” – एक बार हमिंगबर्ड को देख लेंगे तो फिर उसे कभी नहीं भूलेंगे।

      जी. के. चेस्टरटन ने लिखा, “संसार में कभी अजूबों का अकाल नहीं होगा, परन्तु अचरज का हो सकता है।” हमिंगबर्ड भी संसार का एक अजूबा है। इन छोटे से प्राणियों में क्या अनोखा और रोमांचित कर देने वाला है? हो सकता है कि यह इनका छोटा सा आकार है – मात्र दो या तीन इंच का; या फिर यह इनके पंखों के फड़फड़ाने की गति है – एक सेकेंड में 50 से लेकर 200 बार तक।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 104 किसका लिखा हुआ है, हमें इसका तो पता नहीं है; किन्तु इसे लिखने वाला भजनकार प्रकृति की सुन्दरता से मुग्ध था। प्रकृति के अनेकों अजूबों का वर्णन करने के पश्चात, जैसे कि लबानोन के देवदारु और जंगली गदहे आदि, वह कहता है, “यहोवा अपने कामों से आन्दित होवे!” (पद 31)। फिर वह प्रार्थना करता है, “मेरा ध्यान करना, उसको प्रिय लगे” (पद 34)।

      प्रकृति में अनेकों बातें हैं जो आँखों में बनी रह सकती हैं, उनकी सुन्दरता और सिद्धता के कारण। हम उन बातों पर मनन करने के द्वारा परमेश्वर को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं? हम उन पर ध्यान दे सकते हैं, उन से आनंदित हो सकते हैं, और उन के लिए परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं। परमेश्वर के अद्भुत कार्यों के अजूबों का ध्यान तथा उन पर मनन करके हम परमेश्वर के धन्यवादी हो सकते हैं। - कीला ओकोआ

अचरज से कृतज्ञता आती है।

हे यहोवा, तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करेगी, और तेरे भक्त लोग तुझे धन्य कहा करेंगे! भजन 145:10

बाइबल पाठ: भजन 104:24-35
Psalms 104:24 हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।
Psalms 104:25 इसी प्रकार समुद्र बड़ा और बहुत ही चौड़ा है, और उस में अनगिनित जलचर जीव- जन्तु, क्या छोटे, क्या बड़े भरे पड़े हैं।
Psalms 104:26 उस में जहाज भी आते जाते हैं, और लिव्यातान भी जिसे तू ने वहां खेलने के लिये बनाया है।
Psalms 104:27 इन सब को तेरा ही आसरा है, कि तू उनका आहार समय पर दिया करे।
Psalms 104:28 तू उन्हें देता हे, वे चुन लेते हैं; तू अपनी मुट्ठी खोलता है और वे उत्तम पदार्थों से तृप्त होते हैं।
Psalms 104:29 तू मुख फेर लेता है, और वे घबरा जाते हैं; तू उनकी सांस ले लेता है, और उनके प्राण छूट जाते हैं और मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।
Psalms 104:30 फिर तू अपनी ओर से सांस भेजता है, और वे सिरजे जाते हैं; और तू धरती को नया कर देता है।
Psalms 104:31 यहोवा की महिमा सदा काल बनी रहे, यहोवा अपने कामों से आन्दित होवे!
Psalms 104:32 उसकी दृष्टि ही से पृथ्वी कांप उठती है, और उसके छूते ही पहाड़ों से धुआं निकलता है।
Psalms 104:33 मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा तब तक अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा।
Psalms 104:34 मेरा ध्यान करना, उसको प्रिय लगे, क्योंकि मैं तो यहोवा के कारण आनन्दित रहूंगा।
Psalms 104:35 पापी लोग पृथ्वी पर से मिट जाएं, और दुष्ट लोग आगे को न रहें! हे मेरे मन यहोवा को धन्य कह! याह की स्तुति करो!

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह 9-12
  • प्रकाशितवाक्य 20



गुरुवार, 5 सितंबर 2019

स्वर्ग



      मैं अपने अध्ययन-कक्ष की खिड़की से बाहर जब देखा, तो मुझे पेड़ों में वायु का मंद प्रवाह दिखाई और सुनाई दिया, पक्षी चहचहा रहे थे, और मेरे पड़ौसी के जोते हुए खेत में पुआल के ढेर पड़े दिख रहे थे। चमकदार नीले आकाश की तुलना में सफ़ेद बादल दिखाई दे रहे थे। मुझे लगा मानो मैं स्वर्ग का थोड़ा सा आनन्द ले रही हूँ। किन्तु इसमें भी कुछ समस्या है, हमारे घर के निकट से निकलने वाली सड़क पर लगभग लगातार चलने वाले यातायात का शोर और मेरी पीठ का वह हल्का सा दर्द, मेरे उस आनन्द में विघ्न डालता है।

      मैंने स्वर्ग शब्द का प्रयोग कुछ हलके में किया है, क्योंकि यद्यपि एक समय था जब हमारी पृथ्वी पूर्णतः भली थी, परन्तु अब नहीं है। जब मनुष्य ने पाप किया, तो हमें अदन की वाटिका से बाहर निकाल दिया गया, और भूमि श्रापित हो गई (देखें उत्पत्ति 3)। तब से पृथ्वी और उसमें का सब कुछ “विनाश के दासत्व” है। दुःख, बीमारी, और हमारी मृत्यु, सभी कुछ मनष्य के पाप में पड़ जाने के कारण है (रोमियों 8:18-23)।

      परन्तु परमेश्वर सब कुछ को नया कर रहा है। एक दिन उसका निवास-स्थान, हम जो उसके लोग हैं उनके मध्य होगा, एक नवीनीकृत तथा बहाल की गई सृष्टि में – “एक नया आकाश और नई पृथ्वी” – जहाँ पर “वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी” (प्रकाशितवाक्य 21:4)। उस दिन तक, हम प्रकृति और सँसार की सुन्दरता का आनन्द ले सकते हैं, जो उस स्वर्ग का अंश मात्र है जो आने वाला है। - एलीसन कीडा


परमेश्वर सब कुछ नया कर रहा है।

सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:17

बाइबल पाठ: रोमियों 8:18-23; प्रकाशितवाक्य 21:1-5
Romans 8:18 क्योंकि मैं समझता हूं, कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं।
Romans 8:19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है।
Romans 8:20 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई।
Romans 8:21 कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।
Romans 8:22 क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
Romans 8:23 और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।

Revelation 21:1 फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा।
Revelation 21:2 फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो।
Revelation 21:3 फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा।
Revelation 21:4 और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।
Revelation 21:5 और जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उसने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 148-150
  • 1 कुरिन्थियों 15:29-58



मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

धन्यवादी



      मैंने आज मैदान में एक फूल को खिले हुए देखा, एक अकेला छोटा सा बैंगनी फूल, कवि थॉमस ग्रे की अद्भुत पंक्ति के अनुसार, “अपनी मनोहरता को रेगिस्तान में व्यर्थ करते हुए।” मैं निश्चित हूँ कि मुझ से पहले किसी ने भी इस फूल को नहीं देखा होगा, और संभवतः कोई और देखेगा भी नहीं। मैं सोचने लगा, इस एकांत स्थान में, ऐसी भव्य सुन्दरता भला क्यों?

      प्रकृति कभी व्यर्थ नहीं जाती है। प्रतिदिन प्रकृति अपने रचनाकार की सच्चाई, भलाई, और सुंदरता को प्रदर्शित करती है, जैसे परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने व्यक्त किया है: “आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है” (भजन 19:1)। प्रतिदिन प्रकृति परमेश्वर की महिमा का नया बखान करती है। क्या मैं प्रकृति की उस गवाही में परमेश्वर की वह महिमा देखने पाता हूँ, या मैं उसकी गवाही को एक सरसरी नज़र के साथ नज़रंदाज़ कर देता हूँ?

      समस्त प्रकृति अपनी रचना करने वाले की सुन्दरता को दिखाती है। ऐसे में हमारा प्रत्युत्तर आराधना, प्रशंसा, और धन्यवाद हो सकता है – सूरजमुखी के फूल की चमक के लिए, सूर्योदय की भव्यता के लिए, और किसी भी वृक्ष या अन्य किसी के भी स्वरूप के लिए।

      लेखक सी. एस. ल्यूइस ने अपने एक मित्र के साथ गर्मी के एक दिन टहलने जाने के बारे में लिखा। उसने अपने मित्र से पूछा कि परमेश्वर के प्रति एक धन्यवादी हृदय कैसे विक्सित किया जाए। उनका मित्र पास बह रहे एक नाले पर गया, वहाँ एक छोटे से झरने से पानी लेकर अपने चहरे और हाथों पर डाला, और कहा, “क्यों न इससे ही आरंभ करो?” ल्यूइस ने कहा कि उस पल में उन्होंने एक महान सिद्धान्त सीखा: “जहाँ और जैसे भी हैं, वहीं और उसी के लिए परमेश्वर का धन्यवादी बनें।”

      एक छोटा सा झरना, पेड़ों में बहती हवा की मधुर ध्वनि, एक छोटा पक्षी, आपके आस-पास की कोई भी बात – क्यों न परमेश्वर के प्रति धन्यवादी होने की यात्रा का आरंभ इन्हीं से किया जाए! – डेविड रोपर


समस्त सुन्दरता की पृष्ठभूमी में परमेश्वर ही है। - स्टीव डिविट

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: भजन 136:1-9
Psalms 136:1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:2 जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:3 जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:4 उसको छोड़कर कोई बड़े बड़े अशचर्यकर्म नहीं करता, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:5 उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:6 उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:7 उसने बड़ी बड़ी ज्योतियों बनाईं, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:8 दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
Psalms 136:9 और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
                                                                                                                                                        
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 36-38
  • मत्ती 23:1-22



शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

सृष्टि


   मुझे प्रकृति को निहारना और प्रकृति के सृष्टिकर्ता की आराधना करना अच्छा लगता है, लेकिन कभी-कभी मैं अपने आप को प्रकृति में अत्याधिक रुचि दिखाने की दोषी महसूस करती हूँ। मुझे लगता है कि प्रकृति में मेरी रुचि और उसे निहारना कहीं अनुचित तो नहीं है? फिर मुझे स्मरण हो आता है कि हमारे प्रभु यीशु और उसके अनुयायियों ने प्रकृति का उपयोग शिक्षा देने के लिए किया है। उदाहरणस्वरूप, लोगों को अपनी आवश्यकताओं के लिए चिंतित होने की बजाए परमेश्वर पर भरोसा रखना सिखाने के लिए प्रभु यीशु ने साधारण से जंगली सोसन के फूलों का उपयोग किया। प्रभु ने अपने चेलों से कहा, "जंगली सोसनों पर ध्यान करो" और उन्हें स्मरण करवाया कि ये फूल कोई भी परिश्रम नहीं करते, फिर भी उनकी सुन्दरता देखते ही बनती है। प्रभु ने निष्कर्ष दिया कि यदि परमेश्वर थोड़े ही समय रहने वाले उन जंगली फूलों का इतना ध्यान रखता है, उन्हें वैभव देता है, तो अवश्य ही वह हमारे लिए इससे कहीं बढ़कर क्यों ना करेगा? (मत्ती 6:28-34)

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अन्य भाग भी हमें सिखाते हैं कि परमेश्वर अपनी सृष्टि में होकर भी अपने आप को हम मनुष्यों पर प्रकट करता है:
  •    दाऊद ने लिखा, "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है" (भजन 19:1-2)।
  •    आसाप ने कहा, "और स्वर्ग उसके धर्मी होने का प्रचार करेगा क्योंकि परमेश्वर तो आप ही न्यायी है" (भजन 50:6)।
  •    पौलुस ने बताया, "क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं" (रोमियों 1:20)।


   परमेश्वर हम से इतना प्रेम करता है, और इतना चाहता है कि हम उसे जानें, कि जहाँ-जहाँ हमारी दृष्टि जा सकती है, वहाँ-वहाँ सृष्टि में उसने अपने बारे में प्रमाण रख दिए हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर की सृष्टि और प्रकृति उसके बारे में अनेक पाठ हमें पढ़ाती है।

हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है। - भजन 104:24

बाइबल पाठ: मत्ती 6:25-34
Matthew 6:25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं? 
Matthew 6:26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते। 
Matthew 6:27 तुम में कौन है, जो चिन्‍ता कर के अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है 
Matthew 6:28 और वस्‍त्र के लिये क्यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं। 
Matthew 6:29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था। 
Matthew 6:30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा? 
Matthew 6:31 इसलिये तुम चिन्‍ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे? 
Matthew 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए। 
Matthew 6:33 इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। 
Matthew 6:34 सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 17-19
  • मरकुस 6:30-56


गुरुवार, 26 मार्च 2015

पिता की सृष्टि


   कॉलेज से अपने स्नात्क होने से पूर्व के वर्ष में अमान्डा का दृष्टिकोण इस पृथ्वी के प्रति एक मसीही विश्वासी की ज़िम्मेदारी को लेकर बदलने लगा। उस समय तक अमान्डा की धारणा रही थी कि प्रभु यीशु के साथ उसके संबंध का पृथ्वी के पर्यावरण के प्रति उसकी ज़िम्मेदारी से कुछ लेना-देना नहीं है। लेकिन अमान्डा ने इस विषय पर पुनःविचार करना तब आरंभ किया जब उसके सामने यह प्रश्न रखा गया कि एक मसिही विश्वासी का इस पृथ्वी की देखरेख तथा संभाल में क्या योगदान हो सकता है - विशेषकर उन लोगों के संदर्भ में जो सबसे ज़रुरतमन्द हैं और अनेक ऐसे संसाधानों से वंचित हैं जिनकी अनेक उन्नत देशों में बरबादी या दुरुपयोग हो रहा है।

   अमान्डा ने पहचाना कि इस सुन्दर संसार के प्रति, जिसे हमारे परमेश्वर पिता ने बना कर हमें दिया है, एक भण्डारीपन है। इस संसार की सभी वस्तुओं और इसके लोगों के प्रति हमारी देखभाल और संभाल परमेश्वर के प्रति हमारी श्रद्धा को प्रगट करता है। यह बात परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए दो सिद्धांतों पर आधारित है।

   पहला सिद्धांत यह कि पृथ्वी परमेश्वर की है (भजन 24:1-2)। भजनकार ने परमेश्वर की इस सृष्टि के लिए और उसके स्वामित्व के लिए प्रशंसा करी - आकाशमण्डल, पृथ्वी और उन में का सब कुछ परमेश्वर का ही है, उसी ने सब कुछ को सृजा है। इन सब पर परमेश्वर का प्रभुत्व है (भजन 93:1-2) और वह इन सबकी परवाह तथा देखभाल करता है (मत्ती 6:26-30)।

   दूसरा सिद्धांत यह कि परमेश्वर ने इस पृथ्वी की देखरेख का दायित्व मनुष्य को सौंपा है (उत्पत्ति 1:26-28), और इस दायित्व में लोगों के प्रति ज़िम्मेदारी (रोमियों 15:2) और प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदारी (लैव्यवस्था 25:2-5, 11; नीतिवचन 12:10) दोनों ही आ जाते हैं।

   हम मसीही विश्वासियों को कभी इस तथ्य को नज़रन्दाज़ नहीं करना चाहिए कि यह सृष्टि हमारे परमेश्वर पिता की है। इस सृष्टि की देखभाल और परवाह कर के हम अपने पिता के प्रति अपने प्रेम और आदर को प्रगट करते हैं। - मार्विन विलियम्स


सृष्टि के साथ दुर्व्यवहार सृष्टिकर्ता का अपमान है।

पृथ्वी और जो कुछ उस में है यहोवा ही का है; जगत और उस में निवास करने वाले भी। - भजन 24:1

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:26-31
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। 
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। 
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो। 
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं: 
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया। 
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 22-24
  • लूका 3



शुक्रवार, 28 मार्च 2014

खूबसूरत पल


   कैमरे के बटन के दबते ही वह खूबसूरत पल हमेशा के लिए कैद हो गया। ढलती गर्मियों का सूरज तट पर आकर टूट रही लहरों पर प्रतिबिंबित होकर उन्हें सुनहरी कर रहा था, ऐसा लग रहा था मानो पिघला हुआ सोना अटखेलियाँ कर रहा हो। यदि मेरा मित्र अपने कैमरे के साथ वहाँ ना होता तो वह लहर और उस की सुन्दरता बिना किसी के ध्यान में आए ऐसे ही चली जाती, जैसे ना जाने इससे पहले कितनी लहरें तट से टकराकर लौट चुकी थीं और अनगिनित अन्य भी आएंगी और लौट जाएंगी। उनकी सुन्दरता बस उनका रचियता परमेश्वर ही देखने पाता है।

   संसार भर के अनगिनित जलाशयों तथा समुद्रों के अनगिनित तटों पर ऐसे ही अनगिनित लहरें अटखेलियाँ करती रहती हैं, प्रत्येक लहर अपने आप में अद्वितीय है, हर एक में होकर परमेश्वर साधारण तथा सामान्य वस्तुओं से असाधारण और अविस्मर्णीय सुन्दरता प्रदर्शित करता है; जल और वायु से कला के अद्भुत नमूने बनाता है। ऊँचा आकाश, विशाल धरातल और जलाशय उसकी चित्रशाला हैं जहाँ हमें उसकी कलाकृतियाँ देखाई देती हैं। चाहे हम उसकी कला का प्रत्येक चमत्कार नहीं देख पाते, अधिकांशतः तो हमारे सामने आता ही नहीं, लेकिन जितना भी हम देखने पाते हैं वह उसकी विलक्षण क्षमता और सामर्थ का एहसास दिलाता है।

   केवल प्रकृति ही परमेश्वर की चित्रशाला नहीं है, एक और माध्यम है जिस में होकर परमेश्वर ने अपने आप को प्रकट किया है - मानव! हम मानव भी साधारण सी वस्तु से बनाए गए हैं - मिट्टी, लेकिन हमारी रचना में उसने एक अन्य और असाधारण अंश जोड़ दिया है - अपनी श्वास  (उत्पत्ति 2:7)। जैसे कि जल की लहरें और मैदान के फूल, वैसे ही हमारे जीवन भी कुछ ही लोगों की नज़रों में आते हैं, सारे संसार के नहीं; लेकिन हमारे जीवन का हर पल परमेश्वर द्वारा बनाया गया खूबसूरत पल है, मानों परमेश्वर संसार से कह रहा हो, अपने सृष्टिकर्ता की ओर देखो और उसके प्रति समर्पित तथा आज्ञाकारी रहो क्योंकि केवल वही सिद्ध और केवल उस का वचन ही अटल है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


अपने सृष्टिकर्ता की आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत कर के ही हम उसके उद्देश्यों को पूरा करते हैं।

और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया। - उत्पत्ति 2:7

बाइबल पाठ: यशायाह 40:6-11
Isaiah 40:6 बोलने वाले का वचन सुनाई दिया, प्रचार कर! मैं ने कहा, मैं क्या प्रचार करूं? सब प्राणी घास हैं, उनकी शोभा मैदान के फूल के समान है। 
Isaiah 40:7 जब यहोवा की सांस उस पर चलती है, तब घास सूख जाती है, और फूल मुर्झा जाता है; नि:सन्देह प्रजा घास है। 
Isaiah 40:8 घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा।
Isaiah 40:9 हे सिय्योन को शुभ समचार सुनाने वाली, ऊंचे पहाड़ पर चढ़ जा; हे यरूशलेम को शुभ समाचार सुनाने वाली, बहुत ऊंचे शब्द से सुना, ऊंचे शब्द से सुना, मत डर; यहूदा के नगरों से कह, अपने परमेश्वर को देखो! 
Isaiah 40:10 देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ दिखाता हुआ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मजदूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है। 
Isaiah 40:11 वह चरवाहे की नाईं अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिये रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे धीरे ले चलेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 19-21


बुधवार, 19 मार्च 2014

प्रकृति और भजन


   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन संहिता के लेखकों को एक सुविधा थी - वे प्रकृति के बहुत समीप रहते थे इसलिए परमेश्वर की महिमा और प्रशंसा के लिए उन्हें उभारने को उनके सामने बहुत सी बातें रहती थीं। दाऊद ने अपना जीवन एक चरवाहे के रूप में आरंभ किया, फिर राजा शाऊल के आतंक से बचते रहने के लिए वह स्थान स्थान पर इस्त्राएल के विभिन्न इलाकों में छुपता फिरा। इसलिए यह कोई अनोखी बात नहीं है कि दाऊद के अनेक भजनों में प्रकृति के प्रति बहुत प्रेम और आदर दिखाई देता है। उसके भजनों में संसार अपने वास्तविक स्वरूप में नज़र आता है - संसार और प्रकृति के भिन्न भाग सब एक साथ मिलकर एक दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करते हुए और सब के सब एक इकाई के समान परमेश्वर के हाथों में, जो उनकी देखभाल करता है, स्थिर बने हुए।

   प्रकृति हमारी इन्द्रियों को उस अदृश्य और अद्भुत परमेश्वर की उपस्थिति का एहसास दिलाती है। वो परमेश्वर जिसने इतने विलक्षण और अद्भुत जीव जन्तु बनाकर स्थान स्थान पर रखे, जो स्लेटी पहाड़ों और भूरी धरती को हरे रंग के वृक्ष-वनसपति और चमकते तथा चटकीले रंग के फूलों से रंगीन कर देता है और फिर हर मौसम में उस रंग की छटा को बदलता रहता है - हम ऐसे परमेश्वर का आदर और आराधना कैसे ना करें? इन सब बातों से आनन्द विभोर हो कर भजनकार कहता है: "हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा का जयजयकार करो; उत्साहपूर्वक जयजयकार करो, और भजन गाओ" (भजन 98:4) और प्रकृति को भी संबोधित करता है: "नदियां तालियां बजाएं; पहाड़ मिलकर जयजयकार करें" (भजन 98:8)।

   आज का हमारा संसार परमेश्वर की महिमा और कला को उतनी भली भांति नहीं देख पाता, क्योंकि हम परमेश्वर की कलाकृति अर्थात प्रकृति से ना केवल दूर हो गए हैं, वरन प्राकृतिक सुन्दरता को नष्ट करके हमने उसके स्वरूप को बिगाड़ दिया है, लेकिन भजन संहिता में हम परमेश्वर की कला और महिमा का उत्साह वर्धक और प्रेर्णापूर्ण वर्णन पाते हैं जो हमें उसकी आराधना के लिए उभारता है। यदि परमेश्वर की आराधना के लिए आज आप अपने अन्दर भाव और शब्दों की कमी अनुभव करते हैं तो भजन संहिता में आईए - भाव और शब्द आपके लिए तैयार रखे हैं, आपको केवल उन में अपने आप को प्रवेश देना है और आराधना आपके अन्दर से निकल पड़ेगी। भजनकारों की इन कृतियों का प्रयोग कीजिए, इन भजनों के द्वारा परमेश्वर को आपके अन्दर के समीकरण सही बैठा लेने दीजिए। - फिलिप यैन्सी


आराधना में सृष्टि आनन्दपूर्वक मान लेती है कि परमेश्वर ही सृष्टिकर्ता है।

हे आकाश, ऊंचे स्वर से गा, क्योंकि यहोवा ने यह काम किया है; हे पृथ्वी के गहिरे स्थानों, जयजयकार करो; हे पहाड़ों, हे वन, हे वन के सब वृक्षों, गला खोल कर ऊंचे स्वर से गाओ! क्योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया है और इस्राएल में महिमावान होगा। - यशायाह 44:23

बाइबल पाठ: भजन 98
Psalms 98:1 यहोवा के लिये एक नया गीत गाओ, क्योंकि उसने आश्चर्यकर्म किए है! उसके दाहिने हाथ और पवित्र भुजा ने उसके लिये उद्धार किया है! 
Psalms 98:2 यहोवा ने अपना किया हुआ उद्धार प्रकाशित किया, उसने अन्यजातियों की दृष्टि में अपना धर्म प्रगट किया है। 
Psalms 98:3 उसने इस्राएल के घराने पर की अपनी करूणा और सच्चाई की सुधि ली, और पृथ्वी के सब दूर दूर देशों ने हमारे परमेश्वर का किया हुआ उद्धार देखा है।
Psalms 98:4 हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा का जयजयकार करो; उत्साहपूर्वक जयजयकार करो, और भजन गाओ! 
Psalms 98:5 वीणा बजा कर यहोवा का भजन गाओ, वीणा बजा कर भजन का स्वर सुनाओ। 
Psalms 98:6 तुरहियां और नरसिंगे फूंक फूंककर यहोवा राजा का जयजयकार करो।
Psalms 98:7 समुद्र और उस में की सब वस्तुएं गरज उठें; जगत और उसके निवासी महाशब्द करें! 
Psalms 98:8 नदियां तालियां बजाएं; पहाड़ मिलकर जयजयकार करें। 
Psalms 98:9 यह यहोवा के साम्हने हो, क्योंकि वह पृथ्वी का न्याय करने को आने वाला है। वह धर्म से जगत का, और सीधाई से देश देश के लोगों का न्याय करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 17-20


गुरुवार, 16 जनवरी 2014

पुस्तक


   अमेरीकी नागरिक जौन म्युइर (1838-1914) के पिता एक मसीही विश्वासी थे जो परमेश्वर के वचन बाइबल को कण्ठस्त करने पर बहुत ज़ोर देते थे। कहा जाता है कि किशोरावस्था तक जौन ने बाइबल का सम्पूर्ण नया नियम खण्ड और पुराने नियम खण्ड के अधिकांश भाग कण्ठस्त कर लिए थे और अपनी स्मरण शक्ति द्वारा ही उन्हें दोहरा सकता था।

   अपनी युवावस्था से ही जौन ने परमेश्वर की सृष्टि से विशेष प्रेम हो गया था और उसके दृष्टिकोण से प्रकृति परमेश्वर के बारे में जानने समझने का एक माध्यम थी। वह सृष्टि को "प्रकृति की पुस्तक" कहता था। जंगल और बियाबान में खोज करना उसे बहुत पसन्द था और अपनी इस खोज में वह पेड़-पौधों और जानवरों का एक ऐसे वातवरण में अध्ययन करने पाया जो सभ्यता और रिहायशी स्थानों के बढ़ते हुए दायरे से बाहर सीधे परमेश्वर के हाथों से उपलब्ध हुआ था। आगे चलकर जौन ने वन संरक्षण आन्दोलन का नेतृत्व किया और उसके प्रयासों का ही नतीजा था कि अमेरिका में कई राष्ट्रीय उद्यान बने जहां वनस्पति और जानवर संरक्षित रहते हैं और सुरक्षित विचरण कर सकते हैं, फल-फूल सकते हैं।

   परमेश्वर का ज्ञान हमें बाइबल से प्राप्त होता है इसलिए परमेश्वर में रुचि रखने वालों के लिए बाइबल का अध्ययन अनिवार्य है। बाइबल से ही हम सीखते हैं कि परमेश्वर ने अपने अन्देखे गुण अपनी सृष्टि में प्रगट किए हैं, इसलिए परमेश्वर की सृष्टि का अध्ययन और उसकी देखभाल भी परमेश्वर से प्रेम रखने वालों के लिए आवश्यक है। सृष्टि परमेश्वर की एक और पुस्तक है जहाँ शब्द और अक्षर नहीं वरन परमेश्वर की कारीगरी उसके गुणों का बयान करती है।

   परमेश्वर की दोनों पुस्तकों, बाइबल और सृष्टि, को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लीजिए, उनका अध्ययन और पालन करते रहिए; आपका जीवन आशीषित हो जाएगा। - डेनिस फिशर


सृष्टि रूपी परमेश्वर की पुस्तक से हम अनेक बहुमूल्य पाठ सीख सकते हैं।

क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। - रोमियों 1:20

बाइबल पाठ: रोमियों 1:18-24
Romans 1:18 परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं। 
Romans 1:19 इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। 
Romans 1:20 क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। 
Romans 1:21 इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। 
Romans 1:22 वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए। 
Romans 1:23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
Romans 1:24 इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उन के मन के अभिलाषाओं के अुनसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 1-4


मंगलवार, 18 सितंबर 2012

समझ से बाहर


   अमेरिका के मध्य-पश्चिम इलाके के जंगलों और बहते पानी के सोतों के आस-पास रहने और बड़े होने से उस इलाके के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा वन्य-जीवन से मैं सदा ही बहुत प्रभावित रहा हूँ। परन्तु हाल ही में कैलिफोर्निया के समुद्र-तट पर अपनी एक यात्रा में बड़े बड़े समुद्री जीव-जन्तुओं के दृश्यों और समुद्र में उनकी अटखेलियों तथा कैलिफोर्निया के अति विशाल रेडवुड पेड़ों के जंगल को देखकर मैं मन्त्र-मुग्ध सा रह गया। यह सब, जो परमेश्वर द्वारा रचि गयी प्रकृति के लाखों जीव-जन्तुओं और उनके आपसी ताल-मेल के साथ रहने और बढ़ने के कुछ नमूने ही हैं, हमें परमेश्वर की बुद्धि और समझ-बूझ का आभास देते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, प्रकृति की अनुपम जटिल विविधता और सौन्दर्यता का उद्देश्य केवल विसमय उत्पन्न करना ही नहीं है। प्रकृति के रहस्य हमें परमेश्वर के कार्य करने के तरीकों को भी दिखाते और समझाते हैं और कई बार किसी किसी के जीवन में बयान और समझ से बाहर तकलीफों और परेशानियों को भी आ लेने देने को समझने में सहायता करते है।

   इसका एक उदाहरण हम अय्युब की गाथा में पाते हैं। जब अय्युब को अपनी उन तकलीफों का सामना करना पड़ रहा था तब वह नहीं जानता था कि परमेश्वर उसका और उसके विश्वास का इतना आदर करता है कि उसने शैतान को उसे और परमेश्वर में उसके विश्वास को तकलीफों और नुकसानों के द्वारा परखने की अनुमति दी है, क्योंकि परमेश्वर जानता था कि अय्युब उन सब में खरा उतरेगा और उसका विश्वास डगमगाएगा नहीं।

   अय्युब की गाथा के अध्ययन के बाद जो निष्कर्ष निकल कर सामने आता है वह यह है कि वह सृष्टिकर्ता जिसके पास प्रकृति के अचरज बनाने की समझ-बूझ है, उसके पास हमारी अपनी समझ से बाहर तकलीफों को हमारे जीवन में आने देने के उद्देश्यों और कारणों की भी समझ है और हम उसपर इन सब बातों में भी पूरा पूरा भरोसा रख सकते हैं।

   अपनी परीक्षा के अंत में, अय्युब अपनी स्वधार्मिकता के छल को और परमेश्वर की पवित्रता को और भी बेहत्र समझने पाता है और परमेश्वर के सामने नतमस्तक, अय्युब कहता है: "मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती। मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ" - (अय्युब ४२:२,५,६)। 

   समझ से बाहर अपनी परिस्थितियों और क्लेषों में भी अय्युब के समान ही हम भी अपने परमेश्वर में ऐसा ही विश्वास रख सकते हैं; क्योंकि चाहे जो कुछ भी क्यों ना हो जाए, वह जो करेगा हमारे भले ही के लिए करेगा। - मार्ट डी हॉन


प्रकृति और जीवन के अचरज प्रकृति और जीवन के सृष्टिकर्ता परमेश्वर को जानने और उसकी आराधना करने को प्रेरित करते हैं।

मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ। - (अय्युब ४२:५-६)

बाइबल पाठ: अय्युब ३६:२२-३३
Job 36:22  देख, ईश्वर अपने सामर्ध्य से बड़े बड़े काम करता है, उसके समान शिक्षक कौन है? 
Job 36:23  किस ने उसके चलने का मार्ग ठहराया है? और कौन उस से कह सकता है, कि तू ने अनुचित काम किया है? 
Job 36:24  उसके कामों की महिमा और प्रशंसा करने को स्मरण रख, जिसकी प्रशंसा का गीत मनुष्य गाते चले आए हैं। 
Job 36:25  सब मनुष्य उसको ध्यान से देखते आए हैं, और मनुष्य उसे दूर दूर से देखता है। 
Job 36:26  देख, ईश्वर महान और हमारे ज्ञान से कहीं परे है, और उसके वर्ष की गिनती अनन्त है। 
Job 36:27  क्योंकि वह तो जल की बूंदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह होकर टपकती हैं, 
Job 36:28  वे ऊंचे ऊंचे बादल उंडेलते हैं और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं। 
Job 36:29  फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मणडल में का गरजना समझ सकता है? 
Job 36:30  देख, वह अपने उजियाले को चहुँ ओर फैलाता है, और समुद्र की थाह को ढांपता है। 
Job 36:31  क्योंकि वह देश देश के लोगों का न्याय इन्हीं से करता है, और भोजन-वस्तुएं बहुतायत से देता है। 
Job 36:32  वह बिजली को अपने हाथ में लेकर उसे आज्ञा देता है कि दुश्मन पर गिरे। 
Job 36:33  इसकी कड़क उसी का समाचार देती है पशु भी प्रगट करते हैं कि अन्धड़ चढ़ा आता है।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ३०-३१ 
  • २ कुरिन्थियों ११:१-१५

रविवार, 19 अगस्त 2012

प्रेर्णा स्त्रोत


   पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में मोज़ार्ट का नाम उनकी संगीत की अद्भुत प्रतिभा के लिए विख्यात है। अपनी एक संगीत रचना के लिए उन्हें प्रेर्णा एक पक्षी के चहचहाने से मिली। उनके पास एक पाला हुआ पक्षी था, जिसके चहचहाने की धुन से वे इतना प्रभावित हुए कि उस चहचहाने की आवाज़ में जो धुन उन्हें सुनाई दी, उसपर आधारित करके उन्होंने एक संगीत खण्ड की रचना कर डाली।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि भजनकार भी पक्षियों और प्रकृति से प्रभावित हुए, और उनके गुणों से प्रेर्णा पाकर परमेश्वर की आराधना के भजन लिखे। भजन १०४ का लेखक परमेश्वर की स्तुति करता है संसार के जीवित प्राणियों के लिए और उसके द्वारा उनकी देखभाल के लिए। आकाश में उड़ते और पेड़ों की शाखाओं पर बैठकर गाते पक्षी तथा प्रकृति ने भजनकार के मन को परमेश्वर की आराधना से भर दिया। पूरा भजन १०४ सृष्टि में विदित परमेश्वर के कार्यों पर लिखा गया है और उसकी आराधना के लिए प्रेरित करता है।

   सृष्टि में जो अद्भुत बातें हम देखते हैं, वे हमें सृष्टिकर्ता के अद्भुत व्यक्तित्व और सामर्थ को स्मरण कराती हैं। यह विष्य-वस्तु परमेश्वर के वचन में बार बार दोहराई गई है। भजन १९ के लेखक ने लिखा "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है" (भजन १९:१)। सृष्टि से सृष्टिकर्ता की आराधना की प्रेर्णा केवल दिखाई देने वाली वस्तुओं से ही नहीं मिलती, सृष्टि में फैले संगीत से भी उसकी आराधना की प्रेर्णा मिलती है। अपने प्रतिदिन के कार्यों में हम अपने आस-पास परमेश्वर द्वारा विभिन्न जीव-जन्तुओं और प्रकृति में डाले गए संगीत को सुन सकते हैं, जो फिर हमारे लिए सृष्टिकर्ता की आराधना करने की प्रेर्णा का स्त्रोत बन जाता है। - डेनिस फिशर


समस्त सृष्टि एक महान संगीत मण्डली है जिसका संचालक परमेश्वर है।

उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं। - भजन १०४:१२

बाइबल पाठ: भजन १०४:१-१३
Psa 104:1  हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू वैभव और ऐश्वर्य का वस्त्र पहिने हुए है, 
Psa 104:2  जो उजियाले को चादर की नाई ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है, 
Psa 104:3  जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है, 
Psa 104:4  जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है।
Psa 104:5  तू ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए। 
Psa 104:6  तू ने उसको गहिरे सागर से ढांप दिया है जैसे वस्त्र से; जल पहाड़ों के ऊपर ठहर गया। 
Psa 104:7  तेरी घुड़की से वह भाग गया; तेरे गरजने का शब्द सुनते ही, वह उतावली करके बह गया। 
Psa 104:8  वह पहाड़ों पर चढ़ गया, और तराईयों के मार्ग से उस स्थान में उतर गया जिसे तू ने उसके लिये तैयार किया था। 
Psa 104:9  तू ने एक सिवाना ठहराया जिसको वह नहीं लांघ सकता है, और न फिर कर स्थल को ढांप सकता है।
Psa 104:10  तू नालों में सोतों को बहाता है; वे पहाड़ों के बीच से बहते हैं, 
Psa 104:11  उन से मैदान के सब जीव- जन्तु जल पीते हैं; जंगली गदहे भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं। 
Psa 104:12  उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं। 
Psa 104:13  तू अपनी अटारियों में से पहाड़ों को सींचता है तेरे कामों के फल से पृथ्वी तृप्त रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १०३-१०४ 
  • १ कुरिन्थियों २

शनिवार, 29 जनवरी 2011

सृष्टि की पाठशाला, परमेश्वर के अनपहचाने करिशमे

एक इंजीनियर श्री टी. सी. रोडी ने लिखा, "मेरे घर के आंगन में छः विशाल Oak (बांज) वृक्ष हैं जो १०० वर्ष से भी अधिक पुराने होंगे। उनके तले से लेकर चोटी तक के प्रत्येक पत्ते को हरा भरा रखने के लिये प्रतिदिन भारी मात्रा में उन तक पानी पहुंचाने की आवश्यक्ता होती है। एक इंजीनियर होने के नाते मैं जानता हूं कि मनुष्य द्वारा अभिकल्पित अथवा निर्मित ऐसा कोई भी पानी चढ़ाने का पम्प नहीं है जो इतना पानी इन पेड़ों के सघन लकड़ी के तने में से होकर इतनी ऊँचाई तक प्रवाहित कर सके, और वह भी लगातार, अविराम, बिना किसी खराबी या रखरखाव की आवश्यक्ता के। यदि पानी के प्रवाह में तने की लकड़ी के प्रतिरोध को ना भी लिया जाए, तो भी प्रत्येक पेड़ की जड़ों को ज़मीन से चोटी तक पानी चढाने के लिये ३,००० पौंड प्रति वर्ग फुट से अधिक के दबाव को पार करना होगा। लेकिन फिर भी यह परमेश्वर का अद्भुत करिशमा है कि जड़ें इतना पानी जमा भी करतीं हैं और उसे प्रत्येक पत्ते तक भी पहुंचाती हैं, बिल्कुल शांत और सहज रीति से, और हमें पता भी नहीं चलता।"

यह परमेश्वर के अनपहचाने करिशमों का केवल एक उदाहरण है। ऐसे न जाने कितने, और इससे भी न जाने कितने जटिल और कई उदाहरण सृष्टि की पाठशाला में विद्यमान हैं। परमेश्वर के इन्हीं अनपहचाने करिशमों के कारण हमारा जीवन प्रतिदिन पृथ्वी पर संभव है। प्रतिदिन परमेश्वर हमें अनगिनित आशीशों से नवाज़ता है और हम उन्हें ’प्रकृति के कार्य’ कह कर हलके में टाल जाते हैं, परमेश्वर को धन्यवाद देना तो दूर, बहुतेरे तो उसके असतित्व से ही इन्कार कर जाते हैं। लेकिन परमेश्वर का धैर्य और प्रेम फिर भी सबके प्रति बना रहता है और वह जीवन की आवश्यक्ताएं प्रदान करता रहता है।

प्रकृति परमेश्वर में हमारे विश्वास को बढ़ाती है। हज़ारों साल पहले परमेश्वर ने बुज़ुर्ग और निसन्तान अब्राहम से कहा कि आकाश की ओर देख और सितारों की संख्या पर ध्यान दे, जैसे तारे अनगिनित हैं वैसे ही तेरे वंश के लोग भी अनगिनित होंगे। वह बुज़ुर्ग समझ गया कि जो परमेश्वर उन अनगिनित सितारों को बना और चला सकता है, उस परमेश्वर के लिये उसकी बुज़ुर्गी में पुत्र देना कोई कठिन कार्य नहीं है। अब्राहम ने परमेश्वर की बात पर विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया। अब्राहम और उसकी पत्नि के बुढापे में उन्हें सन्तान हुई और आज उसका वंश इस्त्राएल के रूप में जाना जाता है।

जब कभी अपनी किसी समस्या के समाधान के लिये परमेश्वर पर विश्वास करना कठिन हो रहा हो तो सृष्टि की पाठशाला में जा कर प्रकृति के सृजनकर्ता और संचलाक परमेश्वर के अद्भुत कार्यों पर ध्यान कीजिए। विचार कीजिए कि जो इतना सब इतनी सहजता से बना और चला सकता है, उसके लिये आपकी समस्या क्या कठिन है? फिर अपने बच्चोंके लिये उसके वचन और हमारी पाठ्य पुस्तक - पवित्र शास्त्र बाइबल में दिये गये उसके वायदों और आश्वासनों को स्मरण कीजिए, आपका विश्वास स्वतः ही जाग उठेगा और चिंताएं जाती रहेंगीं। - डेनिस डी हॉन


जो कुछ मैं ने देखा है वह सब मुझे मेरे सृष्टिकर्ता परमेश्वर पर प्रत्येक अन्देखी बात के लिये भी विश्वास रखने को प्रेरित करता है। - एमरसन

और उस ने उसको बाहर ले जा के कहा, आकाश की ओर दृष्टि कर के तारागण को गिन, क्या तू उनको गिन सकता है ? फिर उस ने उस से कहा, तेरा वंश ऐसा ही होगा। - उत्पत्ति १५:५


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १५:१-६

इन बातों के पश्चात्‌ यहोवा को यह वचन दर्शन में अब्राम के पास पहुंचा, कि हे अब्राम, मत डर; तेरी ढाल और तेरा अत्यन्त बड़ा फल मैं हूं।
अब्राम ने कहा, हे प्रभु यहोवा मैं तो निर्वंश हूं, और मेरे घर का वारिस यह दमिश्की एलीएजेर होगा, सो तू मुझे क्या देगा ?
और अब्राम ने कहा, मुझे तो तू ने वंश नहीं दिया, और क्या देखता हूं, कि मेरे घर में उत्पन्न हुआ एक जन मेरा वारिस होगा।
तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा, कि यह तेरा वारिस न होगा, तेरा जो निज पुत्र होगा, वही तेरा वारिस होगा।
और उस ने उसको बाहर ले जा के कहा, आकाश की ओर दृष्टि कर के तारागण को गिन, क्या तू उनको गिन सकता है? फिर उस ने उस से कहा, तेरा वंश ऐसा ही होगा।
उस ने यहोवा पर विश्वास किया और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २१-२२
  • मत्ती १९