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रविवार, 11 अगस्त 2019

काश...



      हम कार-पार्किंग के स्थान से निकल रहे थे और मेरे पति ने साइकिल चला कर आ रही एक युवती को पहले निकलने देने के लिए कार को धीमा किया, और उसे संकेत किया कि वह पहले निकल जाए। उस युवती ने मुस्कुरा कर अभिनंदन में हमारी ओर हाथ हिलाया और आगे निकल गई; किन्तु अगले ही पल एक अन्य कार के चालाक ने बिना ध्यान किए अपनी कार का दरवाज़ा खोला और वह युवती उससे टकरा कर गिर गई। उसकी साइकिल टेढ़ी हो गई, उसकी टांगों से खून बहने लगा और वह रोती हुई अपनी तथा अपनी साइकिल की दशा को देखने लगी।

      बाद में हम उस दुर्घटना पर विचार कर रहे थे – ‘काश हमनें उसे पहले निकलने न दिया होता...’; ‘काश उस दूसरी गाड़ी के चालाक ने सावधानी बर्ती होती और देखने के बाद ही दरवाज़ा खोला होता...’। कठिनाइयों के समय में हम बातों और कार्यों के अनुमान लगाने के चक्कर में पड़ जाते हैं – ‘काश मैंने पहले ध्यान किया होता कि मेरा बच्चा ऐसे बच्चों की संगति में है जो नशा करते है...;काश हमें पहले पता चल जाता कि कैंसर है...’।

      जब अप्रत्याशित परेशानियां आती हैं, तो कभी-कभी हम परमेश्वर और उसकी भलाई पर भी प्रश्न-चिन्ह लगाने लगते हैं। हम भी उसी निराशा का अनुभव करते हैं जो परमेश्वर के वचन बाइबल में मरियम और मार्था ने अपने भाई लाज़रस की मृत्यु पर अनुभव की थी; ‘काश कि प्रभु यीशु पहले आ जाते, जैसे ही उन्हें पता चला कि लाज़रस बीमार है (यूहन्ना 11:21, 32)।

      मरियम और मार्था के समान हम भी सदा ही यह नहीं समझने पाते हैं कि हमारे साथ ही कठिनियाँ क्यों हो रही हैं। परन्तु हम इस बात में भरोसा रख सकते और आश्वस्त रह सकते हैं कि उन सब बातों में होकर परमेश्वर अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर रहा है, हमारे लिए भलाई कर रहा है। हर परिस्थिति और परेशानी में हम अपने विश्वासयोग्य और प्रेमी पिता परमेश्वर की बुद्धिमत्ता पर भरोसा रख सकते हैं, और ‘काश...’ की प्रवृत्ति से बच कर संतुष्ट रह सकते हैं। - सिंडी हैस कैस्पर


रौशनी के समय में परमेश्वर पर विश्वास करना छोटी बात है;
 अन्धकार में उस पर अपने विश्वास को बनाए रखना ही सच्चा विश्वास है – स्पर्जन

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: यूहन्ना 11:21-35
John 11:21 मारथा ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।
John 11:22 और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।
John 11:23 यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा।
John 11:24 मारथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्‍तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।
John 11:25 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
John 11:26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?
John 11:27 उसने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।
John 11:28 यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है।
John 11:29 वह सुनते ही तुरन्त उठ कर उसके पास आई।
John 11:30 (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मारथा ने उस से भेंट की थी।)
John 11:31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्‍ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये।
John 11:32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।
John 11:33 जब यीशु न उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?
John 11:34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले।
John 11:35 यीशु के आंसू बहने लगे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 81-83
  • रोमियों 11:19-36