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बुधवार, 24 मार्च 2010

साधारण दिन

एक लेखिका अनीता ब्रेक्बिल एक पत्रिका में लिखती है कि "अकसर परमेश्वर के वचन का प्रकाशन किसी व्यक्ति के पास जीवन के साधारण कर्तव्यों का पालन करते हुए ही आता है।" वह परमेश्वर के वचन में से दो उदाहरण देती है - ज़कर्याह अपने याजक होने के काम को कर रहा था, और चरवाहे अपनी भेड़ों की रखवाली कर रहे थे। वे रोज़ की तरह ही अपने अपने कामों में लगे थे, इस बात से अन्जान कि उस दिन परमेश्वर उन्हें कोई सन्देश भेजने वाला है।

लूका उनकी उस समय की दिनचर्या का वर्णन करता है, जब परमेश्वर का वचन उनके पास आया: "जब (ज़कर्याह) अपने दल की पारी पर परमेश्वर के सामने याजक का काम करता था,...तब एक स्वर्गदूत...उसको दिखाई दिया" (लूका १:८,११)। "चरवाहे मैदान में रहकर अपने झुंड का पहरा देते थे...तब प्रभु का एक दूत उनके पास आ खड़ा हुआ, प्रभु का तेज उनके चारों ओर चमका" (लूका २:८,९)।

ओस्वॉल्ड चैम्बर्स अपनी एक पुस्तक में लिखते हैं: "बहुत कम ऐसा होता है कि यीशु हमारी आशा अथवा इच्छा के अनुसार हमारे पास आता है; लेकिन अकसर वह तब आ जाता है जब हमें उसकी आशा भी नहीं होती, या हमारी समझ के अनुसार परिस्थितियाँ उसके आने के अनुरूप नहीं होतीं। परमेश्वर का सेवक, परमेश्वर के प्रति खरा तभी रह सकता है जब वह उसके अनायास आगमन के लिये सदा तैयार रहे।"

यदि आप सुनने और मानने को तैयार हैं, तो आज आपकी साधारण दिनचर्या के निर्वाह में भी प्रभु प्रोत्साहन, मार्गदर्शन या निर्देश का कोई वचन आपको दे सकता है। - डेविड मैककैसलैंड


परमेश्वर उनसे बातें करता है जो उसके सामने शाँत रहते हैं।


बाइबल पाठ: लूका २:८-२०


प्रभु का एक दूत उनके पास आ खड़ा हुआ और प्रभु का तेज उनके चारों ओर चमका - लूका २:९


एक साल में बाइबल:
  • यहोशु १६-१८
  • लूका २:१-२४

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