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मंगलवार, 31 मई 2011

निराश को आशा

एक बहुप्रचलित धारणा है कि क्योंकि हमारे सारे दुखों का स्त्रोत अदन की वाटिका में हमारे आदि माता-पिता आदम और हव्वा द्वारा हुआ पाप है, इसलिए हमारी सभी व्याधियों की जड़ भी हमारा कोई पाप ही होगा। इसी धारणा के अन्तर्गत प्रभु यीशु के चेलों ने उस जन्म के अंधे को भी देखा, और यीशु से पूछा, "हे रब्‍बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्‍धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने?" लेकिन प्रभु के उत्तर ने उन्हें चौंका दिया और इस गलत धारणा की जड़ पर तीखा प्रहार किया, "यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया था, न इस के माता पिता ने: परन्‍तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों।" (यूहन्ना ९:२, ३)

अधिकाँश शारीरिक रोग तो सामाजिक रीति से नीची नज़रों से नहीं देखे जाते, लेकिन मानसिक रोगों के विष्य में अभी भी गलत धारणाएं समाज में बसी हुई हैं। समाज अभी भी मानसिक रोग से ग्रसित मनुष्य को एक अति संकीर्ण मानसिकता के तहत तुच्छ जानता है, उसे तिरिस्करित रखता है और उसे ढंग से समझना नहीं चाहता। विवियन क्लार्क ने एक चर्चा के विष्य में लिखा जिसका मुद्दा था "क्या निराशा का मानसिक रोग एक मसीही विश्वासी के लिए पाप है?" एक व्यक्ति ने कहा, "अवश्य ही यह पाप है क्योंकि निराशा पवित्रआत्मा के एक फल - आनन्द, के विपरीत है, और दोनो एक साथ विद्यमान नहीं हो सकते।" दूसरे ने कहा, "किसी मसीही विश्वासी के लिए निराशा होकर रहना संभव ही नहीं है।" यह सब सुनकर उस चर्चा के लिए एकत्रित समूह में से एक उदास चेहेरे वाली महिला उठकर चली गई, कई दिन से वह निराश थी, और ऐसी टिप्पणियों ने उसकी निराशा को और बढ़ा दिया।

यह संभव है कि मानसिक परेशानियाँ किसी गलत व्यवहार, बुरी आदत या किसी पाप के कारण हों, लेकिन पाप किस से नहीं होता? हम सब परमेश्वर के नियमों का उल्लंघन करने के दोषी हैं, लेकिन सभी तो मानसिक रोगों से ग्रस्त नहीं हो जाते। मानसिक रोगों के कारण बहुत जटिल और विविध हैं; सब को संकीर्ण नज़रिये से देखकर एक ही बात के आधीन कर देना कदापि सही नहीं है।

प्रत्येक मसीही विश्वासी को अपने प्रति प्रभु के लगातार बने रहने वाले अनुग्रह और धैर्य को ध्यान में रखते हुए किसी मानसिक रोगी या निराश व्यक्ति को देखकर उसपर तुरंत किसी पाप का दोष नहीं मढ़ देना चाहिए।

निराश को आशा देने के लिए उसके साथ सहानुभुति और प्रेम का व्यवहार करना चाहिए और प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए कि, "हे प्रभु मैं इस व्यक्ति के जीवन में आपका कार्य कर सकूँ, इसके मन में आपकी शाँति पहुँचा सकूँ, मुझे ऐसी बुद्धि और सामर्थ दें।" - डेनिस डी हॉन


अनुकंपा किसी दूसरे के दुख को हर लेने के लिए हर संभव प्रयास करती है।

हे रब्‍बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्‍धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने? - यूहन्ना ९:२


बाइबल पाठ: यूहन्ना ९:१-११

Joh 9:1 फिर जाते हुए उस ने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म का अन्‍धा था।
Joh 9:2 और उसके चेलों ने उस से पूछा, हे रब्‍बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्‍धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने?
Joh 9:3 यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया था, न इस के माता पिता ने: परन्‍तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों।
Joh 9:4 जिस ने मुझे भेजा है हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता।
Joh 9:5 जब तक मैं जगत में हूं, तब तक जगत की ज्योति हूं।
Joh 9:6 यह कहकर उस ने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अन्‍धे की आंखों पर लगा कर।
Joh 9:7 उस से कहा जा शीलोह के कुण्‍ड में धो ले, (जिस का अर्थ भेजा हुआ है) सो उस ने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया।
Joh 9:8 तब पड़ोसी और जिन्‍होंने पहले उसे भीख मांगते देखा था, कहने लगे क्‍या यह वही नहीं, जो बैठा भीख मांगा करता था?
Joh 9:9 कितनों ने कहा, यह वही है: औरों ने कहा, नहीं परन्‍तु उसके समान है: उस ने कहा, मैं वही हूं।
Joh 9:10 तब वे उस से पूछने लगे, तेरी आंखें क्‍योंकर खुल गईं?
Joh 9:11 उस ने उत्तर दिया, कि यीशु नाम एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी, और मेरी आंखों पर लगा कर मुझ से कहा, कि शीलोह में जाकर धो ले; सो मैं गया, और धोकर देखने लगा।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १३-१४
  • यूहन्ना १२:१-२६

सोमवार, 30 मई 2011

विश्वास की भविष्यवाणी

एक लंबी और कठिन शीत ऋतु के बाद बसन्त के सुखदायी, साफ आसमान और चमकती धुप के दिन आरंभ हुए। ऐसे में ध्रुवीय ठंडी हवाओं से भरा एक तूफान आया, और ऐसा लगने लगा कि शीत ऋतु फिर से आरंभ हो गई है। जो बन्द घरों में रहना पसन्द नहीं करते, वे घबराने लगे; जो आंगन में बार बार जमने वाली बर्फ को साफ करते करते थक चुके थे वे फिर इसी काम में लगने के विचार से पस्त होकर अपनी कुर्सियों पर पसर गए और घर गर्म रखने के खर्च का अन्दाज़ लगाने लगे। हर तरफ निराशा का माहौल था, लेकिन दुबारा ठंडा हो जाने पर किसी ने भी यह निश्कर्ष नहीं निकाला कि सदियों से चला आ रहा मौसम बदलने का क्रम आक्समत ही रुक गया है या बदल गया है, और न ही किसी ने कहा कि पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर घूमने की दिशा उलट गई है। पुनः ठंडे हुए मौसम से निराश होने वालों ने जब बीते समयों का ध्यान किया तो उनको याद आया कि बदलती ऋतु में ऐसे ठंडे तूफान पहले भी आए हैं, और वे आश्वस्त हो गए कि बसन्त ऋतु फिर शीघ्र ही अपनी पूरी बहार में आ जाएगी।

ऐसे ही जब हम अपनी बीते समयों की आशीशों को ध्यान करते हैं तो हमें वर्तमान में आशा और आते समय के लिए हिम्मत मिलती है। भजन ७७ का लेखक निराशा में इतना धंस चुका था कि अब उसे कोई आशा नहीं रही थी, उसकी नींद जाती रही थी और वह अपनी दशा के बारे में किसी से कोई बात भी करना नहीं चाहता था। लेकिन फिर कुछ हुआ - उसने अपने पुरखाओं को स्मरण किया; उसे ध्यान आय कि वे भी घोर निराशाजनक परिस्थितियों से होकर निकले थे और परमेश्वर ने उन्हें सभी परिस्थितियों में न केवल सुरक्षित रखा, वरन उनसे सकुशल निकाला भी। अपने पुरखाओं के प्रति परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को स्मरण करने से भजन के लेखक का विश्वास भी पु्नर्जीवित हो गया।

परमेश्वर का वचन बाइबल हमें स्मरण दिलाती है कि विकट परिस्थितियों से होकर निकलने वाले हम प्रथम नहीं हैं। परमेश्वर के लोग सदा ही ऊँच-नीच का सामना करते रहे हैं और परमेश्वर उन्हें हर परिस्थिति से निकालता रहा है।

निराशा का अन्धकार कितना ही गहरा क्यों न हो, विश्वास की भविष्यवाणी सदा उज्जवल भविष्य ही की रहती है। - मार्ट डी हॉन


बीते समय में परमेश्वर से मिली भलाई और भविष्य के लिए उसकी प्रतिज्ञाएं हमें वर्तमान में आशा देती हैं।

मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दाहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं। - भजन ७७:१०


बाइबल पाठ: भजन ७७:१-१५

Psa 77:1 मैं परमेश्वर की दोहाई चिल्ला चिल्लाकर दूंगा, मैं परमेश्वर की दोहाई दूंगा, और वह मेरी ओर कान लगाएगा।
Psa 77:2 संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा, रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं।
Psa 77:3 मैं परमेश्वर का स्मरण कर कर के करहाता हूं, मैं चिन्ता करते करते मूर्छित हो चला हूं। (सेला)
Psa 77:4 तू मुझे झपकी लगने नहीं देता, मैं ऐसा घबराया हूं कि मेरे मुंह से बात नहीं निकलती।
Psa 77:5 मैंने प्राचीनकाल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है।
Psa 77:6 मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं:
Psa 77:7 क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा और फिर कभी प्रसन्न न होगा?
Psa 77:8 क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है?
Psa 77:9 क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उस ने क्रोध करके अपनी सब दया को रोक रखा है? (सेला)
Psa 77:10 मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं।
Psa 77:11 मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा।
Psa 77:12 मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा।
Psa 77:13 हे परमेश्वर तेरी गति पवित्राता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है?
Psa 77:14 अद्भुत काम करनेवाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।
Psa 77:15 तू ने अपने भुजबल से अपनी प्रजा, याकूब और यूसुफ के वंश को छुड़ा लिया है।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ११:३०-५७

रविवार, 29 मई 2011

परमेश्वर की चिंता

१९वीं सदी का विख्यात कवि विलियम कूपर यद्यपि मसीही विश्वासी था, तौ भी वह निराशा की गहराईयों में इतना उतर चुका था कि उसने आत्म हत्या करने की ठान ली। उसने एक कोहरे भरी रात में बघ्घी मंगवाई जिससे वह लंडन शहर की थेम्स नदी में डूबकर आत्म हत्या कर सके। घने कोहरे में दो घंटे तक बघ्घी चलाते रहने के पश्चात कोचवान ने कूपर से कबूल किया कि वह मार्ग भटक गया है और उसे अब पता नहीं है कि वह कहाँ है। इस देरी से खिसियाकर कूपर बघ्घी से उतर पड़ा, यह सोचकर कि अब वह स्वयं पैदल ही नदी का मार्ग ढूँढ लेगा। थोड़ी ही दूर चलकर उसने पाया कि वह अपने ही घर के दरवाज़े के सामने खड़ा है। तब कूपर को एहसास हुआ कि बघ्घी वहीं उसी इलाके के चक्कर लगाए जा रही थी; और उसने परमेश्वर के उसे विनाश से रोक लेने वाले हाथ को पहचाना।

परमेश्वर के आत्मा द्वारा कायल होकर कूपर ने जान लिया कि उसकी मुसीबतों से निकलने का मार्ग नदी में कूदना नहीं, परमेश्वर की ओर अपनी नज़र लगाना है। वह परमेश्वर के प्रति कृतज्ञाता से भर गय और उसने वहीं बैठकर अपनी कृतज्ञता का एक भजन परमेश्वर के लिए लिखा जो उस समय से आज तक अनगिनत लोगों के लिए सांत्वना और आशा का कारण रहा है। उस भजन के भाव इस प्रकार हैं: "परमेश्वर रहस्यमय ढंग से अपने अद्भुत कार्य करता है; वह समुद्र पर अपने पाँव जमाता और तूफान पर सवारी करता है; हे भयभीत संत, नई हिम्मत बाँध; जिन निराशा के बादलों से तू इतना भयभीत है वे तो वास्तव में करुणा से भरे हैं और परमेश्वर की आशीश बन कर तुझपर बरसेंगे।"

भजनकार ने लिखा है, "देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करूणा की आशा रखते हैं बनी रहती है, कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उनको जीवित रखे।" (भजन ३३:१८, १९)

इसीलिए प्रेरित पतरस ने लिखा, "परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्‍योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है" (१ पतरस ५:६, ७)।

हमारी आवश्यक्ताएं परमेश्वर की चिंता हैं और उनकी पूर्ति उसकी ज़िम्मेवारी। - हैनरी बौश



कोई जीवन आशा रहित नहीं है, जब तक मसीह को ही जीवन से न निकाल दिया गया हो।

देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करूणा की आशा रखते हैं बनी रहती है, कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उनको जीवित रखे। - भजन ३३:१८, १९


बाइबल पाठ: भजन ३४:१-२२

Psa 34:1 मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।
Psa 34:2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा, नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।
Psa 34:3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।
Psa 34:4 मैं यहोवा के पास गया, तब उस ने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
Psa 34:5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई और उनका मुंह कभी काला न होने पाया।
Psa 34:6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
Psa 34:7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उनको बचाता है।
Psa 34:8 परख कर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है।
Psa 34:9 हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!
Psa 34:10 जवान सिहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं, परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।
Psa 34:11 हे लड़कों, आओ, मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊंगा।
Psa 34:12 वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?
Psa 34:13 अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले।
Psa 34:14 बुराई को छोड़ और भलाई कर, मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर।
Psa 34:15 यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं।
Psa 34:16 यहोवा बुराई करने वालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मर्ण पृथ्वी पर से मिटा डाले।
Psa 34:17 धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है।
Psa 34:18 यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्वार करता है।
Psa 34:19 धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्त यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है।
Psa 34:20 वह उसकी हड्डी हड्डी की रक्षा करता है, और उन में से एक भी टूटने नहीं पाती।
Psa 34:21 दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा, और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे।
Psa 34:22 यहोवा अपने दासों का प्राण मोल लेकर बचा लेता है; और जितने उसके शरणागत हैं उन में से कोई भी दोषी न ठहरेगा।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ७-९
  • यूहन्ना ११:१-२९

शनिवार, 28 मई 2011

परमेश्वर पर आशा

रेडियो बाइबल क्लास के दफतर में एक पत्र आया जिस पर भेजने वाले ने न अपना नाम लिखा था और न उसका कोई पता था। पत्र में लिखा था कि, "जब तक यह पत्र आपके पास पहुँचेगा, मैं आत्म हत्या कर चुका होऊँगा। मैंने दो वर्ष पहले मसीह को ग्रहण किया था; कुछ समय से मेरा संसार मेरे चारों ओर बिखरता जा रहा है और अब मुझ में और सहने की शक्ति नहीं बची है। मैं अब पुनः बुरी आदतों में तो जा नहीं सकता और न ही फिर से बुरा बन सकता हूँ। मुझ में और परमेश्वर में दूरियाँ आ गई हैं....अब प्रभु ही मेरी सहायता करे।"

मसीही विश्वासी भी ऐसी घोर निराशा के शिकार हो सकते हैं कि वे अपने जीवन को ही समाप्त कर देना चाहें। १ राजा १९ अध्याय में हम पढ़ते हैं कि एलिय्याह शारीरिक और आत्मिक रीति से इतना थक गया कि उसने परमेश्वर से प्रार्थना करी कि वह उसके प्राण ले ले। यद्यपि यह आत्म हत्या नहीं है, लेकिन उसकी यह प्रार्थना वैसी ही निराशा से उत्पन्न हुई। लेकिन परमेश्वर ने एलिय्याह की प्रार्थना का उतर उसे निराशा से निकालने के द्वारा दिया। परमेश्वर ने एलियाह को भोजन और निद्रा द्वारा पहले विश्राम दिया, फिर उसकी शिकायत सुनी, फिर धीमी शाँत आवाज़ में उससे बात करके, उसे एक नया कार्य सौंप कर परमेश्वर ने उसे पुनः प्रोत्साहित किया और कोमलता से उसकी गलती को सुधारा।

घोर निराशा में पड़कर ही लोग आत्म हत्या करते हैं। उनके लिए सत्य का स्वरूप इतना बिगड़ चुका होता है कि वे अपने इस दुष्कार्य के स्वार्थ और पाप को पहचान नहीं पाते। लेकिन परमेश्वर उन्हें फिर से स्थापित करना चाहता है। उन्हें बहाल करने के लिए कभी कभी वह स्वयं ही उनसे बातें करता है, परन्तु अधिकांशतः वह अपने संवेदनशील और परवाह करने वाले लोगों को निराश जनों की सहायता के लिए भेजता है।

प्रभु यीशु मसीह ने कहा, "पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍तकाल तक न मरेगा; मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं, बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता" (युहन्ना ११:२५, २६; १४:६)। निराशा में पड़े लोगों को मसीह यीशु में मिलने वाली आनन्त आशा का सन्देश दे कर मसीह के प्रत्येक विश्वासी निराश लोगों की सहायता के लिए परमेश्वर की आशा बन सकते हैं। - डेनिस डी हॉन


जब हम विनाश के सबसे निकट होते हैं, परमेश्वर की सहायता भी हमारे सबसे निकट होती है।

वहां उस ने यह कह कर अपनी मृत्यु मांगी कि हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ। - १ राजा १९:४


बाइबल पाठ: १ राजा १९:१-१०

1Ki 19:1 तब अहाब ने ईज़ेबेल को एलिय्याह के सब काम विस्तार से बताए कि उस ने सब नबियों को तलवार से किस प्रकार मार डाला।
1Ki 19:2 तब ईज़ेबेल ने एलिय्याह के पास एक दूत के द्वारा कहला भेजा, कि यदि मैं कल इसी समय तक तेरा प्राण उनका सा न कर डालूं तो देवता मेरे साथ वैसा ही वरन उस से भी अधिक करें।
1Ki 19:3 यह देख एलिय्याह अपना प्राण लेकर भागा, और यहूदा के बेशॅबा को पहुंच कर अपने सेवक को वहीं छोड़ दिया।
1Ki 19:4 और आप जंगल में एक दिन के मार्ग पर जाकर एक झाऊ के पेड़ के तले बैठ गया, वहां उस ने यह कह कर अपनी मृत्यु मांगी कि हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ।
1Ki 19:5 वह झाऊ के पेड़ तले लेट कर सो गया और देखो एक दूत ने उसे छूकर कहा, उठकर खा।
1Ki 19:6 उस ने दृष्टि करके क्या देखा कि मेरे सिरहाने पत्थरों पर पकी हुई एक रोटी, और एक सुराही पानी धरा है; तब उस ने खाया और पिया और फिर लेट गया।
1Ki 19:7 दूसरी बार यहोवा का दूत आया और उसे छूकर कहा, उठकर खा, क्योंकि तुझे बहुत भारी यात्रा करनी है।
1Ki 19:8 तब उस ने उठकर खाया पिया, और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा।
1Ki 19:9 वहां वह एक गुफा में जाकर टिका और यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा, कि हे एलिय्याह तेरा यहां क्या काम?
1Ki 19:10 उस ने उत्तर दिया सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के निमित्त मुझे बड़ी जलन हुई है, क्योकि इस्राएलियों ने तेरी वाचा टाल दी, तेरी वेदियों को गिरा दिया, और तेरे नबियों को तलवार से घात किया है, और मैं ही अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ४-६
  • यूहन्ना १०:२४-४२

शुक्रवार, 27 मई 2011

ज्ञानवृद्धि का उद्देश्य

कुछ साल पहले मैं एक विद्यार्थी से चर्चा कर रहा था; उसका कहना था कि वह धर्म में बहुत रुचि रखता है, और धर्म के बारे में सब कुछ जान लेना चाहता है। जब मैंने उसके इस शौक के बारे में उससे थोड़ी गहराई से जानकारी ली तो पता चला कि वह केवल अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए ऐसा करना चाहता था। उसकी जिज्ञासा उसे यह जाने को उकसाती थी कि धर्म में आखिर ऐसा क्या है जिससे लोग उसमें आस्था रखते हैं, परन्तु उसके लिए परमेश्वर का कोई महत्व नहीं था, और ना ही वह अपने लिए परमेश्वर की इच्छा जानने या उसे मानने में कोई रुचि रखता था।

यदि आप बाइबल के बारे में अपनी जानकारी केवल अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए चाहते हैं, ना कि इसलिए कि परमेश्वर को निकटता से जानकर उसकी इच्छा पूरी करने में जुटें, तो आप भी उस छात्र से भिन्न नहीं हैं।

प्रेरित पतरस ने कहा कि हमें अपने परमेश्वर संबंधी ज्ञान को केवल एक उद्देश्य के लिए बढ़ाना चाहिए - कि हमारा विश्वास परिपक्व हो सके। पतरस ने लिखा कि, "और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न करके, अपने विश्वास पर सदगुण, और सदगुण पर समझ। और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति। और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ। क्‍योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी" (२ पतरस १:५-८)। मसीही विश्वास में परिपक्वता का यही मार्ग है।

परमेश्वर हमें केवल ज्ञानवर्धन के लिए अपने ज्ञान के खोजी होने को नहीं कहता, वरन इसलिए क्योंकि, "अनन्‍त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्‍चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें" (युहन्ना १७:३); और अपने जीवनों में परमेश्वर को केंद्रबिंदु बना कर प्रेम और सदगुणों से भर जाएं और परमेश्वर के लिए फलदायी हों। - मार्ट डी हॉन


जिस ज्ञान से समझ-बूझ और परिपक्वता न बढ़े वह खातरनाक होता है।

अनन्‍त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्‍चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें। - युहन्ना १७:३


बाइबल पाठ: २ पतरस १:१-११

2Pe 1:1 शमौन पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों के नाम जिन्‍होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्‍त किया है।
2Pe 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्‍ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।
2Pe 1:3 क्‍योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सदगुण के अनुसार बुलाया है।
2Pe 1:4 जिन के द्वारा उस ने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूटकर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ।
2Pe 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न करके, अपने विश्वास पर सदगुण, और सदगुण पर समझ।
2Pe 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
2Pe 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
2Pe 1:8 क्‍योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी।
2Pe 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुलकर शुद्ध होने को भूल बैठा है।
2Pe 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्‍न करते जाओ, क्‍योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे।
2Pe 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्‍त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १-३
  • यूहन्ना १०:१-२३

गुरुवार, 26 मई 2011

संतुलित सत्य

१९वीं सदी में प्रचलित एक बच्चों की कहानी मुझे बहुत विचलित करती है क्योंकि यह कहानी परमेश्वर के बारे में बहुत गलत दृष्टीकोण देती है।

यह कहानी एक छोटे बच्चे के बारे में है, जिसने अपनी माँ की आज्ञा के विरुद्ध, उसकी पीठ पीछे केक का एक छोटा टुकड़ा लेकर खा लिया। इस कारण उस कहानी में इस बच्चे को नीच, निन्दनीय, कपटी और किसी भी आदरणीय या उदार भावना से सर्वथा विहीन आदि कहा गया। उसके बाद इस "धोखेबाज़ लड़के" का परमेश्वर के सिंहासन के सामने न्याय के लिए प्रस्तुत किया जाना और वहाँ उसे कठोर दंड की आज्ञा के साथ कहा जाना कि, " हे श्रापित लोगों, मेरे साम्हने से उस अनन्‍त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है" (मत्ती २५:४१) दिखाया गया है।

यह कहानी अनज्ञाकारिता और झूठ के विरुद्ध चेतावनी देने की बात में तो ठीक है, लेकिन यह परमेश्वर के विलंब से कोप करने, धैर्य रखने, क्षमा देने जैसे गुणों को बिलकुल अन्देखा कर देती है और परमेश्वर के गुणों का असंतुलित चित्रण प्रस्तुत करती है। इसकी तुलना में, १ कुरिन्थियों ६:९-११ में हम अधर्म और अनुचित चाल-चलन के विरुद्ध कड़ी चेतावनी तो पाते हैं, किंतु साथ ही अधर्म के निन्दनीय कार्यों की सूची के बाद ये कोमल शब्द भी पाते हैं, " और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्‍तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे" (१ कुरिन्थियों ६:११); क्योंकि हमारा परमेश्वर किसी भी पापी के नाश से नहीं वरन प्रत्येक के बचाए जाने से प्रेम रखता है, "प्रभु यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न होता हूँ? क्या मैं इस से प्रसन्न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे?" (यहेजकेल १८:२३)। प्रभु यीशु ने कहा " परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्‍तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए" (युहन्ना ३:१७); "यीशु ने यह सुनकर, उन से कहा, भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्‍तु बीमारों को है: मैं धमिर्यों को नहीं, परन्‍तु पापियों को बुलाने आया हूं।" (मरकुस २:१७)

कुछ मसीही बिना परमेश्वर की करूणा का ध्यान करे परमेश्वर के कोप पर इतना ज़ोर देते हैं कि वे उसकी दया और क्षमाशीलता को भूल जाते हैं। दूसरी ओर कुछ ऐसे मसीही भी हैं जो परमेश्वर की दया, करुणा और क्षमाशीलता पर इतना ज़ोर देते हैं कि वे उसकी पवित्रता, न्याय और पाप से घृणा (पापी से नहीं) को नज़रांदाज़ कर देते हैं और पाप के प्रति परमेश्वर के दृष्टीकोण को बहुत हल्का प्रदर्शित करते हैं। जहाँ हमें परमेश्वर की पवित्रता, न्याय के प्रति कटिबद्धता और पाप से घृणा को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए वहीं उसके प्रेम, दया और अनुग्रह को भी अन्देखा नहीं करना चाहिए।

जब हम परमेश्वर के गुणों को सही जानने और समझने लगेंगे तब ही हम अपना जीवन भी सही जी सकेंगे। सत्य के संतुलित ज्ञान द्वारा ही हम लोगों को भी सही मार्गदर्शन दे सकते हैं। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


परमेश्वर के अनुग्रह के वर्णन के बिना परमेश्वर के क्रोध की शिक्षा अधूरी तथा असंतुलित है।

जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उस को हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है और परमेश्वर उस में बना रहता है। - १ युहन्ना ४:१६


पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो। क्‍योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्‍योंकि मैं पवित्र हूं। - १ पतरस १:१६


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ६:९-२०

1Co 6:9 क्‍या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्त्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्‍चे, न पुरूषगामी।
1Co 6:10 न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देने वाले, न अन्‍धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।
1Co 6:11 और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्‍तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।
1Co 6:12 सब वस्‍तुएं मेरे लिये उचित तो हैं, परन्‍तु सब वस्‍तुएं लाभ की नहीं, सब वस्‍तुएं मेरे लिये उचित हैं, परन्‍तु मैं किसी बात के आधीन न हूंगा।
1Co 6:13 भोजन पेट के लिये, और पेट भोजन के लिये है, परन्‍तु परमेश्वर इस को और उस को दोनों को नाश करेगा, परन्‍तु देह व्यभिचार के लिये नहीं, वरन प्रभु के लिये और प्रभु देह के लिये है।
1Co 6:14 और परमेश्वर ने अपनी सामर्थ से प्रभु को जिलाया, और हमें भी जिलाएगा।
1Co 6:15 क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं सो क्‍या मैं मसीह के अंग लेकर उन्‍हें वेश्या के अंग बनाऊं? कदापि नहीं।
1Co 6:16 क्‍या तुम नहीं जानते, कि जो कोई वेश्या से संगति करता है, वह उसके साथ एक तन हो जाता है क्‍योंकि वह कहता है, कि वे दोनों एक तन होंगे।
1Co 6:17 और जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।
1Co 6:18 व्यभिचार से बचे रहो: जितने और पाप मनुष्य करता है, वे देह के बाहर हैं, परन्‍तु व्यभिचार करने वाला अपनी ही देह के विरूद्ध पाप करता है।
1Co 6:19 क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्‍दिर है जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
1Co 6:20 कयोंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २८-२९
  • यूहन्ना ९:२४-४१

बुधवार, 25 मई 2011

के बारे में जानना; को जानना

एक शाम को आई आंधी-बारिश के बाद मैंने आकाश में अति सुन्दर इन्द्रधनुष देखा, ऐसा जैसा मैंने पहले कभी नहीं देखा था। लेकिन जब मैंने उसका वर्णन अपनी पत्नि के सामने करना चाहा तो मैं बहुत कुण्ठित हो गया क्योंकि उसकी सुन्दरता बयान करने के लिए मुझे शब्द नहीं मिल रहे थे।

जो मैंने देखा उसे समझने के लिए मैंने ज्ञान के विश्वकोष में खोजा; वहाँ मुझे इन्द्रधनुष को समझाने वाले तथ्य मिले कि इन्द्र्धनुष तब बनता है जब प्रकाश के पानी की बून्दों में होकर निकलने से वह अपनी विभिन्न तरंगों में बिखर जाता है, प्रत्येक तरंग का रंग अलग होता है और इस कारण इन्द्रधनुष आकाश में एक रंगीन पट्टी दिखता है। विश्वकोष ने मेरे ज्ञान को तो बढ़ाया, लेकिन जो मैंने जाना वे केवल वैज्ञानिक तथ्य मात्र थे, इन तथ्यों में इन्द्रधनुष की सुन्दरता नहीं थी।

पतरस की दूसरी पत्री के पहले अध्याय में दो तरह के ज्ञान के बारे में बताया गया है। मूल युनानी भाषा में आत्मिक उन्नति के संबंध में, ५ और ६ पद में, लेखक जो शब्द प्रयोग करता है उसका तात्पर्य तत्व ज्ञान से है; किंतु पद २, ३ और ८ में आत्मिक उन्नति के संबंध में जो शब्द प्रयोग हुआ है उसका तात्पर्य मसीह के व्यावाहरिक और व्यक्तिगत ज्ञान से है। इन दोनो अलग अलग शब्दों का प्रयोग बताता है कि प्रभु के बारे जानना और प्रभु को जानना वैसे ही भिन्न हैं जैसे इन्द्रधनुष के बारे में जानना और उसकी सुन्दरता को जानना।

अय्युब ने भी इस भिन्नता को पहचाना, और उसने परमेश्वर से कहा, "मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं" (अय्युब ४२:५)।

जैसे जैसे आप परमेश्वर के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाते हैं, यह प्रयास भी कीजिए कि आप परमेश्वर को जानने वाले भी हो सकें। - मार्ट डी हॉन


सच्चा ज्ञान विश्वास से भरे हृदय से आरंभ होता है, तथ्यों से भरे दिमाग से नहीं।

परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया। यूहन्ना १:१८


यीशु ने उस से कहा; हे फिलप्‍पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूं, और क्‍या तू मुझे नहीं जानता? जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है। युहन्ना १४:९

बाइबल पाठ: २ पतरस १:१-११

2Pe 1:1 शमौन पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों के नाम जिन्‍होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्‍त किया है।
2Pe 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्‍ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।
2Pe 1:3 क्‍योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सदगुण के अनुसार बुलाया है।
2Pe 1:4 जिन के द्वारा उस ने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूटकर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ।
2Pe 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न करके, अपने विश्वास पर सदगुण, और सदगुण पर समझ।
2Pe 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
2Pe 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
2Pe 1:8 क्‍योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी।
2Pe 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुलकर शुद्ध होने को भूल बैठा है।
2Pe 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्‍न करते जाओ, क्‍योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे।
2Pe 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्‍त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २५-२७
  • यूहन्ना ९:१-२३

मंगलवार, 24 मई 2011

कम बोलिए, अधिक कहिए

सन १९७२ में सैन फ्रैनसिस्को के विशाल गोल्डन गेट पुल के नीचे दो तेल के टैंकर आपस में टकरा गए जिससे ८४०,००० गैलन तेल खाड़ी में बह गया। तेल रिसाव के कारण मरे हुए समुद्री पक्षी, मछलियाँ और समुद्री जीव बह कर किनारों पर आने लगे। इस त्रासदी से प्रभावित होकर उस पुल के समीप रहने वाले एक मनुष्य ने ठान लिया कि अब से वह ऐसा सादगी का जीवन व्यतीत करेगा जिससे कम से कम प्राकृतिक संसाधनों का व्यय हो। पहले उसने हर जगह चल कर ही जाना आरंभ किया। लगभग एक साल के पश्चात उसने निर्णय लिया कि प्राकृतिक संसाधनों के व्यर्थ व्यय की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिए वह मौन धारण कर लेगा। अगले १३ वर्ष में वह केवल एक बार बोला, जब उसने अपने माता-पिता को फोन करके बताया कि अपने इस उद्देश्य को सर्वविदित करने के लिए वह एक पैदल यात्रा करने जा रहा है। अपनी यात्रा में वह बिना बोले अपनी बात लोगों को पहुँचाता रहा; लेकिन कुछ ही समय में उसने यह भी जाना कि मौन रहकर वह लोगों की बातों को अधिक सुन सकता है, और फिर वह यह बात भी लोगों को पहुँचाने लगा।

जो इस व्यक्ति ने किया, वह हम सब पर भी लागू होता है। कम बोलने से न केवल हम अधिक सुन सकेंगे, वरन अपनी बात अधिक प्रभावी रीति से कह भी सकेंगे। अकसर किसी विष्य पर हमारा शाँत रहना हमारे शब्दों से अधिक प्रभावकारी और वाग्मी होता है।

बुद्धिमान व्यक्ति की बात सुनी भी जाती है और वह स्वयं भी औरों की बात सुनता है, क्योंकि वह जानता है कि उसे कब बोलना चाहिए और कब मौन रहना चाहिए; उसका मौन भी अपनी बात कहने की एक विधी है।

राजा सुलेमान ने अपने नीतिवचनों में इस सत्य की ओर कई बार ध्यान खींचा है कि कम बोलकर भी अधिक कह जाना बुद्धिमान की निशानी है। - मार्ट डी हॉन


शांति मनोहर है। जब तक कहने को उससे सुन्दर कुछ न हो, तब तक शांत ही रहिए।

मूढ़ भी जब चुप रहता है, तब बुद्धिमान गिना जाता है; और जो अपना मुंह बन्द रखता वह समझ वाला गिना जाता है। - नीतिवाचन १७:२८


बाइबल पाठ: नीतिवाचन १७:२७-१८:४

Pro 17:27 जो संभलकर बोलता है, वही ज्ञानी ठहरता है; और जिकी आत्मा शान्त रहती है, वो ही समझ वाला पुरूष ठहरता है।
Pro 17:28 मूढ़ भी जब चुप रहता है, तब बुद्धिमान गिना जाता है; और जो अपना मुंह बन्द रखता वह समझ वाला गिना जाता है।
Pro 18:1 जो औरों से अलग हो जाता है, वह अपनी ही इच्छा पूरी करने के लिये ऐसा करता है,
Pro 18:2 और सब प्रकार की खरी बुद्धि से बैर करता है। मूर्ख का मन समझ की बातों में नहीं लगता, वह केवल अपने मन की बात प्रगट करना चाहता है।
Pro 18:3 जहां दुष्ट आता है, वहां अपमान भी आता है; और निन्दित काम के साथ नामधराई होती है।
Pro 18:4 मनुष्य के मुंह के वचन गहिरा जल, वा उमण्डने वाली नदी वा बुद्धि के सोते हैं।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २२-२४
  • यूहन्ना ८:२८-५९

सोमवार, 23 मई 2011

बुद्धि और ज्ञान

एक कार्टून रेखाचित्र में दिखाया गया कि एक युवती सर पर टोपी और काला चोगा पहने हुए और अपने हाथ में अपनी स्नातक डिगरी लिए खड़ी है। उसका सर गर्व से ऊँचा है और वह संसार को नीची निगाहों से देख रही है। संसार ने उससे पूछा कि वह कौन है तो वह घमंड से उत्तर देती है, "क्या तुम मुझे नहीं पहचानते? मैं ने प्रतिष्ठा विद्यापीठ से स्नातक की डिगरी ली है।" संसार उसे उत्तर देता है, "बस इतनी सी बात; मेरे साथ आओ, शेष मैं अब तुम्हें सिखाऊंगा।"

उस युवती के स्नातक के डिगरी प्राप्त करने और शिक्षा अर्जित करने को हम तुच्छ नहीं जान सकते, उसने कुछ गलत नहीं किया। किंतु केवल कुछ वर्ष की पढाई और कक्षा में बैठकर सीखने से तो कोई बुद्धिमान नहीं बन जाता। कठिन परिस्थितियों के अनुभव स्कूल कालेज की पढाई से कहीं अधिक मूल्यवान शिक्षाएं देते हैं। क्या शिक्षा का कोई महत्व है? बिलकुल है, शिक्षा आवश्यक है, परन्तु शिक्षित होने के साथ बुद्धिमान होना भी बहुत आवश्यक है। ज्ञान तथ्यों को जानना है, बुद्धिमानी तथ्यों का सही उपयोग करना जानना है। लेकिन इन सब से ऊपर है वह ज्ञन जो परमेश्वर से मिलता है, क्योंकि परमेश्वरीय ज्ञान ही इन सब बातों का सही उपयोग सिखा सकता है।

सबसे उत्तम शिक्षा और बहुत प्रकार का अनुभव होने पर भी मनुष्य परमेश्वर से अलग रहकर कुछ नहीं कर सकता; इसलिए परमेश्वर का वचन हमें हिदायत देता है कि अपनी शिक्षा और अनुभवों के साथ हम स्वर्गीय बुद्धि को भी जोड़ लें, और इसे पाना बहुत सहज है। याकूब १:५-७ में लिखा है कि "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है और उस को दी जाएगी। पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्‍देह न करे, क्‍योंकि सन्‍देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा" और नीतिवचन ९:१० बताता है कि "यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है।"

जहाँ ऐसा स्वर्गीय ज्ञान होगा वहाँ कभी घमण्ड नहीं होगा। - रिचर्ड डी हॉन


शिक्षा का मर्म मन को शिक्षित करना है।

अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। - नीतिवचन ३:७


बाइबल पाठ: नीतिवचन ३:१३-२०

Pro 3:13 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे,
Pro 3:14 क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है।
Pro 3:15 वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी।
Pro 3:16 उसके दाहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है।
Pro 3:17 उसके मार्ग मनभाऊ हैं, और उसके सब मार्ग कुशल के हैं।
Pro 3:18 जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उसको पकड़े रहते हैं, वे धन्य हैं।
Pro 3:19 यहोवा ने पृथ्वी की नेव बुद्धि ही से डाली और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।
Pro 3:20 उसी के ज्ञान के द्वारा गहिरे सागर फूट निकले, और आकाशमण्डल से ओस टपकती है।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १९-२१
  • यूहन्ना ८:१-२७

रविवार, 22 मई 2011

शब्दों की आड़

अकसर लोग अपने मन की बात सच्चाई से कहने में झिझकते हैं और उसे शब्दों की आड़ के पीछे छुपाने का प्रयास करते हैं लेकिन उनके शब्द उनकी मनोभावनाओं के अनुकूल नहीं होते। न्यूयॉर्क के एक वकील जैराल्ड निरेनबर्ग ने इस विष्य पर एक पुस्तक लिखी जिसका शीर्षक है Meta Talk: Guide to Hidden Meanings in Conversation. इस पुस्तक में उन्होंने छुपी या गोल-मोल बात बनाने के ३५० उदाहरण दिये हैं।

एक संवाद विशेषज्ञ का मानना है कि लोग इस बात से डरते हैं कि ईमानदारी से कहे गई उनकी बातों के कारण उन्हें मित्रता, प्रेम, आदर का नुकसान उठाना पड़ेगा। इसलिए या तो वे अपने होंठ बन्द रखते हैं या वे जो कहना चाहते हैं उसे घुमा फिराकर अस्पष्ट रूप से कहते हैं। अपने प्रति हीन भावना या दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का भय भी लोगों के स्पष्ट और सही बात कहने में बाधा बनते हैं।

मसीही विश्वासी भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं। ईमानदार रहना और किसी को ठेस पहुँचाए बिना सत्य बोलना, दोनो को एक साथ निभा पाना बहुत कठिन हो सकता। बाइबल इस समस्या का संतुलित हल देती है। प्रभु यीशु का जीवन इस का सजीव उदाहरण है। उन्हों ने सदा ही सत्य बोला, कभी मक्कारी नहीं करी, न ही किसी से घुमा-फिरा कर बातों करीं और न किसी को दोगली बातों में उलझाया; तौ भी कभी किसी ने उन पर अपमान जनक व्यवहार का दोष नहीं लगाया। इस का कारण था उनका सदा नम्रता और करुणा का व्यवहार रखना, कभी घमण्ड न करना और न किसी को नीचा दिखाने का व्यवहार करना और सदा दूसरों की भलाई तथा सहायता में कार्यरत रहना।

परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि हम कैसे सच्चे और ईमानदार रहते हुए भी किसी को ठेस पहुँचाने से बच सकते हैं। याकूब की पत्री के तीसरे अध्याय में स्वर्गीय ज्ञान के बारे में बताया गया है जो हमें ईमानदार और मृदु रख सकता है, क्योंकि "जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है" (याकूब ३:१७)। इसलिए इस स्वर्गीय ज्ञान और समझ बूझ के साथ हम प्रभु यीशु के समान हम अपनी बात चीत और व्यवहार में ईमानदार किंतु मृदु रह सकते हैं।

जो मसीही विश्वासी इस स्वर्गीय ज्ञान को अपना बोलचाल और व्यवहार निर्धारित करने देंगे उन्हें फिर कभी शब्दों की आड़ से अपनी बात नहीं कहनी पड़ेगी। - मार्ट डी हॉन


नम्रता से कहे गए वचन सुनने में हलके लगते हैं किंतु उनका प्रभाव भारी होता है।

बुद्धिमान का मन उसके मुंह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है। - नीतिवचन १६:२३


बाइबल पाठ:
याकूब
Jas 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्‍योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
Jas 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
Jas 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
Jas 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्‍छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
Jas 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े बन में आग लग जाती है।
Jas 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्‍ड की आग से जलती रहती है।
Jas 3:7 क्‍योंकि हर प्रकार के वन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
Jas 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रूकती ही नहीं, वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
Jas 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्‍पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
Jas 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
Jas 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नही होना चाहिए।
Jas 3:12 क्‍या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलता है? हे मेरे भाइयों, क्‍या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।
Jas 3:13 तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है? जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्‍छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्‍पन्न होती है।
Jas 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्‍ड न करना, और न तो झूठ बोलना।
Jas 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है।
Jas 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्‍कर्म भी होता है।
Jas 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।
Jas 3:18 और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १६-१८
  • यूहन्ना ७:२८-५३

शनिवार, 21 मई 2011

सर्वोत्तम निवेदन

एक फारसी दार्शनिक से पूछा गया कि उसने इतना ज्ञान कैसे अर्जित किया? उसने उत्तर दिया, "मैंने घमंड को कभी अपने आड़े आने नहीं दिया; यदि मैं किसी चीज़ के बारे में नहीं जानता था तो बिना झिझके पूछ लिया करता था।"

जीवन निर्वाह करने के लिए हम सब को समझ-बूझ चाहिए। नवयुवक वयस्क होते समय सोचते हैं कि मैं अपने जीवन में क्या करूँ? वयस्क नौकरी, परिवार की ज़िम्मेदारियों तथा कई अन्य निर्णयों के बारे में सोचते हैं जिनके बहुत दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। अकसर हम परमेश्वर से समझ-बूझ इसलिए माँगते हैं कि उसके द्वारा हम धन और रुतबा अर्जित कर सकें। लेकिन हम परमेश्वर को झाँसा नहीं दे सकते; वह हमारी मनसा तथा उद्देश्य जानता है। जो उसका आदर करते हैं, उन्हें वह यह सब स्वतः ही दे देता है।

यद्यपि सुलेमान इस्त्राएल का राजा था, तौ भी उसे अपनी समझ-बूझ की सीमाएं स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी। लेकिन वह केवल सांसारिक ज्ञान पाने ही से संतुष्ट नहीं था, उसे ज्ञान से भी अधिक परमेश्वर की लालसा थी। जब परमेश्वर ने उससे पूछा कि तू क्या चाहता है कि मैं तुझे दूँ, तो सुलेमान ने परमेश्वर से केवल एक ही निवेदन किया; उसने माँगा कि परमेश्वर उसे अपनी प्रजा का खरा न्याय करने की सामर्थ और सदबुद्धि दे। परमेश्वर ने उसे न केवल यह सामर्थ दी वरन असीम दौलत, वैभव और आदर भी साथ में दे दिया।

हमें अपने हृदयों को टटोलने और परमेश्वर से ज्ञान तथा समझ-बूझ पाने के अपने वास्तस्विक उद्देश्य का उसके सामने अंगीकार करने की आवश्यक्ता है। जब हम अपनी प्राथमिकताएं सही निर्धारित कर लेंगे, तब हम परमेश्वर से याकूब १:५ में उसकी दी हुई प्रतिज्ञा "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी" को भी बेझिझक माँग सकते हैं।

यदि हमारी दिली इच्छा अपने जीवन से परमेश्वर का आदर करने की है, तो परमेश्वर से समझ-बूझ पाने के सर्वोत्तम निवेदन को करने में हमें कोई रुकावट नहीं। - डेनिस डी हॉन


वे ही बुद्धिमान हैं जो परमेश्वर को अपना गुरू बना लेते हैं।

अब मुझे ऐसी बुद्धि और ज्ञान दे, कि मैं इस प्रजा के साम्हने अन्दर-बाहर आना-जाना कर सकूं, क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके? - २ इतिहास १:१०


बाइबल पाठ: २ इतिहास १:१- १२

2Ch 1:1 दाऊद का पुत्र सुलैमान राज्य में स्थिर हो गया, और उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग रहा और उसको बहुत ही बढ़ाया।
2Ch 1:2 और सुलैमान ने सारे इस्राएल से, अर्थात सहस्रपतियों, शतपतियों, न्यायियों और इस्राएल के सब रईसों से जो पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरुष थे, बातें कीं।
2Ch 1:3 और सुलैमान पूरी मण्डली समेत गिबोन के ऊंचे स्थान पर गया, क्योंकि परमेश्वर का मिलाप वाला तम्बू, जिसे यहोवा के दास मूसा ने जंगल में बनाया था, वह वहीं पर था।
2Ch 1:4 परन्तु परमेश्वर के सन्दूक को दाऊद किर्यत्यारीम से उस स्थान पर ले आया था जिसे उस ने उसके लिये तैयार किया था, उस ने तो उसके लिये यरूशलेम में एक तम्बू खड़ा कराया था।
2Ch 1:5 और पीतल की जो वेदी ऊरी के पुत्र बसलेल ने, जो हूर का पोता था, बनाई थी, वह गिबोन में यहोवा के निवास के साम्हने थी। इसलिये सुलैमान मण्डली समेत उसके पास गया।
2Ch 1:6 और सुलैमान ने वहीं उस पीतल की वेदी के पास जाकर, जो यहोवा के साम्हने मिलाप वाले तम्बू के पास थी, उस पर एक हजार होमबलि चढ़ाए।
2Ch 1:7 उसी दिन रात को परमेश्वर ने सुलैमान को दर्शन देकर उस से कहा, जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूं, वह मांग।
2Ch 1:8 सुलैमान ने परमेश्वर से कहा, तू मेरे पिता दाऊद पर बड़ी करुणा करता रहा और मुझ को उसके स्थान पर राजा बनाया है।
2Ch 1:9 अब हे यहोवा परमेश्वर ! जो वचन तू ने मेरे पिता दाऊद को दिया था, वह पूरा हो; तू ने तो मुझे ऐसी प्रजा का राजा बनाया है जो भूमि की धूलि के किनकों के समान बहुत है।
2Ch 1:10 अब मुझे ऐसी बुद्धि और ज्ञान दे, कि मैं इस प्रजा के साम्हने अन्दर- बाहर आना-जाना कर सकूं, क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?
2Ch 1:11 परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, तेरी जो ऐसी ही मनसा हुई, अर्थात तू ने न तो धन सम्पत्ति मांगी है, न ऐश्वर्य और न अपने बैरियों का प्राण और न अपनी दीर्घायु मांगी, केवल बुद्धि और ज्ञान का वर मांगा है, जिस से तू मेरी प्रजा का जिसके ऊपर मैं ने तुझे राजा नियुक्त किया है, न्याय कर सके,
2Ch 1:12 इस कारण बुद्धि और ज्ञान तुझे दिया जाता है। और मैं तुझे इतना धन सम्पत्ति और ऐश्वर्य दूंगा, जितना न तो तुझ से पहिले किसी राजा को, मिला और न तेरे बाद किसी राजा को मिलेगा।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १३-१५
  • यूहन्ना ७:१-२७

शुक्रवार, 20 मई 2011

आईये गाएं

संगीत का भक्ति में सदा महत्वपूर्ण स्थान रहा है। परमेश्वर के मन्दिर में आराधना करने वाले भजन गाया करते थे। प्रभु यीशु और उनके चेलों ने प्रभु भोज के बाद भजन गाया (मत्ती २६:३०)। पौलुस ने विश्वासियों को प्रोत्साहित किया कि "आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो" (इफिसीयों ५:१९)।

भजन गाने का उद्देश्य केवल लोगों को आते सन्देश के लिए तैयार करना ही नहीं है, यदि ऐसा होता तो भक्ति संगीत केवल एक व्यर्थ औपचारिकता बन के रह जाता। पौलुस इस प्रकार भजन गाने से कभी सहमत नहीं होता, क्योंकि उसका दृढ़ विश्वास था कि खराई से प्रचार किया गया सुसमाचार ही "उद्धार के निमित परमेश्वर की सामर्थ है" (रोमियों १:१६)। हम भक्ति संगीत द्वारा प्रभावी रूप से परमेश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकते हैं, अपनी विनतियाँ उसके सामने प्रस्तुत कर सकते हैं और अपने विश्वास की गवाही संसार के सामने रख सकते हैं।

भजन ३३ में इस्त्राएलियों को परमेश्वर के सामर्थी वचन के लिए, उसके कभी असफल न होने वाले मार्गदर्शन के लिए और सदा अपने लोगों के प्रति बनी रहने वाली उसकी देखभाल के लिए स्तुति गाने को कहा गया है। जब पौलुस और सिलास बन्दीगृह में डाल दिये गए थे, उनके पाँव काठ में ठोक दिये गए और कोड़े मार मार कर उनकी पीठ उधेड़ दी गई, तब उस हालत में भी वे भजन गा रहे थे क्योंकि उनके मन उद्धार के आनन्द से भरे हुए थे (प्रेरितों १६:२५)।

यदि हम वास्तव में प्रभु से प्रेम करते हैं, तो हम उत्साहपूर्वक उसके आराधकों के साथ मिलकर उसकी स्तुति अवश्य गाएंगे। जब हम अकेले हों और हमारे हृदय आराधना से भरे हों, तब भी हम ऊँचे स्वर में गा सकते हैं, बिना इस बात की चिंता करे कि हम कैसा गा रहे हैं।

दिल से निकली कैसी भी आराधना परमेश्वर को प्रसन्न करती है। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


संगीत दिल के उन भावों को अभिव्यक्त कर सकता है जिन्हें हम शब्दों में ला पाते, लेकिन जिनके बारे में हम खामोश भी नहीं रह पाते।

हे धर्मियों यहोवा के कारण जयजयकार करो क्योंकि धर्मी लोगों को स्तुति करनी सोहती है। - भजन ३३:१


बाइबल पाठ: भजन ३३:१-११

Psa 33:1 हे धर्मियों यहोवा के कारण जयजयकार करो क्योंकि धर्मी लोगों को स्तुति करनी सोहती है।
Psa 33:2 वीणा बजा बजाकर यहोवा का धन्यवाद करो, दस तार वाली सारंगी बजा बजाकर उसका भजन गाओ।
Psa 33:3 उसके लिये नया गीत गाओ, जयजयकार के साथ भली भांति बजाओ।
Psa 33:4 क्योंकि यहोवा का वचन सीधा है, और उसका सब काम सच्चाई से होता है।
Psa 33:5 वह धर्म और न्याय से प्रीति रखता है, यहोवा की करूणा से पृथ्वी भरपूर है।
Psa 33:6 आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुंह की श्वास से बने।
Psa 33:7 वह समुद्र का जल ढेर की नाई इकट्ठा करता; वह गहिरे सागर को अपने भण्डार में रखता है।
Psa 33:8 सारी पृथ्वी के लोग यहोवा से डरें, जगत के सब निवासी उसका भय मानें!
Psa 33:9 क्योंकि जब उस ने कहा, तब हो गया; जब उस ने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया।
Psa 33:10 यहोवा अन्य अन्य जातियों की युक्ति को व्यर्थ कर देता है; वह देश देश के लोगों की कल्पनाओं को निष्फल करता है।
Psa 33:11 यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएं पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ६:४५-७१

गुरुवार, 19 मई 2011

प्रशंसा

एक संगीत समालोचक को वायलिन वादक पर्लमैन की प्रशंसा कर पाने के लिए काफी शब्द नहीं मिल पा रहे थे। पर्लमैन Grand Rapid Symphony नामक वाद्यवृंद के साथ मेहमान एकल वायलिन वाद्क के रूप में प्रस्तुत हुआ था, और उसने वाद्यवृन्द के साथ एक बहुत ही कठिन धुन बजाई थी। समालोचक ने लिखा, "उनका वायलिन बजाने का ढंग इतना स्वाभाविक होते हुए भी इतना सिद्ध है कि वे संगीत के ताल और लय को सिद्धता से निभाते हुए भी ऐसे प्रतीत होते हैं कि जैसे उन्हें इसके लिए कोई प्रयास करना ही नहीं पड़ रहा हो। संगीत की गति कैसी भी हो, उनका हर सुर अपनी बिलकुल सही जगह पर लगा हुआ, और अन्य सुरों के साथ पूरे ताल-मेल में स्पष्ट सुनाई देता है। उन्होंने वाद्यवृन्द के अन्य साज़ों के साथ मिलकर और एकल रूप में ऐसे बजाया मानो उनके वायलिन और अन्य साज़ों में कोई संगीतमयी वार्तालाप चल रहा हो और वे उन अन्य साज़ों से अपनी बात भी कह रहे हों और उनकी बातों का उत्तर भी दे रहे हों।"

ऐसी अतिश्य प्रशंसा मुझे विचिलित करती है; इसलिए नहीं कि इससे पर्लमैन को आदर मिला - वे इस आदर के पूरे हकदार हैं। मैं इसलिए विचिलित होता हूँ कि मैंने शायद ही कभी किसी को परमेश्वर की प्रशंसा ऐसे खुले दिल और उदार शब्दों में करते हुए सुना हो। अवश्य ही हमारा परमेश्वर जिसने वायलिन वादक को रचा, अपनी इस उत्कृष्ट रचना के लिए, उस वायलिन वादक से, जिसने अपने परमेश्वर प्रदित गुण का प्रदर्शन किया, और भी अधिक प्रशंसा के योग्य है।

हम जो परमेश्वर को जानते हैं, क्या हमें उसकी महिमा, वैभव और उसके अद्भुत कार्यों का वर्णन उस समालोचक के संगीत प्रशंसा से भी अधिक उत्साह और विस्तार से नहीं करना चाहिए? - मार्ट डी हॉन


यदि मसीही विश्वासी परमेश्वर पर बेहतर विश्वास करें, तो संसार परमेश्वर पर संदेह कम करेगा।

याह की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर! - भजन १४६:१

बाइबल पाठ: भजन १४८
Psa 148:1 याह की स्तुति करो! यहोवा की स्तुति स्वर्ग में से करो, उसकी स्तुति ऊंचे स्थानों में करो!
Psa 148:2 हे उसके सब दूतों, उसकी स्तुति करो: हे उसकी सब सेना उसकी स्तुति कर!
Psa 148:3 हे सूर्य और चन्द्रमा उसकी स्तुति करो, हे सब ज्योतिमय तारागण उसकी स्तुति करो!
Psa 148:4 हे सब से ऊंचे आकाश, और हे आकाश के ऊपर वाले जल, तुम दोनों उसकी स्तुति करो।
Psa 148:5 वे यहोवा के नाम की स्तुति करें, क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और थे सिरजे गए।
Psa 148:6 और उस ने उनको सदा सर्वदा के लिये स्थिर किया है और ऐसी विधि ठहराई है, जो टलने की नहीं।
Psa 148:7 पृथ्वी में से यहोवा की स्तुति करो, हे मगरमच्छों और गहिरे सागर,
Psa 148:8 हे अग्नि और ओलो, हे हिम और कुहरे, हे उसका वचन मानने वाली प्रचण्ड बयार!
Psa 148:9 हे पहाड़ों और सब टीलो, हे फलदाई वृक्षों और सब देवदारों!
Psa 148:10 हे वन-पशुओं और सब घरैलू पशुओं, हे रेंगने वाले जन्तुओं और हे पक्षियों!
Psa 148:11 हे पृथ्वी के राजाओं, और राज्य राज्य के सब लोगों, हे हाकिमों और पृथ्वी के सब न्यायियों!
Psa 148:12 हे जवानों और कुमारियों, हे पुरनियों और बालकों!
Psa 148:13 यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसकी का नाम महान है; उसका ऐश्वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।
Psa 148:14 और उस ने अपनी प्रजा के लिये एक सींग ऊंचा किया है; यह उसके सब भक्तों के लिये अर्थात् इस्राएलियों के लिये और उसके समीप रहने वाली प्रजा के लिये स्तुति करने का विषय है। याह की स्तुति करो।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास ७-९
  • यूहन्ना ६:२२-२४

बुधवार, 18 मई 2011

सर्वप्रधान

विख्यात मसीही लेखक A. W. Tozer ने अपनी पुस्तक "The Pursuit of God" में आराधना के एक महान गीत "The Faith of Our Fathers" के लेखक फ्रेड्रिक फेबर को श्रद्धाँजलि अर्पित करते हुए उनके बारे में लिखा कि, "मसीह के प्रति उनका प्रेम इतना प्रचण्ड था कि मानो वे उसमें सुलग रहे थे; यह प्रेम उनके अन्दर एक धधकती हुई ज्वाला के समान था जो उनके मुख से पिघले हुए सोने के समान बहता था। अपने एक सन्देश में फेबर ने कहा, ’हम परमेश्वर के मन्दिर में जिस ओर भी दृष्टि करें, हमें मसीह दिखाई देता है.....सृष्टि में ऐसा कुछ भी भला, पवित्र, सुन्दर, आनन्दमयी नहीं है, जो मसीह अपने सेवकों के लिए न बन जाए....किसी को निराश होने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि यीशु स्वर्ग का आनन्द है और यीशु का आनन्द है शोकित हृदयों में आकर उन्हें प्रफुल्लित कर देना। हम कई बातों का बयान बढ़ा-चढ़ा कर कर सकते हैं, लेकिन कभी भी हमारे प्रति मसीह यीशु के प्रेम को अथवा मसीह के प्रति हमारे कर्तव्य का पूरा वर्णन कर पाना संभव नहीं। यदि हम अपना सारा जीवन यीशु मसीह के बारे में बताने में लगा दें तो भी उसके विष्य में जो कुछ मधुर कहा जा सकता है, उसे पूरा कह पाना संभव नहीं हो पाएगा।’"

हम कभी भी मसीह की महानता का वर्णन अतिश्योक्तिपूर्वक नहीं कर सकते। पौलुस ने प्रभु यीशु मसीह के विष्य में कहा, "वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है। क्‍योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्‍वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्‍या सिंहासन, क्‍या प्रभुतांए, क्‍या प्रधानताएं, क्‍या अधिकार, सारी वस्‍तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्‍तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।" (कुलुस्सियों १:१५-१७)

मसीह यीशु वास्तव में सर्वप्रधान है और हमारी प्रेम पूर्ण आराधना का एकमात्र सच्चा हकदार भी। - रिचर्ड डी हॉन


जब हम मसीह यीशु के प्रभुत्व को स्वीकार करेंगे, तभी हम उसकी आरधाना भी कर सकेंगे।

और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है - कुलुस्सियों १:१८


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों १:९-१९

Col 1:9 इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्‍छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।
Col 1:10 ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
Col 1:11 और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्‍त होते जाओ, यहां तक कि आनन्‍द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको।
Col 1:12 और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों।
Col 1:13 उसी ने हमें अन्‍धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
Col 1:14 जिस से हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्‍त होती है।
Col 1:15 वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।
Col 1:16 क्‍योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्‍वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्‍या सिंहासन, क्‍या प्रभुतांए, क्‍या प्रधानताएं, क्‍या अधिकार, सारी वस्‍तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
Col 1:17 और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्‍तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
Col 1:18 और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है; वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
Col 1:19 क्‍योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास ४-६
  • यूहन्ना ६:१-२१

मंगलवार, 17 मई 2011

आराधना की प्रेरणा

दो वर्ष की आयु से अन्धी और बहरी हेलेन कीलर से एक बालक ने पूछा, "क्या अन्धा होना संसार का सबसे बड़ा दुर्भाग्य नहीं है?" मुस्कुराते हुए हेलेन कीलर ने उत्तर दिया, "दो अच्छी आँखें रहते हुए भी न देख सकने वालों के दुर्भाग्य से तो आधा भी नहीं है।"

कई लोग, अच्छी दृष्टि और सुनने की क्षमता के बावजूद, अपने आस-पास प्रकृति के सुन्दर दृश्यों और मधुर ध्वनियों से अछूते रहते हैं। उनका ध्यान कभी ऊंचे शानदार पेड़ों के सौन्दर्य, झील के शांत वातावरण, सितारों से भरे आकाश की भव्यता आदि की ओर नहीं जाता।

जब हम परमेश्वर की सृष्टि की अद्भुत बातों को देखकर उसकी आराधना करते हैं तो यह परमेश्वर को भाता है। परमेश्वर के पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित होकर दाउद ने भजन २९ में आँधी का वर्णन किया, उसे यहोवा की प्रतापमय वाणी कहा। भजनकार ने अपने वर्णन में आँधी के उठकर देश पर छा जाने, विशाल देवदारों के वृक्षों को हिला कर तोड़ डालने और जंगल में पतझड़ कर देने को दर्शाया है। जब परमेश्वर के मन्दिर में इस भजन को गाया जाता था तो लोग परमेश्वर की स्तुति में ’महिमा हो’ कहते थे।

कोई आता तूफान और गरजती कौन्धती बिजली परमेश्वर की सामर्थ का दर्शन है। हमारे आस-पास प्रकृति के दृश्य और आवाज़ें परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि के लिए उसकी आराधना करने को हमें प्रेरित करती हैं।

जब हम बाहर निकल कर ताज़ी हवा में साँस लेते हैं, तो एक पल रुक कर परमेश्वर को जीवन के लिए धन्यवाद करें, और उसके लिए जीने और उसकी आराधना करने को सदैव तत्पर रहें। - हर्ब वैन्डर लुग्ट



प्रकृति परमेश्वर की लिखाई है, उसके सौन्दर्य को निहारना और उससे आनन्दित होना सीखिए।

आज वह दिन है जो यहोवा ने बनाया है, हम इस में मगन और आनन्दित हों। - भजन ११८:२४


बाइबल पाठ: भजन २९

Psa 29:1 हे परमेश्वर के पुत्रों यहोवा का, हां यहोवा ही का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ को सराहो।
Psa 29:2 यहोवा के नाम की महिमा करो; पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत करो।
Psa 29:3 यहोवा की वाणी मेघों के ऊपर सुन पड़ती है, प्रतापी ईश्वर गरजता है, यहोवा घने मेघों के ऊपर रहता है।
Psa 29:4 यहोवा की वाणी शक्तिशाली है, यहोवा की वाणी प्रतापमय है।
Psa 29:5 यहोवा की वाणी देवदारों को तोड़ डालती है, यहोवा लबानोन के देवदारों को भी तोड़ डालता है।
Psa 29:6 वह उन्हें बछड़े की नाई और लबानोन और सिर्योन को जंगली बछड़े के समान उछालता है।
Psa 29:7 यहोवा की वाणी आग की लपटों को चीरती है।
Psa 29:8 यहोवा की वाणी वन को हिला देती है, यहोवा कादेश के वन को भी कंपाता है।
Psa 29:9 यहोवा की वाणी से हरिणियों का गर्भपात हो जाता है। और अरण्य में पतझड़ होती है, और उसके मन्दिर में सब कोई महिमा ही महिमा बोलता रहता है।
Psa 29:10 जलप्रलय के समय यहोवा विराजमान था और यहोवा सर्वदा के लिये राजा होकर विराजमान रहता है।
Psa 29:11 यहोवा अपनी प्रजा को बल देगा, यहोवा अपनी प्रजा को शान्ति की आशीष देगा।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १-३
  • यूहन्ना ५:२५-४७

सोमवार, 16 मई 2011

स्तुति संगीत

एक पुरानी यहूदी किवदन्ती है कि जब परमेश्वर संसार की सृष्टि कर चुका तो उसने सभी स्वर्गदूतों को अपने पास बुलाया और उनसे पूछा कि वे इस रचना के विष्य में क्या विचार रखते हैं। उनमें से एक ने कहा, "बस एक बात की कमी है, यहाँ सृष्टिकर्ता की स्तुति नहीं सुनाई पड़ रही।" तब परमेश्वर ने संगीत सृजा, और वह हवा के बहने, पक्षियों की आवाज़ों और संसार की विभिन्न बातों में प्रकट होने लगा। परमेश्वर ने मनुष्य को संगीत की धुन पर गीत गाने का हुनर भी दिया, और सदियों से संगीत अनगिनित लोगों को प्रफुल्लित और आनन्दित करता आ रहा है।

संगीत परमेश्वर द्वारा दिये गये जीवन के उन अनुग्रहों में से है जिन्हें हम बहुत सामन्य समझते हैं और साधारणत्या उसकी कोई विशेष कीमत नहीं आंकते। यह एक ऐसा वरदान है जिसे हमने परमेश्वर से लेकर उसका सदुप्योग कम तथा दुरुप्योग अधिक किया है। हम संसार में संगीत के गलत प्रयोग और उसके साथ जुड़ी शर्मनाक व्यवहार की बातों को भली भांति जानते हैं। लेकिन भला संगीत परमेश्वर से मिली आशीश है; उससे दुखते हृदय सांत्वना पाते हैं, समयनुसार लोगों को प्रेर्णा मिलती है और विचिलित मन शांति पाते हैं। परमेश्वर की स्तुति संगीत में होकर हम अपने हृदयों को स्तुति में परम्श्वर के सम्मुख उठाते हैं और वह हमें मसीह के लिए जीने को प्रोत्साहित भी करता है।

हमें जब कभी मौका मिले, संगीत द्वारा अपने आत्मा की आवाज़ को अन्य विश्वासियों के साथ मिलाकर हम अपने हृदयों को परमेश्वर की स्तुति के लिए उठाएं, यह परमेश्वर को आदर देता है और हम विश्वासी भाई-बहिनों को उभारता है, आनन्दित करता है।

जब आप अन्य विश्वासियों के साथ मिलकर परमेश्वर की स्तुति गाएं तो स्तुति में संगीत के महत्व के एक नए एहसास के साथ ऐसा करें, परमेश्वर की महिमा के लिए एक नया गीत गाएं। - रिचर्ड डी हॉन


अपने भक्तों के सच्चे हृदय से निकले सतुति के गीतों से बढ़कर परमेश्वर के लिए कोई संगीत नहीं है।

हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा का जयजयकार करो! आनन्द से यहोवा की आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सम्मुख आओ! - भजन १००:१, २


बाइबल पाठ: भजन १००

Psa 100:1 हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा का जयजयकार करो!
Psa 100:2 आनन्द से यहोवा की आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सम्मुख आओ!
Psa 100:3 निश्चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं।
Psa 100:4 उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो!
Psa 100:5 क्योंकि यहोवा भला है, उसकी करूणा सदा के लिये, और उसकी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा २४-२५
  • यूहन्ना ५:१-२४

रविवार, 15 मई 2011

आराधना

१९वीं शताब्दी के एक अविष्कारक जौन एरिकसन विश्व विख्यात वायलिन वादक ओले बुल के बचपन के मित्र थे; लेकिन वे कभी ओले के किसी संगीत समारोह में नहीं गए, क्योंकि उनका मानना था कि संगीत समय की बरबादी है। ओले अपने मित्र के इस रवैये से कभी हताश नहीं हुआ, और एक दिन वह अपने मित्र के कारखाने में पहुंचा और उसने अपना वायलिन बजाना आरंभ कर दिया। जौन एरिकसन ने पहले तो उसे रोकने का प्रयास किया, परन्तु जब अपने सभी कर्मचारियों को मंत्रमुग्ध होकर अपना सभी काम छोड़कर, संगीत का आनन्द लेते देखा तो उसने भी सुनना आरंभ कर दिया और थोड़ी ही देर में वह भी अपने कर्मचारियों के समान संगित से मंत्रमुग्ध हो गया। जब ओले ने वायलिन बजाना बन्द किया तो जौन उससे विनती करने लगा, "मत रुको! बजाते रहो! आज से पहले मैं ने न जाना था कि मैं अपने जीवन में क्या खोए बैठा हूँ।"

कुछ ऐसा ही हाल बहुतेरे मसीही विश्वासियों का है। वे परमेश्वर के वचन के अध्ययन, प्रार्थना और चर्च जाने के द्वारा अपने आत्मा का पोषण तो करते हैं, लेकिन जो परिपूर्ण्ता परमेश्वर उनके जीवनों मे चाहता है, वे उससे वंचित रहते हैं क्योंकि उनके जीवनों में परमेश्वर की आराधना नहीं है। न तो वे परमेश्वर की सृष्टि की सुन्दरता को निहरते हैं और न उस सृष्टि के रहस्यों को समझने का प्रयास करते हैं और वे परमेश्वर की विलक्षण प्रतिभा का आनन्द लेने और उसका गुणनुवाद करने से रह जाते हैं; कुछ अन्य प्रेर्णादायक स्तुति के संगीत में रुचि नही रखते। जिनके जीवनों में परमेश्वर की आराधना नहीं है, उनमें उसकी सभी बातों का संतुलित नज़रिया भी नहीं है।

भजनकार ऐसा नहीं था। उसने परमेश्वर को अपने जीवन के केंद्र में रखा और इससे उसका जीवन परिपूर्ण हुआ और वह परिपक्व बना। उसने परमेश्वर की सृष्टि को निहारने का समय निकाला और संगीत द्वारा परमेश्वर की प्रशंसा तथा आराधना का एक उत्तम साधन पाया। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


कुछ लोग जो बातें सारे संसार का भ्रमण करके भी नहीं देख पाते, अन्य उससे अधिक अपने इर्द-गिर्द के स्थानों में ही देख लेते हैं।

याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मनभावना है, उसकी स्तुति करनी मनभावनी है। - भजन १४७:१


बाइबल पाठ: भजन १४७

Psa 147:1 याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मनभावना है, उसकी स्तुति करनी मनभावनी है।
Psa 147:2 यहोवा यरूशलेम को बसा रहा है, वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है।
Psa 147:3 वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम-पट्टी बान्धता है।
Psa 147:4 वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है।
Psa 147:5 हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है, उसकी बुद्धि अपरम्पार है।
Psa 147:6 यहोवा नम्र लोगों को सम्भलता है, और दुष्टों को भूमि पर गिरा देता है।
Psa 147:7 धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ, वीणा बजाते हुए हमारे परमेश्वर का भजन गाओ।
Psa 147:8 वह आकाश को मेघों से छा देता है, और पृथ्वी के लिये मेंह की तैयारी करता है, और पहाड़ों पर घास उगाता है।
Psa 147:9 वह पशुओं को और कौवे के बच्चों को जो पुकारते हैं, आहार देता है।
Psa 147:10 न तो वह घोड़े के बल को चाहता है, और न पुरूष के पैरों से प्रसन्न होता है;
Psa 147:11 यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात उन से जो उसकी करूणा की आशा लगाए रहते हैं।
Psa 147:12 हे यरूशलेम, यहोवा की प्रशंसा कर! हे सिय्योन, अपने परमेश्वर की स्तुति कर!
Psa 147:13 क्योंकि उस ने तेरे फाटकों के खम्भों को दृढ़ किया है; और तेरे लड़के बालों को आशीष दी है।
Psa 147:14 और तेरे सिवानों में शान्ति देता है, और तुझ को उत्तम से उत्तम गेहूं से तृप्त करता है।
Psa 147:15 वह पृथ्वी पर अपनी आज्ञा का प्रचार करता है, उसका वचन अति वेग से दौड़ता है।
Psa 147:16 वह ऊन के समान हिम को गिराता है, और राख की नाईं पाला बिखेरता है।
Psa 147:17 वह बर्फ के टुकड़े गिराता है, उसकी की हुई ठण्ड को कौन सह सकता है?
Psa 147:18 वह आज्ञा देकर उन्हें गलाता है; वह वायु बहाता है, तब जल बहने लगता है।
Psa 147:19 वह याकूब को अपना वचन, और इस्राएल को अपनी विधियां और नियम बताता है।
Psa 147:20 किसी और जाति से उस ने ऐसा बर्ताव नहीं किया, और उसके नियमों को औरों ने नहीं जाना। याह की स्तुति करो।

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा २२-२३
  • यूहन्ना ४:३१-५४

शनिवार, 14 मई 2011

बचकर भागने से समस्या

हमारे पालतु कुत्ते पर बहुत से पिस्सु हो गए। हमने उन्हें दूर करने के लिए पिस्सुओं के शैम्पू से उसे नहलाया, पिस्सु मारने वाले पाउडर को उस पर छिड़का और उसके बिस्तर को धुआँ दिया। हमने सोचा कि हम ने समस्या पर विजय पा ली है, लेकिन शीघ्र ही पिस्सु फिर दिखने लगे। ऐसा कई बार हुआ। हम अचंभित थे कि कहाँ से आ रहे थे ये पिस्सु? उसके भोजन से? उसके बिस्तर से? क्या हम से? नहीं, इन में से किसी से भी नहीं। हमारा कुत्ता अभी हाल ही में ’व्यसक’ हुआ था और वह अपने प्रत्येक नए आकर्षण की ओर भागने के लिए तत्पर रहता था। जैसे ही उसे दरवाज़ा ज़रा सा भी खुला मिलता, वह तुरंत अपनी मस्ती मिटाने के लिए बहर भाग जाता। फिर हम चाहे उसे कितना ही पुकारें, उसे बुलाएं या धमकाएं, वह हमारी कदापि नहीं सुनता था। हर अवसर पर वह बाहर भागता और समस्याओं के साथ वापस लौटता - अपने लिए भी और हमारे लिए भी।

इससे कुछ अधिक गंभीर रूप में, दाउद ने अपनी अदम्य लालसाओं और हठ पूर्वक करी गई गलतियों के दुषपरिणाम भोगे। जब उस पर परमेश्वर का हाथ भारी हुआ तो उसने अपनी गलती को पहचाना, और यह भी जाना कि परमेश्वर उसके साथ ऐसा उसे सुधारने के लिए और उसके कुकर्मों के दुषपरिणामों को उससे दूर करने के लिए कर रहा है (भजन ३८:२-५)।

यदि कोई कुत्ता भाग निकले और समस्याएं उत्पन्न कर ले तो उसे रोकने के लिए हम शायद ही कुछ कर पाएं, क्योंकि वह तो अपने नैसर्गिक गुण के वशिभूत है। लेकिन जब हम परमेश्वर से भागकर अपने ऊपर समस्याएं ले आएं, तो हमारे लिए परमेश्वर ही से सहायता है।

दाउद की तरह हम अपने ऊपर हो रहे परमेश्वर के भारी हाथ को पहचान कर उससे क्षमा मांग सकते हैं, और एक नई शुरूआत कर सकते हैं। इससे भी बेहतर है कि इसके पहले कि हमें परमेश्वर के दण्ड का सामना करना पड़े, हम पाप अंगीकार और पश्चाताप के साथ उसके पास आ जाएं।

परमेश्वर से भागने से कभी समस्या का समाधान नहीं होता। - मार्ट डी हॉन


आज्ञाकारिता का एक छोटा सा कदम आशीर्वाद की ओर एक बड़ी छलांग है।

मेरी मूढ़ता के कारण से मेरे कोड़े खाने के घाव बसाते हैं और सड़ गए हैं। मैं बहुत दुखी हूं और झूक गया हूं; दिन भर मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं। - भजन ३८:५, ६

बाइबल पाठ: भजन ३८

Psa 38:1 हे यहोवा क्रोध में आकर मुझे झिड़क न दे, और न जलजलाहट में आकर मेरी ताड़ना कर!
Psa 38:2 क्योंकि तेरे तीर मुझ में लगे हैं, और मैं तेरे हाथ के नीचे दबा हूं।
Psa 38:3 तेरे क्रोध के कारण मेरे शरीर में कुछ भी आरोग्यता नहीं, और मेरे पाप के कारण मेरी हडि्डयों में कुछ भी चैन नहीं।
Psa 38:4 क्योंकि मेरे अधर्म के कामों में मेरा सिर डूब गया, और वे भारी बोझ की नाई मेरे सहने से बाहर हो गए हैं।
Psa 38:5 मेरी मूढ़ता के कारण से मेरे कोड़े खाने के घाव बसाते हैं और सड़ गए हैं।
Psa 38:6 मैं बहुत दुखी हूं और झूक गया हूं; दिन भर मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं।
Psa 38:7 क्योंकि मेरी कमर में जलन है, और मेरे शरीर में आरोग्यता नहीं।
Psa 38:8 मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूं; मैं अपने मन की घबराहट से कराहता हूं।
Psa 38:9 हे प्रभु मेरी सारी अभिलाषा तेरे सम्मुख है, और मेरा कराहना तुझ से छिपा नहीं।
Psa 38:10 मेरा हृदय धड़कता है, मेरा बल घटता जाता है और मेरी आंखों की ज्योति भी मुझ से जाती रही।
Psa 38:11 मेरे मित्र और मेरे संगी मेरी विपत्ति में अलग हो गए, और मेरे कुटुम्बी भी दूर जा खड़े हुए।
Psa 38:12 मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि के यत्न करने वाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं।
Psa 38:13 परन्तु मैं बहिरे की नाई सुनता ही नहीं, और मैं गूंगे के समान मूंह नहीं खोलता।
Psa 38:14 वरन मैं ऐसे मनुष्य के तुल्य हूं जो कुछ नहीं सुनता, और जिसके मुंह से विवाद की कोई बात नहीं निकलती।
Psa 38:15 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तुझ ही पर अपनी आशा लगाई है; हे प्रभु, मेरे परमेश्वर, तू ही उत्तर देगा।
Psa 38:16 क्योंकि मैं ने कहा, ऐसा न हो कि वे मुझ पर आनन्द करें जो, जब मेरा पांव फिसल जाता है, तब मुझ पर अपनी बड़ाई मारते हैं।
Psa 38:17 क्योंकि मैं तो अब गिरने ही पर हूं, और मेरा शोक निरन्तर मेरे साम्हने है।
Psa 38:18 इसलिये कि मैं तो अपने अधर्म को प्रगट करूंगा, और अपने पाप के कारण खेदित रहूंगा।
Psa 38:19 परन्तु मेरे शत्रु फुर्तीले और सामर्थी हैं, और मेरे विरोधी बैरी बहुत हो गए हैं।
Psa 38:20 जो भलाई के बदले में बुराई करते हैं, वह भी मेरे भलाई के पीछे चलने के कारण मुझ से विरोध करते हैं।
Psa 38:21 हे यहोवा, मुझे छोड़ न दे! हे मेरे परमेश्वर, मुझ से दूर न हो!
Psa 38:22 हे यहोवा, हे मेरे उद्धारकर्ता, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा ४-६
  • लूका २४:३६-५३

स्वच्छ हृदय की प्रार्थनाएं

पश्चिमी देश से आया एक पर्यटक एक मध्यपूर्व के देश में एक घर में आमंत्रित किया गया। उस घर में आने पर उसने देखा कि घर के एक सेवक ने उस घर के बेटे को एक बर्तन में पानी और एक गलीचा दिया। बेटे ने तीन बार अपने हाथ, पैर, मूँह, गला और कान धोए फिर गलीचा बिछा कर वह उसपर घुटने टेक कर बैठ गया और अपना सर झुका कर प्रार्थना करने लगा।

बाइबल के पुराने नियम में परमेश्वर के सन्मुख आते समय अपने आप को धो कर साफ कर लेने के लिए निर्देश हैं; ये इस बात को याद दिलाने के लिए थे कि परमेश्वर के सन्मुख स्व्च्छ मन से आएं, किसी पाप को मन में छुपाए हुए नहीं। दाउद ने भजन ६६ में लिखा, "यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता" (भजन ६६:१८); एक अन्य भजन में वह कहता है, "यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है? और उसके पवित्र स्थान में कौन खड़ा हो सकता है? जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध है, जिस ने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगाया, और न कपट से शपथ खाई है। वह यहोवा की ओर से आशीष पाएगा, और अपने उद्धार करने वाले परमेश्वर की ओर से धर्मी ठहरेगा" (भजन २४:३-५)।

जो लोग पाप में बने हुए हैं, उनका यह आशा रखना कि परमेश्वर उनकी प्रार्थनाओं की ओर कान लगाएगा और उनका उत्तर देगा मूर्खता है। धर्मी मनुष्यों की प्रार्थनाएं ही प्रभावी प्रार्थनाएं होती हैं (याकूब ५:१६)। परमेश्वर का वचन हमें आश्वस्त करता है कि, "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ यूहन्ना १:९)। परमेश्वर का वचन यह भी सिखाता है कि हम "प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे" (१ कुरिन्थियों ६:११) - परमेश्वर के साथ हमारा सही संबंध प्रभु यीशु में होकर ही संभव है।

स्वच्छ हृदय द्वारा मांगी गई प्रार्थनाएं ही वे प्रार्थनाएं हैं जिनकी ओर परमेश्वर के कान लगे रहते हैं और जिनका उत्तर वह देता है। - रिचर्ड डी हॉन


हमारी प्रार्थनाओं के शब्दों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है प्रार्थना के समय हमारे हृदय की दशा।

तो आओ; हम सच्‍चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये ह्रृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएं। - इब्रानियों १०:२२


बाइबल पाठ: दानिय्येल ९:१-२०

Dan 9:1 मादी क्षयर्ष का पुत्र दारा, जो कसदियों के देश पर राजा ठहराया गया था,
Dan 9:2 उसके राज्य के पहिले वर्ष में, मुझ दानिय्येल ने शास्त्र के द्वारा समझ लिया कि यरूशलेम की उजड़ी हुई दशा यहोवा के उस वचन के अनुसार, जो यिर्मयाह नबी के पास पहुंचा था, कुछ वर्षों के बीतने पर अर्थात सत्तर वर्ष के बाद पूरी हो जाएगी।
Dan 9:3 तब मैं अपना मुख परमेश्वर की ओर कर के गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थाना करने लगा, और उपवास कर, टाट पहिन, राख में बैठ कर वरदान मांगने लगा।
Dan 9:4 मैं ने अपने परमेश्वर यहोवा से इस प्रकार प्रार्थना की और पाप का अंगीकार किया, हे प्रभु, तू महान और भययोग्य परमेश्वर है, जो अपने प्रेम रखने और आज्ञा मानने वालों के साथ अपनी वाचा को पूरा करता और करूणा करता रहता है,
Dan 9:5 हम लोगों ने तो पाप, कुटिलता, दुष्टता और बलवा किया है, और तेरी आज्ञाओं और नियमों को तोड़ दिया है।
Dan 9:6 और तेरे जो दास नबी लोग, हमारे राजाओं, हाकिमों, पूर्वजों और सब साधारण लोगों से तेरे नाम से बातें करते थे, उनकी हम ने नहीं सुनी।
Dan 9:7 हे प्रभु, तू धर्मी है, परन्तु हम लोगों को आज के दिन लज्जित होना पड़ता है, अर्थात यरूशलेम के निवासी आदि सब यहूदी, क्या समीप क्या दूर के सब इस्राएली लोग जिन्हें तू ने उस विश्वासघात के कारण जो उन्होंने तेरा किया था, देश देश में बरबस कर दिया है, उन सभों को लज्जित होना पड़ता है।
Dan 9:8 हे यहोवा हम लोगों ने अपने राजाओं, हाकिमों और पूर्वजों समेत तेरे विरूद्ध पाप किया है, इस कारण हम को लज्जित होना पड़ता है।
Dan 9:9 परन्तु, यद्यपि हम अपने परमेश्वर प्रभु से फिर गए, तौभी तू दयासागर और क्षमा की खान है।
Dan 9:10 हम तो अपने परमेश्वर यहोवा की शिक्षा सुनने पर भी उस पर नहीं चले जो उस ने अपने दास नबियों से हमको सुनाई।
Dan 9:11 वरन सब इस्राएलियों ने तेरी व्यवस्था का उल्लंघन किया, और ऐसे हट गए कि तेरी नहीं सुनी। इस कारण जिस शाप की चर्चा परमेश्वर के दास मूसा की व्यवस्था में लिखी हुई है, वह शाप हम पर घट गया, क्योंकि हम ने उसके विरूद्ध पाप किया है।
Dan 9:12 सो उस ने हमारे और न्यायियों के विषय जो वचन कहे थे, उन्हें हम पर यह बड़ी विपत्ति डालकर पूरा किया है; यहां तक कि जैसी विपत्ति यरूशलेम पर पड़ी है, वैसी सारी धरती पर और कहीं नहीं पड़ी।
Dan 9:13 जैसे मूसा की व्यवस्था में लिखा है, वैसे ही यह सारी विपत्ति हम पर आ पड़ी है, तौभी हम अपने परमेश्वर यहोवा को मनाने के लिये न तो अपने अधर्म के कामों से फिरे, और ने तेरी सत्य बातों पर ध्यान दिया।
Dan 9:14 इस कारण यहोवा ने सोच विचार कर हम पर विपत्ति डाली है; क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा जितने काम करता है उन सभों में धर्मी ठहरता है, परन्तु हम ने उसकी नहीं सुनी।
Dan 9:15 और अब, हे हमारे परमेश्वर, हे प्रभु, तू ने अपनी प्रजा को मिस्र देश से, बली हाथ के द्वारा निकाल लाकर अपना ऐसा बड़ा नाम किया, जो आज तक प्रसिद्ध है, परन्तु हम ने पाप किया है और दुष्टता ही की है।
Dan 9:16 हे प्रभु, हमारे पापों और हमारे पुरखाओं के अधर्म के कामों के कारण यरूशलेम की और तेरी प्रजा की, और हमारे आस पास के सब लोगों की ओर से नामधराई हो रही है; तौभी तू अपने सब धर्म के कामों के कारण अपना क्रोध और जलजलाहट अपने नगर यरूशलेम पर से उतार दे, जो तेरे पवित्र पर्वत पर बसा है।
Dan 9:17 हे हमारे परमेश्वर, अपने दास की प्रार्थना और गिड़गड़ाहट सुनकर, अपने उजड़े हुए पवित्रस्थान पर अपने मुख का प्रकाश चमका; हे प्रभु, अपने नाम के निमित्त यह कर।
Dan 9:18 हे मेरे परमेश्वर, कान लगाकर सुन, आंख खोलकर हमारी उजड़ी हुई दशा और उस नगर को भी देख जो तेरा कहलाता है? क्योंकि हम जो तेरे साम्हने गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करते हैं, सो अपने धर्म के कामों पर नहीं, वरन तेरी बड़ी दया ही के कामों पर भरोसा रखकर करते हैं।
Dan 9:19 हे प्रभु, सुन ले; हे प्रभु, पाप क्षमा कर; हे प्रभु, ध्यान देकर जो करता है उसे कर, विलम्ब न कर; हे मेरे परमेश्वर, तेरा नगर और तेरी प्रजा तेरी ही कहलाती है इसलिये अपने नाम के निमित्त ऐसा ही कर।

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १५-१६
  • यूहन्ना ३:१-१८

शुक्रवार, 13 मई 2011

अंगीकार से स्वतंत्रता

एक छोटी कहानी है - एक बालक पत्थर फेंक कर निशाना लगा रहा था, खेलते खेलते गलती से परिवार की बतखों में से एक के पत्थर लगा और वह मर गई। बालक ने आस-पास देखा और जब उसे लगा के किसी ने उसकी यह हरकत नही देखी है, तो उसने मरी हुई बतख को मिट्टी में दबा दिया। शाम को जब वह घर आया तो रात के भोजन के बाद उसकी बहन ने उसे अलग बुलाकर कहा, "मैंने देखा तुमने बतख का क्या किया। अगर तुमने मेरे लिए बर्तन नहीं धोए तो मैं पिताजी को सब कुछ बता दूंगी।" डर के कारण बालक ने बहन की बात मान ली। इसके बाद तो बहन को उससे काम लेते रहने का रास्ता ही मिल गया। बार बार उसे वह डराती और अपने हिस्से के घर के काम उससे करवाती। थोड़े समय में बालक इससे परेशान हो गया, उसने हिम्मत जुटा कर अपने पिता के सामने अपनी गलती का बयान कर दिया। पिता ने तुरंत उसे गले से लगा लिया और बड़े प्यार से बोले, "मैं जानता हूँ, जब तुमसे वह बतख मरी तब मैं घर की खिड़की से सब देख रहा था। मैं यह भी जानता हूँ कि तुम्हारी बहन कैसे इस बात का तुमसे नाजायज़ फायदा उठा रही है। मैं इस इंतिज़ार में था कि कब तुम अपनी गलती का अंगीकार करोगे। जाओ, मैंने तुम्हें क्षमा किया, आगे से ध्यान रखना।" उस शाम जब बहन ने फिर उसे डरा कर अपना काम करवाना चाहा, तो बालक ने कहा, "मैंने अपनी गलती मान ली है, पिताजी को सब पता है। अब मैं तुम्हारे चुंगुल से स्वतंत्र हूँ।"

हमारी कितनी ही गलतियाँ हम अपने परमेश्वर पिता से छुपाते हैं, जबकि वह सब कुछ देखता और जानता है; और फिर बहानों और झूठ द्वारा अपने आप को सही दिखाने का प्रयास करते हैं, फलस्वरूप शैतान के हाथों में कठपुतली बन कर भारी मन से बोझिल जीवन व्यतीत करते रहते हैं। जबकि पिता परमेश्वर केवल इस प्रतीक्षा में रहता है कि हम अपने पाप का अंगीकार करें और वह हमें क्षमा करके हमारे जीवन के आनन्द को बहाल कर दे।

बाइबल में प्रभु यीशु ने इस बात को ’उड़ाऊ पुत्र’ के दृष्टांत द्वारा समझाया। इस पुत्र ने अपने बाप से सम्पत्ति का अपना हिस्सा लिया और दूसरे स्थान पर चला गया, तथा दोस्तों के साथ व्यर्थ जीवन में सारी सम्पत्ति उड़ा दी। कंगाली की हालत में, हर तरह से भूखा और मजबूर, उसे अपने बाप की याद आई और यह भी कि उसके बाप के नौकर उससे बेहतर हालत में रहते हैं। तब वह इस इरादे से बाप के पास चला कि जाकर अपनी गलती मान लेगा और बाप से मांगेगा कि उसे नौकर ही रख ले क्योंकि अब वह पुत्र होने के लायक नहीं है। लेकिन बाप के पास पहुंचते ही उसके लिए उम्मीद के विपरीत, सारी बात ही बदल गई। अभी बाप के सामने उसने अपने पश्चाताप की बात पूरी भी नहीं करी थी कि बाप ने उसे उसकी गन्दी हालत में ही बड़े प्यार से गले से लगा लिया और उसका खोया स्थान बहाल कर दिया तथा नौकरों से कहा कि उसके पुत्र के लौटने के उपलक्ष में एक बड़ा भोज तैयार किया जाए।

दाउद ने भी अंगीकार की स्वतंत्रता को अनुभव किया। भजन ३२ में उसने लिखा कि कैसे जब वह अपने पाप के विष्य में खामोश रहा तो उसे शारीरिक और मानसिक परेशानियों को झेलना पड़ा, लेकिन जैसे ही उसने परमेश्वर के सामने अपने पाप को मान लिया, उसे क्षमा दान मिल गया और उसका आनन्द और शरीर की सामर्थ उसे वापस मिल गई।

हमारा परमेश्वर पिता कभी हमें दण्ड देकर प्रसन्न नहीं होता "प्रभु यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न होता हूँ? क्या मैं इस से प्रसन्न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे?" (यहेजेकेल १८:२३); वह सदा हमें क्षमा पाने के अवसर देता रहता है और जैसे ही हम उसके सन्मुख अपने पाप का अंगीकार करते हैं, हमें उसका क्षमा दान और हमारे आनन्द की बहाली तुरंत मिल जाते हैं।

अंगीकार ही पाप के दासत्व से स्वतंत्रता का मार्ग है। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


जब तक हम अपने पाप का सामना करने को तैयार नहीं हो जाते, हम कभी उन्हें अपने पीछे नहीं कर सकते।

जब मैं चुप रहा तब दिन भर कहरते कहरते मेरी हडि्डयां पिघल गई। - भजन ३२:८


बाइबल पाठ: लूका १५:११-२४

Luk 15:11 फिर उस ने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे।
Luk 15:12 उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उस ने उन को अपनी संपत्ति बांट दी।
Luk 15:13 और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी।
Luk 15:14 जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया।
Luk 15:15 और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहां जा पड़ा : उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा।
Luk 15:16 और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्‍हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था।
Luk 15:17 जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहा हूं।
Luk 15:18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्‍वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्‍टि में पाप किया है।
Luk 15:19 अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले।
Luk 15:20 तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।
Luk 15:21 पुत्र न उस से कहा पिता जी, मैं ने स्‍वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्‍टि में पाप किया है और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं।
Luk 15:22 परन्‍तु पिता ने अपने दासों से कहा झट अच्‍छे से अच्‍छा वस्‍त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ।
Luk 15:23 और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्‍द मनावें।
Luk 15:24 क्‍योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्‍द करने लगे।

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १७-१८
  • यूहन्ना ३:१९-३६

बुधवार, 11 मई 2011

प्रभावी प्रार्थना

बालक जेसन द्वारा हुई गलती के लिए उसकी माँ ने उसे उसके कमरे में भेज दिया। कुछ देर अके बाद जेसन कमरे से बाहर माँ के पास वापस आ गया और बोला, "मैं अपने किए के बारे में विचार कर रहा था, और फिर मैंने प्रार्थना करी।" उसकी माँ को उसके इस व्यवहार से बहुत प्रसन्नता हुई, और उसे और प्रोत्साहित करने के लिए माँ ने जेसन से कहा, "यह तो बहुत अच्छी बात है। यदि तुम परमेश्वर से मांगोगे कि तुम्हें अच्छा बनाए, तो अवश्य ही वह ऐसा करेगा।" जेसन ने उत्तर दिया, "लेकिन मैंने प्रार्थना अपने अच्छे बनने के लिए थोड़े ही करी; मैंने परमेश्वर से मांगा कि वह मुझे सहने में तुम्हारी सहायता करे!"

जेसन की इस प्रार्थना के समान प्रार्थनाएं सामानयता करी जाती हैं। अधिकांशतः लोग यह स्वीकार करना नहीं चाहते कि वे किसी समस्या का कारण हो सकते हैं, इसलिए लोग अक्सर यही प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर संबंधित लोगों और परिस्थितियों को बदल दे। ऐसी प्रार्थनाएं समस्या के मुख्य कारण - हमारे अपने मन की दशा, को नज़रंदाज़ करके अन्य गैरज़रूरी बातों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। अपनी परिस्थितियों के लिए प्रार्थना करना तब ही प्रभावी हो सकता है जब हम पहले अपने मन की दशा को ठीक से आँक कर उसे सही कर लें।

दाउद की प्रार्थना के भजन, भजन ५१ में, दाउद ने सर्वप्रथम अपने लिए परमेश्वर से दया की याचना करी (पद १)। फिर उसने अपने पाप का अंगीकार किया (पद ३), तब उसने परमेश्वर से स्वच्छ हृदय मांगा और अपने उद्धार के आनन्द की बहाली की प्रार्थना करी (पद १०,१२)। व्यभिचार और हत्या के अपने घिनौने पापों को मान लेने के लिए दाउद ने कोई बहाने नहीं बनाए।

परमेश्वर चाहता है कि जब हम उससे प्रार्थना करें तो हम पूरी ईमानदारी के साथ उसके पास आएं। इसके लिए हमें संघर्ष करना पड़ सकता है, क्योंकि ऐसी ईमानदारी से किया हुआ स्वयं विशलेषण और फिर उसका अंगीकार कठिन और दुखदायी होता है, लेकिन प्रभावी प्रार्थना की यही एकमात्र विधि है। - डेनिस डी हॉन


परमेश्वर ऐसों को भी क्षमा करने को सदा तैयार रहता है जो इस क्षमा के कदापि योग्य नहीं हैं।

मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है। - भजन ५१:३


बाइबल पाठ: भजन ५१:१-१७

Psa 51:1 हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।
Psa 51:2 मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!
Psa 51:3 मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।
Psa 51:4 मैं ने केवल तेरे ही विरूद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।
Psa 51:5 देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।
Psa 51:6 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है, और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
Psa 51:7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा, मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।
Psa 51:8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वे मगन हो जाएं।
Psa 51:9 अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
Psa 51:10 हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
Psa 51:11 मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर।
Psa 51:12 अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।
Psa 51:13 तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
Psa 51:14 हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरे धर्म का जयजयकार करने पाऊंगा।
Psa 51:15 हे प्रभु, मेरा मुंह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूंगा।
Psa 51:16 क्योकि तू मेलबलि में प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता, होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता।
Psa 51:17 टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है, हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १३-१४
  • यूहन्ना २

मंगलवार, 10 मई 2011

सुधार की विधि

हमारे माता-पिता दो तरह से हमें सुधारते हैं; जब कोई बालक उद्दण्ड अथवा अनाज्ञाकारी होता है, तो उनका एक टेढ़ी नज़र से देखना बालक को उनकी नाराज़गी का सन्देश पहुँचा देता है। बालक जैसे ही अपने आप को सुधार लेता है, माता-पिता की टेढ़ी नज़र, प्यार की नज़र बन जाती है। लेकिन यदि बालक उनके टेढ़ी नज़र के सन्देश को नज़रंदाज़ करके अपनी उद्दण्डता या अनाज्ञाकारिता में बना रहे, तो फिर माता-पिता को उसे सुधारने के लिए कठोर कदम उठाने पड़ते हैं।

दाउद भी ऐसे ही अनुभव से होकर गुज़रा और भजन ३२ में उसने अपने अनुभव और उनसे मिली शिक्षाएं वर्णित करी हैं। उसके पाप के कारण दाउद पर परमेश्वर का हाथ बहुत भारी हुआ, और उस बोझ के तले उसे अपनी हड्डियाँ गलती हुई लगीं और उसके जीवन की तरावट सूख गई; उसने बत्शीबा से अपने व्यभिचार और उसके पति उरीयाह की हत्या करवाने के पाप को मान लिया (पद ३,४,५)। परमेश्वर से क्षमा याचना करने और पश्चाताप करने से परमेश्वर का भारी हाथ उस पर से हट गया, दाउद ने अपने आप को एक नया मनुष्य अनुभव किया और अपने आप को आशा से कहीं आधिक आशीशित पाया। इसलिए वह प्रत्येक उस विश्वासी से, जो किसी कारणवश पाप में गिर जाए, आग्रह करता है कि ऐसा होते ही तुरंत क्षमा की प्रार्थना कर ले (पद ६)।

दाउद ने कहा कि परमेश्वर हमारी अगुवाई अपनी आँख से करेगा, फिर आगे पद ९ में लिखा कि "तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।" दाउद का तात्पर्य था कि परमेश्वर के पास हमें अपने पास वापस लौटा लाने के दो तरीके हैं - आँख से या लगाम और नकेल से।

यदि हम कभी भी पाप में पड़ें तो परमेश्वर चाहता है कि जैसे ही हमें पाप का बोध हो, हम तुरंत ही उस पाप का अंगीकार करके उसके लिए क्षमा माँग लें। वह नहीं चाहता कि हम नासमझ जानवरों के समान बनें जिन्हें लगाम और नकेल लगा कर ही सीधा रखा जा सकता है। परमेश्वर का हमारे प्रति प्रेम हमें कभी पाप में बने रहने नहीं देगा, वह हमें अवश्य ही सुधारेगा; लेकिन उसके सुधार की विधि हम पर निर्भर करती है; परमेश्वर तो अपनी नज़र के इशारे से ही हमें सुधारना चाहता है, परन्तु आवश्यक्ता पड़ने पर वह लगाम और नकेल का भी प्रयोग करने से नहीं हिचकिचाता। - डेनिस डी हॉन


हम परमेश्वर के जितना निकट बने रहते हैं, उतना ही स्पष्ट हम उसके मार्गदर्शन को देख-समझ पाते हैं।

मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा। तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के। - भजन ३२:८,९


बाइबल पाठ: भजन ३२

Psa 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ापा गया हो।
Psa 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
Psa 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कहरते कहरते मेरी हडि्डयां पिघल गई।
Psa 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
Psa 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
Psa 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी।
Psa 32:7 तू मेरे छिपने का स्थान है, तू संकट से मेरी रक्षा करेगा, तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
Psa 32:8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा।
Psa 32:9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
Psa 32:10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा।
Psa 32:11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १०-१२
  • यूहन्ना १:२९-५१

सोमवार, 9 मई 2011

आकर्षण

किसी ४० फुट लम्बी और ४५ टन वज़न की व्हेल मछली से कुछ करवाना आसान नहीं है, चाहे वह उसकी भलाई ही के लिए क्यों न हो। यह निष्कर्ष था उन भली मनसा वाले लोगों का जो एक व्हेल मछली को वापस समुद्र में भेजने का प्रयास कर रहे थे। एक व्हेल मछली कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर खुलते नदी के मुहाने से होकर नदी में मुड़ गई और नदी ही में ७० मील अन्दर तक चली गई। नदी के सीमित वातावरण से उसे वापस खुले समुद्र की ओर मोड़ने के प्रयासों को वह ३ सप्ताह से भी अधिक तक विफल करती रही। आखिरकार समुद्री जीवों के विशेषज्ञों ने उसे उसी की जाति की और व्हेल मछलियों के भोजन करती हुई आवाज़ों को रिकॉर्ड करके उसे सुनाया, और वह व्हेल उन आवाज़ों की ओर आकर्षित हुई, तब वे वैज्ञानिक उन आवाज़ों को सुनाते हुए समुद्र की ओर बढ़े तथा वह व्हेल भी उनके पीछे पीछे समुद्र में फिर से पहुँच गई।

किसी अच्छी वस्तु को प्राप्त करने का आकर्षण मनुष्यों पर भी कार्य करता है। परमेश्वर अपने लोगों के जीवन आकर्षक बनाता है जिससे जो लोग परमेश्वर को नहीं जानते वे उनकी ओर आकर्षित हों, तथा परमेश्वर का आत्मा उन्हें उनके पापों के लिए कायल करे, और वे भी वही पाने के लालायित हों जो वे विश्वासियों में देखते हैं। राजा दाउद ने जब पश्चाताप किया और उसका आनन्द उसे वापस मिला तब वह लोगों को परमेश्वर की ओर ला सका ( भजन ५१:१२, १३)। पतरस की पहली पत्री में हम पढ़ते हैं कि एक विश्वासी पत्नि अपने अविश्वासी पति को अपनी नम्रता और दीनता से प्रभु की ओर ला सकती है (१ पतरस ३:४)।

प्रेम, आनन्द और शान्ति जैसे आकर्षक गुण उनमें मिलते हैं जो परमेश्वर की भलाई पर निर्भर रहते हैं। इन्हें और ऐसे ही अन्य गुणों के आकर्षण से लोग संसार की सीमाओं से निकलकर परमेश्वर के अनुग्रह के समुद्र में स्वच्छंद रह सकते हैं, जो सभी लोगों को प्रभु यीशु में विश्वास करने से सेंतमेंत उपलब्ध है। - मार्ट डी हॉन


उद्धार के मधुर गीत गाने वाले औरों को भी उद्धारकर्ता के निकट खींच लाते हैं।

अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल। तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे। - भजन ५२:१२, १३


बाइबल पाठ: भजन ५२:७-१३

Psa 51:7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा, मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।
Psa 51:8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वे मगन हो जाएं।
Psa 51:9 अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
Psa 51:10 हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
Psa 51:11 मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर।
Psa 51:12 अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।
Psa 51:13 तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा ७-९
  • युहन्ना १:१-२८

रविवार, 8 मई 2011

नया गीत

नई चीज़ें आकर्षक होती हैं - हम नए समाचारों में ही रुचि रखते हैं, नया अखबार पढ़ते है पुराना नहीं, आपसी बातचीत में सामन्यतः नई घटनाओं की चर्चा होती है, खेल के नए आंकड़ों की चर्चा करते हैं, आदि।

यही बात परमेश्वर और हमारे संबंधों पर भी लागू होती है, परमेश्वर सदा हमारे लिए क्या क्या करता रहता है, उसके नए कार्यों का बोध हमें सदा रहना चाहिए। भजनकार ने परमेश्वर के अद्भुत कार्यों के ताज़ा एहसास की महत्वपूर्णता को पहचाना और कहा कि हमें सदा परमेश्वर की स्तुति में उसके नए नए कामों के वर्णन का नया गीत गाते रहना चाहिए। परमेश्वर ने जो कुछ बीते समय में भी हमारे लिए किया है, उसका भी एक ताज़ा एहसास हमारी स्तुति में रहना चाहिए। भजनकार ने आगे कहा कि परमेश्वर के नियंत्रण में सारी सृष्टि, वातावरण, आपसी संबंध और मनुष्य के प्रत्येक अनुभव हैं। जो उससे प्रेम रखते हैं, उनके प्रति वह अपनी विशेष देखभाल रखता है।

परमेश्वर के अनुग्रह की सामर्थ का सुसमाचार हमारे ’नए जन्म’ के साथ ही समाप्त नहीं हो गया। भजन ९६ के भजनकार के समान हम भी परमेश्वर के नित नए कार्यों से आनन्दित रह सकते हैं, क्योंकि परमेश्वर आज भी हमारे जीवनों में नए नए कार्य करता रहता है। उसके इन नए कार्यों को पहचानने के लिए हमें उसके साथ अपने संबंधों को ताज़ा रखना होगा, उसके साथ जो इस सदा बदलते संसार में भी स्थिर बना रहता है और प्रत्येक चीज़ को अपने नियंत्रण में रखता है।

परमेश्वर की हस्तकला सृष्टि और मनुष्यों में उसके गीतों द्वारा विदित है। - मार्ट डी हॉन


जो परमेश्वर की आशीशों का बोध रखता है, उसका हृदय सदा परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ बना रहता है।

यहोवा के लि्ये एक नया गीत गाओ, हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा के लिये गाओ! यहोवा के लिये गाओ, उसके नाम को धन्य कहो; दिन दिन उसके किए हुए उद्धार का शुभसमाचार सुनाते रहो। - भजन ९६:१, २


बाइबल पाठ: भजन ९६

Psa 96:1 यहोवा के लिये एक नया गीत गाओ, हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा के लिये गाओ!
Psa 96:2 यहोवा के लिये गाओ, उसके नाम को धन्य कहो, दिन दिन उसके किए हुए उद्धार का शुभसमाचार सुनाते रहो।
Psa 96:3 अन्य जातियों में उसकी महिमा का, और देश देश के लोगों में उसके आश्चर्यकर्मों का वर्णन करो।
Psa 96:4 क्योंकि यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है; वह तो सब देवताओं से अधिक भय योग्य है।
Psa 96:5 क्योंकि देश देश के सब देवता तो मूरतें ही हैं, परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है।
Psa 96:6 उसके चारों और विभव और ऐश्वर्य है, उसके पवित्र स्थान में सामर्थ्य और शोभा है।
Psa 96:7 हे देश देश के कुलों, यहोवा का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को मानो!
Psa 96:8 यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करो जो उसके योग्य है; भेंट लेकर उसके आंगनों में आओ!
Psa 96:9 पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत करो, हे सारी पृथ्वी के लोगों उसके साम्हने कांपते रहो!
Psa 96:10 जाति जाति में कहो, यहोवा राजा हुआ है! और जगत ऐसा स्थिर है, कि वह टलने का नहीं; वह देश देश के लोगों का न्याय सीधाई से करेगा।
Psa 96:11 आकाश आनन्द करे, और पृथ्वी मगन हो, समुद्र और उस में की सब वस्तुएं गरज उठें;
Psa 96:12 मैदान और जो कुछ उस में है, वह प्रफुल्लित हो, उसी समय वन के सारे वृक्ष जयजयकार करेंगे।
Psa 96:13 यह यहोवा के साम्हने हो, क्योंकि वह आने वाला है। वह पृथ्वी का न्याय करने को आने वाला है, वह धर्म से जगत का, और सच्चाई से देश देश के लोगों का न्याय करेगा।

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १९-२१
  • यूहन्ना ४:१-३०

शनिवार, 7 मई 2011

कलाकार का स्पर्ष

स्टूआर्ट होल्डन ने एक पुरानी हवेली के बारे में लिखा कि उस हवेली के एक कमरे की दीवारें विभिन्न विख्यात कलाकारों के बनाए रेखाचित्रों से भरी हुई थीं। यह सिलसिला शुरू हुआ था जब एक विख्यात कलाकार लॉर्ड लैण्डसीर उस हवेली में मेहमान थे। उस हवेली के एक कमरे की दीवार पर शरबत गिर जाने से भद्दा निशान रह गया था। एक दिन जब हवेली के लोग बाहर गए हुए थे तो लैंडसीर ने कोयले का एक टुकड़ा लिया और वहाँ रेखाचित्र बना दिया। उनके हाथों की खींची कुछ रेखाओं ने उस धब्बे को एक सुन्दर झरने और उसके आस-पास पेड़ और जन्तुओं में परिवर्तित कर दिया। उस कलाकार ने भद्दे धब्बे को सुन्दर प्राकृतिक दृश्य में बदल डाला।

अपने सार्वभौमिक अनुग्रह के अन्तर्गत परमेश्वर हमारी असफलताओं और पापों में से भी भलाई उत्पन्न कर देता है। दाउद के व्यभिचार और हत्या के पाप उसके जीवन पटल पर भद्दे और कलंकित करने वाले धब्बे थे। परन्तु दाउद को परमेश्वर ने त्यागा नहीं; दाउद ने अपने पाप को माना, परमेश्वर ने दाउद द्वारा पश्चाताप और क्षमा के दो भजन लिखवाकर (भजन ३२ और ५१), उसके जीवन की बदसूरती को खूबसूरती में बदल दिया। ये दो भजन आज तक अनगिनित पश्चातापी पापियों के लिए शांति और आशा का कारण हुए हैं।

परमेश्वर कभी पाप को हलका नहीं आंकता और पाप के दंड को नज़रंदाज़ नहीं करता। लेकिन जब हम पश्चाताप के साथ अपने पापों को उसके सामने मान लेते हैं, तो वह हमारे जीवनों में एक नया कार्य आरंभ करता है। दीवार पर कलाकार द्वारा किए कार्य से बढ़कर परमेश्वर का कार्य पापी के जीवन में होता है। कलाकार ने तो धब्बे से ध्यान हटाने के लिए उसमें थोड़ी रेखाएं और जोड़ दीं तथा कुछ अन्य वस्तुओं के चित्र को साथ जोड़्कर उसका स्वरूप बदल दिया; धब्बा तो वहीं रहा परन्तु अन्य चीज़ों के चित्र के साथ मिलकर वह दिखने में सुन्दर लगने लगा। परन्तु परमेश्वर तो पाप के धब्बे को ही मिटा देता है और जीवन को पूरा साफ कर के बदल देता है। उसके इस जीवन परिवर्तन के कार्य द्वारा फिर पापी भी उसके लिए उपयोगी, कार्यशील और पहले से अधिक सामर्थी हो जाते हैं। - पौल वैन गोर्डर


जब तक परमेश्वर का अनुग्रह उपलब्ध है, हमारी कोई असफलता अंतिम नहीं है।

हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर। - भजन ५१:१०


बाइबल पाठ: भजन ५१:१-१४

Psa 51:1 हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।
Psa 51:2 मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!
Psa 51:3 मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।
Psa 51:4 मैं ने केवल तेरे ही विरूद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।
Psa 51:5 देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।
Psa 51:6 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है, और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
Psa 51:7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा, मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।
Psa 51:8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वे मगन हो जाएं।
Psa 51:9 अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
Psa 51:10 हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
Psa 51:11 मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर।
Psa 51:12 अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।
Psa 51:13 तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
Psa 51:14 हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरे धर्म का जयजयकार करने पाऊंगा।

एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १-३
  • लूका २४:१-३५