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गुरुवार, 26 मई 2011

संतुलित सत्य

१९वीं सदी में प्रचलित एक बच्चों की कहानी मुझे बहुत विचलित करती है क्योंकि यह कहानी परमेश्वर के बारे में बहुत गलत दृष्टीकोण देती है।

यह कहानी एक छोटे बच्चे के बारे में है, जिसने अपनी माँ की आज्ञा के विरुद्ध, उसकी पीठ पीछे केक का एक छोटा टुकड़ा लेकर खा लिया। इस कारण उस कहानी में इस बच्चे को नीच, निन्दनीय, कपटी और किसी भी आदरणीय या उदार भावना से सर्वथा विहीन आदि कहा गया। उसके बाद इस "धोखेबाज़ लड़के" का परमेश्वर के सिंहासन के सामने न्याय के लिए प्रस्तुत किया जाना और वहाँ उसे कठोर दंड की आज्ञा के साथ कहा जाना कि, " हे श्रापित लोगों, मेरे साम्हने से उस अनन्‍त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है" (मत्ती २५:४१) दिखाया गया है।

यह कहानी अनज्ञाकारिता और झूठ के विरुद्ध चेतावनी देने की बात में तो ठीक है, लेकिन यह परमेश्वर के विलंब से कोप करने, धैर्य रखने, क्षमा देने जैसे गुणों को बिलकुल अन्देखा कर देती है और परमेश्वर के गुणों का असंतुलित चित्रण प्रस्तुत करती है। इसकी तुलना में, १ कुरिन्थियों ६:९-११ में हम अधर्म और अनुचित चाल-चलन के विरुद्ध कड़ी चेतावनी तो पाते हैं, किंतु साथ ही अधर्म के निन्दनीय कार्यों की सूची के बाद ये कोमल शब्द भी पाते हैं, " और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्‍तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे" (१ कुरिन्थियों ६:११); क्योंकि हमारा परमेश्वर किसी भी पापी के नाश से नहीं वरन प्रत्येक के बचाए जाने से प्रेम रखता है, "प्रभु यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न होता हूँ? क्या मैं इस से प्रसन्न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे?" (यहेजकेल १८:२३)। प्रभु यीशु ने कहा " परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्‍तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए" (युहन्ना ३:१७); "यीशु ने यह सुनकर, उन से कहा, भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्‍तु बीमारों को है: मैं धमिर्यों को नहीं, परन्‍तु पापियों को बुलाने आया हूं।" (मरकुस २:१७)

कुछ मसीही बिना परमेश्वर की करूणा का ध्यान करे परमेश्वर के कोप पर इतना ज़ोर देते हैं कि वे उसकी दया और क्षमाशीलता को भूल जाते हैं। दूसरी ओर कुछ ऐसे मसीही भी हैं जो परमेश्वर की दया, करुणा और क्षमाशीलता पर इतना ज़ोर देते हैं कि वे उसकी पवित्रता, न्याय और पाप से घृणा (पापी से नहीं) को नज़रांदाज़ कर देते हैं और पाप के प्रति परमेश्वर के दृष्टीकोण को बहुत हल्का प्रदर्शित करते हैं। जहाँ हमें परमेश्वर की पवित्रता, न्याय के प्रति कटिबद्धता और पाप से घृणा को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए वहीं उसके प्रेम, दया और अनुग्रह को भी अन्देखा नहीं करना चाहिए।

जब हम परमेश्वर के गुणों को सही जानने और समझने लगेंगे तब ही हम अपना जीवन भी सही जी सकेंगे। सत्य के संतुलित ज्ञान द्वारा ही हम लोगों को भी सही मार्गदर्शन दे सकते हैं। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


परमेश्वर के अनुग्रह के वर्णन के बिना परमेश्वर के क्रोध की शिक्षा अधूरी तथा असंतुलित है।

जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उस को हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है और परमेश्वर उस में बना रहता है। - १ युहन्ना ४:१६


पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो। क्‍योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्‍योंकि मैं पवित्र हूं। - १ पतरस १:१६


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ६:९-२०

1Co 6:9 क्‍या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्त्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्‍चे, न पुरूषगामी।
1Co 6:10 न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देने वाले, न अन्‍धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।
1Co 6:11 और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्‍तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।
1Co 6:12 सब वस्‍तुएं मेरे लिये उचित तो हैं, परन्‍तु सब वस्‍तुएं लाभ की नहीं, सब वस्‍तुएं मेरे लिये उचित हैं, परन्‍तु मैं किसी बात के आधीन न हूंगा।
1Co 6:13 भोजन पेट के लिये, और पेट भोजन के लिये है, परन्‍तु परमेश्वर इस को और उस को दोनों को नाश करेगा, परन्‍तु देह व्यभिचार के लिये नहीं, वरन प्रभु के लिये और प्रभु देह के लिये है।
1Co 6:14 और परमेश्वर ने अपनी सामर्थ से प्रभु को जिलाया, और हमें भी जिलाएगा।
1Co 6:15 क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं सो क्‍या मैं मसीह के अंग लेकर उन्‍हें वेश्या के अंग बनाऊं? कदापि नहीं।
1Co 6:16 क्‍या तुम नहीं जानते, कि जो कोई वेश्या से संगति करता है, वह उसके साथ एक तन हो जाता है क्‍योंकि वह कहता है, कि वे दोनों एक तन होंगे।
1Co 6:17 और जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।
1Co 6:18 व्यभिचार से बचे रहो: जितने और पाप मनुष्य करता है, वे देह के बाहर हैं, परन्‍तु व्यभिचार करने वाला अपनी ही देह के विरूद्ध पाप करता है।
1Co 6:19 क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्‍दिर है जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
1Co 6:20 कयोंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।

एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २८-२९
  • यूहन्ना ९:२४-४१

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