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रविवार, 29 मई 2011

परमेश्वर की चिंता

१९वीं सदी का विख्यात कवि विलियम कूपर यद्यपि मसीही विश्वासी था, तौ भी वह निराशा की गहराईयों में इतना उतर चुका था कि उसने आत्म हत्या करने की ठान ली। उसने एक कोहरे भरी रात में बघ्घी मंगवाई जिससे वह लंडन शहर की थेम्स नदी में डूबकर आत्म हत्या कर सके। घने कोहरे में दो घंटे तक बघ्घी चलाते रहने के पश्चात कोचवान ने कूपर से कबूल किया कि वह मार्ग भटक गया है और उसे अब पता नहीं है कि वह कहाँ है। इस देरी से खिसियाकर कूपर बघ्घी से उतर पड़ा, यह सोचकर कि अब वह स्वयं पैदल ही नदी का मार्ग ढूँढ लेगा। थोड़ी ही दूर चलकर उसने पाया कि वह अपने ही घर के दरवाज़े के सामने खड़ा है। तब कूपर को एहसास हुआ कि बघ्घी वहीं उसी इलाके के चक्कर लगाए जा रही थी; और उसने परमेश्वर के उसे विनाश से रोक लेने वाले हाथ को पहचाना।

परमेश्वर के आत्मा द्वारा कायल होकर कूपर ने जान लिया कि उसकी मुसीबतों से निकलने का मार्ग नदी में कूदना नहीं, परमेश्वर की ओर अपनी नज़र लगाना है। वह परमेश्वर के प्रति कृतज्ञाता से भर गय और उसने वहीं बैठकर अपनी कृतज्ञता का एक भजन परमेश्वर के लिए लिखा जो उस समय से आज तक अनगिनत लोगों के लिए सांत्वना और आशा का कारण रहा है। उस भजन के भाव इस प्रकार हैं: "परमेश्वर रहस्यमय ढंग से अपने अद्भुत कार्य करता है; वह समुद्र पर अपने पाँव जमाता और तूफान पर सवारी करता है; हे भयभीत संत, नई हिम्मत बाँध; जिन निराशा के बादलों से तू इतना भयभीत है वे तो वास्तव में करुणा से भरे हैं और परमेश्वर की आशीश बन कर तुझपर बरसेंगे।"

भजनकार ने लिखा है, "देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करूणा की आशा रखते हैं बनी रहती है, कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उनको जीवित रखे।" (भजन ३३:१८, १९)

इसीलिए प्रेरित पतरस ने लिखा, "परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्‍योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है" (१ पतरस ५:६, ७)।

हमारी आवश्यक्ताएं परमेश्वर की चिंता हैं और उनकी पूर्ति उसकी ज़िम्मेवारी। - हैनरी बौश



कोई जीवन आशा रहित नहीं है, जब तक मसीह को ही जीवन से न निकाल दिया गया हो।

देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करूणा की आशा रखते हैं बनी रहती है, कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उनको जीवित रखे। - भजन ३३:१८, १९


बाइबल पाठ: भजन ३४:१-२२

Psa 34:1 मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।
Psa 34:2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा, नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।
Psa 34:3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।
Psa 34:4 मैं यहोवा के पास गया, तब उस ने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
Psa 34:5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई और उनका मुंह कभी काला न होने पाया।
Psa 34:6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
Psa 34:7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उनको बचाता है।
Psa 34:8 परख कर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है।
Psa 34:9 हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!
Psa 34:10 जवान सिहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं, परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।
Psa 34:11 हे लड़कों, आओ, मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊंगा।
Psa 34:12 वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?
Psa 34:13 अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले।
Psa 34:14 बुराई को छोड़ और भलाई कर, मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर।
Psa 34:15 यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं।
Psa 34:16 यहोवा बुराई करने वालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मर्ण पृथ्वी पर से मिटा डाले।
Psa 34:17 धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है।
Psa 34:18 यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्वार करता है।
Psa 34:19 धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्त यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है।
Psa 34:20 वह उसकी हड्डी हड्डी की रक्षा करता है, और उन में से एक भी टूटने नहीं पाती।
Psa 34:21 दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा, और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे।
Psa 34:22 यहोवा अपने दासों का प्राण मोल लेकर बचा लेता है; और जितने उसके शरणागत हैं उन में से कोई भी दोषी न ठहरेगा।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ७-९
  • यूहन्ना ११:१-२९

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