हमारे एक मित्र ने अचानक ही अटपटी और निराशाजनक बातें कहना आरंभ कर दिया, जिससे हम लोग उसके लिए चिंतित हुए, उसे प्रोत्साहित करने लगे और उसे सलाह देने लगे। बाद में पता पड़ा कि वह ऐसा मज़ाक में कर रहा था, जान-बूझ कर कुछ गानों की पंक्तियों को इधर-उधर से मिला कर बोल रहा था जिससे लोग उसके साथ वार्तालाप आरंभ कर सकें। जिन मित्रों ने उसकी सहायता करने के लिए प्रयास किए, उन्होंने अपना समय ही व्यर्थ किया क्योंकि उसे किसी सहायात अथवा सलाह की आवश्यकता थी ही नहीं। हमारे उस मित्र द्वारा कही गई बातों के कोई दुषपरिणाम तो नहीं हुए, लेकिन ऐसा हो सकता था यदि किसी ने उसकी सहायाता के लिए अपने किसी आवश्यक कार्य या ज़िम्मेदारी को छोड़ कर उसके प्रति अधिक ध्यान दिया होता। संदर्भ से हटकर कहे गए गीतों के बोल आनन्द नहीं, परेशानी देने वाले हो गए।
कुछ लोगों का जीवन की अनेक बातों के प्रति यही रवैया रहता है; वे किसी अन्य की कही गई बात को संदर्भ से हटाकर बताते हैं जिससे कि दूसरों का ध्यान आकर्षित कर सकें या किसी बहस को जीत सकें। अन्य कुछ तो इससे भी अधिक चालाक एवं खतरनाक होते हैं - वे दूसरों के ऊपर अधिकार जताने के लिए सत्य को ना केवल संदर्भ से हटाकर, वरन तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करते हैं। ऐसे सभी लोग ना केवल दूसरों के जीवनों को वरन उनकी आत्माओं को भी खतरे में डाल देते हैं। जब लोग दूसरों के शब्दों को संदर्भ से हटाकर या तोड़-मरोड़ कर प्रयोग करते हैं जिससे कि वे सुनने वालों को अपनी मनसा के अनुसार चला सकें, तो इसके नुकसान से बचने का एक ही उपाय होता है - उन शब्दों की वास्तविकता को जानना, उन्हें उनके सही संदर्भ में देखना और समझना।
यही बात और उपाय परमेश्वर के वचन बाइबल के साथ भी लागू होती है। बहुतेरे हैं जो बाइबल की बातों को संदर्भ से हटाकर या तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करते हैं जिससे दूसरों को गलत प्रभाव में लाएं और उनसे कुछ अनुचित करवाएं। परमेश्वर के वचन की जो सच्चाईयाँ परमेश्वर द्वारा हमारी आशीष और आनन्द के लिए दी गई हैं, ऐसा करने से व्यर्थ एवं अनेपक्षित परेशानी का कारण हो जाती हैं। बाइबल की सच्चाईयों को स्वयं बाइबल को पढ़ने के द्वारा ही जाना जा सकता है; बाइबल परमेश्वर का वचन है, और परमेश्वर किसी को भी कभी कोई अनुचित व्यवहार नहीं सिखाता। शैतान ने प्रभु यीशु की भी परीक्षा परमेश्वर के वचन को उसके संदर्भ से बाहर कह कर के करी थी, और प्रभु यीशु ने शैतान की गलत बातों के इस हमले को परमेश्वर के वचन के सही प्रयोग द्वारा ही निष्क्रीय किया था (लूका 4)। परमेश्वर ने अपने वचन को हमारे हाथों में इसीलिए रखा है और उस वचन को समझाने तथा हमारा मार्ग-दर्शन करने के लिए अपने विश्वासियों को अपनी पवित्र-आत्मा को दिया है जिससे हम ना तो कभी धोखा खाएं और ना ही किसी गलत मार्ग पर चलें।
परमेश्वर के वचन का नियमित अध्ययन करें जिससे कि उसके संदर्भ से हटाकर कहे जाने के दुरुपयोग के प्रति सचेत रहें, तथा ऐसा किए जाने के दुषप्रभावों से बचकर रह सकें। - जूली ऐकैरमैन लिंक
यदि हम परमेश्वर के सत्य को थामे रहेंगे तो शैतान के झूठ में कभी फंसने नहीं पाएंगे।
कि शैतान का हम पर दांव न चले, क्योंकि हम उस की युक्तियों से अनजान नहीं। - 2 कुरिन्थियों 2:11
बाइबल पाठ: लूका 4:1-13
Luke 4:1 फिर यीशु पवित्रआत्मा से भरा हुआ, यरदन से लैटा; और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा; और शैतान उस की परीक्षा करता रहा।
Luke 4:2 उन दिनों में उसने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी।
Luke 4:3 और शैतान ने उस से कहा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए।
Luke 4:4 यीशु ने उसे उत्तर दिया; कि लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा।
Luke 4:5 तब शैतान उसे ले गया और उसको पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए।
Luke 4:6 और उस से कहा; मैं यह सब अधिकार, और इन का वैभव तुझे दूंगा, क्योंकि वह मुझे सौंपा गया है: और जिसे चाहता हूं, उसी को दे देता हूं।
Luke 4:7 इसलिये, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा।
Luke 4:8 यीशु ने उसे उत्तर दिया; लिखा है; कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर; और केवल उसी की उपासना कर।
Luke 4:9 तब उसने उसे यरूशलेम में ले जा कर मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहां से नीचे गिरा दे।
Luke 4:10 क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें।
Luke 4:11 और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे।
Luke 4:12 यीशु ने उसको उत्तर दिया; यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना।
Luke 4:13 जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।
एक साल में बाइबल:
- न्यायियों 1-3
- लूका 4:1-30
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