मैं आभारी हूँ कि परमेश्वर ने हमें सूँघने की शक्ति दी है, जिससे हम जीवन की अनेकों सुगन्धों का आनन्द ले सकते हैं। मैं जानता हूँ कि मैं प्रातः दाढ़ी बनाने के बाद लगाए गए आफटर-शेव की ताज़गी भरी सुगन्ध का कैसा आनन्द लेता हूँ। या फिर बसन्त के समय में ताज़ी काटी गई घास की सुगन्ध कैसी मनभावनी होती है। मुझे अपने घर के पीछे के आँगन में बैठकर बाग़ से आने वाली गुलाबों की सुगन्ध का आनन्द लेना बहुत प्रीय है। और फिर अनेकों प्रकार के भोजनों की भिन्न प्रकार की सुगन्धों का तो कहना ही क्या।
इसलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस प्रेरित द्वारा लिखा हुई बात मेरा ध्यान आकर्षित करती है। पौलुस ने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को उनके द्वारा सप्रेम किए गए सहायता कार्यों के संबंध में अपनी पत्री में लिखा, "मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्त हो गया हूं, वह तो सुगन्ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है" (फिलिप्पियों 4:18)। जब हम उनकी सहायता करने के बारे में विचार करते हैं,जो किसी आवश्यकता में हैं, तो बहुधा हम इसे केवल करने के लिए एक अच्छा कार्य मात्र समझ लेते हैं; या फिर ऐसा कार्य जो मसीह और मसीही विश्वासी के चरित्र के अनुरूप है। परन्तु पौलुस के द्वारा परमेश्वर के पवित्र आत्मा ने हमारे लिए लिखवाया है कि दूसरों की सहायतार्थ स्वेच्छा से किया गया कार्य, परमेश्वर के सिंहासन स्थल को ऐसी सुगन्ध से भर देता है जिससे वह प्रसन्न होता है।
यह आभास होना कि परमेश्वर के नाम में हमारे द्वारा किसी की सहायता के लिए किए गए कार्य एक सुगन्ध के समान परमेश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं, उन सहायता-कार्यों को करने के लिए कितना बड़ा प्रोत्साहन और कितना अधिक प्रेरणादायक है।
प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में ध्यान करें कि आपके द्वारा किए जाने वाले ऐसे कार्यों की आवश्यकता किसे है; परमेश्वर से प्रार्थना करें कि आपको किसी ऐसे के पास लेकर जाए जिसकी आप कुछ सहायता कर सकें। औरों के लिए आशीष बनें; यह परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली भली सुगन्ध होगा। - जो स्टोवैल
औरों के लिए आशीष बनना परमेश्वर से आशीष पाना है।
पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है। - इब्रानियों 13:16
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:10-20
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला।
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्तोष करूं।
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।
Philippians 4:14 तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्लेश में मेरे सहभागी हुए।
Philippians 4:15 और हे फिलप्पियो, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहयता नहीं की।
Philippians 4:16 इसी प्रकार जब मैं थिस्सलुनीके में था; तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्या वरन दो बार कुछ भेजा था।
Philippians 4:17 यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए।
Philippians 4:18 मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्त हो गया हूं, वह तो सुगन्ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है।
Philippians 4:19 और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।
Philippians 4:20 हमारे परमेश्वर और पिता की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल:
- 1 शमूएल 10-12
- लूका 9:37-62
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