चीन
में 1900 के बॉक्सर विद्रोह के समय ताई यूआन फू नामक स्थान पर एक घर में फंसे हुए
कुछ मिशनरियों ने निर्णय लिया कि उनके लिए जान बचाने का एक ही मार्ग है, कि वे
उन्हें मार डालने पर उतारू भीड़ के बीच में से होकर भाग निकलने का प्रयास करें।
अपने हाथों में कुछ हथियार लिए हुए, उन्होंने ऐसा ही किया, और उस समय के खतरे से
बच निकले। परन्तु उनमें से एक, एडिथ कूम्ब्स ने ध्यान किया कि उनके दो घायल चीनी
शिष्य बचकर निकलने नहीं पाए थे, और उन्हें बचाने के लिए वह वापस दौड़कर उस खतरे के
स्थान में गई। वह एक को तो सुरक्षित बाहर निकाल लाई परन्तु दूसरे को लाते समय वह
लड़खड़ाई और मारी गई।
उसी
समय में सीन चौऊ जिले में स्थित एक अन्य स्थान पर मिशनरी लोग बच निकलने में सफल
रहे थे और आबादी के बाहर के इलाके में, अपने चीनी मित्र, हो त्सुएन केई के पास
छुपे हुए थे। उनका वह मित्र, हो त्सुएन केई, उनके बचकर निकल जाने के लिए सुरक्षित
मार्ग ढूँढने बाहर निकला, परन्तु पकड़ लिया गया, और क्योंकि उसने अपने छुपे हुए
मिशनरी मित्रों का स्थान बताने से इन्कार कर दिया, इसलिए उसे मार डाल गया ।
एडिथ
कूम्ब्स और हो त्सुएन केई के जीवनों से हम एक ऐसे प्रेम को देखते हैं जो
सांस्कृतिक और राष्ट्रीय भावना के प्रेम से ऊपर उठकर कार्य करता है। उनका बलिदान
हमें प्रभु परमेश्वर के प्रेम और बलिदान का स्मरण करवाता है।
मार
डाले जाने के लिए पकड़वाए जाने से पहले प्रभु यीशु ने परमेश्वर पिता से प्रार्थना
की, “हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले,” परन्तु अपनी इस प्रार्थना का अन्त उन्होंने साहस, प्रेम और बलिदान के
दृढ़ निश्चय के साथ किया, यह कहते हुए कि “तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा
पूरी हो” (लूका 22:42)। प्रभु यीशु के इस बलिदान और पुनरुत्थान के द्वारा
सँसार के प्रत्येक व्यक्ति के लिए, वह चाहे कहीं का और कोई भी हो, पापों की क्षमा
और उद्धार का मार्ग खुलकर तैयार हो गया, और अभी भी सभी के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध
है। प्रभु के इस बलिदान के सदुपयोग द्वारा अपने पापों के दण्ड से बच जाना हमारा
अपना निर्णय है। - रैंडी किल्गोर
घृणा और पाप के अन्धकार को केवल मसीह यीशु
के प्रेम की ज्योति ही दूर कर सकती है।
मेरी आज्ञा यह है, कि
जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से
प्रेम रखो। इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने
मित्रों के लिये अपना प्राण दे। - यूहन्ना 15:12-13
बाइबल पाठ: लूका 22:39-46
Luke 22:39 तब वह बाहर निकलकर अपनी रीति के
अनुसार जैतून के पहाड़ पर गया, और चेले उसके पीछे हो लिए।
Luke 22:40 उस जगह पहुंचकर उसने उन से कहा;
प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो।
Luke 22:41 और वह आप उन से अलग एक ढेला
फेंकने के टप्पे भर गया, और घुटने टेक कर प्रार्थना करने
लगा।
Luke 22:42 कि हे पिता यदि तू चाहे तो इस
कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही
इच्छा पूरी हो।
Luke 22:43 तब स्वर्ग से एक दूत उसको दिखाई
दिया जो उसे सामर्थ देता था।
Luke 22:44 और वह अत्यन्त संकट में
व्याकुल हो कर और भी हृदय वेदना से प्रार्थना करने लगा; और
उसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्दों के समान भूमि पर गिर रहा था।
Luke 22:45 तब वह प्रार्थना से उठा और अपने
चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया; और उन से
कहा, क्यों सोते हो?
Luke 22:46 उठो, प्रार्थना
करो, कि परीक्षा में न पड़ो।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 8-10
- इब्रानियों 13
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