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गुरुवार, 17 मई 2012

परमेश्वर की कलाकृति

   कुछ समय पहले मैं जापानी कला ओरिगैमी सीखने गया, जो काग़ज़ को मोड़ कर उससे विभिन्न आकार बनाने की कला है। हमें यह कला सिखाने वाले एक जापानी मसीही विश्वासी भाई हितोशिरो अकेही थे। हमें ओरिगैमी कला के बारे में सिखाने के साथ साथ वे अपने जीवन के अनुभव भी हमारे साथ बांटते जा रहे थे।

   अपने जीवन के बारे में उन्होंने बताया कि वे ११ भाईयों में सबसे छोटे हैं, और दूसरे विश्वयुद्ध में उनके पिता के देहांत के बाद उनकी माता ही ने उन की परवरिश करी। जीवन के कई कठिन उतार-चढ़ाव देखने के बाद उनका परिवार मसीही मिशनरियों के संपर्क में आया और उनके परिवार के कई लोग मसीही विश्वासी हो गए।

   उनके निर्देशों के अनुसार जैसे जैसे मैं एक साधारण और सामन्य काग़ज़ को लेकर मोड़ता जा रहा था और इस प्रक्रिया से एक नया सुन्दर आकार बनता जा रहा था, मैं सोचने लगा कि परमेश्वर भी ऐसे ही हमारे साधारण से जीवनों को लेकर उन्हें भी एक नया आकार देता है। पहले वह परिस्थितियों के द्वारा हमें नम्र और लचीला करता है, और हमें अपनी निकटता में लाता है, हमें अपने ऊपर निर्भर करना सिखाता है जिस से कि हम नए आकार में ढाले जाने के लिए तैयार हो सकें। फिर अपने अनुग्रह में वह जीवन के घुमाव-फिराव और उतार-चढ़ाव के द्वारा हमारे जीवनों को अपने पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के स्वरूप की समानता में लाता जाता है (रोमियों ८:२९)।

   क्या आपके जीवन में कोई अप्रत्याशित मोड़ आया है? विस्मित और निराश ना हों; स्मरण रखें "क्‍योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्‍हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया" (इफिसीयों २:१०)। प्रत्येक मसीही विश्वासी परमेश्वर की अपूर्ण कलाकृति है जिसपर उसका कार्य अभी ज़ारी है।

   जीवन की परिस्थितियां परमेश्वर के औज़ार हैं जिनके द्वारा वह हमें अपने पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के स्वरूप में ढालता जा रहा है। - डेनिस फिशर


मसीही विश्वासी परमेश्वर के हाथों में कार्यरत कलाकृति हैं।


क्‍योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्‍हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया। - इफिसीयों २:१०

बाइबल पाठ: रोमियों ८:२२-३३
Rom 8:22  क्‍योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्‍टि अब तक मिल कर करहाती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
Rom 8:23   और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में करहाते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।
Rom 8:24  आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्‍तु जिस वस्‍तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्‍योंकि जिस वस्‍तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्‍या करेगा?
Rom 8:25  परन्‍तु जिस वस्‍तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं।
Rom 8:26  इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
Rom 8:27  और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है।
Rom 8:28  और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है, अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29  क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30  फिर जिन्‍हें उन से पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है।
Rom 8:31  सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Rom 8:32  जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा?
Rom 8:33  परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १-३ 
  • यूहन्ना ५:२५-४७

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    लिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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