दिसंबर ७, १९४१ को एक जापानी युद्धपोत ’अकागी’ से मित्सुओ फ़ुचीदा ने जंगी वायुयान में उड़ान भरी। फ़ुचीदा ने अमेरिका के पर्ल हारबर पर आकस्मात किये गये जापानी हवाई हमले का नेतृत्व किया, जिसके बाद अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल हो गया।
इसके बाद के युद्ध के वर्षों में फ़ुचीदा जंगी जहाज़ों में उड़ान भरता रहा और कई दफा मौत से बाल बाल बचा। युद्ध के अन्त होने तक फ़ुचीदा निराशा और कटुता से भर गया था।
कुछ वर्षों पश्चात उसने एक सच्ची कहानी पढ़ी जिसने उसकी आत्मिक जिज्ञासा को जागृत किया। एक जवान मसीही युवती ने, जिसके माता पिता युद्ध में जापानीयों द्वारा मारे गये थे, निर्ण्य लिया कि वह जापानी युद्ध बंदीयों की सेवा करेगी। इससे प्रभावित फ़ूचिदा ने बाइबल पढ़ना आरंभ किया।
जब उसने क्रूस पर से अपने सताने वालों के लिये प्रभु यीशु मसीह द्वारा कहे गए शब्द पढ़े "हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहें हैं।" (लूका २३:३४), तब वह समझ सका कि वह युवती अपने दुशमनों को दया कैसे दिखा सकी। उस दिन फ़ुचिदा ने प्रभु यीशु को अपना हृदय समर्पित कर दिया।
यह भूतपूर्व सैनिक अपने सहनागरिकों के लिये सुसमाचार प्रचारक बन गया और उसका जीवन उस शांति का उदहरण बन गया जो मसीह पर विश्वास लाने वालों के जीवन में काम करती है, और उसने अपने जीवन से दिखाया कि कैसे "तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे ह्रृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षित रखेगी।" (फिलिप्पियों ४:१७)।
क्या आपने यह शांति पाई है? आप चाहे जैसी भी परिस्थितियों से होकर निकले हों, परमेश्वर का वायदा है कि "किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं" (फिलिप्पियों ४:१६) और वह अवश्य अपनी शांति आपको उपलब्ध करायेगा। - डेनिस फिशर
तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे ह्रृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षित रखेगी। - फिलिप्पियों ४:१७
बाइबल पाठ: लूका २३:३२-४३
वे और दो मनुष्यों को भी जो कुकर्मी थे उसके साथ घात करने को ले चले।
जब वे उस जगह जिसे खोपड़ी कहते हैं पहुंचे, तो उन्होंने वहां उसे और उन कुकिर्मयों को भी एक को दाहिनी ओर और दूसरे को बाईं ओर क्रूसों पर चढ़ाया।
तब यीशु ने कहा हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहें हैं; और उन्होंने चिट्ठियां डाल कर उसके कपड़े बांट लिए।
लोग खड़े खड़े देख रहे थे, और सरदार भी ठट्ठा कर करके कहते थे, कि इस ने औरों को बचाया, यदि यह परमेश्वर का मसीह है, और उसका चुना हुआ है, तो अपने आप को बचा ले।
सिपाही भी पास आकर और सिरका दे कर उसका ठट्ठा करके कहते थे।
यदि तू यहूदियों का राजा है, तो अपने आप को बचा।
और उसके ऊपर एक पत्र भी लगाया, कि यह यहूदियों का राजा है।
जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्दा करके कहा "क्या तू मसीह नहीं? तो फिर अपके आप को और हमें बचा।"
इस पर दूसरे ने उसे डांट कर कहा, "क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है।"
"और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया।"
तब उस ने कहा "हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।"
उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।
एक साल में बाइबल:
इसके बाद के युद्ध के वर्षों में फ़ुचीदा जंगी जहाज़ों में उड़ान भरता रहा और कई दफा मौत से बाल बाल बचा। युद्ध के अन्त होने तक फ़ुचीदा निराशा और कटुता से भर गया था।
कुछ वर्षों पश्चात उसने एक सच्ची कहानी पढ़ी जिसने उसकी आत्मिक जिज्ञासा को जागृत किया। एक जवान मसीही युवती ने, जिसके माता पिता युद्ध में जापानीयों द्वारा मारे गये थे, निर्ण्य लिया कि वह जापानी युद्ध बंदीयों की सेवा करेगी। इससे प्रभावित फ़ूचिदा ने बाइबल पढ़ना आरंभ किया।
जब उसने क्रूस पर से अपने सताने वालों के लिये प्रभु यीशु मसीह द्वारा कहे गए शब्द पढ़े "हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहें हैं।" (लूका २३:३४), तब वह समझ सका कि वह युवती अपने दुशमनों को दया कैसे दिखा सकी। उस दिन फ़ुचिदा ने प्रभु यीशु को अपना हृदय समर्पित कर दिया।
यह भूतपूर्व सैनिक अपने सहनागरिकों के लिये सुसमाचार प्रचारक बन गया और उसका जीवन उस शांति का उदहरण बन गया जो मसीह पर विश्वास लाने वालों के जीवन में काम करती है, और उसने अपने जीवन से दिखाया कि कैसे "तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे ह्रृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षित रखेगी।" (फिलिप्पियों ४:१७)।
क्या आपने यह शांति पाई है? आप चाहे जैसी भी परिस्थितियों से होकर निकले हों, परमेश्वर का वायदा है कि "किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं" (फिलिप्पियों ४:१६) और वह अवश्य अपनी शांति आपको उपलब्ध करायेगा। - डेनिस फिशर
सच्ची शांति जीवन में कलह की अनुपस्थिति नहीं, वरन जीवन में सच्चे परमेश्वर की उपस्थिति है।
तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे ह्रृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षित रखेगी। - फिलिप्पियों ४:१७
बाइबल पाठ: लूका २३:३२-४३
वे और दो मनुष्यों को भी जो कुकर्मी थे उसके साथ घात करने को ले चले।
जब वे उस जगह जिसे खोपड़ी कहते हैं पहुंचे, तो उन्होंने वहां उसे और उन कुकिर्मयों को भी एक को दाहिनी ओर और दूसरे को बाईं ओर क्रूसों पर चढ़ाया।
तब यीशु ने कहा हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहें हैं; और उन्होंने चिट्ठियां डाल कर उसके कपड़े बांट लिए।
लोग खड़े खड़े देख रहे थे, और सरदार भी ठट्ठा कर करके कहते थे, कि इस ने औरों को बचाया, यदि यह परमेश्वर का मसीह है, और उसका चुना हुआ है, तो अपने आप को बचा ले।
सिपाही भी पास आकर और सिरका दे कर उसका ठट्ठा करके कहते थे।
यदि तू यहूदियों का राजा है, तो अपने आप को बचा।
और उसके ऊपर एक पत्र भी लगाया, कि यह यहूदियों का राजा है।
जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्दा करके कहा "क्या तू मसीह नहीं? तो फिर अपके आप को और हमें बचा।"
इस पर दूसरे ने उसे डांट कर कहा, "क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है।"
"और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया।"
तब उस ने कहा "हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।"
उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।
एक साल में बाइबल:
- दानियेल ५-७
- २ युहन्ना
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