विलियम स्कोर्सबे १९वीं शताब्दी के एक समुद्री नाविक और अन्वेषक थे, जिन्होंने मसीही सेवकाई के लिए परमेश्वर की बुलाहट को माना और मसीही सेवकाई में लग गए। उनके सेवकाई के समय में भी नाविकों के दिशा सूचक यंत्र - कुतुबनुमा और उसकी कार्यविधि में उनकी रुचि बनी रही और अपने अनुसंधान से उन्होंने स्थापित किया कि सभी नवनिर्मित लोहे के जहाज़ अपना चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जो उन के कुतुबनुमा पर प्रभाव डालता है और यह प्रभाव समुद्र में विभिन्न परिस्थितियों में बदलता रहता है, जिससे नाविक दिशा सूचक यंत्र से गलत दिशा लेकर घोर संकट में पड़ जाते हैं।
कुतुबनुमा से मिली गलत दिशा और परमेशवर के वचन बाइबल के गलत अर्थ निकाले जाने के प्रभावों में बड़ी समानता है। प्रेरित पौलुस ने तिमुथियुस को आगाह किया कि वह "...कहानियों और अनन्त वंशावलियों पर मन न लगाएं, जिन से विवाद होते हैं" (१ तिमुथियुस १:४)। पौलुस ने आगे सिखाया कि परमेश्वर के वचन के सिद्धांतों में फेर-बदल करके लोग गलत शिक्षाओं में फंस जाते हैं और उससे कितनों का विश्वास रूपी जहाज़ डुब जाता है (पद १९); उसने ऐसे दो लोगों के नाम बताए - हुमिनयुस और सिकन्दर (पद २०) जो परमेश्वर के वचन के सही सिद्धांतों के स्थान पर गलत शिक्षाओं में पड़ने से इस नुकसान को उठा चुके थे।
आज परमेश्वर के वचन बाइबल के सत्य पर हर ओर से प्रहार हो रहा है, यहां तक कि चर्च में भी कई गलत शिक्षाओं ने स्थान बना लिया है। हमारी व्यक्तिगत राय और विचार परमेश्वर के सिद्धांत बदल नहीं सकते। जीवन की यात्रा में परमेश्वर का वचन ही वह स्थिर दिशा सूचक है जो परिस्थितियों और लोगों के अनुसार नहीं बदलता; और बदलती परिस्थितियों में हमें उस वचन को ही अपना दिशा सूचक बनाना है, किंतु हर एक गलत शिक्षा और गलत अर्थ से बच कर रहना है। इसीलिए परमेश्वर के वचन में लिखा है कि "मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ..." (कुलुस्सियों ३:१६)। - डेनिस फिशर
बुद्धिमानी की पहली पहचान है सत्य को जानना, और दूसरी है असत्य को पहचान पाना।
हे पुत्र तीमुथियुस, उन भविष्यद्ववाणियों के अनुसार जो पहिले तेरे विषय में की गई थीं, मैं यह आज्ञा सौंपता हूं, कि तू उन के अनुसार अच्छी लड़ाई को लड़ता रहे। और विश्वास और उस अच्छे विवेक को थामें रह जिसे दूर करने के कारण कितनों का विश्वास रूपी जहाज डूब गया। - १ तिमुथियुस १:१८-१९
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों २:४-९
Col 2:4 यह मैं इसलिये कहता हूं, कि कोई मनुष्य तुम्हें लुभाने वाली बातों से धोखा न दे।
Col 2:5 क्योंकि मैं यदि शरीर के भाव से तुम से दूर हूं, तौभी आत्मिक भाव से तुम्हारे निकट हूं, और तुम्हारे विधि-अनुसार चरित्र और तुम्हारे विश्वास की जो मसीह में है दृढ़ता देखकर प्रसन्न होता हूं।
Col 2:6 सो जैसे तुम ने मसीह यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर लिया है, वैसे ही उसी में चलते रहो।
Col 2:7 और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ, और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्त धन्यवाद करते रहो।
Col 2:8 चौकस रहो कि कोई तुम्हें उस तत्व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न करे ले, जो मनुष्यों के परम्पराई मत और संसार की आदि शिक्षा के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं।
Col 2:9 क्योंकि उस में ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है।
Col 2:4 यह मैं इसलिये कहता हूं, कि कोई मनुष्य तुम्हें लुभाने वाली बातों से धोखा न दे।
Col 2:5 क्योंकि मैं यदि शरीर के भाव से तुम से दूर हूं, तौभी आत्मिक भाव से तुम्हारे निकट हूं, और तुम्हारे विधि-अनुसार चरित्र और तुम्हारे विश्वास की जो मसीह में है दृढ़ता देखकर प्रसन्न होता हूं।
Col 2:6 सो जैसे तुम ने मसीह यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर लिया है, वैसे ही उसी में चलते रहो।
Col 2:7 और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ, और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्त धन्यवाद करते रहो।
Col 2:8 चौकस रहो कि कोई तुम्हें उस तत्व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न करे ले, जो मनुष्यों के परम्पराई मत और संसार की आदि शिक्षा के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं।
Col 2:9 क्योंकि उस में ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है।
एक साल में बाइबल:
- २ शमूएल ३-५
- लूका १४:२५-३५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें