एमी कारमाईकल (१८६७-१९५१) जब एक छोटी लड़की थी तो अपनी भूरी आंखों की बजाए अपने समाज के अन्य लोगों के समान नीली आंखें चाहती थी। उसने परमेश्वर से इसके बारे में बहुत प्रार्थनाएं भी करीं, और जब परमेश्वर ने उसकी नहीं सुनी, तो वह बहुत निराश भी हुई। फिर जब वह २० वर्ष की हुई तो उसे परमेश्वर की ओर से परमेश्वर की सेवकाई के लिए बुलाहट अनुभव हुई, और कई स्थानों पर सेवकाई के बाद वह दक्षिण भारत में आकर सेवकाई करने लगी, जहां उन्होंने ५५ वर्ष तक यह सेवकाई करी। भारत में अपनी सेवकाई के समय एमी ने परमेश्वर द्वारा उसे नीली नहीं वरन भूरी आंखें दिए जाने और इस विषय में उसकी प्रार्थनाओं के अनसुने होने की बुद्धिमता को पहचाना, क्योंकि अपनी सेवकाई के दौरान कई बार उसे ऐसे स्थानों पर जाना पड़ा जहां उसके रंग-रूप के कारण उसे कठिनाई हो सकती थी। वह अपने शरीर पर रंग लगाकर, अन्य निवासियों जैसे गहरे रंग की तो हो जाती थी किंतु यदि उसकी आंखें नीली होतीं तो वह झट पहचान ली जाती; अब लगाए गए गहरे रंग और भूरी आंखों के कारण वह सरलता से उन स्थानों में प्रवेश कर सकती थी।
परमेश्वर के वचन में भजनकार लिखता है कि, "निश्चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं" (भजन १००:३)। जिसने हमें बनाया है, उसने हमारी रचना के अनुसार ही हमारे लिए उद्देश्य भी निर्धारित किया है। जब हम अपनी इच्छाओं को सर्वोपरी करने के बजाए, अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर की बुद्धिमता और योजनाओं पर अपने आप को छोड़ देते हैं, और उसकी आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत करते हैं, तब ही हम उसके लिए कार्यकारी हो सकते हैं। इसी में हमारी आशीशें हैं, हमारी स्वतंत्रता और सुरक्षा है।
एमी ने समर्पण की इस सामर्थ और सत्य को जाना और माना। उससे जब मसीही सेवकाई के जीवन के बारे में पूछा गया तो उसका उत्तर था, "मसीही सेवकाई का जीवन मसीह के लिए मरने के अवसर हैं।" एमी का यह उत्तर उसके प्रभु मसीह यीशु के कथन पर आधारित था, "क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा" (मत्ती १६:२५)।
मसीही सेवकाई का जीवन इस से कुछ भिन्न नहीं है - मसीह को सच्चा संपूर्ण समर्पण और प्रभु की आज्ञाकारिता में प्राण देने तक आज्ञाकरी तथा विश्वासयोग्य रहना। प्रभु करे कि सेवकाई के प्रति यही हमारी भी भावना हो। - ऐनी सेटास
परमेश्वर के हाथों में निर्विवाद छोड़े गए जीवन से अधिक सुरक्षित और स्वतंत्र कोई जीवन नहीं है।
क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। - मत्ती १६:२५
बाइबल पाठ: मत्ती १६:२४-२८
Mat 16:24 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
Mat 16:25 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।
Mat 16:26 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?
Mat 16:27 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।
Mat 16:28 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।
Mat 16:24 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
Mat 16:25 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।
Mat 16:26 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?
Mat 16:27 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।
Mat 16:28 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।
एक साल में बाइबल:
- १ राजा ३-५
- लूका २०:१-२६
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