जब हम अपने हाथों को गन्दगी और कीटाणुओं से स्वच्छ करने के लिए धोते हैं, तो क्या वास्तव में हम ही उन्हें स्वच्छ करते हैं? उत्तर हाँ और नहीं दोनो ही है। हाँ इसलिए क्योंकि यह हमारे निर्णय, हमारे प्रयास और हमारी इच्छा से होता है, और नहीं इसलिए क्योंकि स्वच्छ करने का वास्तविक कार्य तो वह साबुन और पानी करते हैं जिनका हम प्रयोग करते हैं; हमारा निर्णय, प्रयास और इच्छा तो उन स्वच्छ करने में सक्षम माध्यमों को कार्यकारी होने देता है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पुलुस ने तिमुथियुस को अपनी दूसरी पत्री में लिखा: "यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा" (२ तिमुथियुस २:२१); पौलुस के कहने का तात्पर्य यह नहीं था कि हमारे पास अपने आप को पापों से शुद्ध करने की क्षमता है, वरन यह कि हम स्वेच्छा से अपने आप को उस माध्यम को समर्पित करें जो हमें पापों से शुद्ध करने और हमें परमेश्वर की दृष्टी में धर्मी कर देने में सक्षम है - अर्थात प्रभु यीशु मसीह को। इसी संदर्भ में, अपनी एक और पत्री में, पौलुस ने लिखा, "और उस में पाया जाऊं; न कि अपनी उस धामिर्कता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन उस धामिर्कता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है" (फिलिप्पियों ३:९)।
जब हम प्रभु यीशु मसीह को ग्रहण करते हैं तो उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान हमें पाप के दण्ड और हमें बान्ध कर रखने वाली पाप की शक्ति से मुक्त कर देते हैं। यदि हम फिर कभी पाप में पड़ें भी, तब भी यह पुनः स्वच्छ हो पाने की सुविधा हमें प्रभु यीशु में उपलब्ध रहती है: "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ यूहन्ना १:९)।
पाप और उसके दुष्परिणामों से मिली यह अद्भुत स्वतंत्रता हमें जवानी की अभिलाषाओं से मुँह मोड़ने तथा धार्मिकता अर्थात सही व्यवहार, विश्वास अर्थात सही आधार, प्रेम अर्थात सही प्रत्युत्तर और मेल-मिलाप अर्थात सही उद्देश्य जैसे सद्गुणों के पीछे बढ़ने में सक्षम करती है। जब हम अपने निर्णय, प्रयास और इच्छा से अपने आप को प्रभु यीशु को समर्पित करते हैं और उसके आत्मा को अपने अन्दर कार्य करने देते हैं तो वह हमें स्वच्छ और परमेश्वर के लिए उपयोगी बनाता है।
क्या आप स्वच्छ और परमेश्वर के लिए उपयोगी होने को तैयार हैं? - एलबर्ट ली
सही सोच ही जीवन को सही रीति से जीने का मार्गदर्शन करती है।
जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर। - २ तिमुथियुस २:२२
बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस २:२०-२६
2Ti 2:20 बड़े घर में न केवल सोने-चान्दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिये।
2Ti 2:21 यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा।
2Ti 2:22 जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
2Ti 2:23 पर मूर्खता, और अविद्या के विवादों से अलग रह; क्योंकि तू जानता है, कि उन से झगड़े होते हैं।
2Ti 2:24 और प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो।
2Ti 2:25 और विरोधियों को नम्रता से समझाए, क्या जाने परमेश्वर उन्हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें।
2Ti 2:26 और इस के द्वारा उस की इच्छा पूरी करने के लिये सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाएं।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल ५-७
- इब्रानियों १२
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